जीवन भर, तपते मरुथल को , नंगे पैरों पार किया !
रंजिश अपने द्वारे पाकर,उसका भी सत्कार किया !
क्या देखोगे ज़ख्म हमारे, कहाँ कहाँ पर चोट लगी !
जैसा मौका जिसने पाया , उसने वैसा वार किया !
पशुपक्षी और असहायों को गले लगाके जीवन में
हमने सारे नियम तोड़कर,कैसे वर्जित प्यार किया !
लोग यहाँ पर,जुआ खेलकर,लक्ष्मी पूजा करते हैं !
आधे जीवन रहे मुसद्दी, आधे हाहाकार किया !
पूरा जीवन खुश न रहीं तुम जैसे तैसे काट लिया
करवाचौथ पर भूखेप्यासे, कैसे लोकाचार किया !
रंजिश अपने द्वारे पाकर,उसका भी सत्कार किया !
क्या देखोगे ज़ख्म हमारे, कहाँ कहाँ पर चोट लगी !
जैसा मौका जिसने पाया , उसने वैसा वार किया !
पशुपक्षी और असहायों को गले लगाके जीवन में
हमने सारे नियम तोड़कर,कैसे वर्जित प्यार किया !
लोग यहाँ पर,जुआ खेलकर,लक्ष्मी पूजा करते हैं !
आधे जीवन रहे मुसद्दी, आधे हाहाकार किया !
पूरा जीवन खुश न रहीं तुम जैसे तैसे काट लिया
करवाचौथ पर भूखेप्यासे, कैसे लोकाचार किया !
सच ही है, क्या करना था और क्या करते हैं हम।
ReplyDeletebahut badhiya ...saari batten sacchi .....
ReplyDeleteसब बता दिया :) बहुत खूब !
ReplyDeleteसही।
ReplyDeleteअपना प्यार अगर सच्चा है, पूरा साथ निभायेंगे
ReplyDeleteकरावाचौथ पर भूखे प्यासे, कैसा लोकाचार किया !
प्यार अगर सच्चा होता तो किसी दिखावे की जरुरत ही नहीं थी,
एक जनम भी ठीक से निभा दे तो बहुत होता है लेकिन सात जन्मों के लिए ईश्वर से मांग लिया जाता है :) कितनी अविश्सनीय सी बात लगती है न ? इस आधुनिक युग में फेक, लंगड़ी परंपराओं को हम सिर पर ढो कर लोकाचार ही तो निभा रहे है ! सभी सटीक पंक्तियाँ लगी मुझे !
बहुत खूब !
ReplyDeleteनई पोस्ट मैं
वाह.....सटीक.......
ReplyDeleteअब खा पी कर किया जाय व्रत :-)
सादर
अनु
पूरा साथ निभाएंगे ही , व्रत करके भी :)
ReplyDeletekhub khayenge karwachauth manayenge :)
ReplyDeletefir sahi rahega na sir :)
बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।
ReplyDelete"कर्तव्य सभी दे दिए हैं हमको पर अपना अधिकार रखा ।" सटीक शब्द -चयन ,सुन्दर भाव ।
ReplyDeleteवाह..... बहुत खूब
ReplyDeleteवाह ! वाह ...बहुत ही उम्दा अभिव्यक्ति ,,,!
ReplyDeleteRECENT POST -: हमने कितना प्यार किया था.
खूबसूरत प्रस्तुति
ReplyDeleteवाह वाह ,,बहुत सुंदर रचना है सतीश जी
ReplyDeleteएक दिन के लिये ही सही , पुरुष भी देवता बन जाते हैं ! :)
ReplyDeleteमन तो न जाने कितनी बार भूखा प्यासा रहता है यदि प्रेम बताने के लिए तन एक दिन भूखा प्यासा रह जाएगा तो बिगड़ जाएगा। वैसे कविता अच्छी है।
ReplyDeletesundar rachanabivyakti ... abhar
ReplyDeleteवैसे तो करवाचौथ भी दिखावा नहीं ... प्रेम का एक प्रतीक ही है ...
ReplyDeleteपर हां प्रेम है तो सदा दिखता है हर पल में दिखता है ...
वाह ... बेहतरीन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसादर
करवाचौथ पर ही पति पत्नी का प्यार सबको दिखता हैं या कहे दिखाया जाता हैं ......वैसे जब माँ यह व्रत करती थी तब किसी को यह ख्याल नही आया कि पापा भी व्रत करे :)) उम्दा पोस्ट :))
ReplyDeleteapne chot pr hi to dusra chot de jata hai.....shandar.
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