अभी कुछ दिन पहले ही ठंडक और कोरोना के कारण , घर में जमकर खाया और कम्बल की मेहरबानी के कारण एक दिन चेक करने पर पाया कि पूरे तीन किलो वजन बढ़ चुका है , इस उम्र ( 66 वर्ष ) में मुझे बुढ़ापा नहीं चाहिए सो उसी दिन तय कर लिया था कि एक सप्ताह में वजन
सामान्य करना है !पूरे आठ दिन में रोटी सिर्फ एक बार (घी नमक प्याज मिर्च के साथ), खिचड़ी दो बार दही, घी और धनिये की चटनी के साथ , एक बार बिरयानी रायता , ६ बार टमाटर सूप , दूध की चाय चार बार , ग्रीन टी 10 बार , कहवा २ बार , केला 3 (दो बार ), खजूर लगभग 200 grm ( ४ बार ), उबले अंडे 6 (3 बार ) , पनीर 600 ग्राम (3 बार ), कैप्सिकम , प्याज रोस्टेड और चना जोर गरम ढाई सौ ग्राम के साथ 100 ग्राम चीज़ भी खायीं गयी साथ में रोज १२ गिलास पानी कम से कम पिया !
इन दिनों जो त्यागा गया उसमें, किसी भी शेप में मीठा (बिस्कुट , गजक , रेवड़ी आदि ) , दूध और आयल प्रमुख था ! मानसिक तौर पर लोगों से अपेक्षाएं करना छोड़कर खुद को मस्तमौला रखा , विपरीत परिस्थितियों में और अधिक खुश रहा एवं बोरियत से बचने के लिए रोज दो बार मार्केट /पार्क वाक किया !
मगर वजन घटाने में सबसे अधिक भूमिका रही मेरे द्वारा इस ठण्ड के दिनों में भी , सुबह स्लीवलेस वेस्ट में की गयी धीमे धीमे लम्बी दौड़ , इन आठ दिनों में मैंने, strava रिकॉर्ड के अनुसार 50 km की दूरी दौड़ते हुए तय की तथा एक दिन 15 km साइकिल चलाकर पसीना बहाया !
यह मेरा आज का फोटो है जो इस अवसर पर लगाया गया ताकि उनकी आँखें खुलें , और संकल्प लें कि बुढ़ापा मात्र नाम है अगर मेहनत करने की जिद कर लें , मानवीय शरीर हर बीमारी से आसानी से पार पाने में सक्षम है एक बार विश्वास तो करके देखें तो सही !
सादर मंगलकामनाएं आप सबको ! हँसते रहें हंसाते रहें ...
कभी तो जगेगी :)
ReplyDeleteबहुत बधाई...
ReplyDeleteवाकई आपके अनुभव अनेक पाठकों के मार्गदर्शक बनेंगे...
बहुत अच्छी जानकारी दी आपने..धन्यवाद..शुभ दिवस
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteवाह ! इच्छा शक्ति और श्रम का सुंदर मेल
ReplyDeleteआपको भी मंगल कामनाएँ । यूँ ही स्वस्थ रहें और आशीर्वाद बनाए रखें ।
ReplyDeleteवाह सतीश जी, मुझे लगता है ये लेख मेरे जैसे लोगों के लिए ही लिखा गया है। ब्लॉगिंग के लिए कंप्यूटर के सामने समय बिता कर मैंने वज़न खूब कमाया है। पर आपके सुझाव पर अमल करना ही होगा। कोटि आभार उत्तम लेख के लिए🙏🙏
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