Friday, November 17, 2023

घुटना रिप्लेस कराने से पहले इसे अवश्य पढ़ लें -सतीश सक्सेना

भारत में घुटना बदलने का पहला ऑपरेशन 1987 में हुआ था और आज हमारे देश में ढाई लाख से अधिक ऑपरेशन हर वर्ष होते हैं , इंसान के भयभीत मन पर, मेडिकल व्यापारियों का यह कसता शिकंजा भयावह है , मेडिकल साइंस में मानव शरीर पर होते यह प्रयोग आने वाले समय में इस विज्ञान को निस्संदेह और बेहतर बनायेगा मगर दुख यह है कि मेडिकल व्यवसायी ऑपरेशन से पहले यह नहीं बताते कि घुटना बदलने का यह ऑपरेशन एक प्रयोग हैं जिसे मानव शरीर पर किया जा रहा है , यह फ़ायदा कितना पहँचायेगा उन्हें ख़ुद नहीं मालूम , और जितना मालूम है उसे वे खुलकर बताते नहीं अन्यथा मरीज़ ही भाग जाएगा ! कोई यह नहीं बताता कि ऑपरेशन न करने की स्थिति में, एलोपैथी में भी बहुत सारे ऑप्शन हैं जिनसे घुटने की समस्या ठीक हो सकती है !

अधिकतर घुटने का ऑपरेशन , लंबे समय से चले आ रहे दर्द से छुटकारा पाने के लिए किया जाता है , मगर अक्सर घुटना बदलने के बाद भी यह दर्द बरकरार रहता है बल्कि कई बार पहले से भी अधिक होता है , ऑपरेशन के दो चार साल बाद मरीज़ पहले से अधिक दर्द की शिकायत करते पाये जाते है ! अगर घुटने का दर्द स्पाइनल नर्व या कमरदर्द से जुड़ा है तो यह दर्द घुटना बदलने से भी नहीं जाता है , मगर अक्सर मूल कारण जाने बिना घुटने को रिप्लेस करते हैं और इसे मानवीय त्रुटि कहा जाता है एवं मेडिकल डॉक्टर इस मानवीय भूल में किसी भी सजा के हक़दार नहीं होते !

घुटने बदलने के विज्ञापन या वीडियो देखेंगे तो पता चलता है कि घुटना बदलने के बाद समुद्री बीच पर लोग खेल या दौड़ रहे हैं मगर यह वास्तविकता से कोसों दूर है , हक़ीक़त में 20 में 1 आदमी ही इतनी नार्मल दौड़ भाग कर पाता है जो लोग ऑपरेशन के बाद जोश में घुटनों पर अधिक ज़ोर देते हैं उनके सीमेंटेड जोड़ पाँच साल में ही हिलने लगते हैं और दुबारा घुटना निकाल कर ऑपरेशन करना पड़ता है ! इसके अतिरिक्त नये जॉइंट के घिसने पर, सेरेमिक , प्लास्टिक और मेटल के माइक्रोस्कोपिक टुकड़े खून में मिलकर अलग तरह की ख़तरनाक समस्याएँ पैदा करते हैं !

जब आप घुटने के जॉइंट को शरीर से अलग कराते हैं तब उस उससे उत्पन्न आघात के कारण  , बोन मैरो स्पेस और रक्त वाहिनियों में असहनीय तनाव से ब्लड क्लॉट्स उत्पन्न होते हैं , एक रिसर्च के अनुसार 60 वर्ष से अधिक व्यक्तियों के लिए , ऑपरेशन के अगले दो सप्ताह में ह्रदय आघात का ख़तरा, ३१ गुना अधिक होता है और यह सुनकर ही घबराहट होती है कि उस दर्द से मुक्ति पाने का यह तरीक़ा निस्संदेह अधिक ख़तरनाक है इससे बेहतर होता कि उसी दर्द में जिया जाये !

कोशिश करनी चाहिये कि हम अन्य तरीक़ों से घुटने का दर्द ठीक करने का प्रयत्न करें न कि मेडिकल व्यवसायों के विज्ञापनों और डॉक्टरों की बातों से डर कर , ऑपरेशन थियेटर में भर्ती होकर अपने शरीर की दुर्दशा न करवायें और न इस ग़लत तरीक़े पर अपना धन खर्च करें ! विश्व विशाल है और वहाँ अलग अलग तरह के इलाज विकसित हुए थे और वे बेहद सफल भी रहे हैं , मगर एलोपैथिक सिस्टम के दवा व्यापारियों ने इसे बेहद धनवान व्यवसाय में परिवर्तित कर दिया है और अन्य वैकल्पिक चिकित्साओं को नष्टप्राय कर दिया , मगर आज भी अफ़्रीका , चायना , कोरिया , मिडल ईस्ट और भारत में इनकी तलाश करें तो कोई भी असाध्य बीमारी का इलाज मिल जाएगा केवल सब्र और मेहनत चाहिये !

शुभकामनाएँ आप सबको ! 

Ref : https://newregenortho.com/6-reasons-to-avoid-knee-replacement-surgery/

https://centenoschultz.com/disadvantages-of-knee-replacement-surgery/

4 comments:

  1. सही सुझाव . इसमें भय का फैक्टर अधिक है . व्यापार तो है ही .

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  2. सुंदर सुझाव .

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  3. बढ़िया सुझाव

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- सतीश सक्सेना

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