Thursday, October 24, 2013

कसमें चौकीदारी की -सतीश सक्सेना

रात में जमकर धोखा देते, दिन में कसमें यारी की !
साकी और शराब रोज़ हो , रस्में चारदीवारी की !

अक्सर बासिन्दे शहरों के , असमंजस में दिखते हैं !      
अभिलाषाएं, धुएं में जीवित, चिंता है बीमारी की !

जब भी लगती आग, धमाका नहीं सुनाई पड़ता है !
ऎसी कौन सी ताकत होती, छोटी सी चिंगारी की !  

पता नहीं ये शख्श भरोसे लायक,मुझे न लगता है,
मीठी मीठी बातें करता , पर  ऑंखें मक्कारी  की ! 

इस बस्ती में लोग हमेशा , मास्क लगाए रहते हैं  !
सूरत से धनवान दीखते , आदत पड़ी भिखारी की !

28 comments:

  1. बहुत बढ़िया ग़ज़ल....
    मौजूदा समाज के कडवे सत्य को उजागर करती....
    सादर
    अनु

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  2. सटीक वक्तव्य दिया है इस रचना ने।

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  3. इस बस्ती में लोग हमेशा, मास्क लगाये रहते है
    सूरत से धनवान दिखते सीरत वही भिखारी की !
    अब तो मास्क लगाने की इतनी आदत पड़ चुकी होती है कि,खुद को ही पता नहीं चलता असली चेहरा कौन सा है ! बिलकुल सही कहा सटीक रचना है !

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  4. हम हमारे आसपास की चीजों को तो अब बदल नहीं सकते, हाँ पर एक बात कर सकते है
    खुद को बदलने की, फिर देखिये लगता है सब कुछ बदल गया है !

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  5. सहज सच्ची अभिव्यक्ति.....

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  6. बबुत खूब ... हर शेर धमाकेदार ... आज का चित्रण ...

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  7. कल 25/10/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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  8. अल्मारी दिख तो रही है
    बोतल नजर नहीं आ रही है
    मैं तो खाली खुश हो बैठा
    बात शराब और साकी से
    जब देखा शुरु की जा रही है !
    :) :) :)

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  9. ...बहुत खूब... हरेक शेर बहुत उम्दा..!!

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  10. सच है .. मुखौटे हैं चारों ओर ... किस पर विश्वास करें !!
    अच्छी रचना ,शुभकामनाएं !!

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  11. अकसर एक छोटी सी चिंगारी ही ...घर जला कर राख कर देती है

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  12. सूरत से धनवान दिखते , सीरत वही भिखारी की !
    तन पर चढ़ाये चोले कितने , मन पर भी परते चढ़ती जाती हैं !
    बहुत खूब !

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  13. आज के समाज /व्यक्ति का सटीक चरित्र चित्रण
    नई पोस्ट मैं

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  14. बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।

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  15. सत्य और बेबाक ..मेरे भी ब्लॉग पर आयें.. दीपावली की बधाई

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  16. बहुत सुंदर सही और सटीक।

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  17. वाह क्या बात है? आज तो समस्त ताऊ सदचरित्र महिमा का संपूर्ण बखान कर दिया आपने, आभार.

    रामराम.

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  18. खुबसूरत अभिवयक्ति......

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  19. और अधिक प्रासंगिक हो गयी है।

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  20. वाह सतीश जी !
    एक सुन्दर सा विदाई-गीत तैयार कर लीजिए.

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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