Sunday, September 29, 2013

कुछ खस्ता सेर हमारे भी - सतीश सक्सेना

अनुराग शर्मा को समर्पित :

खस्ता शेरों को देख उठे, कुछ सोते शेर हमारे भी ! 
सुनने वालों तक पंहुचेंगे, कुछ देसी बेर हमारे भी !

ज़ाहिल डरपोक भीड़ कैसे,जानेगी वोट की ताकत को   
इस देश के दर्द में खड़े हुए,अनजाने शेर हमारे भी !

जैसे तैसे जनता आई ,कितना धीरज रख पायेगी ! 
कल रात से,अंडे सड़े हुए ले, बैठे  शेर  हमारे भी !

प्रतिभा लक्ष्मी का साथ नहीं बेईमानों की नगरी में ! 
बाबा-गुंडों में  स्पर्धा , घर में हों , कुबेर हमारे भी !

जाने क्यों वेद लिखे हमने,हँसते हैं अब,अपने ऊपर !
भैंसे भी, कहाँ से समझेंगे, यह गोबर ढेर, हमारे भी !

चोट्टे बेईमान यहाँ आकर,बाबा बन धन को लूट रहे ! 
जनता को समझाते हांफे, पुख्ता शमशेर हमारे भी !

फिर भी कुछ ढेले फेंक रहे ,शायद ये नींदें खुल जाएँ ! 
पंहुचेंगे कहीं तक तो प्यारे,ये कपोत दिलेर,हमारे भी !

27 comments:

  1. This comment has been removed by the author.

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  2. बहुत सटीक और खस्ते शेर हैं -आपका विद्रोही स्वर मुखर हो गया है !

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  3. मार दिया पापड़ वाले को :)
    व्यंग्य, व्यंग्य में गहरी बातें. बाकी कुछेक को भी अवश्य जगायेंगी. आपकी पंक्तियों को देखकर कुछ शब्द ध्यान आये:

    ताऊ का बिन्नेस सांचे का, कोयले* की दलाली कोइ नहीं
    जड़ खोद चमकते क्रोडपति जन-प्रतिनिधि कई हमारे भी
    (*कोयले को सुई से लेकर बोफोर्स तोप तक किसी भी शब्द से बदला जा सकता है)

    नींद खुले मेहनतकश की जो घोड़े बेचके सोया हो
    पट्टी काली स्वर्णिम खाटें साथी मासूम हमारे भी

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    1. आभार आपका और उन खस्ता शेरों का जिनसे प्रेरणा लेकर यह रचना बनी ...
      :)

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  4. मेधावी, देश से बाहर हैं , गुंडे सब राजनीति में हैं !
    बाबा-गुंडों में स्पर्धा , घर में हों , कुबेर हमारे भी !

    वैसे हर शेर में व्याग का पुट है और सटीक है
    नई पोस्ट अनुभूति : नई रौशनी !
    नई पोस्ट साधू या शैतान

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  5. जय हो, भाव खुलकर बह रहे हैं।

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  6. शेर घूमते खस्ते-सस्ते इनके उनके द्वारे जी।
    सोच रहा हूँ टहला लाऊँ हँसते शेर हमारे भी॥

    ब्लॉग जगत में खुली छूट है चाहो जैसी बात करो।
    गीत कहानी शेर रुमानी सब प्रिय हुए हमारे भी॥

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    1. आप आपने हँसते शेरों को हमारे द्वारे ले आये :)
      रौनक आ गयी सरदार !
      आभार ! :)

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  7. हम भी कुछ ढेले फेंक रहे ,शायद कुछ नींदें खुल जाएँ !
    पंहुचेंगे कहीं तक तो प्यारे,ये कपोत दिलेर,हमारे भी ...

    पहुँच गए आपके सभी शेर ... दिल से दिल तक ... ओर आपका सन्देश भी ...
    सभी शेर लाजवाब हैं ...

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  8. आपके दिल का दर्द सभी लोगों का है पर क्या किया जा सकता है यह जमाना ही ताऊओं और उसकी भैंसों का है.

    शानदार रचना, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  9. वाकई खस्ता शेर है सभी !

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  10. बहुत बढिया..शानदार रचना,

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  11. इस पोस्ट की चर्चा, मंगलवार, दिनांक :-01/10/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक -14पर.
    आप भी पधारें, सादर ....राजीव कुमार झा

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  12. हम भी कुछ ढेले फेंक रहे ,शायद कुछ नींदें खुल जाएँ !
    पंहुचेंगे कहीं तक तो प्यारे,ये कपोत दिलेर,हमारे भी !

    .....लाज़वाब...

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  13. ये चलन प्रचलन में है ......बहुत सुन्दर....

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  14. सत्य बातो को एक सूत्र में पिरोया है , ढेरो शुभकामनाये

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  15. आह को चाहिए इक उम्र असर होने तक...आपकी कोशिश रंग लाये...ऐसी मेरी दुआ है...साधुवाद...

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  16. बहुत ही बढ़ियाँ...
    बेहतरीन :-)

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  17. दिल द्रोही सेर है आपके :)

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  18. सटीक चोट--खस्ते गीत आपके सच में खास्ता है।

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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