कैसे बादल फटे,अभी तो फेंका था
इतनी ताकत कहाँ लगी थी,ढेले में !
गाली देकर,इनके ही सारथियों ने
रथ के पीछे, बाँध घसीटा मेले में !
ऐसे ही शुभ लाभ चाहने वालों से !
लालाजी बिक गए नकासे,धेले में !
पुनर्जन्म लंकेश का हुआ रघुकुल में
अबकी राम लड़ेंगे, युद्ध अकेले में !
बहुत धमाकेदार प्रस्तुति...
ReplyDeleteराम ने हंस कर सब सुख त्यागे,
ReplyDeleteऔर तुम दुखों से डर कर भागे,
देखो ओ दीवानों तुम ये काम ना करो,
राम का नाम बदनाम ना करो...
जय हिंद...
क्या बात है, बहुत मौजूँ रचना है।
ReplyDeleteBahut shaandaar rachna.
ReplyDeleteसतीश सर बेहतरीन रचना है व प्रस्तुति भी लाजवाब , धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
रोज राम की कसमें,खाने वालों ने
ReplyDeleteरुला दिए खुद राम, अयोध्या मेले में !
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Kya baat hai ,,,,, waaah
Lajawab rachna hai
Badhayi / Aabhaar
बहुत उम्दा सामयिक गजल....।
ReplyDeleteकमाल...
ReplyDeleteये पहले युग पुरुष कहाये जाते थे,
बड़ा ही कड़वा स्वाद है, वृद्ध करेले में !
बहुत बढ़िया रचना..
सादर
अनु
उम्दा सामयिक चिंतन भरी प्रस्तुति.. .
ReplyDeleteक्या बात है खींच कर लपेटा है :)
ReplyDeletevery nice ....
ReplyDeleteवर्त्तमान राजनैतिक परिदृश्य में आपकी यह कविता आपके अंतस की वेद्ना को व्यक्त करती है.. कोई भी सम्वेदंशील व्यक्ति नैतिक मूल्यों के इस पतन पर चुप नहीं बैठ सकता. आपकी इस रचना को मेरा प्रणाम, बड़े भाई!!
ReplyDeleteआभार आपका सलिल !!
Deleteघर के मुखिया के लिए भारतीय संस्कार क्या कहते है :) ??
ReplyDeleteबहुत खूब...बहुत बढ़िया रचना..
ReplyDeleteThis is how one takes reverse-turn for political gains. But do not forget this country is Auranzebs also who got killed his brother Dara & Murad, and captivated his father in Agra fort.However no analogy here.
ReplyDeleteकरारी चोट है आज की गिरावट पर !
ReplyDeleteबहुत बढ़िया..
ReplyDeleteno better words can describe the fate Advani ji and the truth of our times.
ReplyDeleteसटीक ग़ज़ल!
ReplyDeleteसटीक ग़ज़ल!
ReplyDeleteसटीक ग़ज़ल!
ReplyDeleteवाह! बहुत खूब...
ReplyDeleteआज के अबूझ हालत पे सज्ञान लेती आपकी कविता---भगवान भी अकेले खड़े पाये जायेंगे--कितने अर्थों को अपने में समोये.
ReplyDeleteवाह, बहुत खूब। उम्दा अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteबढिया :)
ReplyDeleteबहुत ही अर्थपूर्ण भाव हैं रचना में ... सुन्दर ...
ReplyDeleteसरल भाषा , दमदार प्रस्तुति, बधाई
ReplyDeletenice gazal !
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