मेरे अधिकतर दोस्त अक्सर पूछते हैं कि साठ वर्ष के बाद आपने कायाकल्प कैसे किया , इसका राज बताइये ? इसके पीछे रिटायर होते समय मेरे शरीर की दुर्दशा ही थी , जिसके कारण मैंने संकल्प लिया कि शीघ्र मरना नहीं है और बीमारियों में फंस कर तो बिलकुल नहीं , उन दिनों मुझे पिछले ४० वर्ष से हर जाड़े में होने वाली खांसी, अस्थमा, एक मंजिल चढ़ते समय साँस फूलना , हाई बीपी , एसिडिटी , कॉन्स्टिपेशन , हाई एलडीएल , हाइपर थायरॉइड , मोटापा और बॉर्डर लाइन डायबिटीज सब कुछ था, रिटायरमेंट पार्टी में मैंने कहा था कि अगर दो वर्ष और जिन्दा रहा तो आश्चर्य होगा मुझे मगर परिवार से बेहद जुड़ाव ने मुझ आलसी को यह संकल्प लेने पर मजबूर किया कि मुझे खुद को स्वस्थ करना होगा , और जिंदगी भर मुहल्ले के पार्क तक में न जाने वाले ने शारीरिक कमजोरियों से लड़ने का फैसला कियाशुरुआत नियमित वाक से हुई , अगले तीन महीने में नियमित तौर पर लगातार तीन घंटे तक वाक और जॉगिंग करने की आदत डाल ली , उसके अगले छह महीने में सुबह ठण्ड में शुरुआत के तीन कपड़ों ने एक कपडे की जगह ले ली थी , ठण्ड लगना कम हो गयी थी , साथ ही दौड़ते दौड़ते खांसना भी कम हुआ था , वजन लगभग २ किलो घटा , इससे हिम्मत में इज़ाफ़ा हुआ कि मैं यह कर सकता हूँ , और यह सब सुबह पांच बजे से इकला चलो रे, के मन्त्र के साथ होता था !
अब अगर आज की बात करूँ तो अब तक 2015 से अबतक लगभग 13000 km दौड़ चुका हूँ , 70+वर्ष के इस शरीर में आज के दिन ऊपर लिखी किसी बीमारी का कोई अंश तक नहीं है , शुरुआत से ही मुझे भरोसा था कि मानव शरीर बहुत ताकतवर होता है बशर्ते हम मृत्यु भय के कारण ,दवा व्यापारियों के बनाये इंजेक्शन , कैप्सूल और विटामिन न उपयोग करें !
भारत डायबिटीज की राजधानी है , हमारे यहाँ घी दूध बटर तेल आदि में इस कदर मिलावट होती है कि उनका सेवन करने से ४० वर्ष में ही लोग हार्ट अटैक के शिकार हो रहे हैं , अज्ञानता इस कदर है कि विश्व के अन्य देशों की जीरो जानकारी के होने के बावजूद हम खुद को विश्व गुरु मानते हैं सो पूरे दिन सिर्फ मुंह चलाते रहते हैं , अभक्ष्य दिन में पांच छह बार खाने, पीने में और ज्ञान बघारने में !
सो हो सके तो कल से अकेले घर से वाक पर निकलें , और बिना हांफे सामर्थ्य भर वाक करें और घर आएं , यह नियमित रखें कुछ महीने में शरीर इसे अंगीकार कर लेगा , ध्यान रहे वाक का समापन एक से दो मिनट बिना हांफे धीमे धीमे दौड़ कर करें , दौड़ते हुए अपने शरीर से बात करते रहिये एकाग्रचित्त होकर ! भोजन उतना करें जितनी मेहनत की हो , अगर मेहनत नहीं करते हैं तब एक बार का भोजन से अधिक खाना बीमारी बढ़ाएगा ! दस वर्ष पुराने सतीश में और आज के सतीश में फर्क महसूस करें ! आप भी दौड़ना सीख लेंगे , मुझे विश्वास है !
शुभकामनायें आपको