अफ़सोस है कि मीडिया प्रचार तंत्र का रंग हमारे दिलोदिमाग पर इस कदर हावी हो रही है कि वे संवेदनशील बुद्धिजीवियों से भी, अपने शब्द बुलवाने में, समर्थ होते दिख रहे हैं ! हमें वास्तविक एवं गंभीर मूल्यांकन करना चाहिए अन्यथा नेता और दूसरों को देख बने, नेता में कोई फर्क नहीं रह जाएगा !
ईमानदार अधिकारी जो पहले से अल्प संख्यक थे ,भयभीत हैं और जनहित में त्वरित फैसले लेने की हिम्मत नहीं कर रहे हैं और जो भ्रष्ट थे उनपर इसका कोई असर नहीं पड़ा है उल्टा वे ईमानदारी की मज़ाक और बना रहे हैं !
इसी अधकचरी बुद्धि के होते, विश्व का सिरमौर बनने के लायक और सफल कोशिश करते देश की विश्व में स्थिति, आकंठ चोरो के देश में परिवर्तित हो गयी है और हम सब तालियाँ बजा रहे हैं ! पिछले तीन वर्ष में ही ब्राजील ,रूस ,इंडिया और चाइना में हम सबसे पीछे हो चुके हैं !
अब इंजीनियरों और डाक्टरों की कोई तारीफ़ नहीं करता, सब को चोर बताया जाता है ! सफल और शानदार कामनवेल्थ खेलों के बाद भी देश में शायद ही कोई खेल निकट भविष्य में हो पायें और शायद ही कोई अधिकारी देश हित में तेजी से काम कराने लायक साहस जुटा पायेगा !
आज इस देश में, हर फैसले को तुरंत भ्रष्टाचार के चश्मा से देखने का प्रयत्न किया जा रहा है , मिडिया प्रचार तंत्र का इतना खौफ है कि मिडिया में उपलब्द्ध विद्वान् लोग भी, अपने आपको,मीडिया के इस तेज बहाव से निकालने में असमर्थ पा रहे हैं ! फायदा उठाने में माहिर, मगर दूसरों की नज़र में ईमानदार, हम सब लोग, अपनी अपनी तरह से भ्रष्टाचार , पर प्रहार कर रहे हैं !
ईमानदार अधिकारी जो पहले से अल्प संख्यक थे ,भयभीत हैं और जनहित में त्वरित फैसले लेने की हिम्मत नहीं कर रहे हैं और जो भ्रष्ट थे उनपर इसका कोई असर नहीं पड़ा है उल्टा वे ईमानदारी की मज़ाक और बना रहे हैं !
अब इंजीनियरों और डाक्टरों की कोई तारीफ़ नहीं करता, सब को चोर बताया जाता है ! सफल और शानदार कामनवेल्थ खेलों के बाद भी देश में शायद ही कोई खेल निकट भविष्य में हो पायें और शायद ही कोई अधिकारी देश हित में तेजी से काम कराने लायक साहस जुटा पायेगा !
चोरों को सजा जरूर मिलनी चाहिए मगर ईमानदार लोग भी डर जाएँ ऐसा माहौल बनाना सही नहीं ! बाज़ीगरों के सामने भीड़ हमेशा तालियाँ बजाती है !
हो सकें तो भीड़ का हिस्सा न बनें ...
हो सकें तो भीड़ का हिस्सा न बनें ...
सत्य वचन।
ReplyDeleteचलो कुछ सोच विचार कर फिर आये ..अब दोस्ती का तकाजा है ..
ReplyDeleteआपकी बात से सौ फीसदी सहमत और यह पोस्ट मैं फेसबुक पर भी साझा करना चाहता हूँ .
इमानदारों की तो घिग्घी बंधी हुयी है माहौल देखकर ..अच्छे खासे रसूख और पैसे वाले जेल चले तो
बिचारे इमानदारों की क्या औकात ......उन्हें तो कभी भी झटका जा सकता है -अपुन भी दिन रात जेल के सपने देखने लगे हैं इन दिनों भाई ! एक अधिकारी बिचारा मात्र ढाई लाख रूपये अकाउंट में होने पर धर लिया गया -लाख मिनमिनाया कि वह उसका बड़ी तनखाह का एरियर है जो सीधे ट्रेजरी से आया है मगर कौन सुने ? कहने से क्या होगा ?
विचारणीय !
ReplyDeleteचोरों को सजा जरूर मिलनी चाहिए मगर ईमानदार लोग भी डर जाएँ ऐसा माहौल बनाना सही नहीं ! बाज़ीगरों के सामने भीड़ हमेशा तालियाँ बजाती है !
ReplyDeleteबहुत सही कहा है ....
नई पोस्ट : नई अंतर्दृष्टि : मंजूषा कला
अभी तो लगता है सब एक ही भाव तुल रहे हैं.
ReplyDeleteरामराम.
सही कहा.. ऐसे में तो डर का ही साम्राज्य फैलता जा रहा है..
ReplyDeleteआपका कहना सही है ..पर सत्य और इमानदारी की ताकत को भी परखा जाना अति आवश्यक है..कितने ही रसूक वाले या बाजीगर हों ...पाप का घड़ा भरता है..महान शक्सियतों ने
ReplyDeleteअपने ही आदर्शों पर दुनिया को जीता है..ये हम न भूलें..
सार्थक चिन्तन!! विचारणीय!!
ReplyDeleteचोरों को सजा जरूर मिलनी चाहिए मगर ईमानदार लोग भी डर जाएँ ऐसा माहौल बनाना सही नहीं ! बाज़ीगरों के सामने भीड़ हमेशा तालियाँ बजाती है !
ReplyDeleteसोचने वाली सीधी सच्ची बात है जो आपने उठाई है।
सार्थक आव्हान .... बदलाव चाहते हैं तो हमें भागीदारी भी निभानी होगी ....
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