I have gone thru your ... Kundli and made 2 predictions (see attchment)
With Regards
Dr J.S. Arora
General Secretary
National Thalassemia Welfare Society &
Federation of Indian Thalassemics
KG-1/97 Vikas puri
New Delhi 110018
Ph. 91-11-25507483, 09311166711
URL: www.thalassemiaindia.org
E Mail;- drjsarora@bol.net.in
drjsarora@gmail.com
General Secretary
National Thalassemia Welfare Society &
Federation of Indian Thalassemics
KG-1/97 Vikas puri
New Delhi 110018
Ph. 91-11-25507483, 09311166711
URL: www.thalassemiaindia.org
E Mail;- drjsarora@bol.net.in
drjsarora@gmail.com
धर्मभीरु लोगों की भावनाओं का फायदा उठाते हुए उन्हें भ्रगु संहिता जैसी दैवीय भविष्यवानियों से विस्मित कर, उनकी शरण में आने का कार्य कराना, कितना आसान हो गया है, समाज में अच्छे भले सम्मानित लोग भी यह कार्य करते हैं यह जान कर मैं खुद अचंभित रह गया !
उपरोक्त मेल मुझे आज मिली, जिसे पढ़ कर स्पाम में डालते डालते डॉ जे एस अरोरा का पूरा पता और वेब साईट देख कर विश्वास नहीं हुआ कि एक पढ़ा लिखा सम्मानित डाक्टर और भविष्यवाणी , अजीब उहापोह की स्थिति में मैंने अटैचमेंट खोला , प्रेडिक्शन की पहली लाइन थी
I knew you would open this email on Thursday, 18 February 2010 at exactly 10:33 AM
और यह अटैचमेंट मैंने कंप्यूटर टाइम ठीक १०:३३ ऍम पर ही खोला था !
उसके बाद थाल्सिमिया टेस्ट कराने का अनुरोध था .....
मेरा डाक्टर साहब से अनुरोध है ...
कि वे तुरंत थाल्सेमिया टेस्ट कराने के लिए, एक टिनी सोफ्टवेयर के जरिये कम्पुटर की घडी की रीडिंग लेकर , अचम्भे में डाल, टेस्ट जरूर करवाने की सलाह देना बंद करें ! भारतीय कानून ऐसे किसी भी ट्रिक को दिखाकर किसी की भावनाओं से खिलवाड़ करने की इजाज़त नहीं देते ! उनका हॉस्पिटल फ्री ट्रीटमेंट करता है तो भी इस ट्रिक के जरिये वे लोगों को नाजायज प्रभावित करने के दोषी तो हैं ही !
आशा है वे इसका जवाब जरूर देंगे !!
सतीश जी ,
ReplyDeleteये जो भी डॉक्टर हैं ,क्या वाकई डॉक्टर ही हैं ?आप ने बहुत सही जवाब दिया ,इन्हें क्या हक पहुँचता है ऐसी भविष्यवाणी का ,या सलाह देने का क्या आपने उन से सलाह मांगी थी? ऐसे लोग समाज के नासूर हैं जिस का फ़ौरन इलाज बहुत ज़रूरी है ,आप की इस दृढ़ता के liye badhai .
सतीश भाई,
ReplyDeleteआप बेकार ही परेशान हो रहे हैं...अपने ये डॉक्टर साहब ज़रूर मुन्ना भाई होंगे...शॉक ट्रीटमेंट जैसा कोई नया नुस्खा आप पर आजमाना चाह रहे होंगे...और बस कुछ नहीं...
जय हिंद...
किसपर भरोसा किया जाए आज .. ये भी समझ में नहीं आता !!
ReplyDeleteहैरान हूं कि अब पढे लिखे लोग इस स्तर तक पहुंच गये हैं. बहुत ही अफ़्सोसनाक है.
ReplyDeleteरामराम.
एक बहुत पुरानी कहावत है कि 'काबुल में क्या गधे नहीं होते'। मैनें अपने एक परिचित को जो भूगोल में प्रथम श्रेणी में एम0ए0 थे भूकंप से बचाव हेतु देवी की पूजा के लिये चन्दा इकट्ठा करते देखा है। ऐसे लोग या तो बेहद नासमझ होते हैं या बेहद शातिर। उनका कोई तर्कसंगत जवाब नहीं ही आयेगा।
ReplyDeleteMr Saxena, sorry for not being able to type in hindi.Thanks for reading my full mail and going though our website. A computer savy person knows that date and time shown in attachment is just a software puzzle nothing else. We are neither for or against kundli. The word kundli was used since many people match kundli before marriage. Our massage is simple whether you match kundli or not its your choice but Thalassemia test is must if you want to save your future genration from the menace of Thalassemia. If you think we should not advice Thalassemia test then all the awarness created for Polio,HIV,H1N1 etc.should be stoped,secondly if you think kundli word is to play with "Bhawana" of public then you should see adv. of polio in which mother of polio girl advises for washing hands so that child should not suffer from diarrhoea which reduces efficacy of polio vaccine. There are many print and electonic awarness masseages using examples from routine public life. Our only aim is to create awarness on Thalassemia and not to hurt anybody.
ReplyDeletePlease use your blog to spread awareness on Thalassemia.
with regards
Dr.J.S.Arora
डाक्टर का पेशा भी अपने धंधे को बढ़ाने की लिए ऐसी बातों का सहारा लेगा .. ये नही सोचा था ... शर्म आनी चाहिए ऐसे लोगों को .... बहुत फ़सोस होता है इनका स्तर देख कर ...
ReplyDeleteयह केवल नैतिक मूल्यों के पतन को दर्शा रहा है. अनजाने लोगों से प्राप्त होने वाले मेल के अटैचमेंट खोलने से बचना चाहिए.आभार
ReplyDeleteओह! स्पैम!
ReplyDelete@डॉ जे एस अरोरा ,
ReplyDeleteअनचाहे पोस्ट और वह भी व्यावसायिक, बिना परमिशन के अनजान व्यक्ति को भेजना गलत है !
इस पोस्ट में, प्राप्त करता को भ्रम में डाल कर, अपने प्रति ध्यान आकर्षित कराने के लिए एक छिपा हुआ सोफ्टवेयर या कोड है जिससे ऐसा भ्रम होता है कि इस पत्र को भेजने वाले में कोई दैवीय या पराशक्ति है, जो पत्र खोलने का समय तक बता सकती है !
किसी की बिना जानकारी लिए पत्र के द्वारा कोई सोफ्टवेयर ऑटो कोड भेजना आईटी एक्ट के हिसाब से अपराध है और उसे सजा हो सकती है !
आप का यह कार्य कितना ही अच्छा क्यों न हो मगर किसी भी हाल में धोखा देकर प्रभावित करने को उचित नहीं ठहराया जा सकता !
अगर यह कार्य बहुत पुनीत भाव से ही कर रहे हैं तो फिर अपने नाम , पता और सोसायटी का पता नहीं देना चाहिए ! चूंकि आपने ऐसा नहीं किया अतः यह विशुद्ध व्यवसायिक विज्ञापन ही है न कि मुफ्त की समाज सेवा !
आशा है भूल सुधार करेंगे !!
कया जरूरत है थैलीसीमिया टेस्ट की या किसी भी टेस्ट की? कुंडली सब जो बता देती है।
ReplyDeleteहद होती है। पर बहुत लोग है जो बेवकूफ बनने को तैयार बैठे हैं।
हद्द है। और कितना पतन दे्खना बाकी है
ReplyDeleteGirne ka star nishchit nahi hain. Sharm aani chahiye aise vahiyaat kism ke logon ko....
ReplyDeletebahut afsos hota hai aaj bhi hamare samaj mein aise logon ki koi kami nahi hai....
Shubhkamnyen
सतीश भाई , क्या कहूँ ? मैं हैरान हूँ की ऐसा भी होता है।
ReplyDeleteहैरान हूँ
ReplyDelete.... कुछ भी हो रहा है, आश्चर्यजनक !!
ReplyDeleteसतीश भाई ऎसी बकवास मेल खोलो ही मत, फ़िर पता नही यह डां भी है या नही, वेसे समय तो प्रोगराम से सेट कर लिया जाता है, आप इसे कहे कि पहले यह अपने दिमाग को चेक करवाये.... फ़िक्र मत करे ऎसी मेल बहुत सारी आती है अच्छा है इन्हे खोलो ही मत कई बार इन मै वायरस भी होता है.
ReplyDeleteधन्यवाद
अरे याद आया मेरा दोस्त भी विकास पुरी मै ही रहता है, कहो तो आप को उस का फ़ोन ना० दे दुं, वो पता कर लेगा इस साहब का
ReplyDeleteसतीश जी वाक़ई हम भी हैरत में हैं यह पढ़कर ! क्या ऐसा भी हुआ करता है! बतलाइए भला !
ReplyDeleteजब IMA यूं खुर्राटे लेगी तो ये बंगाली डाक्टर काहे पीछे रहेंगे
ReplyDeleteaapse sahmat आप का यह कार्य कितना ही अच्छा क्यों न हो मगर किसी भी हाल में धोखा देकर प्रभावित करने को उचित नहीं ठहराया जा सकता !
ReplyDeleteबहुत सही बात पर प्रकाश डाला आपने बड़े तरीके तरीके के हथकड़े अपनाते है ये लोग इसे और लोगों को समझाने की ज़रूरत है ताकि बिना वजह ऐसे किसी चक्कर में ना पड़ जाए.. बढ़िया चर्चा सतीश जी धन्यवाद
ReplyDeleteबडे अजीब लोग हैं इस दुनिया मे। --- धन्यवाद इन से मिलवाने के लिये।
ReplyDelete
ReplyDeleteसही फ़टकार लगाई, इन जे.एस. साहब की टिप्पणी मैं कहीं और भी देख चुका हूँ, जिसमें वह हिन्दी में कमेन्ट करते हुये दिखे ।
यह नटवरलाल के भतीजे हो सकते हैं, डॉक्टर नहीं !
श्री काजल कुमार जी,
खेद के साथ कहना पड़ता है कि आई.एम.ए. एक लूली सँस्था बन कर रह गयी है ।
ReplyDeleteअय हॅय, एप्रूवल का लटका यहाँ भी लटका हुआ है ?
कोई बात नहीं... बड़े बड़े शहरों में ऎसा ही होता है !
<<<<<>>>>><
behad afsosjanak!...
ReplyDeleteNaam-daam pane ke liye koi kitna neeche gir sakta hai ,yah email bata raha hai.