मुझे सुलाने, त्यागमयी !
साधारण रंग रूप तुम्हारा
हो कितनी आनंदमयी ?
बिन तेरे क्यों नींद न आये,
तुम्ही बताओ,मेरे मीत !
आहट पा, रजनीगंधा की , लगें नाचने मेरे गीत !तुम्ही बताओ,मेरे मीत !
मैंने कब बुलवाया तुमको
अपने जख्म दिखाने को !
किसने अपना दर्द बांटना ,
चाहा , मस्त हवाओं को !
मुझे तुम्हारे न मिलने से,
नहीं शिकायत मेरे मीत !
जब भी याद सुगन्धित होती, चित्र बनाते मेरे गीत !
कभी याद आती है मुझको
उन रंगीन फिजाओं की !
तभी याद आ जाती मुझको
उन सुरमई निगाहों की !
प्रथम बार देखा था जिस दिन,
ठगे रह गए मेरे गीत !
जैसे तुमने नज़र मिलाई , मन गुदगुदी मचाएं गीत !
आज अकेला भौंरा देखा ,
धीमे धीमे, गाते देखा !
काले चेहरे और जोश पर
फूलों को, मुस्काते देखा !
खाते पीते केवल तेरी,
याद दिलाएं ,ये मधु गीत !
झील भरी आँखों में कबसे, डूब चुके हैं ,मेरे गीत !
रत्न जडित आभूषण पहने,
नज़र नहीं रुक पाती है !
क्या दे,तुझको भेंट सुदामा
मेरी व्यथा , सताती है !
रत्नमयी को क्या दे पाऊँ ,
यादें लाये, मेरे गीत !
अगर भेंट स्वीकार करो तो,धूम मचाएं, मेरे गीत !
कैसे बंजर में, जल लायें ?
हरियाली और पंछी आयें ?
श्रष्टि सृजन के लिए जरूरी,
जल को,रेगिस्तान में लायें !
आग और पानी न होते ,
कैसे बनते , मेरे गीत !
तेरे मेरे युगल मिलन पर,सारी रात नाचते गीत !
अपने घर की तंग गली में !
मैंने कब चाहा बुलवाना ?
जवां उमर की उलझी लट को
मैंने कब चाहा, सुलझाना ?
मगर मानिनी आ ही गयी अब,
चरण तुम्हारे ,धोते गीत !
स्वागत करते,निज किस्मत पर, मंद मंद मुस्काते गीत !
बिन बोले ही , बात करेंगे ,
आज निहारें, इक दूजे को,
नज़रों से ही , बात करेंगे !
ह्रदय पटल पर चित्र बनाएं ,
मौका पाते, मेरे गीत !
स्वप्नमयी को घर में पाकर ,आभारी हैं ,मेरे गीत !
कैसे बिना तुम्हारे, घर में
रचना का श्रंगार कर सकूं
रोली,अक्षत हाथ में लेकर
छंदों का सत्कार कर सकूं
अभिव्यक्ति स्वागत में द्वारे ,
ढफली लेकर आये गीत !
सिर्फ तुम्हारे ही हाथों में , प्यार से सौंपे, मैंने गीत !
पूरा गीत ही भावनाओं से ओत - प्रोत ....
ReplyDeleteरत्नमयी को क्या दे पाऊँ,बिछिया लाये, मेरे गीत !
अगर भेंट स्वीकार करो तो,धूम मचाएं, मेरे गीत !
बहुत सुंदर ...
वाह वाह कोमल भावनओं की बेह्द उम्दा प्रस्तुति।
ReplyDeleteरत्नमयी को क्या दे पाऊँ,बिछिया लाये, मेरे गीत !
ReplyDeleteअगर भेंट स्वीकार करो तो,धूम मचाएं, मेरे गीत !
भावनाओं से सरोवर गीत. बहुत सुन्दर.
अत्यंत कोमल भावयुक्त गीत
ReplyDeleteमगर मानिनी आ ही गयी अब, चरण तुम्हारे ,धोते गीत !
ReplyDeleteस्वागत करते,निज किस्मत पर, मंद मंद मुस्काते गीत !
मन्दाकिनी से बहते भाव
कैसे बंजर में, जल लायें ?
ReplyDeleteहरियाली और पंछी आयें ?
सृजन हेतु ही,स्रष्टि मिलाये
जल को , रेगिस्तान से !
आग और पानी न होते , कैसे बनते , मेरे गीत !
तेरे मेरे युगल मिलन पर,सारी रात ,नाचते गीत !
सुंदर ! बहुत सुंदर !!
sir!! aapke har post ki ek alag pahchaan hai..:)
ReplyDeletesimply superb!!
आभार आपका मुकेश भाई ...
Deleteह्रदय पटल पर चित्र बनाएं , मौका पाते, मेरे गीत !
ReplyDeleteस्वप्नमयी को घर में पाकर ,आभारी हैं ,मेरे गीत !
कोमल भाव समेटे अति सुंदर रचना .......
MY RECENT POST.....काव्यान्जलि ...: आज मुझे गाने दो,...
कोमल भावों और सशक्त शब्दों से रचित सुन्दर गीत....सतीश जी....सुन्दर...
ReplyDeleteआभारी हैं हम पढ़कर आपके ''गीत''..
ReplyDeleteआपका स्वागत है अमृता
Deleteक्या श्रृंगार-रस परोसा है आपने ?
ReplyDeleteबलिहारी जाऊँ !
गीतों को पढ़कर -
ReplyDeleteताजगी का खुशनुमा एहसास |
आभार ||
कोमल भावों से परिपूर्ण बेहद सुन्दर रचना....
ReplyDeleteशानदार:-)
अपने घर की तंग गली में !
ReplyDeleteमैंने कब चाहा बुलवाना ?
जवां उमर की उलझी लट को
मैंने कब चाहा, सुलझाना ?
मगर मानिनी आ ही गयी अब, चरण तुम्हारे ,धोते गीत !
स्वागत करते,निज किस्मत पर, मंद मंद मुस्काते गीत !
..ek umra kee baat hi alag hoti hai..
bahut sundar shringarik geet...
स्वागत है आपका ....
Delete'मेरे गीत' के लिए बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !
ReplyDeleteएक के बाद एक गीत वाह, लग रहा है जैसे कोई सोता झरना फुट पड़ा है :}
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई !
बेहद सुंदर गीत ..... भावपूर्ण
ReplyDeleteइस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - जस्ट वन लाइनर जी
ReplyDeleteआपके गीत पढ़ने की इच्छा है।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर एवं कोमल भावों से सुसजित भावपूर्ण गीत .....शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत ही दिल से लिखते हैं आप...और दिल तक पहुँच जाते हैं...
ReplyDeleteप्रिय सतीश जी आभार आप का ...परिकल्पना में दस ब्लॉगर में आप का नाम देखा बहुत अच्छा लगा --शुभ कामनाएं--हिंदी साहित्य बढ़ता रहे -भ्रमर ५
ReplyDeleteकोई कोई शब्दों की मात्राएँ लगनी बाद वाले के साथ चाहिए तो लग जाती हैं पहले कृपया देख लिया करें एक बार ....
निज किस्मत.... निज किस्मत
युगल मिलन पर........युगल मिलन पर
आज निहारें, ...आज निहारें
जिन मात्राओं के बारे में आपने कहा है उसमें कोई गलती नहीं है ! आपका ब्राउजर अपडेट नहीं है अथवा सही हिंदी फॉण्ट इंस्टाल नहीं होगा ! कृपया किसी और ब्राउज़र के जरिये देखें तो आपको ठीक लगेगा !
Deleteअच्छा लगा कि आपने सुधार करने की सूचना दी ...
आभार आपका !
..प्रिय सतीश जी जानकारी देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ...कोशिश करेंगे अन्य ब्राउजर से देखने के लिए भी ..लेकिन ये समस्याएं बहुतों के साथ आती होंगी ..कौन सा फांट इंस्टाल करने पर ये ठीक दिखाई पड़ेंगी ? ...कई बार दूसरी जगह मेरी रचनाओं को पोस्ट करते समय भी ये समस्या आई और हमें उन शब्दों को ठीक करना पड़ा ....जय श्री राधे
ReplyDeleteभ्रमर५
skshukl5@gmail.com
जी सतीश जी आप की बात सच निकली इंटर नेट एक्स्प्लोरर पर ये मात्राएँ ठीक दिखाई दे रही हैं ..लेकिन गूगल क्रोम पर गलत हैं --धन्यवाद भ्रमर ५
ReplyDeleteskshukl5@gmail.com
dil khush ho jata hai aapke geet padhkar.....
ReplyDeleteकविता का स्वागत करने को,ढफली लेकर आये गीत !
ReplyDeleteसिर्फ तुम्हारे ही हाथों में , प्यार से सौंपे, मैंने गीत !
बेहतरीन गीत. अनुभवों की माला. बधाई.