सन २००५ में पहली बार अपना ब्लोगर अकाउंट बनाया था , मगर पहली पोस्ट २४ मई २००८ को प्रकाशित की गयी जब मैंने अपनी पहली कविता "गुडिया के मुख से" ब्लॉग पर लिखी ! ब्लॉग जगत में आने से पहले अपनी रचनाएं डायरी में ही लिखी थीं , और हमेशा लगता था कि यह रचनाएं कहीं खो न जाएँ मगर ब्लॉग पर प्रकाशित करने के बाद ऐसा लगा कि अब वे एक दस्तावेज के रूप में नेट पर हमेशा सुरक्षित रहेंगी !
तब से अब तक ३५० से अधिक रचनाएं गद्य अथवा पद्य के रूप में ब्लॉग पर लिख चुका हूँ और बहुत बड़ा सुकून है कि उन्हें कुछ विद्वान् पाठक भी मिले जिन्होंने इन्हें मन से सराहा और उन के कारण कलम को सहारा मिलता रहा !
किसी भी रचनाकार के लिए, ध्यान से पढ़ के दिया गया कमेन्ट, प्रेरणा दायक होने के साथ साथ, उसके कार्य की समीक्षा और सुधार के लिए बेहद आवश्यक होता है , और मैं आभारी हूँ अपने उन मित्रों का जो लगातार मुझे पढ़ते रहे और उत्साह देते रहे ! इस बीच जब जब लेखन से मन उचाट हुआ इन्होने मुझे आकर जगाया और कहा कि लिखिए हमें पढ़ना है, और इन्ही मित्रों के कारण, कलम आज भी गति शील है !
साधारणतया ब्लोगर लेखन का एक उद्देश्य, अपने आपको स्थापित करने के साथ साथ, लोकप्रियता हासिल करना तो निस्संदेह रहता ही है, अपनी तारीफ़ सभी को अच्छी लगती है बशर्ते वह योग्य लोगों द्वारा की जाए ! टिप्पणियों के बदले में, लेख अथवा कविता को बिना पढ़े मिली ब्लोगर वाहवाही, अक्सर हमारे ज्ञान का बंटाधार करने को काफी है ! केवल वाहवाही की टिप्पणियां केवल अहम् और अपने प्रभामंडल को बढाने में ही सफल होती हैं चाहे हमारा लेखन कूड़ा ही क्यों न हो !
मेरा यह मानना है कि ब्लोगिंग के जरिये लेखन में विकास , भाषा के साथ साथ , मानसिकता में बदलाव भी लाने में सक्षम है जो शायद भारतीय समाज की सबसे बड़ी आवश्यकता है !
हाल में वर्धा विश्वविद्यालय ने ब्लोगिंग पर एक सफल राष्ट्रीय सेमीनार का आयोजन किया था जिसके संयोजक सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी थे और जहाँ कई विशिष्ट एवं विद्वानजनों ने भाग लिया था ऐसे सम्मेलन ब्लोगिंग के उत्थान के लिए, बेहद आवश्यक है बशर्ते कि आयोजकगण ईमानदारी से कार्य करें और इन स्थलों तक आम गंभीर ब्लॉगर को पंहुचा सकें ! सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी इस सम्बन्ध में निर्दलीय और चमचा रहित हैं और आशा है वे इस उत्तरदायित्व को इसी प्रकार निर्वाह भविष्य में भी करते रहेंगे ! उनका इस क्षेत्र में रहना ही, हिंदी ब्लोगिंग के उत्साहवर्धन के लिए काफी है !
कुछ लोग ब्लोगिंग का उपयोग, वैमनस्य फैलाने के लिए भी करते हैं , अपने अपने ग्रुप बनाकर , अपने छिपे उद्देश्य को सिरे चढाने के लिए , यह लोग लेखनी और प्रतिभा का बेहद दुरूपयोग करते हैं उनसे अवश्य हमें सावधान रहना चाहिए . . .
पढ़े लिखों की बातों से यह गाँव सुरक्षित रहने दो !
सुना है,बन्दर बाँट रहे हैं,जीत के परचे,दुनियां में !
ज़हरी बातें, नहीं सिखाओ, इन्हें प्यार से जीने दो !
हमें पता है,स्वर्ग के दावे,कितने कच्चे दुनियां में ! - सतीश सक्सेना
लेखन अमर है , यह ख़ुशी की बात है कि हिंदी के पाठक देश के साथ, विदेशों में भी बढ़ रहे हैं , मेरे कई पाठक ख़ास तौर पर अमेरिका में , मेरे गीत की रचनाओं को पढने बार बार और लगभग रोज ही आते हैं, यह महसूस कर, अपने लेखन को सफल मान लेता हूँ ! कल को हम नहीं होंगे मगर यह लेखन अवश्य होगा मुझे याद है कि पिछले साल, जहाँ अलेक्सा, इस ब्लॉग का रैंक, लाखों में दिखा रही थी वहीँ आज इसका अलेक्सा रैंक ३०२०८ है और यह प्रसिद्धि इस लेखनी को इसी ब्लोगिंग से मिली अन्यथा सतीश सक्सेना को कौन जानता था ?
अंत में सिर्फ यह कहना है कि किसी बात का विरोध करने पर ध्यान रहे कि वहां एक हद मुक़र्रर अवश्य रहे :)
अरसे बाद, पड़ोसी दोनों, साथ में रहना सीखे हैं !
अदब क़ायदा और सिखादें,शेख मोहल्ले वालों को ! - सतीश सक्सेना
तब से अब तक ३५० से अधिक रचनाएं गद्य अथवा पद्य के रूप में ब्लॉग पर लिख चुका हूँ और बहुत बड़ा सुकून है कि उन्हें कुछ विद्वान् पाठक भी मिले जिन्होंने इन्हें मन से सराहा और उन के कारण कलम को सहारा मिलता रहा !
किसी भी रचनाकार के लिए, ध्यान से पढ़ के दिया गया कमेन्ट, प्रेरणा दायक होने के साथ साथ, उसके कार्य की समीक्षा और सुधार के लिए बेहद आवश्यक होता है , और मैं आभारी हूँ अपने उन मित्रों का जो लगातार मुझे पढ़ते रहे और उत्साह देते रहे ! इस बीच जब जब लेखन से मन उचाट हुआ इन्होने मुझे आकर जगाया और कहा कि लिखिए हमें पढ़ना है, और इन्ही मित्रों के कारण, कलम आज भी गति शील है !
साधारणतया ब्लोगर लेखन का एक उद्देश्य, अपने आपको स्थापित करने के साथ साथ, लोकप्रियता हासिल करना तो निस्संदेह रहता ही है, अपनी तारीफ़ सभी को अच्छी लगती है बशर्ते वह योग्य लोगों द्वारा की जाए ! टिप्पणियों के बदले में, लेख अथवा कविता को बिना पढ़े मिली ब्लोगर वाहवाही, अक्सर हमारे ज्ञान का बंटाधार करने को काफी है ! केवल वाहवाही की टिप्पणियां केवल अहम् और अपने प्रभामंडल को बढाने में ही सफल होती हैं चाहे हमारा लेखन कूड़ा ही क्यों न हो !
मेरा यह मानना है कि ब्लोगिंग के जरिये लेखन में विकास , भाषा के साथ साथ , मानसिकता में बदलाव भी लाने में सक्षम है जो शायद भारतीय समाज की सबसे बड़ी आवश्यकता है !
हाल में वर्धा विश्वविद्यालय ने ब्लोगिंग पर एक सफल राष्ट्रीय सेमीनार का आयोजन किया था जिसके संयोजक सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी थे और जहाँ कई विशिष्ट एवं विद्वानजनों ने भाग लिया था ऐसे सम्मेलन ब्लोगिंग के उत्थान के लिए, बेहद आवश्यक है बशर्ते कि आयोजकगण ईमानदारी से कार्य करें और इन स्थलों तक आम गंभीर ब्लॉगर को पंहुचा सकें ! सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी इस सम्बन्ध में निर्दलीय और चमचा रहित हैं और आशा है वे इस उत्तरदायित्व को इसी प्रकार निर्वाह भविष्य में भी करते रहेंगे ! उनका इस क्षेत्र में रहना ही, हिंदी ब्लोगिंग के उत्साहवर्धन के लिए काफी है !
कुछ लोग ब्लोगिंग का उपयोग, वैमनस्य फैलाने के लिए भी करते हैं , अपने अपने ग्रुप बनाकर , अपने छिपे उद्देश्य को सिरे चढाने के लिए , यह लोग लेखनी और प्रतिभा का बेहद दुरूपयोग करते हैं उनसे अवश्य हमें सावधान रहना चाहिए . . .
पढ़े लिखों की बातों से यह गाँव सुरक्षित रहने दो !
सुना है,बन्दर बाँट रहे हैं,जीत के परचे,दुनियां में !
ज़हरी बातें, नहीं सिखाओ, इन्हें प्यार से जीने दो !
हमें पता है,स्वर्ग के दावे,कितने कच्चे दुनियां में ! - सतीश सक्सेना
लेखन अमर है , यह ख़ुशी की बात है कि हिंदी के पाठक देश के साथ, विदेशों में भी बढ़ रहे हैं , मेरे कई पाठक ख़ास तौर पर अमेरिका में , मेरे गीत की रचनाओं को पढने बार बार और लगभग रोज ही आते हैं, यह महसूस कर, अपने लेखन को सफल मान लेता हूँ ! कल को हम नहीं होंगे मगर यह लेखन अवश्य होगा मुझे याद है कि पिछले साल, जहाँ अलेक्सा, इस ब्लॉग का रैंक, लाखों में दिखा रही थी वहीँ आज इसका अलेक्सा रैंक ३०२०८ है और यह प्रसिद्धि इस लेखनी को इसी ब्लोगिंग से मिली अन्यथा सतीश सक्सेना को कौन जानता था ?
satish-saxena.blogspot.in
Alexa Traffic Rank
|
Traffic Rank in IN
|
अंत में सिर्फ यह कहना है कि किसी बात का विरोध करने पर ध्यान रहे कि वहां एक हद मुक़र्रर अवश्य रहे :)
अरसे बाद, पड़ोसी दोनों, साथ में रहना सीखे हैं !
अदब क़ायदा और सिखादें,शेख मोहल्ले वालों को ! - सतीश सक्सेना
सतीश सक्सेना को हमने इसी वजह से जाना और बहुत कुछ सीखा भी।
ReplyDeletebahut sunder.....prerana deti hui.....
ReplyDeleteसतीश जी,मुझे ब्लोगिंग के दौरान बहुत कुछ सीखने को मिला,इसके लिए ब्लॉग जगत का हमेशा आभारी रहूँगा ,,,
ReplyDeleteनई रचना : सुधि नहि आवत.( विरह गीत )
शुभकामना सतीश जी, रचते रहो सदैव |
ReplyDeleteबनी रहे उत्कृष्टता, कृपा करेंगे दैव ||
बहुत सारगर्भित और सटीक बात कही है ब्लॉगिंग के बारे में...
ReplyDeleteब्लॉग जगत ने हम सभी को एक मंच दिया है जिसे हमे कुछ सुक्झे हुए लोग, कुछ मित्र मिले हैं और इसके लिए हम ब्लॉगर के सदा आभारी रहेंगे । आपकी साफगोई मुझे पसंद है चमचों और गुटबंदियों से दूरी ही बेहतर है । आप ऐसे ही लिखते रहें। ……
ReplyDeleteएक बात मैं ये कहना चाहता हूँ की कई बार उत्कृष्ट लेखन भी पाठक को सोम्मोहित कर लेता है और प्रशंसा के लिए पाठक के पास शब्द नहीं होते हैं। ……तो सिर्फ "वाह" ही कह पाता है । इसका मतलब ये नहीं की उसने पढ़ा ही नहीं । हाँ।, एक लेखक समझ जाता है की कौन सा पाठक उसे कहाँ तक पढ़ता और समझता है |
सतीश भैया ...मैं भी इमरान की बात से सहमत हूँ
Deleteब्लोगिंग ही एक ऐसा मंच है जिसने हम सबको पहचान दी है
नई दुनिया...नए-नए लोग ..नए पाठक ...और पढ़ने समझने को बहुत कुछ
बस आप यूँ ही हमेशा लिखते रहें ...ये ही दुआ है
सच कहा आपने !
Deleteआप दोनों का आभार
गहरी अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteप्रेरणादायी लेख ……
ReplyDeleteबहुत खूब सर !!
ReplyDeleteआप की लेखनी यूँ ही गतिशील रहे सतीश जी,
ReplyDeleteताकि हम सबको प्रेरणा मिलती रहे :)
बहुत अच्छी पोस्ट है !
चार वर्ष में ब्लॉगिंग ने न केवल चिंतन को गहराई दी है वरन जीवन भी सार्थक हो चला है।
ReplyDeleteशुभकामना सतीश जी,
ReplyDeleteमक्खन बनाना भी
ReplyDeleteसब के बस की बात कहां
एक बस एक नजर देखता है
मक्खन ऊपर होता है
मक्खन ही मक्खन होता है
बहुत खुश किस्मत होता है
जारी रखिये :)
बहुत कुछ सीखा....ब्लॉग जगत का हमेशा आभारी रहूँगा...!!!
ReplyDeletesatya ko ukerti baaten ...sahmat hoon .....
ReplyDeleteaap shuru se mere prerna shrot rahe hain sir..........
ReplyDeleteaapse bahut kuchh seekha :)
मैं भी आपसे एक आलेख की अपेक्षा बहुत दिनों से कर रहा था -मगर पढ़ते ही घबराए कि कहीं विदा की घोषणा तो नहीं है -मगर सब कुछ ठीक ठाक है!
ReplyDeleteअब न जायेंगे यह बंजारे खूंटे पक्के दिखते हैं !
Deleteपरिवारों की जिम्मेदारी अक्सर भारी पड़ती है ! - सतीश सक्सेना
सुन्दर, शुभकामनाएं।
ReplyDeleteइस पोस्ट के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद। मैं ईश्वर की कृपा का भागी हूँ जो वह मुझे ऐसे आयोजनों का निमित्त बना रहा है। आप जैसे शुभेच्छुओं के कारण ही ऐसे आयोजन सफल होते हैं।
ReplyDeleteआपका योगदान याद रखा जाएगा . . .
Deleteसच बात है, परिस्थिति कोई भी हो, विवेक बना रहना चाहिए।
ReplyDeleteजब हम छोटे थे तब पापा ने दो एम्बेसडर किराये में ली, दो फैमिली थी, दूसरी फैमिली में एक दादा जी थे, मैंने देखा कि उत्तर भारत यात्रा के दौरान वे यात्रा संस्मरण लिखते थे, तब दस साल का था कुछ दिलचस्पी नहीं थी कि क्या लिखते थे, बस जेहन में था कि कुछ लिखते हैं। बुजुर्ग थे, तब भी मन में ख्याल आता था क्या इनका लिखा हुआ बच पायेगा, शायद उनकी उम्र से यह आशंका होती थी जैसा उनका शरीर झर रहा था, शायद उनका लेखन भी झर जायेगा, वे अब नहीं रहे, उनके बेटे से यह पूछने की हिम्मत नहीं होती कि पिता ने जो लिखा, वह कहाँ है, दादा जी अगर बीस साल बाद लिखते तो शायद उनका लेखन हमारी पहुँच में होता। शायद वे भी हमारी तरह इलेक्ट्रानिक माध्यम चुन पाते। बहुत अच्छी पोस्ट, आप जैसे अच्छे और संवेदनशील लेखकों की वजह से ब्लाग जगत सुंदर है।
ReplyDeleteउनका लेखन तलाश करिए , आपकी रूचि है अतः वह अमूल्य धन , आपके ब्लॉग के ज़रिये हम सबको मिलना ही चाहिए !
Deleteशुभकामनायें !
शुभकामनाएँ...लेखन सतत जारी रहे|
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई !
ReplyDeleteअभी तो बहुत दूर जाना है ,हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteनई पोस्ट साधू या शैतान
latest post कानून और दंड
अरसे बाद, पड़ोसी दोनों, साथ में रहना सीखे हैं !
ReplyDeleteअदब क़ायदा और सिखादें,शेख मोहल्ले वालों को ! - सतीश सक्सेना
abki baar to adab-kayada sikhla hi diye in dono ne...........
bahut achhi baat bare bhaiji
pranam.
हमने भी ब्लॉगिंग शुरू की थी ताकि अपनी बात दूसरों के सामने रख सकें, दूसरों की भावनाएँ जान सकें... ब्लॉगिंग एक बेहतरीन प्लैटफ़ार्म है...
ReplyDeleteहालांकि पिछले कुछ सालों में फेसबूक ने ब्लोगिंग का बहुत बड़ा लेखक और पाठक वर्ग हथिया लिया है.... फिर हम लिखते रहते हैं और पढ़ते भी....
टिप्पणियों की चाह तो कब की खत्म हो गयी... कभी कोई भूला भटका हमारे ब्लॉग पर आ गया तो हम भी खुश हो जाते हैं.... :-)
वाह...बधाइयां. शुभकामनाएं.
ReplyDeleteलोग तो जानते हुए जानकर भी जान ले लेते हैं। आप बचे रहे शुभकामनाएं। यह हमारी किस्मत फूटी थी कि हम शिकार हो गए।
ReplyDeleteआप सहृदय ब्लोगेर हैं सतीश भाई। शुभकामनाये
ReplyDeleteअपनी प्रशंसा तभी लुभाती है जब सुयोग्य द्वारा की जाए।
ReplyDeleteकिसी बात का विरोध करने पर ध्यान रहे कि वहां एक हद मुक़र्रर अवश्य रहे। पूर्णतः सहमत।
यूँ ही लिखते रहे।
शुभकामनायें !
congratulation..
ReplyDeleteprathamprayaas.blogspot.in-