Friday, April 22, 2011

मानवता के लिए बलिदान दिवस -सतीश सक्सेना

गुड फ्राई डे, त्याग और वलिदान का दिन है ! आज के दिन विश्व, ईसु मसीह के कष्टों को याद करता है , मानव जाति के कल्याण के लिए, अपने हाथों पैरों में कील ठुकवाते, ये महात्मा, इस दुनिया को छोड़ गए थे ,इस आशा में कि शायद मानव जाति कभी सबक लेगी !

शायद अभी कुछ और समय लगेगा जब हम , अपने मत को न मानने वालों  से नफरत करना बंद कर पायेंगे ! 

शायद अभी और वक्त लगेगा जब हम दूसरों की श्रद्धा का उपहास बनाना  बंद कर पाने में समर्थ होंगे ! 

मैं अपनी सम्पूर्ण श्रद्धा के साथ उनको नमन करता हूँ !

42 comments:

  1. हमारा नमन भी आपके नमन के साथ जोड़ लें ॥

    ReplyDelete
  2. मैं भी सम्पूर्ण श्रद्धा के साथ उनको नमन करता हूँ !

    ReplyDelete
  3. श्रद्धा किसी भी मत से हो , यदि सच्चे मन से की जाए तो सार्थक है । हमें तो आडम्बरों से परेशानी होती है ।
    वैसे आज पृथ्वी दिवस ( अर्थ डे ) भी है । क्यों न आज प्राण करें कि रास्ते चलते सड़क पर कूड़ा करकट नहीं डालेंगे, विशेष कर प्लास्टिक ।

    ReplyDelete
  4. priy saxena ji
    ek samrthyavan soch ko nishpakshata ke sath aadhar ki chahat hoti hai ,aadhar
    to dur shayad ,kahane ka sahas bhi kam log hi kar pate hain . sahaj shabdon ke sath anmol vichar . sadhuvad ji .

    ReplyDelete
  5. sahi kaha sir aapne...thori se shraddha meri bhi samet len...")

    ReplyDelete
  6. सम्पूर्ण श्रद्धा के साथ उनको नमन ...

    ReplyDelete
  7. सम्पूर्ण श्रद्धा के साथ नमन .

    ReplyDelete
  8. समग्र मानव जाति के लिये बलिदान देने वाले ईसु मसीह को शत् शत् नमन.

    ReplyDelete
  9. Insaan ki utpatti se prarambh hua ye silsila insaan ke vajood rahne tak chalega..

    ReplyDelete
  10. मैं अपनी सम्पूर्ण श्रद्धा के साथ उनको नमन करता हूँ !


    ham ap ke sath hain .

    ReplyDelete
  11. सक्सेना साहब ऐसी ही पोस्टें अच्छी लगती हैं जिन पर एक दो शब्दों में टिपण्णी दी जा सके पर मैं एक शब्द में टिपण्णी पूरी नहीं कर पा रहा इसके लिए क्षमा करें. सक्सेना साहब ईसाई धर्म अनुयायियों से भारत में आम तौर पर कोई भी घृणा नहीं करता. दो सौ वर्षों तक ईसाई अंग्रेजों ने इस देश पर राज किया और जाने कितने चर्च बनवाये होंगे पर कहीं हिन्दू इसाई दंगों हुए ऐसा मैंने तो अभी तक नहीं सुना. अगर आप एक दो किस्से बता भी दें तो कोई बड़ी बात नहीं. मैंने ईसाई धर्म के बहुत से लोगों से धार्मिक चर्चा की है और उनका विरोध भी किया है पर एसा करते हुए कभी भी मुझे किसी प्रकार का डर नहीं लगा और न ही मेरे वे ईसाई मित्र कभी मुझसे नाराज हए. हिंदुस्तान में धार्मिक वैमनस्य और असहिष्णुता अधिकाशतः केवल एक धर्म विशेष के प्रति ही है और इसे क्यों है ये भी आप शायद आप अच्छी तरह से जानते और समझते होंगे पर स्वभाववश खुलकर नहीं कह पाएंगे.

    मेरे लिए तो आज का friday good है क्योंकि आज ऑफिस की छुट्टी है लेकिन अपने हर ईसाई मित्र के लिए प्रार्थना करूँगा की....

    the Lord holds u in His love and blesses u with His grace... on this Holy Day

    ReplyDelete
  12. त्याग की प्रतिमूर्ति इशु से हमें भी त्याग करने की प्रेरणा मिलती है ..

    ReplyDelete
  13. @ विचारशून्य जी,
    मैंने उपरोक्त टिप्पणी किसी एक मत को लेकर नहीं की है ....यह पोस्ट एक वर्ग विशेष से हटकर सांकेतिक पोस्ट है जिसे सार्वभौमिक और खुले मन से मानवता के लिए समझा जाना चाहिए ! आशा है आप संतुष्ट होंगे !

    ReplyDelete
  14. मै भी नमन करती हूँ उस शख्स का जो सूली पर हर दिन चदता रहा --फिर भी बुराई खत्म नही हुई ...?

    ReplyDelete
  15. समग्र मानव जाति के लिये बलिदान देने वाले ईसु मसीह को मेरा भी शत् शत् नमन....

    ReplyDelete
  16. ईसा मसीह जैसी शख्सियत किसी एक धर्म के बपौती कभी भी नहीं हो सकती हैं... उन्होंने पूरी इंसानियत के लिए कुर्बानी दी थी... मौहब्बत और कुर्बानी की ऐसी मिसाल मिलना मुश्किल है... उनकी मुहब्बत को याद करके दिल में अजीब सी ख़ुशी और उनकी कुर्बानी को याद करके श्रद्धा से दिल भर जाता है.

    ReplyDelete
  17. शुभ विचार .
    प्रभु इशु को नमन .

    ReplyDelete
  18. मैं अपनी सम्पूर्ण श्रद्धा के साथ उनको नमन करता हूँ !

    ReplyDelete
  19. शायद अभी और वक्त लगेगा जब हम दूसरों की श्रद्धा का उपहास बनाना बंद कर पाने में समर्थ होंगे !


    आपका कहना सही है ....शायद और बलिदानों की जरुरत है इस तरह के माहौल को निर्मित करने के लिए ...आपका आभार

    ReplyDelete
  20. समग्र मानव जाति के लिये बलिदान देने वाले इशु मसीह को हमारा भी सम्पूर्ण श्रद्धा के साथ शत् शत् नमन!

    ReplyDelete
  21. सहमत हूँ आपसे !
    संत किसी जाती,किसी धर्म के ऊपर है!
    उनके प्रति,आपकी श्रधा के प्रति मेरा शत-शत नमन !

    ReplyDelete
  22. उस महान शख्सियत और इस पोस्ट दोनों को नमन!

    ReplyDelete
  23. ईसा के बलिदान को समझना होगा.नमन तो तभी हो सकेगा.

    ReplyDelete
  24. prabhu ishu ka sandesh...nafrat karne walon ke seene mein pyaar bhar do...sirf pyar ke shabodon se usane pura jahan jeet liya...usane dikha diya par hum abhi bhi dekhane ko taiyaar nahin hain...naman...

    ReplyDelete
  25. ’दीपक मशाल’ जैसा ही ख्याल हमारा है लेकिन हम दिल से मनाते हैं कि हम गलत हों और आप सही। शुभकामनायें आपकी शुभेच्छाओं के साथ।

    ReplyDelete
  26. कोई पूरी इंसानियत के लिए काम करता है, उस के तरीके को चुन कर लोग उसे धर्म बना डालते हैं। लेकिन नई शराब हमेशा नई बोतल मांगती है इसे भूल जाते हैं।

    ReplyDelete
  27. सुन्दर पोस्ट... हमारी भी श्रद्धा और नमन...

    ReplyDelete
  28. उस दर्द को दिखाती कविता कि जिन्दगी के हर पहलू से वाकिफ करा दें हम अपने बच्चों को , अब पहले जैसे नहीं अपनी लड़ाई खुद ही लड़नी होगी और उसके लिए कभी सीता तो कभी दुर्गा भीबनना होगा. तभी आने वाले वक्त में उसका जी पाना संभव है.

    ReplyDelete
  29. श्रद्धा के साथ नमन ....

    ReplyDelete
  30. आपके नमन को नमन सतीशजी, मेरा मानना है की हर इन्सान में ईसु और गौतम (या जिन्हें भी आप मानते हैं) होते हैं; ज़रुरत है सिर्फ उन्हें पहचानने की और अपने आप से परिचय कराने की...


    धन्यवाद!

    ReplyDelete

एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

Related Posts Plugin for Blogger,