ऐसा करें कि हाथ पकड़ना सीखें बच्चे दुनिया में !
रामू चाचा ,रहमत काका, दोनों सच्चे दुनिया में !
क्यों भड़काते हैं बच्चों को, इनको तो जी लेने दें !
आसानी से क्यों होते हैं, मौत के चर्चे दुनिया में !
मंदिर मस्जिद की दीवारों को,साधारण रहने दें !
अंत समय में,क्यों करते हो,ऐसे खर्चे दुनिया में !
चोर डाकुओं के गिरोह से , गांव सुरक्षित रहने दें
सुना है,बन्दर बाँट रहे हैं,जीत के पर्चे ,दुनिया में !
ज़हरी बातें, नहीं सिखाएं, इन्हें प्यार से जीने दें !
रामू चाचा ,रहमत काका, दोनों सच्चे दुनिया में !
क्यों भड़काते हैं बच्चों को, इनको तो जी लेने दें !
आसानी से क्यों होते हैं, मौत के चर्चे दुनिया में !
मंदिर मस्जिद की दीवारों को,साधारण रहने दें !
अंत समय में,क्यों करते हो,ऐसे खर्चे दुनिया में !
चोर डाकुओं के गिरोह से , गांव सुरक्षित रहने दें
सुना है,बन्दर बाँट रहे हैं,जीत के पर्चे ,दुनिया में !
ज़हरी बातें, नहीं सिखाएं, इन्हें प्यार से जीने दें !
हमें पता है,स्वर्ग के दावे,कितने कच्चे दुनिया में !
सुन्दर गीत-
ReplyDeleteबधाई आदरणीय सतीश जी-
स्वागत है भाई जी ..
Deleteसुना है बन्दर बाँट रहे हैं--
ReplyDeleteपीड़ा न अब किसको होती, मौत देखना सीख गये सब,
ReplyDeleteरह रह, मर मर जी लेते हैं, नरक बनाते दीख रहे सब।
वाह प्रवीण भाई !!
Deleteबहुत प्रभावशाली. सामयिक दर्द को बयाँ करती.
ReplyDeleteक्या बात कही!
ReplyDeleteकमाल है।
रामू चाचा ,रहमत काका, दोनों सच्चे दुनियां में !
ReplyDelete***
एक साधारण सी पंक्ति और कितना बड़ा सन्देश!!!
वाह!
प्रणाम आपके गीतों को, नमन आपकी कलम को!
आपका आभार अनुपमा जी !
Deleteबहुत ही सच्ची और प्रभावशाली कविता । समय को शब्द देती हुई ।
ReplyDeleteआपके आने से गरिमा आई इस रचना में ..
Deleteऐसा करें कि हाथ पकड़ना सीखें बच्चे दुनियां में !
ReplyDeleteरामू चाचा ,रहमत काका, दोनों सच्चे दुनियां में !
kitni acchi soch ....par kahan samjh me aati aisee baten haivanon ko unhe to bs apni roti sekni hai ....
बहुत अच्छी रचना ! बधाई स्वीकार करें !
ReplyDeleteहिंदी फोरम एग्रीगेटर पर करिए अपने ब्लॉग का प्रचार !
मंदिर मस्जिद की दीवारों को,साधारण रहने दो !
ReplyDeleteअंत समय में,क्यों करते हो,ऐसे खरचे दुनियां में !
बहुत गहन भाव .
प्रभावी रचना !!
ReplyDeleteरामू चाचा, रहमत काका
ReplyDeleteदोनों सच्चे दुनिया में!
.
.
पर कल्लू दादा, गफ्फ़ार-अब्दुल्ला
कहो, कहां सजा लूँ दुनिया में?
उन्हें झेल लेंगे कुछ हम लोग कुछ क़ानून !
Deleteयथार्थ कहती प्रभावशाली रचना..
ReplyDeleteबहुत गहन भाव लिए प्रभावी रचना !!
ReplyDeleteसियासत की काली दुनिया से बच्चे भी अब महफूज नहीं हैं..समसामायिक रचना !
ReplyDeleteज़हरी बातें, नहीं सिखाओ,इन्हें प्यार से जीने दो !
ReplyDeleteहमें पता है,स्वर्ग के दावे,कितने कच्चे दुनियां में !
दर्द को बयान करती सच्ची कहानी कौन झुठला पायेगा
क्या बात। क्या बात।
ReplyDeleteज़हरी बातें, नहीं सिखाओ,इन्हें प्यार से जीने दो !
ReplyDeleteहमें पता है,स्वर्ग के दावे,कितने कच्चे दुनियां में !
..गहन भाव ...प्रभावी रचना
एक समसामयिक और सार्थक विषय पर लिखी एक बेहतरीन पोस्ट …।ये अमन का पैगाम सभी तक पहुंचे यही अभिलाषा है |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeleteक्या बतलाऊँ अपना परिचय ..... - हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल - अंकः004
थोडी सी सावधानी रखे और हैकिंग से बचे
दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों पर सौहार्दपूर्ण सुन्दर रचना।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ..
ReplyDeleteसरल शब्दों में कितनी गहरी बात कही... बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन ! कमाल की प्रस्तुति,
ReplyDeleteRECENT POST : बिखरे स्वर.
क्यों भड़काते हो बच्चों को,इनको तो जी लेने दो !
ReplyDeleteआसानी से क्यों होते हैं, मौत के चरचे दुनियां में !
बहुत सुंदर गीत .....
आपने लिखा....हमने पढ़ा....
ReplyDeleteऔर लोग भी पढ़ें; ...इसलिए शनिवार 14/09/2013 को
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
पर लिंक की जाएगी.... आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
लिंक में आपका स्वागत है ..........धन्यवाद!
आपका आभार यशोदा जी ..
Deleteसुन्दर व प्रभावशाली प्रस्तुती
ReplyDeleteसरल सहज अभिव्यक्ति |उम्दा रचना |
ReplyDeleteआशा
इस दुनियां को स्वार्थ वश जहन्नुम हम लोगों ने ही बना रखा है. बेहद सशक्त रचना.
ReplyDeleteरामराम.
उम्दा अभिव्यक्ति !
ReplyDeletemarmsparshi rachna... hamesha ki tarah...
ReplyDeleteबेहद सुंदर और प्रभावशाली रचना ....बधाई आपको ...सतीश जी...
ReplyDeleteशुक्रिया आपका ..
ReplyDeleteपढ़े लिखों की बातों से यह गाँव सुरक्षित रहने दो !
ReplyDeleteसुना है,बन्दर बाँट रहे हैं,जीत के परचे,दुनियां में !
ज़हरी बातें, नहीं सिखाओ,इन्हें प्यार से जीने दो !
हमें पता है,स्वर्ग के दावे,कितने कच्चे दुनियां में !
सेकुलर वीरों शर्म करो कुछ ,वोट से आगे भी देखो ,
हमें पता सब गोरख धंधे राग तुम्हारे दुनिया में।
बहुत सुन्दर रचना है सक्सेना साहब।
पढ़े लिखों की बातों से यह गाँव सुरक्षित रहने दो !
ReplyDeleteसुना है,बन्दर बाँट रहे हैं,जीत के परचे,दुनियां में !
ज़हरी बातें, नहीं सिखाओ,इन्हें प्यार से जीने दो !
हमें पता है,स्वर्ग के दावे,कितने कच्चे दुनियां में !
सतीश जी आपकी रचनायें हमेशा वक्त पर सही टिप्पणी करती हैं।
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत बहुत बहुत खूब. दोहे के स्तर का ! वाह, मजा आ गया.
ReplyDeleteअपने फेसबुक पर भी शेयर किया ताकि कोई वंचित न रहे। वाह। https://www.facebook.com/abadhya
ReplyDeleteक्यों भड़काते हो बच्चों को,इनको तो जी लेने दो !
ReplyDeleteआसानी से क्यों होते हैं, मौत के चरचे दुनियां में !
ज़हरी बातें, नहीं सिखाओ,इन्हें प्यार से जीने दो !
हमें पता है,स्वर्ग के दावे,कितने कच्चे दुनियां में !
मरने के हो गए लाख बहाने ,मौत सस्ती
अब जीने की कोई वजह नहीं मिलती
सार्थक लगी ऊपर की पंक्तियाँ , सुन्दर रचना !
bharna ho bharo jara ,gadde nafrat ke
ReplyDeleteprem ki gadi khati gacche duniya me
भरना है तो ,भर दो तुम, गड्डे किये जो नफ़रत के
ReplyDeleteप्रेम भाव की गाड़ी खाती गच्चे इस दुनिया मे
सुरेश राय 'सुरS'
बहुत खुबसूरत लिखते हैं आप ...........कई पढ़े पर हर जगह कमेन्ट करने में दिक्कत आ रही हैं क्यकी आपकी पोस्ट पर अनुभवी लोगों के कमेंटो की भरमार हैं हम न भी करे तो क्या फर्क पड़ने वाला ....आपका ब्लॉग कैसे ज्वाइन करे वह भी नहीं समझ आ रहा
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