क्या समझे हो यार हमारे बारे में !
इसीलिये अब, तुमसे दूरी रखते हैं
दिल न दुखे सरकार,हमारे बारे में !
हमको रोज परिंदे ही बतला जाते
कितने हाहाकार , हमारे बारे में !
जो वे चाहें करें फैसला,किस्मत का
है उनका अधिकार, हमारे बारे में !
मरते दम तक तुम्हें नहीं समझायेंगे
कितने गलत विचार हमारे बारे में !
ज़बरदस्त ग़ज़ल.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना.... बहुत कुछ अभी रहस्य में है... समझने में अभी समय लगेगा ...
ReplyDeleteवाह बहुत उम्दा
ReplyDeletebahut khoob !
ReplyDeletebahut khoob !
ReplyDeleteलाजबाब,बेहतरीन गजल ..!
ReplyDeleteRECENT POST -: पिता
कविता, गीत, नज़्म, क्षणिकाएँ और ग़ज़ल,
ReplyDeleteधूम मची है यार, हमारे बारे में!
इतना कुछ हमने कह डाला कुछ तो कहो,
तुम भी बरख़ुरदार, हमारे बारे में!
समस्या समझने के अपने तरीक़े, अपने अपने समाधान।
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
ReplyDeleteक्या कोई जाने किसी के बारे में
ReplyDeleteकब होती एक राय किसी के बारे में !
इक निवाले के लिए हमने किया जिसका शिकार,
ReplyDeleteवो परिंदा भी कई रोज़ का भूखा निकला...
जय हिंद...
इक निवाले के लिए हमने किया जिसका शिकार,
ReplyDeleteवो परिंदा भी कई रोज़ का भूखा निकला...
जय हिंद...
बहुत खूब, सर जी!!
ReplyDeleteजो वे चाहें करें फैसला,किस्मत का
ReplyDeleteहै उनका अधिकार, हमारे बारे में !
bahut khoob
badhai
rachana
Bahut Khub Guruji..
ReplyDeleteबड़ा ही नेक विचार है हमारा तो इस
ReplyDeleteरचना के बारे में :)
बहुत सुन्दर सार्थक रचना !
जान गए सरकार आपके बारे में -----
ReplyDeleteजो वे चाहें करें फैसला,किस्मत का
ReplyDeleteहै उनका अधिकार, हमारे बारे में !
उनसे मिलकर आसानी से जानोगे
कितने हाहाकार , हमारे बारे में ! bahut khoob likha hai apne ......hardik badhai saxena ji
कितने गलत विचार हमारे बारे में !
ReplyDeleteशब्द 61 या 62 और लेखा ज़िन्दगी का क्यों लगता है कि इनमें मेरा ही हिसाब लिख दिया आपने
ReplyDeleteबेहद करीब सादर प्रणाम
जय हो 😀
ReplyDeleteतथास्तु
ReplyDeletewaah bht hi badhiya
ReplyDeleteबहुत सुन्दर विचार अपने बारे में
ReplyDeleteकोई कुछ भी समझे आप तो सब समझा चुके अपने बारे में--बेबाक रचना
ReplyDeleteबेहद शानदार रचना। बेबाकी से परिपूर्णं।
ReplyDeleteमरते दम तक तुम्हें नहीं समझायेंगे
ReplyDeleteकितने गलत विचार हमारे बारे में !
जरूरत भी नहीं है जो दूसरे के दिमाग से सोचते हों उन्हें समझाना वैसे भी पत्थर में अपना सर मारना है |