कल ज्योतिपर्व प्रकाशन के डिज़ाईनर अबनीश ने मेरे गीत पर काम करते करते , मुझे बताया कि उन्हें गीतों का गहरा शौक है ,एक बार पिता के कहने पर उन्होंने चार लाइने लिख कर एक मंच पर सुनाई थी , पहली लाइन "शीर्षक " सुनकर, अवनीश के अनुरोध पर यह रचना की गयी , आओ बच्चो मिलकर के इक कसम उठानी है " पर लिखी इस रचना को महसूस करें !
एक रंग है सबके अन्दर
एक सा भोजन पायें !
एक पिता है सबके अंदर
तब क्यों नज़र झुकाएं !
फिर क्यों ऊँच नीच
समझाती,राम कहानी है !
समझाती,राम कहानी है !
आदि ग्रन्थ बदले स्वारथबस , यही कहानी है !
कमजोरों को प्यार करेंगे
साथ बैठकर बात करेंगे
कष्ट दूसरों का समझेंगे !
एक साथ खाना खायेंगे !
और आक्रमणकारी को
इक सीख सिखानी है
इक सीख सिखानी है
आओ बच्चो मिलकर के, इक कसम उठानी है !
अपनी माँ की इज्ज़त जैसी
महिलाओं की इज्ज़त होगी
जैसी अपनी बहिन सुरक्षित
और सभी की करनी होगी !
प्रथम सुरक्षा उनकी ,
जिनकी भीत पुरानी है !
जिनकी भीत पुरानी है !
आओ बच्चों मिलकर के ,एक प्रीत जगानी है !
थके चरण कमजोर पड़े हैं !
हम बच्चों के लिए चले हैं ,
हाथ थक गए मेहनत करते
हमको मंजिल पर पंहुचाते
कसम तुम्हे इन छालों की,
बस आस जगानी है !
बस आस जगानी है !
नेह दिया, मृदु बाती से , एक ज्योति जगानी है !
बहुत बहुत अच्छी रचना है यह...जिनसे प्रेरणा मिली वे बधाई के पात्र हैं...
ReplyDeleteआप दोनों को शुभकामनाएँ!!!
कसम तुम्हे इन छालों की, इक आस जगानी है
ReplyDeleteनेह दिया, मृदु बाती में, एक ज्योति जगानी है !
वाह,...बहुत सुंदर रचना //
बहुत ठहरे हुआ लेखन का परिचय ...आपके ब्लॉग पर पढ़ने को मिला हैं ...हर विषय पर आपकी सोच और पकड़ बहुत अच्छी हैं .....आभार
ReplyDeleteसुंदर गीत
ReplyDeleteफिर क्यों उंच - नीच समझाती, राम कहानी है !
ReplyDeleteआदि ग्रन्थ बदले स्वारथबस, यही कहानी है !
फिर क्यों ऊँच नीच समझाती .....यहाँ उंच हटा दें .
बेहतरीन सांगीतिक अर्थ पूर्ण सौदेश्य गीत बधाई स्वीकार करें .
Read more: http://satish-saxena.blogspot.com/#ixzz0Y1iyiwgb
प्रथम सुरक्षा उनकी , जिनकी भीत पुरानी है !
आओ बच्चों मिलकर के ,एक प्रीत जगानी है !
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शुक्रिया वीरू भाई ...
Deleteनेह दिया, मृदु बाती से , एक ज्योति जगानी है !
ReplyDeleteसात्विकता से युक्त सुन्दर रचना
शुभकामनायें |
ReplyDeleteकसम तुम्हे इन छालों की, इक आस जगानी है
ReplyDeleteनेह दिया, मृदु बाती से , एक ज्योति जगानी है !
bahut sambhavnaye hai . inhe badhaate rahna
भाई जी ! बस यू ही प्यार लुटाते चलो सब पर ...
ReplyDeleteअपनी खुशी भी इसी में है और सुकून भी ..?
बहुत शुभकामनाएँ!
सार्थक संदेश देती प्रभावी रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
कसम तुम्हे इन छालों की, इक आस जगानी है
ReplyDeleteनेह दिया, मृदु बाती से , एक ज्योति जगानी है !
बहुत सुन्दर भावों से सजी खूबसूरत रचना के लिए आभार
Waah! Achhi panktiyan hain.... Hirey ki parakh to aap jaise johri ko hi ho sakti hai...
ReplyDeleteशुक्रिया शाहनवाज भाई ....
Deleteऔर जौहरी को जो हम इत्ते दिनों से परखते रहे / कदर करते रहे उसका क्या :)
Deleteजौहरी आपका हो गया ...
Deleteधंधा ठप
बहुत प्यारा एवं प्रेरणादायक गीत
ReplyDeleteआभार
बहुत सुंदर.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर शब्द संयोजन खुबसूरत .
ReplyDeleteनाराज न हों तो कविता संकलन के लिए मेल करने का कष्ट
करें .भावों संग चिंतन को दिशा देती कविता .......
आप कापी कर सकते हैं , स्वागत है !
Deleteअति सुन्दर और उत्साहवर्धक ...
ReplyDeleteआपकी प्यारी कविता की हर सीख सुहानी है
अच्छी ,प्रेरक ,सुन्दर है ये मन की वाणी है
बहुत सुंदर भावों को सँजोये सार्थक संदेश देता गीत ...
ReplyDeleteहर बच्चे के लिए अनुकरणीय सीख लिए गीत ....बहुत सुंदर
ReplyDeleteकाफी सकारात्मक चिंतन है !
ReplyDeleteसार्थक संदेश देती प्रभावी रचना.....सकारात्मक चिंतन बहुत -2 शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteबच्चे मन के सच्चे ..काश हम बच्चे ही होते ? तो ही इतना सरल सोच पाते ..?
ReplyDeletesundar.....saral......arthpurn......bodhgamya......
ReplyDeleteaap rachte...rachvate rahen.....hum padhte...padhvate rahenge.....
pyare avnish ko subhkamnayen.
pranam aapko.
सुन्दर रचना प्रस्तुति .... आभार ...
ReplyDeleteअपनी माँ की इज्ज़त जैसी
ReplyDeleteमहिलाओं की इज्ज़त होगी
जैसी अपनी बहिन सुरक्षित
और सभी की करनी होगी !
आमीन ... काश हम सब मिल के एक ऐसा भारत देश बना सकें ... सुन्दर रचना है सतीश जी ...
haan agar sab logo kee soch aapki or hamari tarha hoo gayi to bharat desh jarur esa ho jayega
Deleteसार्थक प्रस्तुति,
ReplyDeleteसाधुवाद.
बहुत सुंदर भावों को सँजोये सुन्दर रचना...........
ReplyDeleteसंस्कारों की दृढ़ता ऐसे ही परिलक्षित होती है।
ReplyDeleteबहत कल्याणकारी संकल्प -साधु !
ReplyDeleteबहुत सुंदर भाव ......
ReplyDeleteथके चरण कमजोर पड़े हैं !
ReplyDeleteहम बच्चों के लिए चले हैं ,
हाथ थक गए मेहनत करते
हमको मंजिल पर पंहुचाते
कसम तुम्हे इन छालों की, इक आस जगानी है
नई पीढ़ी में यही तो भाव जगाने हैं, सुंदर रचना, वाह !!!!!!!!!!!!!
प्रेरणास्पद रचना।
ReplyDeleteप्रेम, सद्भावना, भाईचारे और हौसला बढ़ाने वाले इस सुन्दर सार्थक एवं ओजपूर्ण गीत के लिये बहुत बहुत बधाई ! हर शब्द जोश और प्रेरणा से ओत-प्रोत है ! आज की पीढ़ी को इस गीत के माध्यम से बहुत ही सुन्दर संदेश दिया है ! शुभकामनायें !
ReplyDeleteसुंदर गीत और खूबसूरत भाव और सन्देश निहित है इस गीत में. प्रेरणा दायक लेखन. बधाई
ReplyDeletesatish je apne jo, jo mene socha tha usse bhi kahi acha is line ka bana diya, apne jis tarha bhichara badane kee baat kahi hai or us se bhi badkar main kahunga ke jis tarha hum apni maa or behen ko khus or us par koi atyachar nahi seh sakte to bakki pe hote huwe kyu sehte hai, aao mere bhaiyo mil ke yee kasam utha le ki is desh se jaati baat or mahilao pe hone wale atyachar ke khilaf hame mil ke kadam badana hai or main samajhta hoon kee is geet kee maddat sey jo main kehna chahta tha wo satish ji ne kar diya, main satis ji ko tahe dil se dhanyabaad deta hoon.
ReplyDeleteaap ko hamari or se hardik dhanybaat
ReplyDeletemain Avneesh kumar jike baare main satish ji ne pehle bhi batya kee main jyotiparb prakashn main Designer hoon or as a social Worker bhi hoon or Mahilao pe hone wale atychar ke khilaf hamesha tyar rehta hoon] or Women Anti Crime Mission jo kee ek NGO hai uska national vice president hoon or] or satish ji jinse main pehli baar mila or unka diwana ho gya or jab maine unke like geet pade do mano ye laga kee ab tak main in se dur kyu tha unke geet jo kee mahilao or baccho or unlogo ke baare main jin ke baare main log dhyan hee nahi dete par satish ji ne unki vednao ka samjha or apni kalam se use likh dala main satish ji ko tahe dil se badhai deta hoon- or satish ji ne bahut saare geet likhe wo saare ke saare geet dil ko choo jaate hai unhe geeto main ek geet aao bacho mil kar ke ek kasam uthani hai jiski line jesa satis ji ne kaha kee maine dee magar line dene se or geet kar nahi ban jata par us line ko geet ka roop satish ji ne diya hai- is geet ke bhav or sandesh jo ke logo ko sochne par majboor kar denge kee kyu na hum bhi apni ma or behen ko jis tarha surakshit dekhna chahte hain usi tarha har maa or behan ko kyu nahi] isi ke sath main aap sab ko bhi jinhone is geet par comments diye unko badhai deta hoon
ReplyDeleteखूबसूरत मन के भाव
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