बाद में रोती, रोटी और मकानों को !
रामलीला मैदान में, भारी भीड़ जुटी,
आस लगाए सुनती, महिमावानों को !
काली दाढ़ी , आँख दबाये , मुस्कायें ,
अब तो जल्दी पंख लगें, अरमानों को !
रक्तबीज शुक्राचार्यों के , पनप रहे
रक्तबीज शुक्राचार्यों के , पनप रहे
निंदा, नहीं सुनायी देती , कानों को !
दद्दा , ताऊ कितने, गुमसुम रहते हैं !
दद्दा , ताऊ कितने, गुमसुम रहते हैं !
जाने कैसी नज़र लगी, खलिहानों को !
नोट : यह रचना आज जयपुर में छपी , बताने के लिए संतोष त्रिवेदी का आभार
http://dailynewsnetwork.epapr.in/283149/Daily-news/04-06-2014#page/8/2
बढ़िया रचना व लेखन , सतीश भाई धन्यवाद !
ReplyDeleteI.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
ReplyDeleteकाली दाढ़ी , आँख दबाये , मुस्कायें ,
अब तो जल्दी पंख लगें,अरमानों को !
दद्दा , ताऊ कितने, गुमसुम रहते हैं !
जाने कैसी नज़र लगी,खलिहानों को !
देर से आये , पर मन में विश्वास लिए !
रखा तो होगा,तुमने कुछ वरदानों को !
काली दाढ़ी , आँख दबाये , मुस्कायें ,
अब तो जल्दी पंख लगें,अरमानों को !
दद्दा , ताऊ कितने, गुमसुम रहते हैं !
जाने कैसी नज़र लगी,खलिहानों को !
देर से आये , पर मन में विश्वास लिए !
रखा तो होगा,तुमने कुछ वरदानों को !
वाह ! सतीश जी थप्पड़ भी मार दिया और गाल को सहला भी दिया -बहुत बढ़िया
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रक्तबीज शुक्राचार्यों के , पनप रहे
ReplyDeleteनिंदा, नहीं सुनायी देती , कानों को !
कमाल की रचना....
सादर
अनु
गज़ब कटाक्ष...
ReplyDeleteलाजवाब ...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@बधाई/उफ़ ! ये समाचार चैनल
नयी पोस्ट@बड़ी दूर से आये हैं
काली दाढ़ी , आँख दबाये , मुस्कायें ,
ReplyDeleteअब तो जल्दी पंख लगें,अरमानों को !
यह बहुत खूब कहा है, सटीक रचना !
सुंदर
ReplyDeleteरक्तबीज शुक्राचार्यों के , पनप रहे
ReplyDeleteनिंदा, नहीं सुनायी देती , कानों को ...
वाह ... व्यंग की धार कमाल है ... लाजवाब अभिव्यक्ति ..
Truly the public is deceived at the hands of cheaters. Let it once more try with its aspirations. Good luck!
ReplyDeleteशुक्राचार्य और रक्तबीज प्रयोग बहुत अर्थपूर्ण हैं !
ReplyDeleteलाजवाब !
ReplyDeleteरक्तबीज शुक्राचार्यों के , पनप रहे
ReplyDeletebahut sundar
abhaar
सुंदर रचना।
ReplyDeleteआपके लिए जान हाजिर है साहब
ReplyDeleteसटीक अभिव्यक्ति ..
ReplyDeleteईश्वर ने कुछ वरदान बचा रखे होंगे अच्छे सच्चों के लिए भी !
ReplyDeleteबहुत शुभकामनाये !
रक्तबीज शुक्राचार्यों के , पनप रहे
ReplyDeleteनिंदा, नहीं सुनायी देती , कानों को !
नि:शब्द करती पंक्तियां
कटु सत्य...प्रभावी रचना
ReplyDeleteउम्दा रचना ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना ।
ReplyDeleteबधाई हो।
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