Friday, May 11, 2012

लगें नाचने मेरे गीत - सतीश सक्सेना

जबसे तुमने गीत न गाये ,
तब से पीर और भर आई !
भरी दुपहरी, रूठ गयी हो ,
जैसे पाहुन से  अमराई !
सुबह सबेरे, देख द्वार पर, 
भौचक्के हैं मेरे गीत !
चेहरे पर मुस्कान देख कर,ढोल बजाते मेरे गीत !

रोज रात में कहाँ से आती 
मुझे सुलाने,  त्यागमयी !
साधारण रंग रूप तुम्हारा  
हो  कितनी आनंदमयी  ?
बिन तेरे क्यों नींद न आये,
तुम्ही बताओ,मेरे मीत  !
आहट पा, रजनीगंधा की , लगें  नाचने  मेरे  गीत !

मैंने कब बुलवाया तुमको 
अपने जख्म दिखाने को !     
किसने अपना दर्द बांटना ,
चाहा , मस्त हवाओं  को  ! 
मुझे तुम्हारे न मिलने से, 
नहीं शिकायत मेरे मीत  !
जब भी याद सुगन्धित होती, चित्र बनाते मेरे गीत ! 

कभी याद आती है मुझको 
उन रंगीन फिजाओं की  !
तभी याद आ जाती मुझको
उन सुरमई निगाहों की  !
प्रथम बार देखा था जिस दिन, 
ठगे रह गए मेरे गीत ! 
जैसे तुमने नज़र मिलाई , मन गुदगुदी मचाएं गीत !

आज अकेला भौंरा देखा ,
धीमे धीमे,  गाते  देखा !
काले चेहरे और जोश पर 
फूलों को, मुस्काते देखा !    
खाते पीते केवल तेरी,
याद दिलाएं ,ये  मधु गीत  !
झील भरी आँखों में कबसे, डूब चुके हैं ,मेरे गीत ! 

रत्न जडित आभूषण पहने,   
नज़र नहीं रुक पाती   है  !
क्या दे,तुझको भेंट सुदामा
मेरी व्यथा , सताती  है  !
रत्नमयी को क्या दे पाऊँ , 
यादें  लाये, मेरे गीत !  
अगर भेंट स्वीकार करो तो,धूम मचाएं, मेरे गीत ! 

कैसे बंजर में, जल  लायें  ?   
हरियाली और पंछी आयें ?
श्रष्टि सृजन के लिए जरूरी, 
जल को,रेगिस्तान में लायें ! 
आग और पानी  न  होते ,
कैसे  बनते , मेरे गीत  !
तेरे मेरे युगल मिलन पर,सारी रात  नाचते गीत !

अपने घर की तंग गली में !
मैंने कब  चाहा  बुलवाना  ?
जवां उमर की उलझी लट को
मैंने कब  चाहा,  सुलझाना   ?
मगर मानिनी आ ही गयी अब, 
चरण तुम्हारे ,धोते गीत !
स्वागत करते,निज किस्मत पर, मंद मंद मुस्काते गीत !

बिन 
 बोले ही , बात करेंगे ,
बिना कहे ही,सब समझेंगे
आज निहारें, इक दूजे को, 
नज़रों से ही , बात करेंगे !
ह्रदय पटल पर चित्र  बनाएं , 
मौका पाते,  मेरे गीत !
स्वप्नमयी  को घर में पाकर ,आभारी हैं ,मेरे गीत !

कैसे बिना तुम्हारे, घर में
रचना  का श्रंगार कर सकूं
रोली,अक्षत हाथ में लेकर
छंदों का सत्कार कर सकूं
अभिव्यक्ति स्वागत में द्वारे ,
ढफली लेकर आये गीत !
सिर्फ तुम्हारे ही हाथों में , प्यार से  सौंपे, मैंने  गीत  !

30 comments:

  1. पूरा गीत ही भावनाओं से ओत - प्रोत ....

    रत्नमयी को क्या दे पाऊँ,बिछिया लाये, मेरे गीत !
    अगर भेंट स्वीकार करो तो,धूम मचाएं, मेरे गीत !

    बहुत सुंदर ...

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  2. वाह वाह कोमल भावनओं की बेह्द उम्दा प्रस्तुति।

    ReplyDelete
  3. रत्नमयी को क्या दे पाऊँ,बिछिया लाये, मेरे गीत !
    अगर भेंट स्वीकार करो तो,धूम मचाएं, मेरे गीत !

    भावनाओं से सरोवर गीत. बहुत सुन्दर.

    ReplyDelete
  4. अत्यंत कोमल भावयुक्त गीत

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  5. मगर मानिनी आ ही गयी अब, चरण तुम्हारे ,धोते गीत !
    स्वागत करते,निज किस्मत पर, मंद मंद मुस्काते गीत !

    मन्दाकिनी से बहते भाव

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  6. कैसे बंजर में, जल लायें ?
    हरियाली और पंछी आयें ?
    सृजन हेतु ही,स्रष्टि मिलाये
    जल को , रेगिस्तान से !
    आग और पानी न होते , कैसे बनते , मेरे गीत !
    तेरे मेरे युगल मिलन पर,सारी रात ,नाचते गीत !

    सुंदर ! बहुत सुंदर !!

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  7. sir!! aapke har post ki ek alag pahchaan hai..:)
    simply superb!!

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    Replies
    1. आभार आपका मुकेश भाई ...

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  8. ह्रदय पटल पर चित्र बनाएं , मौका पाते, मेरे गीत !
    स्वप्नमयी को घर में पाकर ,आभारी हैं ,मेरे गीत !

    कोमल भाव समेटे अति सुंदर रचना .......
    MY RECENT POST.....काव्यान्जलि ...: आज मुझे गाने दो,...

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  9. कोमल भावों और सशक्त शब्दों से रचित सुन्दर गीत....सतीश जी....सुन्दर...

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  10. आभारी हैं हम पढ़कर आपके ''गीत''..

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    Replies
    1. आपका स्वागत है अमृता

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  11. क्या श्रृंगार-रस परोसा है आपने ?
    बलिहारी जाऊँ !

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  12. गीतों को पढ़कर -
    ताजगी का खुशनुमा एहसास |
    आभार ||

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  13. कोमल भावों से परिपूर्ण बेहद सुन्दर रचना....
    शानदार:-)

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  14. अपने घर की तंग गली में !
    मैंने कब चाहा बुलवाना ?
    जवां उमर की उलझी लट को
    मैंने कब चाहा, सुलझाना ?
    मगर मानिनी आ ही गयी अब, चरण तुम्हारे ,धोते गीत !
    स्वागत करते,निज किस्मत पर, मंद मंद मुस्काते गीत !
    ..ek umra kee baat hi alag hoti hai..
    bahut sundar shringarik geet...

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    Replies
    1. स्वागत है आपका ....

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  15. 'मेरे गीत' के लिए बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !

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  16. एक के बाद एक गीत वाह, लग रहा है जैसे कोई सोता झरना फुट पड़ा है :}
    बहुत बहुत बधाई !

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  17. बेहद सुंदर गीत ..... भावपूर्ण

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  18. आपके गीत पढ़ने की इच्छा है।

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  19. बहुत ही सुंदर एवं कोमल भावों से सुसजित भावपूर्ण गीत .....शुभकामनायें

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  20. बहुत ही दिल से लिखते हैं आप...और दिल तक पहुँच जाते हैं...

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  21. प्रिय सतीश जी आभार आप का ...परिकल्पना में दस ब्लॉगर में आप का नाम देखा बहुत अच्छा लगा --शुभ कामनाएं--हिंदी साहित्य बढ़ता रहे -भ्रमर ५
    कोई कोई शब्दों की मात्राएँ लगनी बाद वाले के साथ चाहिए तो लग जाती हैं पहले कृपया देख लिया करें एक बार ....
    निज किस्मत.... निज किस्मत
    युगल मिलन पर........युगल मिलन पर

    आज निहारें, ...आज निहारें

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    1. जिन मात्राओं के बारे में आपने कहा है उसमें कोई गलती नहीं है ! आपका ब्राउजर अपडेट नहीं है अथवा सही हिंदी फॉण्ट इंस्टाल नहीं होगा ! कृपया किसी और ब्राउज़र के जरिये देखें तो आपको ठीक लगेगा !
      अच्छा लगा कि आपने सुधार करने की सूचना दी ...
      आभार आपका !

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  22. ..प्रिय सतीश जी जानकारी देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ...कोशिश करेंगे अन्य ब्राउजर से देखने के लिए भी ..लेकिन ये समस्याएं बहुतों के साथ आती होंगी ..कौन सा फांट इंस्टाल करने पर ये ठीक दिखाई पड़ेंगी ? ...कई बार दूसरी जगह मेरी रचनाओं को पोस्ट करते समय भी ये समस्या आई और हमें उन शब्दों को ठीक करना पड़ा ....जय श्री राधे
    भ्रमर५
    skshukl5@gmail.com

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  23. जी सतीश जी आप की बात सच निकली इंटर नेट एक्स्प्लोरर पर ये मात्राएँ ठीक दिखाई दे रही हैं ..लेकिन गूगल क्रोम पर गलत हैं --धन्यवाद भ्रमर ५
    skshukl5@gmail.com

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  24. dil khush ho jata hai aapke geet padhkar.....

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  25. कविता का स्वागत करने को,ढफली लेकर आये गीत !
    सिर्फ तुम्हारे ही हाथों में , प्यार से सौंपे, मैंने गीत !

    बेहतरीन गीत. अनुभवों की माला. बधाई.

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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