आंसुओं में झिलमिलाती ये ग़ज़ल कैसी रही !
इस उदासी का सबब, कैसे बताएं,आप को,
सिर्फ रस्मों को निभाती, ये ग़ज़ल कैसी रही !
काबा, कंगूरों से चलकर, मयकदे के द्वार पे
काबा, कंगूरों से चलकर, मयकदे के द्वार पे
खिदमतों में सर झुकाती ये ग़ज़ल कैसी रही !
मीर गालिब औ जिगर ने शौक से गहने दिए
दर्द में भी मुस्कराती , ये ग़ज़ल कैसी रही !
कैसे शायर है जबरिया,तालियां बजवा रहे,
मीर गालिब औ जिगर ने शौक से गहने दिए
दर्द में भी मुस्कराती , ये ग़ज़ल कैसी रही !
कैसे शायर है जबरिया,तालियां बजवा रहे,
क़दरदानों को रुलाती, ये ग़ज़ल कैसी रही !
यादों में तड़पती,आँसुओं के संग झरती--ये ग़ज़ल दिल में उतरती चली गई ---वाह !
ReplyDeleteकैसे शायर है जबरिया,तालियां बजवा रहे,
ReplyDeleteक़दरदानों को रुलाती, ये ग़ज़ल कैसी रही ?
kam se kam ye gazal to zabariya vaah nahi kahlva rahi .very nice .vaah vaah !
हर गजल की तरह ये गजल भी
ReplyDeleteएक बहुत सुंदर गजल :)
भाव - भीनी गुनगुनाती यह गज़ल अच्छी लगी
ReplyDeleteमुरकियॉ लेती थिरकती यह गज़ल अच्छी लगी ।
जो खींच के ले जाये उसे गज़ल कहते हैं !
ReplyDeleteजिसमें खुद ही खिचां चला जाये उसे सतीश भाई की गज़ल कहते हैं !
I.A.S.I.H - ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
बहुत अच्छी लगी ग़ज़ल … आभार
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गजल एक से एक नायाब शेर है
ReplyDeleteमुझे खास कर यह शेर लगा …
इस उदासी का सबब, कैसे बताएं भीड़ को,
उनकी यादों में तड़पती,ये ग़ज़ल कैसी रही ?
जो यादे दुखदायी हो उनसे दूर रहना ही अच्छा है :)
"उदासी का सबब न बताये भीड़ को
आपको गीत गाना जो आ गया है "
(मतलब जीवन गीत )
हर भूमिका में सफल रही ,बड़ी मनभावन गज़ल रही !
ReplyDeleteबेजोड़ पंक्तियाँ.... खूब कही
ReplyDeleteजा रहे हो छोड़ शायद ,अब हमेशा के लिए ?
ReplyDeleteआंसुओं के संग झरती , ये ग़ज़ल कैसी रही ?
कैसे शायर है जबरिया,तालियां बजवा रहे,
क़दरदानों को रुलाती, ये ग़ज़ल कैसी रही ?
वाहवाही क्यों लुटाते,हर किसी रुखसार पर
खुद मुरीदों को मनाती , ये ग़ज़ल कैसी रही ?
लाजवाब
उम्दा
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