डी पी एस ग्रेटर नॉएडा के, एक क्षात्र, रानू , जो कि, पढने लिखने में बहुत अच्छे होने के साथ साथ, खाने पीने में, भी मस्त हैं, के मन की बातें यहाँ दे रहा हूँ ! जब भी हम सब साथ साथ , खाने पर एक साथ बैठते तो बच्चों से उनके भविष्य की चर्चा तथा क्लास में उनकी पोजीशन की चर्चा जरूर होती ! स्वादिष्ट खाने के समय , पढाई की चर्चा , उनके मुहं का टेस्ट बदलने के लिए काफ़ी होती है !
ग्रामर लेकर , बैठा हूँ !
जैसे तैसे रसगुल्लों से ,
ध्यान हटाए , बैठा हूँ !
मगर ध्यान में बार बार,
ही आतिशबाजी होती है !
अलजब्रा के ही खिलाफ
क्यों नारे बाजी होती है !
नाना,पापा की बातें सुन ,
नींद सी आने लगती है !
इतने बढ़िया मौसम में,एक्जाम की बातें,होती हैं !
समझ नहीं आते बच्चों के
कष्ट , समस्याएं भारी !
पढ़ते, अक्षर नजर न आएं
दिखे किचन की अलमारी !
इतने बढ़िया मौसम में,एक्जाम की बातें,होती हैं !
समझ नहीं आते बच्चों के
कष्ट , समस्याएं भारी !
पढ़ते, अक्षर नजर न आएं
दिखे किचन की अलमारी !
टीवी पर कार्टून, यहाँ
भूगोल की बाते होती हैं
खाने पीने के मौसम मे,
दुःख की बातें, होती हैं !
फीस बढ़ा ले भले प्रिंसिपल
पर बच्चों की क्लासों में !
चॉकलेट लडडू फ्री होंगे
आने वाले , सालों में !
कठिन गणित का प्रश्न क्लास
में, मैडम जब समझाती हैं !
उसी समय क्यों याद हमारे,
मीठी बातें , आती हैं !
खाने पीने के मौसम मे,
दुःख की बातें, होती हैं !
ग्रेट खली,इंग्लिश ग्रामर,
में हर दम कुश्ती होती है !
जाने क्यों घर में हर मौके,क्लास की बातें होती हैं ?
पर बच्चों की क्लासों में !
चॉकलेट लडडू फ्री होंगे
आने वाले , सालों में !
कठिन गणित का प्रश्न क्लास
में, मैडम जब समझाती हैं !
उसी समय क्यों याद हमारे,
मीठी बातें , आती हैं !
बिना जलेबी और समोसा
कैसे मन भी पढ़ पाए
सारे अक्षर गड्मड होते , खाली आंतें रोती हैं !
हाथ में बल्ला लेकर जब मैं
याद सचिन को करता हूँ,
ध्यान लगा के उस हीरो का
सीधा छक्का जड़ता हूँ !
मगर हमेशा अगले पल
ये खुशियां भी खो जाती हैं !
पता नहीं , जब ध्यान
हमारे कृष्णा मैडम आतीं हैं !
ऐसे मस्ती के मौके, क्यों
सारे अक्षर गड्मड होते , खाली आंतें रोती हैं !
हाथ में बल्ला लेकर जब मैं
याद सचिन को करता हूँ,
ध्यान लगा के उस हीरो का
सीधा छक्का जड़ता हूँ !
मगर हमेशा अगले पल
ये खुशियां भी खो जाती हैं !
पता नहीं , जब ध्यान
हमारे कृष्णा मैडम आतीं हैं !
ऐसे मस्ती के मौके, क्यों
याद सजा की आती है !
अक्सर घर में खाते पीते, ज्ञान की बातें, होती हैं !
मन को काबू कर अंग्रेजी
ReplyDeleteग्रामर लेकर , बैठा हूँ !
जैसे तैसे रसगुल्लों से ,
ध्यान हटाए , बैठा हूँ !
मगर ध्यान में बार बार,
ही आतिशबाजी होती है !
अलजब्रा के ही खिलाफ
क्यों नारे बाजी होती है !
सच में खाने पीने के शौकीन बच्चे अलजब्रा के फार्मूले रटे तो रटे कैसे...
बहुत ही लाजवाब गीत।
वाह!!!
लाजवाब | दिखे तो सही आप ब्लॉग पर एक सुन्दर सृजन के साथ |
ReplyDeleteजय हो, शत प्रतिशत सहमत।
ReplyDeleteसुंदर
ReplyDeletemera bhi ek blog hain jis par main hindi ki kahani dalti hun pleas wahan bhi aap sabhi visit kare - Hindi Story
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