समस्त राजनीति, स्व
समृद्धि हेतु बिक चुकी
समस्त बुद्धि भीड़ में
देश विपत काल में
प्रवंचकों से मुक्ति हेतु
हिन्दु मुसलमानों से ,
अंशदान चाहिए !
शुद्ध, सत्यनिष्ठ, मुक्त आसमान चाहिए !
चाटुकार भांड यहाँ
राष्ट्र भक्त बन गए !
देश के दलाल सब
खैरख्वाह बन गए !
चोर बेईमान सब,
ध्वजा उठा के चल पड़े !
तालिबानी देश को ,
कबीर ज्ञान चाहिए !
तालिबानी देश को ,
कबीर ज्ञान चाहिए !
अपाहिजों के देश में, कोचवान चाहिए !
चेतना कहाँ से आये
चेतना कहाँ से आये
जातियों के, देश में
बुरी तरह से बंट चुके
विभाजितों के देश में
प्यार की जगह, जमीं
पै नफरतों को पालते !
भूखे पेट वोटरों को
आत्मज्ञान चाहिए !
सड़ी गली परम्परा में , अग्निदान चाहिए !
अकर्मण्य बस्तियां
भूखे पेट वोटरों को
आत्मज्ञान चाहिए !
सड़ी गली परम्परा में , अग्निदान चाहिए !
अकर्मण्य बस्तियां
शराब के प्रभाव में !
खनखनातीं थैलियां
चुनाव के प्रवाह में !
बस्तियों के जोश में,
उमंग नयी आ गयी !
शिथिल प्रसुप्त देश को
नयी अज़ान चाहिए !
मानसिक अपंग देश , बोध ज्ञान चाहिए !
सही समय दुरुस्त पा
सही समय दुरुस्त पा
निरक्षरों को लूटते !
विदेशियों से जो बचा
ये राजभक्त लूटते !
दाढ़ियों को मंत्रमुग्ध ,
मूर्ख तंत्र, सुन रहा !
समग्र मूर्खशक्ति को,
विचारवान चाहिए !
निपट गुलाम देश को, चैतन्यवान चाहिए !
समग्र मूर्खशक्ति को,
विचारवान चाहिए !
निपट गुलाम देश को, चैतन्यवान चाहिए !
बहुत सुंदर भाव.
ReplyDeleteधर्मोन्मत्त देश में ,
ReplyDeleteअसभ्य एक चाहिए
साधुओं से न डरे
अशिष्ट एक चाहिए
सड़ी गली परम्परा में ,अग्निदान चाहिए !
अपाहिजों के देश में, कोचवान चाहिये !
...वाह...एक एक शब्द आज के यथार्थ को चित्रित करता हुआ...लाज़वाब अभिव्यक्ति..
हमें भी कितना
ReplyDeleteकुछ चाहिये
पर सच्चाई है
भाई तेरी कविता में
हमें यही सब का
अथाह दान चाहिये
ईमान चाहिये ।
बहुत सुंदर वाह ।
चेतना कहाँ से आये
ReplyDeleteजातियों के, देश में
बुरी तरह से बंट चुके
विभाजितों के देश में
प्यार की जगह जमीं पै नफरतों को पालते !
गधों के इस समाज में , विवेकवान चाहिए --चेतना को झकझोर दे ऐसी अभिव्यक्ति है आपकी
सचमुच..... हिंदू-मुसलमान में बँट चुके इस समाज को कुछ सच्चे इंसानों का अंशदान ही जोड़ पाएगा!.........अंतर्मन को झकझोरता एक-एक शब्द!!
ReplyDeleteतीखी बात, सच बात ... अंतर तक हिलाते हुए गुजर जाती हैं पंक्तियाँ ....
ReplyDeleteलाजवाब ....
बहुत खूब
ReplyDeleteYou are absolutely correct. We need good leaders not just strategists to fulfill their motives. Country's interests should be above all personal selfish. The common man has to rise from slumber and all fetishes of superstitions and man-worship. good creation. Kudos.
ReplyDeleteधर्मोन्मत्त देश में ,
ReplyDeleteअसभ्य एक चाहिए
असाधुओं से न डरे
अशिष्ट एक चाहिए
सड़ी गली परम्परा में ,अग्निदान चाहिए !
अपाहिजों के देश में, कोचवान चाहिये !
बहुत सुन्दर
: नव वर्ष २०१५
धर्मोन्मत्त देश में ,
ReplyDeleteअसभ्य एक चाहिए
असाधुओं से न डरे
अशिष्ट एक चाहिए
सड़ी गली परम्परा में ,अग्निदान चाहिए !
अपाहिजों के देश में, कोचवान चाहिये !
सुंदर पंक्तियां।
सार्थक चिंतन प्रस्तुति ..
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!
सार्थक प्रस्तुति।
ReplyDelete--
नव वर्ष-2015 आपके जीवन में
ढेर सारी खुशियों के लेकर आये
इसी कामना के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सार्थक सटीक चित्रण,
ReplyDeleteनये वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !
दाढ़ियों को मंत्रमुग्ध , मूर्ख तंत्र, सुन रहा !
ReplyDeleteसमग्र मूर्ख शक्ति को, विचारवान चाहिए !
..........तीखी बात सुंदर पंक्तियां।
धर्मोन्मत्त देश में ,
ReplyDeleteअसभ्य एक चाहिए
असाधुओं से न डरे
अशिष्ट एक चाहिए
सड़ी गली परम्परा में ,अग्निदान चाहिए !
तीखा सत्य। यही है आज की जरूरत।
Bahut badhiyan
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