इतनी बार बदलकर कपडे
कुछ तो रंग निखारा होगा
इस निर्दोष सौम्य चेहरे से
सबको मूर्ख बनाया होगा !
पूरे जीवन लगा मुखौटे
घर परिवार चलाते आये
निर्मल मन को गंदा करके,
ड्राइंग रूम सजाना क्यों ?
धन के पीछे पागल होकर, दीपावली मनाना क्यों ?
चौंक चौक रह जाते कैसे,
कहीं झूठ तो बोला होगा
कैसे नज़रें, छिपा रहे हो,
गौरय्या को मारा होगा !
मोहक वस्त्र पहन के कैसे
असली रंग छिपाते आये
मेहमानों के आगे,नकली
मुस्कानों को लाना क्यों ?
अविश्वास का पर्दा मन में, रिश्तों को उलझाना क्यों ?
सद्भावना समझ न आये
औरों से सम्मान चाहिए
जीवन भर बेअदबी करके
अपने घर में अदब चाहिए
दादी माँ वृद्धाश्रम पंहुचा,
कैसे अपनी व्यथा घटाई
आग लगा अपने हाथों से
दैविक दोष बताना क्यों ?
संस्कारों की व्याख्या रोकर,आज दर्द में करना क्यों ?
बरसों बीते, गाली देते
अहंकार को खूब पूजते
अपने पूरे खानदान में
मानवता शर्मिंदा करते
कितनी बेईमानी करके
सारे जग में नाम कमाए
अंत समय मन क्यों घबराये,
गैरों को अपनाना क्यों ?
ऐसा क्या जो,सुना सुना के,इतनी कसमें खाना क्यों ?
जिसको विदा करा के लाये
उसको खूब रुलाया होगा,
वृद्धावस्था में बूढ़े को ,
रोकर रोज सुलाया होगा !
अपनी माँ को धक्का दे के
माँ दुर्गा के पाठ कराये !
अब क्यों डरते हो दर्पण से,
ऐसे भी शर्माना क्यों ?
कैसे किये गुनाह अकेले इतना भी घबराना क्यों ?
कुछ तो रंग निखारा होगा
इस निर्दोष सौम्य चेहरे से
सबको मूर्ख बनाया होगा !
पूरे जीवन लगा मुखौटे
घर परिवार चलाते आये
निर्मल मन को गंदा करके,
ड्राइंग रूम सजाना क्यों ?
धन के पीछे पागल होकर, दीपावली मनाना क्यों ?
चौंक चौक रह जाते कैसे,
कहीं झूठ तो बोला होगा
कैसे नज़रें, छिपा रहे हो,
गौरय्या को मारा होगा !
मोहक वस्त्र पहन के कैसे
असली रंग छिपाते आये
मेहमानों के आगे,नकली
मुस्कानों को लाना क्यों ?
अविश्वास का पर्दा मन में, रिश्तों को उलझाना क्यों ?
सद्भावना समझ न आये
औरों से सम्मान चाहिए
जीवन भर बेअदबी करके
अपने घर में अदब चाहिए
दादी माँ वृद्धाश्रम पंहुचा,
कैसे अपनी व्यथा घटाई
आग लगा अपने हाथों से
दैविक दोष बताना क्यों ?
संस्कारों की व्याख्या रोकर,आज दर्द में करना क्यों ?
बरसों बीते, गाली देते
अहंकार को खूब पूजते
अपने पूरे खानदान में
मानवता शर्मिंदा करते
कितनी बेईमानी करके
सारे जग में नाम कमाए
अंत समय मन क्यों घबराये,
गैरों को अपनाना क्यों ?
ऐसा क्या जो,सुना सुना के,इतनी कसमें खाना क्यों ?
जिसको विदा करा के लाये
उसको खूब रुलाया होगा,
वृद्धावस्था में बूढ़े को ,
रोकर रोज सुलाया होगा !
अपनी माँ को धक्का दे के
माँ दुर्गा के पाठ कराये !
अब क्यों डरते हो दर्पण से,
ऐसे भी शर्माना क्यों ?
कैसे किये गुनाह अकेले इतना भी घबराना क्यों ?
अच्छी समझाइश है।
ReplyDeleteBahar ki tu mati fanke,man ke andar q na jhanke...sahaz-saral shbdon ki mar--lazbab
ReplyDeleteआज की दिखावा भरी दुनिया का यथार्थ चित्रण ...
ReplyDeleteश्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें!
आज की दिखावा भरी दुनिया का यथार्थ चित्रण ...
ReplyDeleteश्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें!
आपका भी जवाब नहीं बहुत खूब !
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
ReplyDeleteकई साल पहले हरिओम शरण को सुना था....
मन मैला और तन को धोए..
दो चेहरों की जिंदगी जीने की कहानी ...सुंदर गीत !
ReplyDeleteखुद को आइना दिखाना बहुत जरूरी है...कथनी और करनी जब तक एक न हों मन को चैन नहीं आता..
ReplyDeletekya bat hai ......sundar ,,,ati sundar .....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और भावुक अभिव्यक्ति
ReplyDeleteजन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाऐं ----
सादर --
कृष्ण ने कल मुझसे सपने में बात की -------
ाकोरा दिखावा या ढोंग भी कह सकते हैं ,ऐसे लोग न समाज का भला कर सकते हैं न अपना !
ReplyDeleteसजा संवरा ड्राईंग रूम महंगा फर्नीचर, महंगे कपड़ों को देखकर ही तो हम लोगों का स्टेटस तय करते है, दोष उनका ही नहीं शायद लोग वही दिखाना चाहते है जो हम देखना पसंद करते है ! पता है आपके गीतों में मुझे अक्सर क्या पसंद आता है ? आप इन दिखावा पसंद लोगों के बेसिक बिमारियों के बारे में अपने गीतों में हाईलाईट करते हो :) हाँ ऊपरी दिखावा एक मानसिक बीमारी ही तो है जो यह दिखाती है कि हम भीतर स्वस्थ नहीं है ! या फिर ऐसा हो बाहर से जितने समृद्ध दिखाई देते हो भीतर से उतने ही संवेदनशील बने तभी जीवन में एक संतुलन होता है !
ReplyDeleteसही बात है. क्यों.
ReplyDeleteसद्भावना समझ न आये
ReplyDeleteपर सबसे सम्मान चाहिए
जीवन भर बे अदबी करके
अब छोटों से अदब चाहिए
संस्कार की व्याख्या ऐसे अपने मन से करना क्यों ?
आग लगा अपने हाथों से दैविक दोष बताना क्यों ?
बेहद उम्दा पंक्तियां।।
मैली बनिआइन के ऊपर श्वेत सिल्क का कुरता क्यों ?
ReplyDeleteअस्तव्यस्त से सारे घर में , ड्राइंग रूम सजाना क्यों ?
बढिया है :)
सुन्दर रचना ,बहुत खूब
ReplyDeleteबढ़िया व सुंदर रचना , सतीश सर धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
वाह ..अनुपम भावों का संगम ....
ReplyDeletewaah gazab
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति..शुभकामनाएं सहित..
ReplyDeletekhub - khub shubhkamnaye
ReplyDeleteआप के गीत सह्ज सुंदर होते है जितनी तारीफ करु कम है
ReplyDeleteबहुत खूब .. अओना दिखाती रचना ...
ReplyDelete