गुड फ्राई डे, त्याग और वलिदान का दिन है ! आज के दिन विश्व, ईसु मसीह के कष्टों को याद करता है , मानव जाति के कल्याण के लिए, अपने हाथों पैरों में कील ठुकवाते, ये महात्मा, इस दुनिया को छोड़ गए थे ,इस आशा में कि शायद मानव जाति कभी सबक लेगी !
शायद अभी कुछ और समय लगेगा जब हम , अपने मत को न मानने वालों से नफरत करना बंद कर पायेंगे !
शायद अभी और वक्त लगेगा जब हम दूसरों की श्रद्धा का उपहास बनाना बंद कर पाने में समर्थ होंगे !
मैं अपनी सम्पूर्ण श्रद्धा के साथ उनको नमन करता हूँ !
हमारा नमन भी आपके नमन के साथ जोड़ लें ॥
ReplyDeleteमैं भी सम्पूर्ण श्रद्धा के साथ उनको नमन करता हूँ !
ReplyDeleteश्रद्धा किसी भी मत से हो , यदि सच्चे मन से की जाए तो सार्थक है । हमें तो आडम्बरों से परेशानी होती है ।
ReplyDeleteवैसे आज पृथ्वी दिवस ( अर्थ डे ) भी है । क्यों न आज प्राण करें कि रास्ते चलते सड़क पर कूड़ा करकट नहीं डालेंगे, विशेष कर प्लास्टिक ।
priy saxena ji
ReplyDeleteek samrthyavan soch ko nishpakshata ke sath aadhar ki chahat hoti hai ,aadhar
to dur shayad ,kahane ka sahas bhi kam log hi kar pate hain . sahaj shabdon ke sath anmol vichar . sadhuvad ji .
शत शत नमन
ReplyDeleteश्री श्री 1008 श्री खेतेश्वर जयंती पर आज निकलेगी भव्य शोभायात्रा
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जयंती पर आज निकलेगी शोभायात्रा
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------ जय खेतेश्वर दाता री सा ------
sahi kaha sir aapne...thori se shraddha meri bhi samet len...")
ReplyDeleteसम्पूर्ण श्रद्धा के साथ उनको नमन ...
ReplyDeleteसम्पूर्ण श्रद्धा के साथ नमन .
ReplyDeleteनमन ...
ReplyDeletebohot khoob satish ji
ReplyDeleteसमग्र मानव जाति के लिये बलिदान देने वाले ईसु मसीह को शत् शत् नमन.
ReplyDeleteInsaan ki utpatti se prarambh hua ye silsila insaan ke vajood rahne tak chalega..
ReplyDeletejai ho......
ReplyDeleteNAMAN.....
ReplyDeletePRANAM.
मैं अपनी सम्पूर्ण श्रद्धा के साथ उनको नमन करता हूँ !
ReplyDeleteham ap ke sath hain .
सक्सेना साहब ऐसी ही पोस्टें अच्छी लगती हैं जिन पर एक दो शब्दों में टिपण्णी दी जा सके पर मैं एक शब्द में टिपण्णी पूरी नहीं कर पा रहा इसके लिए क्षमा करें. सक्सेना साहब ईसाई धर्म अनुयायियों से भारत में आम तौर पर कोई भी घृणा नहीं करता. दो सौ वर्षों तक ईसाई अंग्रेजों ने इस देश पर राज किया और जाने कितने चर्च बनवाये होंगे पर कहीं हिन्दू इसाई दंगों हुए ऐसा मैंने तो अभी तक नहीं सुना. अगर आप एक दो किस्से बता भी दें तो कोई बड़ी बात नहीं. मैंने ईसाई धर्म के बहुत से लोगों से धार्मिक चर्चा की है और उनका विरोध भी किया है पर एसा करते हुए कभी भी मुझे किसी प्रकार का डर नहीं लगा और न ही मेरे वे ईसाई मित्र कभी मुझसे नाराज हए. हिंदुस्तान में धार्मिक वैमनस्य और असहिष्णुता अधिकाशतः केवल एक धर्म विशेष के प्रति ही है और इसे क्यों है ये भी आप शायद आप अच्छी तरह से जानते और समझते होंगे पर स्वभाववश खुलकर नहीं कह पाएंगे.
ReplyDeleteमेरे लिए तो आज का friday good है क्योंकि आज ऑफिस की छुट्टी है लेकिन अपने हर ईसाई मित्र के लिए प्रार्थना करूँगा की....
the Lord holds u in His love and blesses u with His grace... on this Holy Day
त्याग की प्रतिमूर्ति इशु से हमें भी त्याग करने की प्रेरणा मिलती है ..
ReplyDeleteमेरा भी नमन।
ReplyDeleteशत शत नमन
ReplyDelete@ विचारशून्य जी,
ReplyDeleteमैंने उपरोक्त टिप्पणी किसी एक मत को लेकर नहीं की है ....यह पोस्ट एक वर्ग विशेष से हटकर सांकेतिक पोस्ट है जिसे सार्वभौमिक और खुले मन से मानवता के लिए समझा जाना चाहिए ! आशा है आप संतुष्ट होंगे !
मै भी नमन करती हूँ उस शख्स का जो सूली पर हर दिन चदता रहा --फिर भी बुराई खत्म नही हुई ...?
ReplyDeleteHallelujah!!!!हालेलोइयाह!!
ReplyDeleteआपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (23.04.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
ReplyDeleteचर्चाकार:-Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
नमन ...
ReplyDeleteसमग्र मानव जाति के लिये बलिदान देने वाले ईसु मसीह को मेरा भी शत् शत् नमन....
ReplyDeleteईसा मसीह जैसी शख्सियत किसी एक धर्म के बपौती कभी भी नहीं हो सकती हैं... उन्होंने पूरी इंसानियत के लिए कुर्बानी दी थी... मौहब्बत और कुर्बानी की ऐसी मिसाल मिलना मुश्किल है... उनकी मुहब्बत को याद करके दिल में अजीब सी ख़ुशी और उनकी कुर्बानी को याद करके श्रद्धा से दिल भर जाता है.
ReplyDeleteशुभ विचार .
ReplyDeleteप्रभु इशु को नमन .
मैं अपनी सम्पूर्ण श्रद्धा के साथ उनको नमन करता हूँ !
ReplyDeleteशायद अभी और वक्त लगेगा जब हम दूसरों की श्रद्धा का उपहास बनाना बंद कर पाने में समर्थ होंगे !
ReplyDeleteआपका कहना सही है ....शायद और बलिदानों की जरुरत है इस तरह के माहौल को निर्मित करने के लिए ...आपका आभार
समग्र मानव जाति के लिये बलिदान देने वाले इशु मसीह को हमारा भी सम्पूर्ण श्रद्धा के साथ शत् शत् नमन!
ReplyDeleteसहमत हूँ आपसे !
ReplyDeleteसंत किसी जाती,किसी धर्म के ऊपर है!
उनके प्रति,आपकी श्रधा के प्रति मेरा शत-शत नमन !
उस महान शख्सियत और इस पोस्ट दोनों को नमन!
ReplyDeleteईसा के बलिदान को समझना होगा.नमन तो तभी हो सकेगा.
ReplyDeleteprabhu ishu ka sandesh...nafrat karne walon ke seene mein pyaar bhar do...sirf pyar ke shabodon se usane pura jahan jeet liya...usane dikha diya par hum abhi bhi dekhane ko taiyaar nahin hain...naman...
ReplyDelete’दीपक मशाल’ जैसा ही ख्याल हमारा है लेकिन हम दिल से मनाते हैं कि हम गलत हों और आप सही। शुभकामनायें आपकी शुभेच्छाओं के साथ।
ReplyDeleteमेरा भी नमन....
ReplyDeleteकोई पूरी इंसानियत के लिए काम करता है, उस के तरीके को चुन कर लोग उसे धर्म बना डालते हैं। लेकिन नई शराब हमेशा नई बोतल मांगती है इसे भूल जाते हैं।
ReplyDeleteसुन्दर पोस्ट... हमारी भी श्रद्धा और नमन...
ReplyDeleteउस दर्द को दिखाती कविता कि जिन्दगी के हर पहलू से वाकिफ करा दें हम अपने बच्चों को , अब पहले जैसे नहीं अपनी लड़ाई खुद ही लड़नी होगी और उसके लिए कभी सीता तो कभी दुर्गा भीबनना होगा. तभी आने वाले वक्त में उसका जी पाना संभव है.
ReplyDeleteनमन ...
ReplyDeleteश्रद्धा के साथ नमन ....
ReplyDeleteham bhi aapke peechhe hain.
ReplyDeleteआपके नमन को नमन सतीशजी, मेरा मानना है की हर इन्सान में ईसु और गौतम (या जिन्हें भी आप मानते हैं) होते हैं; ज़रुरत है सिर्फ उन्हें पहचानने की और अपने आप से परिचय कराने की...
ReplyDeleteधन्यवाद!