अरविन्द का उदय , इस देश की भोले जनमानस में , ठंडी हवा के संचार का सूचक है ! जिस जनमानस पर अब तक सिर्फ श्वेतवस्त्र धारी राजनैतिक बदबूदार मदारियों का राज था वहां पर एक साधारण व्यक्ति के ईमानदार क़दमों की आहट पर आम जनता का विश्वास होना, एक सुखद सवेरे का आगमन जैसा लगता है !अरविन्द के आश्वासन पर, राजनैतिक लुटेरों और झंडों से बारबार धोखा खाए लोगों का विश्वास जगा है और उन्हें लगा है कि यह व्यक्ति बेईमान नहीं है !
साधारण अशिक्षित ग्रामीण जनमानस, भारतीय गृहणियां, जो मनोरंजन तथा ख़बरों के लिए सिर्फ लालची टेलीविजन मीडिया पर निर्भर हैं तथा अपने कामों के लिए राजनीतिक धूर्तों और मदारियों के ऊपर भरोसा करने को मज़बूर हैं ! देश की ७० प्रतिशत से अधिक जनता शायद ही कभी किसी सरकारी दफ्तर में जाने की हिम्मत कर पायी होगी वे अपने कार्यों के लिए दलालों और इन राजनैतिक छुटभैयों की जान पहचान पर फख्र महसूस करते हैं और यह सोंचते हैं कि हमारे काम भी हो ही जाएंगे ! राशन कार्ड बनाने, बिजली वालों के सामने गिड़गिड़ाते, इन लोगों के
पास पैसे देकर , काम कराने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है !
जिस देश में अपने एमएलए और एमपी के पास जाने का मतलब ही "काम " का हो जाना होता है , ९० % इन अनपढ़ों के बच्चों की नौकरियां, राजनीतिज्ञों के दलालों को पैसे देकर ही लगती हैं बशर्ते दलाल सही जगह ( साहब के पास ) पैसे पंहुचा दे ! राज्य सरकार की नगर पालिकाओं, सरकारी स्कूलों , लेखपालों , कंडक्टरों , ड्राइवरों, पुलिस में सिपाहियों और हवलदारों की भर्ती , रेलवे भर्ती बोर्ड आदि की नौकरियों पर खद्दर धारियों की चेयरमैन शिप का कब्ज़ा है ! सरकारी नौकरियों में हेराफेरी सबको पता है मगर कहीं कोई विद्रोह की आवाज नहीं सुनायीं पड़ती, सरकारी महकमों में बच्चों की नौकरी लगने की उम्मीद अखबारों के नुमाइंदों का मुंह भी बंद रखने में कामयाब है !
४५ वर्ष से ऊपर के लोग अधिकतर इस गुलाम विचारधारा को बढ़ाने के दोषी हैं , इन कमज़ोर और संकीर्ण दिमाग व्यक्तियों का अपने घर में शक्तिशाली होने का अहसास होने के लिए , किसी नेता का पिट्ठू बनना आसान होता है उसके बाद यह चमचे अक्सर अपनी पीठ पर ताउम्र उस राजनैतिक पार्टी का नाम लिखाये फख्र महसूस करते घूमते रहते हैं ! इनका अपना कोई
व्यक्तित्व नहीं , यह सिर्फ अपने गुरुओं की विचारधारा के गुलाम हैं जो देश में नफरत फैलाने के दोषी हैं ! धर्म और आस्था के नाम पर , दूसरों के प्रति नफरत फैलाकर , भेंड़ बकरियों की भीड़ को अपनी पार्टी की तरफ हांकना और उन्हें सुरक्षा देने का वायदा दिलाने के कार्य, इस देश के पढेलिखे नवयुवक पहचानने लगे हैं और इसे रोकने के लिए कटिवद्ध हैं !
इस देश में सामान्य जन का विश्वास बेहद आहत हुआ है , त्रस्त और अशिक्षित जनता अपनी स्थिति में कुछ बदलाव लाने के लिए हर जगह जाने और सीखने के लिए तैयार रहती है , बाबा कामदेव , बापू विश्वासराम , साईं और साध्वियों के समागमों के नाम पर लाखों की भीड़ उमड़ पड़ी , आशान्वित आँखों से ताकते यह श्रद्धालु अपने बनाये हर गुरू द्वारा बुरी तरह लुटे और ठगे गए , इनके चढ़ावों से और आस्था स्वरुप हर गुरु ने हज़ारों लाखों करोड़ कमाए और देश की जनता को कालाधन बापस लाने का वायदा और राष्ट्रभक्त बनाने की ओजस्वी प्ररेणा दी !
शुक्र है पढ़े लिखे नवजवानों की नयी पीढ़ी का कि वे लालची नहीं है वे मेहनत कर धन कमाने पर विश्वास रखते हैं, धर्म, कर्म, पाप, पुण्य , पाखण्ड दिखावे से बहुत दूर यह बच्चे एक सुखद संकेत हैं एवं अपने बड़ों की मानसिकता में परिवर्तन लाने को कटिवद्ध हैं !
लगता है आने वाले समय में और इन लड़के लड़कियों में से बहुत सारे अरविन्द जन्म लेंगे, यह सुखद संकेत ,देश में नया बदलाव लाने में समर्थ होगा ! अब मफलर, दसलखा सूटों को पहचान चुका है इसीलिए बाकी काम अधिक आसान हो जाएगा ! निस्संदेह आने वाला समय, इस देश की भ्रष्ट राजनीतिज्ञों के लिए बेहद बुरा काल होगा, उन्हें अपने कर्मों का फल भुगतना ही होगा मगर नवनेताओं को इन गिरगिटों से सावधान रहना होगा !
ये नेता रहे तो , वतन बेंच देंगे !
ये पुरखों के सारे जतन बेंच देंगे
कुबेरों का कर्जा लिए शीश पर ये
अगर बस चले तो सदन बेंच देंगे
नए राज भक्तों की इन तालियों
के,नशे में ये भारतरतन बेंच देंगे
मान्यवर बने हैं करोड़ों लुटाकर
उगाही में, सारा वतन बेंच देंगे ! - सतीश सक्सेना
साधारण अशिक्षित ग्रामीण जनमानस, भारतीय गृहणियां, जो मनोरंजन तथा ख़बरों के लिए सिर्फ लालची टेलीविजन मीडिया पर निर्भर हैं तथा अपने कामों के लिए राजनीतिक धूर्तों और मदारियों के ऊपर भरोसा करने को मज़बूर हैं ! देश की ७० प्रतिशत से अधिक जनता शायद ही कभी किसी सरकारी दफ्तर में जाने की हिम्मत कर पायी होगी वे अपने कार्यों के लिए दलालों और इन राजनैतिक छुटभैयों की जान पहचान पर फख्र महसूस करते हैं और यह सोंचते हैं कि हमारे काम भी हो ही जाएंगे ! राशन कार्ड बनाने, बिजली वालों के सामने गिड़गिड़ाते, इन लोगों के
पास पैसे देकर , काम कराने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है !
जिस देश में अपने एमएलए और एमपी के पास जाने का मतलब ही "काम " का हो जाना होता है , ९० % इन अनपढ़ों के बच्चों की नौकरियां, राजनीतिज्ञों के दलालों को पैसे देकर ही लगती हैं बशर्ते दलाल सही जगह ( साहब के पास ) पैसे पंहुचा दे ! राज्य सरकार की नगर पालिकाओं, सरकारी स्कूलों , लेखपालों , कंडक्टरों , ड्राइवरों, पुलिस में सिपाहियों और हवलदारों की भर्ती , रेलवे भर्ती बोर्ड आदि की नौकरियों पर खद्दर धारियों की चेयरमैन शिप का कब्ज़ा है ! सरकारी नौकरियों में हेराफेरी सबको पता है मगर कहीं कोई विद्रोह की आवाज नहीं सुनायीं पड़ती, सरकारी महकमों में बच्चों की नौकरी लगने की उम्मीद अखबारों के नुमाइंदों का मुंह भी बंद रखने में कामयाब है !
४५ वर्ष से ऊपर के लोग अधिकतर इस गुलाम विचारधारा को बढ़ाने के दोषी हैं , इन कमज़ोर और संकीर्ण दिमाग व्यक्तियों का अपने घर में शक्तिशाली होने का अहसास होने के लिए , किसी नेता का पिट्ठू बनना आसान होता है उसके बाद यह चमचे अक्सर अपनी पीठ पर ताउम्र उस राजनैतिक पार्टी का नाम लिखाये फख्र महसूस करते घूमते रहते हैं ! इनका अपना कोई
व्यक्तित्व नहीं , यह सिर्फ अपने गुरुओं की विचारधारा के गुलाम हैं जो देश में नफरत फैलाने के दोषी हैं ! धर्म और आस्था के नाम पर , दूसरों के प्रति नफरत फैलाकर , भेंड़ बकरियों की भीड़ को अपनी पार्टी की तरफ हांकना और उन्हें सुरक्षा देने का वायदा दिलाने के कार्य, इस देश के पढेलिखे नवयुवक पहचानने लगे हैं और इसे रोकने के लिए कटिवद्ध हैं !
इस देश में सामान्य जन का विश्वास बेहद आहत हुआ है , त्रस्त और अशिक्षित जनता अपनी स्थिति में कुछ बदलाव लाने के लिए हर जगह जाने और सीखने के लिए तैयार रहती है , बाबा कामदेव , बापू विश्वासराम , साईं और साध्वियों के समागमों के नाम पर लाखों की भीड़ उमड़ पड़ी , आशान्वित आँखों से ताकते यह श्रद्धालु अपने बनाये हर गुरू द्वारा बुरी तरह लुटे और ठगे गए , इनके चढ़ावों से और आस्था स्वरुप हर गुरु ने हज़ारों लाखों करोड़ कमाए और देश की जनता को कालाधन बापस लाने का वायदा और राष्ट्रभक्त बनाने की ओजस्वी प्ररेणा दी !
शुक्र है पढ़े लिखे नवजवानों की नयी पीढ़ी का कि वे लालची नहीं है वे मेहनत कर धन कमाने पर विश्वास रखते हैं, धर्म, कर्म, पाप, पुण्य , पाखण्ड दिखावे से बहुत दूर यह बच्चे एक सुखद संकेत हैं एवं अपने बड़ों की मानसिकता में परिवर्तन लाने को कटिवद्ध हैं !
लगता है आने वाले समय में और इन लड़के लड़कियों में से बहुत सारे अरविन्द जन्म लेंगे, यह सुखद संकेत ,देश में नया बदलाव लाने में समर्थ होगा ! अब मफलर, दसलखा सूटों को पहचान चुका है इसीलिए बाकी काम अधिक आसान हो जाएगा ! निस्संदेह आने वाला समय, इस देश की भ्रष्ट राजनीतिज्ञों के लिए बेहद बुरा काल होगा, उन्हें अपने कर्मों का फल भुगतना ही होगा मगर नवनेताओं को इन गिरगिटों से सावधान रहना होगा !
ये नेता रहे तो , वतन बेंच देंगे !
ये पुरखों के सारे जतन बेंच देंगे
कुबेरों का कर्जा लिए शीश पर ये
अगर बस चले तो सदन बेंच देंगे
नए राज भक्तों की इन तालियों
के,नशे में ये भारतरतन बेंच देंगे
मान्यवर बने हैं करोड़ों लुटाकर
उगाही में, सारा वतन बेंच देंगे ! - सतीश सक्सेना
"निस्संदेह आने वाला समय, इस देश की भ्रष्ट राजनीतिज्ञों के लिए बेहद बुरा काल होगा, उन्हें अपने कर्मों का फल भुगतना ही होगा मगर नवनेताओं को इन गिरगिटों से सावधान रहना होगा ! "
ReplyDeleteआमीन ।
सच कहा है ... शायद अब बदलाव का दौर सही तरह से लागू हो सके ... अगर इस बार भी सबक नहीं ले सके तो जल्दी ही सब ऐसे नेता इतिहास बनने वाले हैं ...
ReplyDeleteअब सच में बदलाव आये तो बात बनें। पूर्ण बहुमत के चलते वादे पूरे करने में मुश्किल नही होनी चाहिये।
ReplyDeleteउम्मीदें तो बहुत जगाईं हैं आपने झाडूवाले,
खरा उतरने की बारी अब आई है झाडूवाले।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.....
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