साथ तुम्हारे दौड़ रहा है,बुड्ढा तिरेसठ साल का !
Tech City Marathon में, मुझे पहली बार हाफ मैराथन ( 21.10 Km ) में 2:45 hour का पेसर फ्लैग पकड़ कर, दौड़ने का दायित्व मिला ! यह कार्य बेहद चैलेंजिंग होता है जिसमें आपके फ्लैग टारगेट को लेने के लिए भागते हुए रनर की हौसला अफजाई करते हुए 21 km तक बिना थके, रुके, दौड़ाने की नैतिक जिम्मेदारी होती है !आज की दौड़ में इस पूरी दूरी में Ajay Kumar मेरे साथ भागते रहे वे आम तौर पर बेहद तेज भागने वाले marathoner हैं , उनके साथ स्लो पेस पर भागने का यह अनुभव अविस्मरणीय रहा ! बहुत कम लोग जानते होंगे कि अजय कुमार आज से कुछ वर्ष पहले खतरनाक लेवल की डायबिटीज से पीड़ित रहे थे और अब उन्होंने मात्र दौड़ने की वजह से अपनी इस भयावह बीमारी से पूरी तौर पर मुक्ति पा ली है ! डायबिटीज से ग्रस्त लोगों को अजयकुमार से सीखना चाहिए कि उन्होंने कैसे इस व्याधि से मुक्ति पायी !
हालाँकि पहली बार की पेसिंग में, मैं अपने कार्य से संतुष्ट नहीं था फिर भी लोगों की हिम्मत बंधाते भागते मैंने यह
दूरी 2:43:25 ऑवर में पूरी की ! Tech city marathon के आयोजकों ने अंत में सबसे सीनियर रनर 71 वर्षीय नागराजन जिन्होंने रनिंग 69 वर्ष की उम्र से शुरू की है, के हाथों से पेसर्स को खूबसूरत ट्रोफ़ी भेंट करवाई , यह सुखद था !
आभार Shiva Dixit Shruti Joshi Pandey Trilok Chand Suneel Tomarमंगलकामनाओं सहित !
हालाँकि पहली बार की पेसिंग में, मैं अपने कार्य से संतुष्ट नहीं था फिर भी लोगों की हिम्मत बंधाते भागते मैंने यह
दूरी 2:43:25 ऑवर में पूरी की ! Tech city marathon के आयोजकों ने अंत में सबसे सीनियर रनर 71 वर्षीय नागराजन जिन्होंने रनिंग 69 वर्ष की उम्र से शुरू की है, के हाथों से पेसर्स को खूबसूरत ट्रोफ़ी भेंट करवाई , यह सुखद था !
आभार Shiva Dixit Shruti Joshi Pandey Trilok Chand Suneel Tomarमंगलकामनाओं सहित !
साथ कोई दे, न दे , पर धीमे धीमे दौड़िये !
अखंडित विश्वास लेकर धीमे धीमे दौड़िये !
दर्द सारे ही भुलाकर,हिमालय से हृदय मेंनियंत्रित तूफ़ान लेकर, धीमे धीमे दौड़िये!
जाति,धर्म,प्रदेश,बंधन पर न गौरव कीजिये
मानवी अभिमान लेकर, धीमे धीमे दौड़िये !
जोश आएगा दुबारा , बुझ गए से हृदय में
प्रज्वलित संकल्प लेकर धीमे धीमे दौड़िये!
तोड़ सीमायें सड़ी ,संकीर्ण मन विस्तृत करें
विश्व ही अपना समझकर धीमे धीमे दौड़िये!
समय ऐसा आएगा जब फासले थक जाएंगे
दूरियों को नमन कर के, धीमे धीमे दौड़िये !
वाह, बहुत प्रेरक रचना
ReplyDeleteअतिशय प्रेरणादायक अनुभव ! साझा करने हेतु सादर आभार !!!
ReplyDeleteहमेशा की भाँति बेहद प्रेरक सराहनीय संस्मरण और लाज़वाब, शानदार कविता आदरणीय सर।
ReplyDeleteव्याधि से मुक्ति हेतु बताने वाली अच्छी रचना
ReplyDeleteशुक्रिया शिवम् आपका !
ReplyDeleteगीत के साथ साथ सीख और प्रेरणा देता ....
ReplyDeleteसुन्दर गीत ...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति......बहुत बहुत बधाई......
ReplyDeleteKudos bhai ji.
ReplyDeleteबहुत ही प्रेरक प्रस्तुति ।
ReplyDeleteसुन्दर!!!
ReplyDeleteप्रेरक रचना
ReplyDeleteतोड़ सीमायें सड़ी ,संकीर्ण मन विस्तृत करें
ReplyDeleteविश्व ही अपना समझकर धीमे धीमे दौड़िये!
बहुत सुन्दर ...
प्रस्तुति प्रस्तुति
प्रेरणादायक संस्मरण।
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