रविवार को सेक्टर 47 में लगी फॉर्मर मार्किट में एक डेरी वाली महिला (Hetha Organics) से गाय का घी (2000 /kg ) और दूध (150 /kg) के रेट पर बात कर रहा था , तो उनका कहना था कि हमारे फॉर्म हाउस में 1000 गाय हैं उनमें से एक समय में मात्र 200 ही दूध देती हैं मगर इन सबको हमें पूरे वर्ष खिलाना और रखरखाव पर खर्चा करना पड़ता है ! आप एक दिन फॉर्म हाउस पर आकर देखें कि एक किलो शुद्ध घी हमें कितने का पड़ता है ? और यह भी कि हमें नहीं मालुम कि बाजार में शुद्ध घी 500 रूपये किलो कैसे मिल जाता है ?
भारत सस्ता चाहने वालों का मार्किट है यहाँ कोई अखबार उठाकर देखें तो दस पर्सेंट से लेकर 50 पर्सेंट तक घटे हुए रेट के विज्ञापनों की भरमार है , शायद ही कोई दुकान ऐसी मिलेगी जो यह कहती हो कि रेट में कोई रिबेट नहीं मिलेगी अगर कोई यह लिखे भी तो शायद ही उसकी कोई बिक्री होगी ,हम मजबूर करते हैं हम व्यापारी को चोरी करने को , हमें सस्ता चाहिए सो हर व्यापारी भी चालाकी सीख गया तीन गुना कीमत लिखकर 50 प्रतिशत घटे रेट पर सेल , और ग्राहकों की भीड़ आएगी दूकान पर इस तरह से एक चालाक पर दूसरा चालाक हावी होता है ! हमारे यहाँ हर व्यक्ति अपनी अपनी औकात में भरपूर चालाक है !
कल HP वाईफाई लेज़र प्रिंटर ठीक कराने को मैंने एक मैकेनिक घर पर बुलाया , जिसने प्रिंटर खोलकर बताया कि आपका पीसीबी इलेक्ट्रॉनिक कार्ड खराब है इसे बदलना होगा , यह थोड़ा महंगा है , मैंने मुस्कराकर कहा शाब्बाश मगर मेरा कोई कार्ड खराब नहीं है ध्यान से सुनो मेरा प्रिंटर अगर एक स्क्रू कसने पर ठीक हो जाए या कोई पार्ट बदलने के बाद ,तुम्हे फिक्स 2000/- दूंगा , शर्त यह भी है कि कार्ड नहीं बदला जाएगा क्योंकि उसमें कोई खराबी आ ही नहीं आ सकती ! और वह चुपचाप बिना जवाब दिए काम करता रहा , थोड़ी देर में ही वह बिना कोई पार्ट बदले ठीक हो गया , मैंने उसे 2000/- रूपये दिए तो वह बोला क्या करें साहब आप जैसे लोग नहीं मिलते हमें , एक घंटे काम करके हमें कोई 100 रूपये से अधिक खुश होकर नहीं देगा जब तक उस काम को बढ़ा चढ़ा कर न बताया जाए जिसमें एक पार्ट बदलना शामिल हो , 100 रुपया तो आने जाने में पेट्रोल का खर्चा है मेरा, इसके अतिरिक्त काम में लगाया समय, जानकारी और मेहनत को कोई नहीं गिनता !
हम सब चतुर हो गए हैं आजकल , हर आदमी दूसरे से या तो दिखावा करता है या झूठ बोलकर उसका फायदा उठाता है यहाँ तक कि परिवार में बच्चों की छोड़िये माता पिता अपने बच्चों से सफाई से झूठ बोलते दिखते हैं कि हर बात बच्चों को बताने की जरूरत नहीं , धन और पैसे तो कोई बताता ही नहीं , पिता बेटा तक से छिपाता है और उम्मीद प्यार की करता है ! अपने खुद के परिवार में खुले दिल से खुलकर बात न कर पाने वाले लोग , दूसरों के लिए गालियाँ देते , ताल ठोकते लोग, बढ़े हुए रक्तचाप लिए परिवार में लड़ते लोग, सोचते हैं कि रोज सुबह आधा घंटा बिना मन को स्वस्थ बनाये, वाक करने से उन्हें बीमारियां नहीं होंगी , हास्यास्पद है !
हमें गहराई से बिना किसी को गुरु बनाये खुद सोचना पड़ेगा कि खाना पीना और दौड़ना क्यों आवश्यक है, कितना आवश्यक है , आँखें खुल जाएंगी आपकी , खुद कहेंगे कि हमने कभी गौर ही नहीं किया था इस बात पर ! खुद को बदलें तो शारीरिक मानसिक बदलाव अवश्य आएगा, बिना दवा रोगमुक्त होकर आप दुबारा बच्चों की तरह हंसना सीख जाएंगे ! पहचानिये खुद को , झूठ को पहचानना सीखें और खुद को उससे बचाएं ! मन स्वस्थ होते ही सब कुछ खूबसूरत नजर आने लगेगा !
हा हा हमको छोड़ कर सब चतुर हो गए सही होगा ? सहमत सटीक
ReplyDeleteमन स्वस्थ होते ही सब कुछ खूबसूरत नजर आने लगेगा ! सौ टके की बात
ReplyDeleteसहमत हूँ आपसे
ReplyDeleteसटीक
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