खादी की, पोशाकों से
बदन के भूखे मालिक से, बेईमान तराजू से !
अब संघर्ष जरूरी है !
साधू बने , डकैतों को
नफरत के हरकारों को
बेसिर की अफवाहों को
धर्म के धंधेबाज़ों को !
नक़ल मारते लड़कों को, जमाखोर गद्दारों को !
थप्पड़ एक जरूरी है !
इन भूखे मज़दूरों को
नंगे पैर किसानो को
चाय बेचने वालों को
बिना सहारे वृद्धों को
शिक्षक और स्कूलों को, घर की अनपढ़ माँओं को,
राहत बहुत जरूरी है!
वधूपक्ष को धमकी की
इन भूखे मज़दूरों को
नंगे पैर किसानो को
चाय बेचने वालों को
बिना सहारे वृद्धों को
शिक्षक और स्कूलों को, घर की अनपढ़ माँओं को,
राहत बहुत जरूरी है!
वधूपक्ष को धमकी की
धन अर्पण के रस्मों की
रिश्तेदार, लिफाफों की
बेमन जाती , भेंटों की
रिश्तेदार, लिफाफों की
बेमन जाती , भेंटों की
रिश्तों से उम्मीदों की , झूठे प्यार दिखावे की !
अवहेलना जरूरी है !
मास्क लगाए चेहरों से
मक्कारों के वादों से !
आस्था के व्यापारों से
कृपा रूप ,सम्मानों से
बिके मीडिया वालों से, नेताओं के वादों से !
प्रबल विरोध जरूरी है !
अवहेलना जरूरी है !
मास्क लगाए चेहरों से
मक्कारों के वादों से !
आस्था के व्यापारों से
कृपा रूप ,सम्मानों से
बिके मीडिया वालों से, नेताओं के वादों से !
प्रबल विरोध जरूरी है !
नेताओं के धन्धों को ,
देश बेचते, दल्लों को
निपट धूर्त सरदारों को
पुलिस में बेईमानों को, संसद के गद्दारों को !
सीधी जेल जरूरी है !
पहला ही पैरा इतना चोट मारता है कि आगे क्या पढ़ें ! एक बार फिर बढ़िया कविता !
ReplyDeletebahut hi khoobasoorat rachana abhivyakti . antim pankti bahut badhiya rahi ... abhaar
ReplyDeleteआज सोच भी रहा था कि बहुत दिनों से कहीं से जूतास्त्र एवं चप्पलास्त्र चलने का समाचार नहीं आ रहा है। वर्तमान हालातों पर प्रहार कर चेतना जगाते ओज पूर्ण काव्य के लिए आभार।
ReplyDeleteहमारी ज़रूरतें बढ़ती ही जा रही हैं, अब तो पूरा करना ही होगा, देश हित में।
ReplyDeleteबहुत सुंदर ! आ. सतीश जी .
ReplyDeleteअन्तिम पैरे ने बड़ी राहत दी।
ReplyDeleteराहत बहुत जरूरी है ,
ReplyDeleteसटीक चित्रण ,,,,
RECENT POST -: तुलसी बिन सून लगे अंगना
राहत बहुत जरूरी है ,
ReplyDeleteसटीक चित्रण ,,,,
RECENT POST -: तुलसी बिन सून लगे अंगना
सटीक...जबरदस्त!!
ReplyDeleteराहत बहुत जरुरी है!!
आजकल क्या कुछ स्पेशियल
ReplyDeleteखिलाया जा रहा है ?
एक के बाद एक जैसे
कागज में बम मारा जा रहा है
लिखते चले जाओगे
ऐसे ही अगर जनाब
डर के कहने लगेंगे लोग
पढ़ने को आजकल
वो इस गली से
भी नहीं जा पा रहा है !
सच्ची ...
ReplyDeleteयथार्थ ,सटीक रचना .......
ReplyDeleteबेहद सुन्दर रचना -जरुरी है
ReplyDeleteनई पोस्ट हम-तुम अकेले
आज के हालातों पर सटीक सार्थक रचना …
ReplyDeleteसुन्दर रचना।।
ReplyDeleteनई कड़ियाँ : भारत के महान वैज्ञानिक : डॉ. होमी जहाँगीर भाभा
"प्रोजेक्ट लून" जैसे प्रोजेक्ट शुरू होने चाहिए!!
क्रांति की जरूरत है आज.
ReplyDeleteरामराम.
सुन्दर-भाव, सटीक शब्द-विन्यास ।
ReplyDeleteआज तो मंचीय कविता लिख दी भाई जी ! बधाई !
ReplyDeleteसमाज की वर्तमान स्थिति को देखते हुए सटीक लेखन...हर पंक्ति मन में आक्रोश भार जातीहै..शुभकामना...
ReplyDeleteएक बात जरुर समझ में आई कि जिंदगी के हर सही काम के लिए ...विद्रोह बहुत जरुरी है
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