इस उत्सव में ,रंगों में डूब कर वसंत का स्वागत करते हैं हम लोग ! पूरा परिवार ही रंगों में सराबोर होकर कुछ समय के लिए जैसे मस्ती में डूब जाता है ! इस ख़ूबसूरत मौके पर लगभग हर इंसान का, दुश्मनों से भी गले मिलने की इच्छा पैदा हो जाती है ! एक बार अपने अन्दर झांक कर देखो ,दिल टटोल कर देखो एक आवाज आती है ...
भूले -भटके उन अपनों के ,
कैसे दरवाजे , खुलवाएं ?
मन में रंजिश पाल के बैठे
कैसे अब उनको समझाएं ?
इस होली पर क्यों न सुलगते
दिल के, ये अंगार बुझा दें !
बचपन के दिन याद करें,और आयें हंसकर गले लगा लें !
बरसों मन में गुस्सा बोई
ईर्ष्या के पौधे उग आये !
रोते गाते , हम दोनों ने
घर बबूल के वृक्ष उगाये
इस होली पर क्यों न साथियो
आओ रंग गुलाल लगा लें !
भूलें उन कडवी बातों को , अपना भी घर -बार सजा लें !
बरसों बीते तांडव करते ,
कितनी रात जागते काटी
भूल गए साँसे गिनती की ,
सारी उम्र गुजरती जाती !
क्यों न नयी उम्मीदें लेकर,
फिर से घर को स्वर्ग बनालें !
इस होली पर रंग विरंगे,मिलकर वन्दनवार लगा लें !
कितने वर्षों से , शीशे के ,
सम्मुख आकर मुग्ध हुए हैं
कितनी बार मस्त होकर के
अपने यश पर मस्त हुए हैं !
इस होली पर नशा भुलाके,
इन चरणों में शीश झुकालें !
प्यार और मस्ती में डूबें, दिल से अहंकार जला दें !
भूले -भटके उन अपनों के ,
कैसे दरवाजे , खुलवाएं ?
मन में रंजिश पाल के बैठे
कैसे अब उनको समझाएं ?
इस होली पर क्यों न सुलगते
दिल के, ये अंगार बुझा दें !
बचपन के दिन याद करें,और आयें हंसकर गले लगा लें !
बरसों मन में गुस्सा बोई
ईर्ष्या के पौधे उग आये !
रोते गाते , हम दोनों ने
घर बबूल के वृक्ष उगाये
इस होली पर क्यों न साथियो
आओ रंग गुलाल लगा लें !
भूलें उन कडवी बातों को , अपना भी घर -बार सजा लें !
बरसों बीते तांडव करते ,
कितनी रात जागते काटी
भूल गए साँसे गिनती की ,
सारी उम्र गुजरती जाती !
क्यों न नयी उम्मीदें लेकर,
फिर से घर को स्वर्ग बनालें !
इस होली पर रंग विरंगे,मिलकर वन्दनवार लगा लें !
कितने वर्षों से , शीशे के ,
सम्मुख आकर मुग्ध हुए हैं
कितनी बार मस्त होकर के
अपने यश पर मस्त हुए हैं !
इस होली पर नशा भुलाके,
इन चरणों में शीश झुकालें !
प्यार और मस्ती में डूबें, दिल से अहंकार जला दें !
इस होली पर क्यों न सुलगते दिल के ये अंगार बुझा दें !
ReplyDeleteकदम बढा कर दिल से बोलें, आओ तुमको गले लगा लें !
बहुत सुंदर ओर भाव पुर्ण रचना
सतीश जी धन्यवाद
ReplyDeleteप्रेरक रचना !
क्यों न नयी उम्मीदें लेकर,फिर से घर को स्वर्ग बनालें !
ReplyDeleteइस होली पर रंग विरंगे , आओ वन्दनवार लगा लें !
-बहुत उम्दा विचार..यह पर्व है ही इसीलिए..आओ सार्थक बनायें.
होली के अवसर पर अच्छी प्रेरणात्मक रचना।
ReplyDeleteइस होली पर नशा छोड़ कर, गुरु चरणों में शीश झुकालें !
ReplyDeleteप्यार और मस्ती में डूबें , आओ अहंकार जला दें !
बहुत प्रेरक और सुंदर पोस्ट, होली की शुभकामनाएं.
रामराम.
प्रेरणादायक रचना .. आपको होली की शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteबरसों बीते तांडव करते ,
ReplyDeleteकितनी रात जागते काटी
भूल गए साँसे गिनती की ,
दुनिया भर को सबक सिखाते
क्यों न नयी उम्मीदें लेकर,फिर से घर को स्वर्ग बनालें !
इस होली पर रंग विरंगे , आओ वन्दनवार लगा लें !
प्रेरक और सुंदर पोस्ट.....
आपko होली की शुभकामनाएं.....
इस होली पर नशा छोड़ कर, गुरु चरणों में शीश झुकालें !
ReplyDeleteप्यार और मस्ती में डूबें , आओ अहंकार जला दें !
होली पर सुन्दर प्रेरक रचना के लिये बधाई धन्यवाद होली की बहुत बहुत मुबारक
Bahut sundar khayalat!
ReplyDeleteHoli mubarak ho!
बेहद सुंदर रचना । होली पर प्रेम-भावों के रंगों में डूबी आपकी कविता बहुत भाई ।
ReplyDeleteजिन लोगों ने जाने कब से ,
ReplyDeleteमन में रंजिश पाल रखी है
इस होली पर क्यों न सुलगते दिल के ये अंगार बुझा दें !
कदम बढा कर दिल से बोलें, आओ तुमको गले लगा लें !
बहुत उम्दा
होली की ढेर सारी शुभकामनाएं
बरसों मन में गुस्सा बोई
ReplyDeleteइर्ष्या ने ,फैलाये बाजू ,
रोते गाते , हम दोनों ने
घर बबूल के वृक्ष उगाये
इस होली पर क्यों न साथियो आओ रंग गुलाल लगा लें !
भूलें उन कडवी बातों को , आओ हम घर -बार सजा लें !
Bahut sunder sandesh de rahee hai aapkee ye rachana........
Aapko bhee holi kee shubhkamnae..........
सतीश जी होली मुबारक हो ......!!
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन , आपको होली की बहुत-बहुत बधाई ।
ReplyDelete!! रंग बिरंगी होली की रंगारंग शुभकामनाएँ !!
ReplyDeleteशुभकामनाएँ!
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को होली पर्व की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
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