हमको बेपर्दा करने, कुछ लोग द्वार पर आये हैं !
जोश में अपने ही दरवाजे,खुले छोड़ कर आये हैं !
जाने कितने पुण्य किये थे , सुबह सवेरे उठते ही,
लगता जैसे राह भूल के , नारायण घर आये हैं !
पता हमें भी , जाने वाले , वापस कभी न आयेंगे !
हँसी ख़ुशी के भी मौके पर,आंसू क्यों भर आये हैं !
देर रात को,जलसा होगा,दावत भूत पिशाचों की !
बड़े दिनों के बाद आज,इस जंगल में,नर आये हैं !
आज रात को झूमझूम के ,माँ की महिमा गायेंगे !
रात्रि जागरण, चन्दा लेने,घर में ऋषिवर आये हैं !
जोश में अपने ही दरवाजे,खुले छोड़ कर आये हैं !
जाने कितने पुण्य किये थे , सुबह सवेरे उठते ही,
लगता जैसे राह भूल के , नारायण घर आये हैं !
पता हमें भी , जाने वाले , वापस कभी न आयेंगे !
हँसी ख़ुशी के भी मौके पर,आंसू क्यों भर आये हैं !
देर रात को,जलसा होगा,दावत भूत पिशाचों की !
बड़े दिनों के बाद आज,इस जंगल में,नर आये हैं !
आज रात को झूमझूम के ,माँ की महिमा गायेंगे !
रात्रि जागरण, चन्दा लेने,घर में ऋषिवर आये हैं !
यह श्राद्ध पक्ष का गीत है या कुछ और? लेकिन है बहुत ही श्रेष्ठ।
ReplyDeleteनहीं नहीं :)
Deleteदावत वाला शेर , राक्षसों जैसा वर्ताव कर रहे इंसानों को, डराने के लिए है :)
बहुत ही जोरदार रचना आभार ।
ReplyDeleteबहुत अच्छी पंक्तियाँ रची हैं.....
ReplyDeletebahut acchhi rachna ....dil bhar aaya ..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...
ReplyDeleteसच्ची डराने वाली कविता :-)
सादर
अनु
ADBHUT RACHNA SANSAAR HAI AAPKA...AISE HI LIKHTE RAHEN....HAM SAB K LIYE.
ReplyDeleteमुझे समझ नहीं आया कि इशारा किस तरफ है .
ReplyDeleteहर शेर का भाव स्वतंत्र एवं अलग है काजल भाई ,
Deleteउत्कृष्ट .....
ReplyDeleteपहला शेर सबसे बढ़िया लगा |
ReplyDeleteबहुत ही बढ़ियाँ रचना...
ReplyDeleteउत्कृष्ट रचना
ReplyDeleteहर शेर अलग अंदाज में मस्त है !
ReplyDeleteहमने किसका,मुंह देखा था, सुबह सवेरे उठते ही !
ReplyDeleteआज न जाने कहाँ से चल के,नारायण घर आये हैं !
बढ़िया रचना ......
हमने किसका,मुंह देखा था, सुबह सवेरे उठते ही !
ReplyDeleteआज न जाने कहाँ से चल के,नारायण घर आये हैं !
बहुत सुन्दर !
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श्राद्ध पक्ष का आह्वान
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर गजल !
ReplyDeleteनई रचना : सुधि नहि आवत.( विरह गीत )
बुरी आदतें छूट जाएँ तो ठीक है , वर्ना समय छुडवा ही देगा !
ReplyDeleteपता है हमको , जाने वाले, वापस कभी न आयेंगे !
ReplyDeleteहँसी खुशी के इस मौके पर, आंसू क्यों भर आये हैं !
बहुत सुंदर .
पता है हमको , जाने वाले, वापस कभी न आयेंगे !
ReplyDeleteहँसी खुशी के इस मौके पर, आंसू क्यों भर आये हैं !
बहुत सुंदर .
आज रात को मस्त धुनों पर , माँ की महिमा गायेंगे !
ReplyDeleteरात्रि जागरण , चन्दा लेने , घर में ऋषिवर आये हैं !
बहुत सटीक.
रामराम.
हर ओर चोट करती रचना..
ReplyDeleteअलग अलग शेर पढ़े तो सभी शेर बहुत सटीक है ...
ReplyDeleteपर रचना के तालमेल के मुताबिक सब अगल ही लगते हैं
गजब की रचना जहाँ हर शेरों में अलग भाव आपने पिरोये है---शानदार।
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