हम ब्लॉग लेखकों को यह याद रखना चाहिए, कुछ और विद्वान लोग भी प्रसंशा पूर्वक आपको पढ़ रहे हैं, मगर वे यहाँ टिप्पणी नहीं करते अतः आप उन्हें पहचान नहीं पाते !
अक्सर लेख लिखते समय,सोच समझ कर,लिखने के कारण, हम लोग अपने गुणों का भरपूर परिचय देने में तथा अपने अवगुणों को छिपाने में सफल हो सकते हैं !
मगर जब भी हम बढ़ चढ़ कर बात करेंगे, गलती होने की सम्भावना निश्चित ही बढ़ जाती है !
किसी लेख पर, बिना कारण जाने, गुस्से में दिए हमारे कमेन्ट , हमारी असलियत उजागर कर सकते हैं और ऐसे कमेन्ट हमारे ईमानदार मित्रों को, हमसे दूर ले जाने में, सक्षम होंगे !
आइये एक मनपसंद ग़ज़ल सुनिए मुझे भरोसा है आपको और मेरे मित्रों को अवश्य पसंद आएगी !
हमारी कलम , बनावट के बावजूद हमारी वास्तविक पहचान बताने में समर्थ है !
तुझे देख कर सब मुझे जान लेंगे ....
( चित्र गूगल से साभार )
आइये एक मनपसंद ग़ज़ल सुनिए मुझे भरोसा है आपको और मेरे मित्रों को अवश्य पसंद आएगी !
हमारी कलम , बनावट के बावजूद हमारी वास्तविक पहचान बताने में समर्थ है !
तुझे देख कर सब मुझे जान लेंगे ....
( चित्र गूगल से साभार )
कमेन्ट वाली बात पे तो कुछ नहीं कहूँगा, लेकिन पंकज उधास की ये गजल तो कमाल की है ही...
ReplyDeleteमुझे बहुत पसंद है ये गज़ल और पंकज उधास का तो मैं वैसे ही फैन हूँ :)
आदरणीय सतीश सक्सेना जी
ReplyDeleteनमस्कार !
टिप्पणियां टिप्पणीकर्ता की पहचान बता देती है
बात समझ में नहीं आई
और बात रही गजल की वो मुझे बहुत पसंद है
सतीश जी, आप सही लिख रहे हैं कि ना केवल आपकी पोस्ट आपकी पहचान है अपितु आपकी टिप्पणियां भी आपकी पहचान बनती हैं। आपको एक मेल भी किया है उसका उत्तर भी दें।
ReplyDeleteअपसे सहमत हूँ। गज़ल बहुत अच्छी लगी। धन्यवाद। सतीश जी ब्लागवाणी के लिये जो प्रयास शुरू किया है उसे जारी रखिये। किसी तरह सिरिल जी और मैथिली जी से मिलने का प्रयास कीजिये। ब्लागजगत पर आपका एहसान होगा। धन्यवाद।
ReplyDeleteमुझे लगता है की ब्लॉग अपने विचारो को रखने की जगह है वो किसी को अच्छे गुण तो किसी को बुरे गुण लग सकते है | मै जब अपने विचार रखती हु तो पूरी कोशिश करती हु की वो शांतिपूर्वक रखु ताकि सभी उसे सकारात्मक रूप से ले और मुद्दों की ही बात करे जबकि वही बात मै गुस्से में लिखूंगी तो कोई भी उसे तव्वजो नहीं देगा लोगो को सिर्फ गुस्सा ही दीखेगा मुद्दा नहीं | रही बात टिप्पणियों की तो कभी कभी कुछ लेख इतने बकवास होते है और इतने ज्यादा पूर्वाग्रह से लिखा जाता है की उनका विरोध गुस्से से ही करना ठीक लगता है ऐसा नहीं है की हम गुस्से को काबू में नहीं कर सकते बल्कि कुछ लेखो पर जानबूझ कर गुस्से में टिप्पणी देती हु ताकि लिखने वाले को भली प्रकार समझ आये की टिप्पणीकर्ता को लेख बिल्कुल भी पसंद नहीं आया आगे से ऐसा कुछ लिखते समय सावधान रहे | बाकि सभी का अपना अपना सोचने का और काम करने का तरीका होता है |
ReplyDeleteपोस्ट से भी कहिं ज्यादा मुखारित होती है टिप्पणीयां आपके व्यक्तित्व बारे में।
ReplyDeleteपोस्ट में तो आप आभास के आवरण में सचेत रहते है। किन्तु टिप्पणियां त्वरित प्रतिक्रिया होती है, वह प्रयाप्त सावधानी के बाद भी व्यक्तित्व उजागर कर ही देती है।
मैं तो किसी ब्लॉगर के बारे में जानना चाहता हूँ तो उनके आलेखों के विषय एवं यत्र तत्र उनकी टिप्पणीयों के माध्यम से ही जानता हूँ।
सलमान खान का हिट डॉयलॉग है-
ReplyDeleteएक बार मैं कमिटमेंट कर लेता हूं तो फिर खुद भी अपने को रोक नही सकता...
लगता है सतीश भाई आप भी इसी ब्रीड के है...ये डीप इन्वॉल्वमेंट ही आप को कष्ट देता है...
ब्लॉगवाणी को जीवित करने के लिए आपका निस्वार्थ मकसद है...जहां तक टिप्पणियों की बात है तो एक गाना मेरे कहने पर भी सुन लीजिए...
कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना,
छोड़ो बेकार की बातों को, कहीं बीत न जाए रहना...
और भी गम़ है ज़माने में ब्लॉगिंग के सिवा...
जय हिंद...
इस विषय पर एक छोटी सी किताब की संभावना बनती है । कोई लिखे तो खूब बिकेगी । 'टिप्पणी लैंग्वेज' ।
ReplyDeleteपिछले कुछ दिनों से चल रहे प्रयासों को दूर दूर से ही देख पा रहा था सतीश जी , अब मैं भी आज ही ब्लॉगवाणी के नाम एक पत्र लिखने जा रहा हूं और अपेक्षा करूंगा कि उसका उत्तर देते समय सिरिल जी ..कुछ नया कह जाएं ।
ReplyDeleteआपकी इस बात से बहुत हद तक संभव ...बहुत हद तक इसलिए कि कभी कभी ..किसी टिप्प्णीकार द्वारा सिर्फ़ चुनिंदा चयनित पोस्टों पर टीपते देखता हूं तो लगता है कि इन टिप्पणियों से राय कायम करना थोडा जल्दबाजी सा होगा ..हां अमूमन तौर पर यही सच है कि ...अक्सर टिप्पणी करते समय ....हमारा मुखौटा ज्यादा पारदर्शी हो जाता है .
कोई रचना को पढके केवल एक शब्द में वाह कहे तो भी अच्छा लगता है पर ऐसे कई लोग हैं जो ये तक नहीं देखते हैं कि क्या लिखा हुआ है ...
ReplyDeleteबस कुछ अनाप शनाप लिख देना है ... टिप्पणी बटोरने के लिए टिपण्णी देना है ...
ब्लॉग्गिंग से ज्यादा महत्वपूर्ण बनते जा रही है टिप्पणी ...
मैं क्या लिखता हूँ या कोई और क्या लिखता है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता ... मुझे तो बस टिप्पणी सूचि में पहले स्थान पर आना है ...
आपने सही लिखा है ... टिप्पणी से पता चलता है कि टिप्पणीकार कितना गंभीर पाठक है ...
अरे भाई , हम तो कभी सोच समझ कर लेख ही नहीं लिखते ।
ReplyDeleteचलो अच्छा है गुण और अवगुण , दोनों प्रकट हो जाते हैं । :)
हमारे मन पसंद गायक की ग़ज़ल सुनाने के लिए आभार ।
लेखन का हिस्सा है टिपिण्णी देना भी..निश्चित ही व्यक्तित्व तो उजागर होता ही है.
ReplyDeleteयह ग़ज़ल आप के बढ़िया संगीत शौक का परिचय दे रही है.
ReplyDeleteअरसे बाद सुनी.
आज शाम सात बजे क्विज़ परिणाम के साथ हम भी आप को दो बहुत ही बेहतरीन गज़ल सुनवायेंगे.अवश्य सुनियेगा.
बहुत से ब्लोगर अपने लेख़ और कविताओं मैं कुछ और कहते हैं और टिप्पणी कुछ और कहती है. सत्य यह है की टिप्पणी ही उनका सही रूप हुआ करती है...
ReplyDeleteइमाम हुसैन (अ.स) का कहना है की यदि किसी विषय पे आप से सभी लोग सहमत हैं तो यकीन कर लेना की तुम ग़लत हो..
ReplyDeleteसतीश जी,
ReplyDeleteअच्छी सीख के साथ अच्छी ग़ज़ल का कम्बीनेशन अच्छा लगा !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
वह वाह ... बहुत खूबसूरत ग़ज़ल सतीश जी .. क्या आवाज़ है .....
ReplyDeleteसतीश जी,
ReplyDeleteअच्छी सीख के साथ अच्छी ग़ज़ल का कम्बीनेशन अच्छा लगा !
लेखनी से निकला हुआ एक एक शब्द चरित्र बखानता है।
ReplyDeleteटिप्पणी दर टिप्पणी पढ़ता गया
ReplyDeleteटिप्पणी पर टिप्पणी अच्छी लगी
आपकी पोस्ट बहुत अच्छी है मगर
टिप्पणियाँ मुझे अधिक अच्छी लगी
गज़ल तो बहुत बढ़िया है. आराम से सुनते रहे. वैसे टिप्पणी की बातों पर क्या टिप्पणी करूँ. सब तो सब भली भांति समझते ही है.
ReplyDeleteसतीश भाई मेरे लिए तो पोस्ट और टिप्पणी दोनों बराबर हैं। केवल अंतर यह है कि पोस्ट का विषय मैं चुनता हूं और टिप्पणी किसी और के द्वारा चुने पर मेरा मत होता है।
ReplyDelete*
मैं आपके इस मत से सहमत हूं कि टिप्पणी टिप्पणीकर्ता की पहचान है। मेरे लिए तो टिप्पणी उसकी मानसिकता,विचार और किसी विषय पर उसने कितनी गंभीरता से सोचा है इस आज का भी परिचायक है।
किसी भी इंसान का बर्ताव उसके किरदार का आईना होता है...जो उसकी तहज़ीब और उसकी तरबियत का पता देता है...
ReplyDeleteवैसे खुशदीप जी भी सही ही कह रहे हैं---
ReplyDeleteकुछ तो लोग कहेंगे……………।
सभी लगे हैं प्रयास मे तो उम्मीद है नये साल तक तो ये तोहफ़ा हम सबको मिल ही जायेगा……………आखिर इससे बढकर नये साल का तोहफ़ा और क्या होगा कि ब्लोगवानी वापस आ जाये…………आप लगे रहिये हम सब आपके साथ हैं टिप्पणियों की मत सोचिये।
आपकी पोस्ट भी ब्लॉगर की पहचान ही तो बतलाती हैं सतीश भाई। यहां तो टिप्पणी पढ़ने की भी जरूरत नहीं होती है।
ReplyDeleteगिरीश बिल्लौरे और अविनाश वाचस्पति की वीडियो बातचीत
‘मगर जब भी हम बढ़ चढ़ कर बात करेंगे गलती होने की सम्भावना निश्चित ही बढ़ जायेगी !
ReplyDeleteमैं चुप रहूंगा :)
सतीश जी आप से सहमत हे, ्गजल हम ने सुनी नही, क्योकि अभी रात के सात बजने वाले हे ओर मुझे नहाना भी हे:)राम राम
ReplyDelete'अभी घर न जाना' ..पंकज उधास की एक बेहतरीन ग़ज़ल सुनवाने के लिए आभार.
ReplyDeleteSatishjee gaazal bahut pasand aaee .
ReplyDeletepichalee post par mai net pbm kee vazah se comment nahee de paee thee....... mera manna tha ki jo trend chal rahee hai personal chat ya baat ka ujagar karna ...usee ka asar aapkee post me mila.........:)
hava hee aisee chal rahee hai........
meree latest post aapke blog par update nahee ho paaee hai.........lagata hai system bhee nakhre dikha raha hai......
आपने तो डरा ही दिया :)
ReplyDeleteek aur tippani......
ReplyDeletelekh ke liye nahi.....gazal ke liye..
pranam.
तुम मुझे टीप दो......
ReplyDeleteमैं तुम्हे दर्द दूंगा.......
इतनी सारी टिप्पणियॉं आपकी बात को प्रमाणित करती हैं।
ReplyDelete---------
आपका सुनहरा भविष्यफल, सिर्फ आपके लिए।
खूबसूरत क्लियोपेट्रा के बारे में आप क्या जानते हैं?
बढ़िया लिख रहे हो , बधाई !
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा आपने. गजल भी उतनी ही सुंदर कितने की विचार ......
ReplyDeleteइंतजार
टिप्पणी के शब्द भाव बता देते हैं की टीप किसकी है ..... पढ़ते पढ़ते समझ में तो आने लगता है ....
ReplyDeletejee
ReplyDeleteSach kahaa satish jee
बोलने का अधिकार बनाम मेरा गधा, और मैं.......!!
बोलने का अधिकार बनाम मेरा गधा, और मैं.......!!
girishbillore-LIVE
सच है..पोस्ट लिखने में भले ही सावधानी बरत लें...टिप्पणियाँ व्यक्तित्व उजागर कर देती हैं...हाँ अगर आप खुलकर लिखें. वरना...भावपूर्ण..अच्छी प्रस्तुति...सेफ कमेंट्स हैं.
ReplyDeleteचेहरा दिल का आइना होता है, पोस्ट लेखक के दिल का आइना और टिप्पणियाँ पाठक के मन का दर्पण!!
ReplyDeleteवृथा न जाय देव ऋषि वाणी -आपकी बात इन्ही टिप्पणियों में ही चरितार्थ हो गयी है और अब ये हमारी भी पहुंचे :)
ReplyDeleteलेखन हमेशा व्यक्तित्त्व का आईना होता है ...वो चाहे टिप्पणियाँ हों या फिर पोस्ट ...
ReplyDeleteटिपण्णी लेखन एक कला है जो हर ब्लॉग लेखक में हो आवश्यक नहीं.
ReplyDeletesundar gajal sunane ke liye dhanyvad...
ReplyDeleteब्लॉगजगत में टिप्पणियों का विशेष स्थान है, आप ने यह तो लिख दिया की टिप्पणियाँ हमारे व्यक्तिव को दर्शाती हैं (जबकि आधे से ज़यादा लोग तो इस जगत में टिपण्णी के नाम पर सिर्फ तारीफ ही करते हैं, पोस्ट के बारे में तो कम ही पढने को मिलता है)... पर उनमें सच्चाई भी होनी चाहिए यह बात ज़यादा मायने रखती है| आप किर्पया यह बताईये की "सही/सकारात्मक टिपण्णी" कैसे की जाये, जिससे सामे वाले को अपनी पोस्ट की त्रुटियाँ भी कह सकें और माहौल भी गर्म ना हो :]
ReplyDeleteशुभकामनायें...