Thursday, March 22, 2018

तीक्ष्ण अभिव्यक्ति को,खतरे भी उठाने होंगे - सतीश सक्सेना

आस्था को  ही, प्रायश्चित्त उठाने होंगे !
ढोंगियों के दिए  ,वरदान भुलाने होंगे  !

रूप संतों का रखे , चोर - उचक्के पूजे ,
बीच गंगा में  ये , अपराध बहाने होंगे !

एक दिन आँख खुलेंगीं जरूर भक्तों की
जाहिलों को ही , सभी ढोंग गिराने होंगे !

अब न गुरुदेव मिलेंगे किसी डेरे में यहाँ 
लम्बी दाढ़ी रखे , ये धूर्त  भगाने  होंगे !

झूठ के बीज को , जड़ से समाप्त करने को
तीक्ष्ण अभिव्यक्ति को,खतरे भी उठाने होंगे !

1 comment:

  1. सोच रहा हूँ काली करवा लेनी चाहिये दाढ़ी :)

    ReplyDelete

एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

Related Posts Plugin for Blogger,