डायबिटीज़, ब्लडप्रेशर, मोटापा, एसिडिटी एवं गैस यह सामान्यतः हर घर में मौजूद हैं , कारणों को जानने का न समय है और न रूचि , बस ड़ाक्टर ने, कुछ दवाएं खाने मे और बढ़ा दी हैँ !
हज़ारो वर्ष से मानव जमीन पर रह रहा है , प्रकृति के विपरीत, मानव जनित भोज्य सामग्री से, सबसे अधिक हानि मानव ने ही उठायी है !
प्रकृति ने जीवात्माओं को जन्म के साथ ही,उसमें प्राकृतिक तौर पर, समझ विकसित कर दी थी !
हज़ारो वर्ष से मानव जमीन पर रह रहा है , प्रकृति के विपरीत, मानव जनित भोज्य सामग्री से, सबसे अधिक हानि मानव ने ही उठायी है !
प्रकृति ने जीवात्माओं को जन्म के साथ ही,उसमें प्राकृतिक तौर पर, समझ विकसित कर दी थी !
- हमें उसने लगातार,सांस लेने की मशीनरी दी जिससे रक्त स्वच्छ रहे !प्राणस्वरूप हवा,जीने का आधार थी ! जिसकी आज हम कद्र नहीं करते हैं ! गहरी सांस लेने के भी फायदे हम भूल गये
- उसने बचपन मे, हमें माँ का दूध दिया , और कुछ समय बाद दूध सुखा कर हमारे दांत निकाले , जिससे अब हम ढूध छोंड़कर , हम अन्न , फल और पत्ते खा सकें ! प्रकृति द्वारा, माँ का दूध सुखाने का अर्थ, बड़े होते मानव का अनावश्यक तेलीय दूध बन्द कर, अन्न फल सब्जियों पर आश्रित करना था !
- प्राकृतिक भोजन में , तेल और और फ़ैट बेहद कम मात्रा में उपलब्ध थे , मगर इन्सान ने उसका अधिक मात्रा में निकाल कर परांठे,समोसा,पूरी,लड्डू, एवम चीनी जैसे केमिकल आदि बनाकर खाने शुरु कर दिये जो निर्धारित और प्रकृतिक मात्रा से, बेहद अधिक खतरनाक थे !
- प्रकृति ने मानव शरीर में , अपने आपको स्वस्थ करने के लिये सेल्फ हीलिंग सिस्टम दिया था , मगर इन्सान ने अपनी बुद्धि चलाते हुए, उसमें व्यवधान उत्पन्न करना शुरू कर दिया ! बुखार द्वारा शरीर अपने आपको ठीक करने का प्रयत्न करता है तब इन्सान की कोशिश बढे हुए टेंप्रेचर को कम करने की रहती है ! फोड़े द्वारा प्रकृति, शरीर के बढे हुए इन्फेक्शन को एक जगह केन्द्रित कर, उसे पस स्वरूप में बाहर निकालना चाहता है तब हमलोग उस फोड़ें से निज़ात पाने के लिये , उसे सुखाने का प्रयत्न करते हुए, शरीर मे बेहद खतरनाक एंटी बायोटिक्स एवम जान लेवा स्टीरॉइड , प्रवेश करा रहे होते हैं !हमने मानव शरीर के प्रतिरक्षा सिस्टम को केमिकल दवाओं द्वारा बरवाद करने की कसम खा रखी है !
- पहले इन्सान को जीवन यापन के लिये रोज लगभग १० किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था और अब इन्सान सब्जी लेने भी, कार से जाना चाहता है और पचास वर्ष पूरे करते करते,घुटनों का आपरेशन करा चुका होता है !
सो बुद्धिमान मित्रों, मैने पिछले ६ माह से अपनी साइंटिफिक बुद्धि का कम प्रयोग करते हुए , प्राकृतिक वस्तुओँ पर निर्भरता बढ़ायी है एवम सुबह ४५ मिनट टहलने के अतिरिक्त , ४५ मिनट शुद्ध वायु को फेफड़ों में भरते और निकालते हुए , बन्द पड़े, जंग लगे फेफड़े खोलना शुरु किया है , इससे रक्त आश्चर्यजनक रूप से साफ़ हुआ है और ४ मंजिल सीढियाँ चढ़ने में, हांफना बन्द हो गया , क्या कहते हैं टचवुड !!
सबसे खतरनाक केमिकल चीनी चाहे वह किसी भी रूप मे हो , का त्याग हमेशा के लिये करके अपने स्वास्थ्य को, ३५ वर्षीय बनाये रखने में कामयाबी हासिल की है ! परांठे, समोसे , जलेबी और बेहद गंदे तरीके से बनायी मिठाइयां बंद कर मित्रों के साथ खूब हँसता हूँ व हंसाता हूँ !
इस वक्त ६० वर्ष की जवानी में, डायबिटीज़ , गैस , एसिडिटी , बीपी , जॉइंटपेन , सरदर्द , तनाव, दांत और बालों समस्याओं से मुक्त हूँ ! एलोपैथिक दवा व उपायों से हमेशा दूर रहता हूँ , यहां तक कि साबुन और टूथ पेस्ट का उपयोग नहीं करता क्योंकि जब शेर अपने सबसे आवश्यक मज़बूत दांत कभी नहीं माँजते तो मैं केवल इसलिए मांजू कि सब लोग क्या कहेंगे ??
इस वक्त ६० वर्ष की जवानी में, डायबिटीज़ , गैस , एसिडिटी , बीपी , जॉइंटपेन , सरदर्द , तनाव, दांत और बालों समस्याओं से मुक्त हूँ ! एलोपैथिक दवा व उपायों से हमेशा दूर रहता हूँ , यहां तक कि साबुन और टूथ पेस्ट का उपयोग नहीं करता क्योंकि जब शेर अपने सबसे आवश्यक मज़बूत दांत कभी नहीं माँजते तो मैं केवल इसलिए मांजू कि सब लोग क्या कहेंगे ??
माय फुट !!
और तो सब बहुत अच्छा कर रहे हैं पर दाँतों की सफ़ाई तो बहुत ज़रूरी है - चाहे किसी विधि (दातुन आदि) से करें !शेर बेचारे के तो न हाथ इस योग्य हैं न अँगुलियाँ !
ReplyDeleteप्रस्तर युग की छोड़ भी दूं तो आज भी लाखों लोगों के पास दन्त मंजन मयस्सर नहीं जिज्जी !
Deleteमैं बात प्राकृतिक सिस्टम की कर रहा हूँ , पिछले ४० वर्षों में १०० बार ब्रश कर लिया होगा वह भी आपके डर से , नहीं तो ऊँगली से कुल्ला काफी रहा है!!
दातुन जरूर नीम से करते होंगे ...बहुत अच्छी ज्ञान वर्धक पोस्ट ..सुबह टहलना बहुत जरूरी है ..आधी बीमारियाँ तो तभी दूर हो जाती हैं ...अब चीनी बंद तो नहीं कम जरूर कर दूँगी,
ReplyDeleteनजरिया जाएंगे ऐसे तो आप । ऐसे ही खूब स्वस्थ रहिये । आप द्वारा बताई गई सभी बातें दुरुस्त एवं सिद्ध हैं ।
ReplyDeleteऔर तो सब ठीक है उस्ताद! घर छोड़ जंगल में बसेरा कहाँ से लाओगे।
ReplyDeleteशेर अपने दांतों को ब्रश नहीं करता फ़िर भी उसके दांत मजबूत होते है (उसकी खुरदुरी जीभ ब्रश का काम करतीं होंगी ) बंदर योगा नहीं करता फ़िर भी स्वस्थ होता है इस प्रकार के कुतर्क छोड़ दे तो सुबह दांतों को ब्रश अच्छी क्वालिटी पेस्ट से फ़िर स्नान और रात सोने से पहले दांतों को ब्रश कर स्नान करने बाद जब मै अपने बिस्तर पर सोने जाती हूँ तो एक बेफिक्र मीठी नींद का मजा सुबह बिल्कुल तरोताजा कर देता मन को ! बाकी सभी बातों से सहमत हुँ :) अच्छी पोस्ट है !
ReplyDeleteकभी जंगल में भी रहा करो :)
Deleteसमय रहते स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो ऐसी कोशिश होती रहनी चाहिए
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
टहलना वैसे भी बढ़िया होता हैं , सुबह नहीं तो थोड़ा देर से सही ! बढ़िया पोस्ट , सतीश भाई धन्यवाद !
ReplyDeleteनवीन प्रकाशन - ~ रसाहार के चमत्कार दिलाए १० प्रमुख रोगों के उपचार ~ { Magic Juices and Benefits }
this year i am not use air conditioner and i am still not feeling the heat
ReplyDeletelast year i was using the airconditioner and still use to feel very hot because as soon we walk out of artificial cool air its very uncomfortable outside
सही कहा आपने !!
Deleteएयरकंडिशनर का उपयोग , हमारे शरीर को वातावरण के लिए, अव्यवहारिक बना देगा , इसके उपयोग की आदत से बचना होगा !
क्यों शेरनी से माँद से बाहर फिंकवा रहे हैं जनाब :)
ReplyDeleteऔर पेज अपने
ReplyDeleteरिस्क पर खोला है
मैल्वेयर अहैड जैसा
कुछ बोल रहा है
पेज बंद हो जा रहा है
कुछ hindini.com जैसा
कुछ गड़बड़ है बता रहा है
देख लीजिये वर्ना
आपको देखने पढ़ने की
चाहत रखने वाला
पेज से भगा दिया जा रहा है ।
सूचना के लिए आभार डॉ जोशी ,
Deleteअनूप शुक्ल की साईट से मैलवेयर की वार्निंग गूगल दे रहा था अतः उनका पेज , अपने ब्लॉग लिंक से हटाना पड़ा ! अब ठीक है , आशा है वे मैलवेयर को समझायेंगे कि वह उनके मेहमानों को तंग न करे !
सच कहा आपने, अपनी जीवनशैली को हमने अपने ही हाथों लूट लिया है।
ReplyDeleteमहत्वपूर्ण जानकारी
ReplyDeleteI agree to contains of this post completely.Good post/
ReplyDeleteउपयोगी जानकारियां !
ReplyDeleteशुभकामनाये !
सतीश भाई, सुबह कौन से पार्क जाते हैं, वहीं पहुुंचता हूं गुरुमंत्र धारण करने...
ReplyDeleteजय हिंद...
सही कहा.... प्रकृति के साथ विश्वासघात करके हमने अपने साथ अन्याय ही किया है!
ReplyDeleteआपका प्रिय विषय और बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी!! बिल्कुल नैचुरल!!
ReplyDeleteबहुत काम के उपाय...सार्थक पोस्ट आभार !
ReplyDeleteबुद्धिमानी में ही भलाई है..
ReplyDeleteप्रकृति के अनुसार रहना अच्छा है पर बहुत मुश्किल है आज के समय में...
ReplyDeletenamste bhaiya .....और तो सब ठीक पर दांत कभी नहीं माँजने की बात सही नहीं लगी ....सब काम तो जानवरों जैसे ही हो गये है कम से कम इस में तो जानवरों के विरुद्ध रहे ..उन्हें भी पता चले हम उनका भी विरोध कर सकते है ह्ह्ह
ReplyDeleteसार्थक उपाय । अब आदत हो गयी है बिना दांत साफ़ किये अच्छा नहीं लगता । वैसे जब आप कुछ ऐसा खाते ही नहीं तो दांतों में चिपकेगा भी क्या :)
ReplyDelete:( अपना जाना तो तय है, आदतों के असर दिखने भी लगे हैं।
ReplyDeleteहमें भी उस जंगल का पता बतादें जहां आप विचरण करते हैं, हम भी आपके सानिंध्य में रहेंगे.:)
ReplyDeleteरामराम.
कुल मिला कर स्वस्थ्य रहना है तो प्रकृति के समीप रहो और उसकी प्रकृति में मिल जुलकर रहो।
ReplyDeleteबहुत अच्छा लेख, टहलने तो हम पहले भी जाते थे अब व्यायाम और जोड दिया है। खाना तो उम्र का तकाज़ा है कि हल्का फुल्का ही लें। आप हमेशा ऐसे ही स्वस्थ और चुस्त रहें
ReplyDeleteसच कहा आपने बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी!!
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