"यह मेरी पहली पोस्ट थी वर्ष 2005 में सितम्बर माह की 18 तारीख को, जिसे संशोधित कर रहा हूँ। ब्लॉग बनाया था 17 सितम्बर को, विश्वकर्मा जयन्ती वाले दिन। कुछ पता नहीं था, ब्लॉग क्या होता है, इसकी उपयोगिता क्या है, कैसे लिखा जाए। सीखते सीखते आगे बढ़ा। उस समय यूनीकोड से भी परिचय नहीं था, तो विभिन्न अक्षरों में लिखे का snapshot लेकर यहीं चित्र के रूप में चिपका कर खुश हो लेता था। लगभग डेढ़ वर्ष में ही खुमार उतर गया क्योंकि स्वभाववश: इतनी ज़ल्दी-ज़ल्दी पोस्ट प्रकाशित करता था कि गूगल बाबा ने परेशान होकर तीन बार मुझे स्पैमर मानते हुए चेतावनी दे डाली और खाता बंद करने की धमकी भी दे डाली। इस बीच यहीं कई प्रयोग भी किए।
'और भी गम है जमाने में ब्लॉगिंग के सिवा' का भाव लिए अपन खिसक लिए और इन्डियाटाइम्स से एक सर्वर किराए पर ले, अपने शहर की वेबसाईट ही बना डाली। ब्लॉगजगत से नाता तो नहीं छूटा था। गाहे बगाहे नजर पड़ती ही रहती थी, मन मचलता ही रहता था फिर लौटने के लिए। कुच्छेक और विषय आधारित ब्लॉग बनाए। लेकिन व्यक्तिगत ब्लॉग होना ही चाहिए, ऐसा मेरी बिटिया का कहना था।
इसलिए यहाँ से पूर्व प्रकाशित (अजीबोगरीब) 953 पोस्ट हटा कर पुन: प्रवेश कर रहा हूँ।"
'और भी गम है जमाने में ब्लॉगिंग के सिवा' का भाव लिए अपन खिसक लिए और इन्डियाटाइम्स से एक सर्वर किराए पर ले, अपने शहर की वेबसाईट ही बना डाली। ब्लॉगजगत से नाता तो नहीं छूटा था। गाहे बगाहे नजर पड़ती ही रहती थी, मन मचलता ही रहता था फिर लौटने के लिए। कुच्छेक और विषय आधारित ब्लॉग बनाए। लेकिन व्यक्तिगत ब्लॉग होना ही चाहिए, ऐसा मेरी बिटिया का कहना था।
इसलिए यहाँ से पूर्व प्रकाशित (अजीबोगरीब) 953 पोस्ट हटा कर पुन: प्रवेश कर रहा हूँ।"
एक मस्तमौला सरदार द्वारा, १८ सितम्बर २००५ में लिखी गयी उपरोक्त ब्लॉग पोस्ट से, लेखक की ईमानदारी और एक विस्तृत दिल का पता चलता है ! बदकिस्मती से इतनी खूबसूरत पोस्ट किसी ने नहीं पढ़ी मगर इस सरदार ने वर्षों पहले अकेले शुरू किया सफ़र ख़त्म नहीं किया , बल्कि आज भी जारी है !
इतने वर्षों में ब्लॉग जगत में यह सबसे विवादित लोगों के रूप में मशहूर हो गए ! अभी कुछ दिन पहले इनके द्वारा , मेरे ब्लॉग पर आकर गुस्से में दी गयी वह टिप्पणी "......हमें क्या पागल समझ रखा है " टाइप मुझे बिलकुल पसंद नहीं आई और डिलीट कर दी और काफी दिन तक इस "पागल" सरदार से कोई संबंध न रखूंगा , तय कर इनका ब्लॉग पढना बंद कर दिया !
मगर ब्लॉग जगत बहुत छोटा है ...कुछ न कुछ सरदार की हरकतों ( पोस्ट ) पर निगाह पड़ती ही रहती थी ! कुछ दिनों में यह महसूस होने लगा यह अजीब पर्सनालिटी में ऐसा कुछ अवश्य है जो मुझे खींचता है इन्हें पढने के लिए ! जो बेहतरीन गुण लगे वे थे मददगार, गर्व रहित, ईमानदारी और निश्छलता और शायद यही गुण ब्लॉग जगत में कम से कम मिलते हैं , और मुझे लगा कि यह सरदार कुछ अलग है, प्यारा है !
पहचानिए कौन है ?
अपनी पूर्व प्रकाशित अजीबोगरीब 953 पोस्ट हटाकर, दुबारा ब्लॉग जगत में प्रवेश करने वाला यह मिलनसार, बेवाक, मददगार मगर बेहद विवादित ब्लॉग सरदार......अजय कुमार झा व हम सबके परम मित्र, श्री बी एस पाबला हैं ! !
शुभकामनायें पाबला जी !
अपनी पूर्व प्रकाशित अजीबोगरीब 953 पोस्ट हटाकर, दुबारा ब्लॉग जगत में प्रवेश करने वाला यह मिलनसार, बेवाक, मददगार मगर बेहद विवादित ब्लॉग सरदार......अजय कुमार झा व हम सबके परम मित्र, श्री बी एस पाबला हैं ! !
शुभकामनायें पाबला जी !
आदरणीय सतीश जी
ReplyDeleteसादर सस्नेहाभिवादन !
कम ही समय हुआ है ब्लॉगिंग में आए … मेरे ब्लॉग शस्वरं की प्रथम वर्षगांठ भी अभी महीने भर बाद आएगी … इसलिए मैं तो नहीं पहचान पा रहा कि
कौन है यह मिलनसार, मददगार मगर बेहद विवादित ब्लॉग सरदार… … … ?
बहरहाल , रोचक पोस्ट के लिए बधाई !
… और हां , पिछली भावनाप्रधान पोस्ट पर पहुंचा ज़रूर था … पुनः हाज़िर होना है अभी वहां …
♥ महाशिवरात्रि की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ! ♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार
कहीं वो भिलाई के आसपास का ब्लॉगर तो नहीं है ....बला के तेज़ और तकनीकी सोच वाले हैं जो ..नाम याद नहीं आ रहा है ..पा जाऊं तो बता पाऊं
ReplyDeletemujhe to lagta hai, aap Pabla sir kee baat kar rahe ho...:)
ReplyDeletekyonki jab peechhle dino mera blog bhi jab andhe kuyen me dubne laga to unhone hi tairte hue usse bachaya..:)
hai na satish sir..:)
कहीं ये बी. एस. पाबलाजी के बारे में ही तो बात नहीं चल रही है ?
ReplyDeleteसही कहा है आपने ब्लाग जगत बहुत छोटा है.
ReplyDeleteठीक इतनी ही छोटी ज़िंदगी भी है.
फ़ार्मूला :- मस्तराम बनके ज़िंदगी के दिन गुजार दे.
हम तो ब्लॉग जगत के एक ही सरदार को जानते हैं जो सबकी तकनिकी मदद करते हैं ..शायद वही हों.
ReplyDeleteआद.सतीश जी,
ReplyDeleteनिर्मल मन के आप हैं,कोमल,नम्र स्वभाव !
इसीलिए बस ढूढते ,सबमें प्रीति अथाह !
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ !
आप ही बता दें, हमसे क्यों गलत उत्तर चाहते हैं।
ReplyDeleteसरदार और असरदार दोनों को अपना सलाम।
ReplyDeleteशिवरात्रि की शुभकामनाएँ !
ReplyDeleteहा हा हा हा हा हा
ReplyDeleteआ.......बला + पा .......बला
@मेरे ब्लॉग पर आकर गुस्से में दी गयी वह टिप्पणी "......हमें क्या पागल समझ रखा है "
ReplyDeleteसतीश जी,
हमनें तो पागल के साथ बला समझ रखा है।;))उनकी तो गल न करो।
ई कौन सरदार हैं भाई जी....??
ReplyDeleteरोचक पोस्ट के लिए बधाई, महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ !!
ReplyDeleteबिलकुल सही पहचाना आपने सतीश जी। वह असरदार, मिलनसार,मददगार सरदार है पाबला। अपनी बेबाक और निर्द्वंद्व टिप्पणीकार।
ReplyDeleteसिर्फ़ तकनिकी ही नही ..किसी भी तरह की मदद के लिए हाजिर रहते है--- एक बार राँची से इन्दौर आने के लिए ट्रेन पूछी थी ---तुरन्त(१५ मिन . में ही) ही किराये व ट्रेन नम्बर जानकारी मिल गई थी ...एक बार फ़िर शुक्रिया.....
ReplyDeleteऔर हाँ सब अपना जन्मदिन भूल जाए... भूल कर तो दिखाए..जरा....हा हा हा
लो जी हमने तो बिना ब्लॉग पर आये बज़ पर पढते ही अपनी बहु डोली को बता दिया ....नही.नही...उसने मुझे बता दिया कि जरूर पाबला अंकल के लिए लिखा होगा'
ReplyDeleteहा हा हा
मैं ये कभी भूल नही सकती कि जब मैं एक ब्लोगर् महोदय द्वारा निहायत ही बेहूदी बाते शुरू कर देने के कारन घबरा कर ब्लॉग जगत छोड़ने जा रही थी.
पाबला जी ने-जिन्हें मैं वीरजी सम्बोधित करने लगी - मुझसे ब्लॉग जगत छोड़ने का कारन पूछा,मेरे बताने पर मुझे समझाया कि मैं किस तरह 'इनविजिबल' रह कर अपना काम कर सकती हूँ.वे तकनिकी जानकारी के मास्टर तो हैं ही एक बेहद प्यारे इंसान भी हैं.उन जैसे इंसान यदि पागल,बला,सरके हुए हैं तो मेरी ईश्वर से प्रार्थना है हर घर में ऐसे ही पागल और बला को जन्म दो भगवान,जिससे हम औरते सुरक्षित महसूस कर सके अपने आपको.और ये धरती रहने लायक बनी रहे. पाबला भैया,वीरजी ! चिंता ना करो
ऐसिच हूँ मैं भी हा हा हा
बहुत कुछ निस्स्वार्थ भाव से करते हैं ये...सबको ढेरो शुभकामनाएं दिलवाना...अखबार में छपी पोस्ट की खबर दे चेहरे पर ख़ुशी लाना...सबके ब्लॉग की तकनीकी गड़बड़ियां ठीक करना
ReplyDeleteक्या क्या गिनाया जाए :)
आपसे शायद ही कोई अपरचित हो ..इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिये बधाई ।
ReplyDeleteगुरुदेव आप इतने सम्वेदनशील हैं कि बहुत जल्दी किसी से नाराज़ हो जाते हैं..और उतनी ही जल्दी पुनः मित्र बना लेते हैं.. अत्यंत दुर्लभ है आपका व्यक्तित्व, वर्त्तमान समय से कहीं आगे!
ReplyDeleteपाबला जी दा जवाब नहीं!! ज़िंदगी में दो सरदारों को ही पसंद किया है,गुलज़ार साहब और जगजीत सिंह.. वर्त्तमान में वो सरदार न रहे.. मगर पाबला जी तो असरदार हैं!!
शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteजो बेहतरीन गुण लगे वे थे मददगार, गर्व रहित, ईमानदारी और निश्छलता और शायद यही गुण ब्लॉग जगत में कम से कम मिलते हैं , और मुझे लगा कि यह सरदार कुछ अलग है, प्यारा है !
ReplyDeleteपर ध्यान रहे ये सरदार लठ्ठ से पिटवाता भी बहुत बुरी तरीके से है.:)
रामराम.
satish ji ye to mujhe nahi pata ki pabla sahib ji kaun hai. lekin apke likhne ka andaaz aur unka vyaktitv byan karne ka andaaz accha laga.
ReplyDeleteye srimaan sardaar jaroor hi bahut asardaar honge, tabhi ek post hi ban gayi unke upar.
ReplyDeleteआद.सतीश जी,
ReplyDeleteहम तो ब्लॉग जगत के एक ही सरदार को जानते हैं जो सबकी तकनिकी मदद करते हैं
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ !
केवल अजय कुमार झा के दोस्त -भाईजान इसे एडिट कर दिए होते =इस पियारे सरदार का भला कौन दोस्त नहीं है आज -दुश्मन भी दोस्त हैं !और खुद सरदार जी दोस्तों के भी दोस्त मगर इन्हें नीद बहुत आती है!
ReplyDeleteपाबला जी की भूमिका अच्छी बनाई आपने .
ReplyDeleteबढ़िया.
असरदार सरदार ।
ReplyDelete
ReplyDeleteकाफी दिन तक इस "पागल" सरदार से कोई संबंध न रखूंगा !
आप क्या कहना चाहते हैं... क्या सरदार पागल भी हुआ करते हैं ?
मैंनें अपने मेडिकल कैरियर में आज तक कोई पागल सरदार न देखा ।
बहरहाल, डॉ. दराल के शब्दों को दोहराते हुये यही कहूँगा कि साड्डा पाबला असरदार सरदार हैगा !
Current Moderation Status - OK
सरदार से पंगा लेने का मन कर रहा है क्या?
ReplyDeleteवैसे भी होली ज्यादा दूर नहीं हैं :)
इंदु जी के पाबला अंकल:)हाआआआआआआआआआअ
ReplyDeleteमहाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें.
वैसे सरदार शायद ब्लॉगजगत में कम ही है. पर पाबला जी के बारे में पढकर अच्छा लगा.
ReplyDeleteयक़ीनन पाबला जी की बात हो रही है....
ReplyDeleteआ.पाबला जी को कोई न जाने यह संभव ही नहीं है - उनका संत-स्वभाव हमारे लिए सदा सहायक सिद्ध होता है!
ReplyDeleteहज़ार वर्ष की आयु पायें वे !
जो सबके बर्थ डे याद दिलाते हैं :)
ReplyDeleteआपको महाशिवरात्रि की हार्दिक मंगलकामनाएं
बला पा, लेने की लाजवाब चाहत, अजय जी और पाबला जी दोनों को मुबारक.
ReplyDeleteप्यार बांटते चलो, प्यार बांटते चलो!
ReplyDeleteआप क्या इस भुलावे में थे कि जो बन्दा 953 पोस्ट हटने से भी नहीं हिला वह आपके एक टिप्पणी हटाने से हिल जायेगा?
दमदार सरदार है, कम न समझना!!! :)
ReplyDeletepriya saksena ji
ReplyDeletesadar bandan .
pahli bar aapko padha ,laga kuchh achha hi padh raha hun .bloggar sardar ?...
tanmyata se lakshya ko ingit kar sarlata se aapni banto ko kah dena ek badi kala,va uplabdhi hoti hai ,jo aapne payi hai .abhinav post . bahut bahut dhanyavad.
सिंह इज़ किंग...
ReplyDeleteसिंह इज़ किंग...
सिंह इज़ किंग...
जय हिंद...
यह तो वाकई ब्लॉग सरदार हैं...
ReplyDeletetussi great ho paji......sada sardar
ReplyDeletenu milwai diyo......
pranam....
meri to kuch bhi samajh me nahi aaya hai.......
ReplyDeleteपावला जी के आगे तो मैं भी नतमस्तक हूँ। हर वक्त मदद के लिये तत्पर। उन्हें शुभकामनायें।
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति के लिये बधाई ।
ReplyDeleteआप पर इतना असर छोड़ गये, तो चीज तो हैं ही सरदार जी।
ReplyDeleteबड़े भाई, आपके व्यक्तित्व की बहुत बड़ी खासियत है कि जिसने भी आपको प्रभावित किया उसकी खुलकर तारीफ़ करते हैं,और जिसके कारण आपको दुख पहुंचे उसका नाम खुद तक ही सीमित रख लेते हैं। बड़प्पन बहुत है आपमें। हमारी शुभकामनायें।
वही न जिनका जन्मदिन वाला भी एक ब्लॉग है???
ReplyDeleteहाँ वही तो हैं शायद...
परन्तु एक बात तो है, कोई न कोई आकर्षण जरूर है...
सहमत...
श्रीमान सतीश जी नमस्ते वाह!क्या खूब प्रस्तुत किया है आपने बड़प्पन बहुत है आपमें। महाशिवरात्रि की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
ReplyDeleteश्रीमान सतीश जी नमस्ते वाह!क्या खूब प्रस्तुत किया है आपने बड़प्पन बहुत है आपमें। महाशिवरात्रि की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
ReplyDeleteआज जाना कि डेढ़ दो लोगों से पंगा मतलब विवादित हो जाना :)
ReplyDeleteबहरहाल 'विवादित' संबोधन पर हमारी आपत्ति दर्ज की जाए !
टीप : इस कमेन्ट में आप सम्मिलित नहीं हैं !
@ ज्ञानचंद मर्मज्ञ ,
ReplyDeleteआपके स्नेह के लिए आभार
@ अजय कुमार झा ,
पाबला जी की विशेषताएं पसंद आयीं ...मेरे हिसाब से
आ भला पा भला
@ सुज्ञ जी ,
हमनें तो पागल के साथ बला समझ रखा है।;))उनकी तो गल न करो
आनंद आ गया आपकी टिप्पणी में, बिलकुल गल हटा दिया जी
@ चला बिहारी ब्लोगर बनने,
ReplyDeleteअब जैसे भी हैं सलिल भैया , आपके परिवार से हूँ झेलते रहें !
धन्यवाद सतीशजी ,
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाएं
पाबलाजी साडे इलाके दी शान हैं और तकनीक के गुणा दी खान हैं.
@ ताऊ ,
ReplyDeleteकहने को तो लट्ठ ताई के पास भी है , मगर धार तो तुम्हारे लट्ठ में ही है ताऊ !!
@ अदिति चौहान ,
हर इंसान का चरित्र और ईमानदारी उसका लेखन बताने में समर्थ होता है ! पाबला जी की पहली पोस्ट यहाँ दे राखी है , पढ़िए , आपको झलकती ईमानदारी पता चल जायेगी ! अफ़सोस है कि ब्लॉग जगत में किसी को समझने की आदत ही नहीं है केवल समझाना चाहते हैं !!
@ डॉ अरविन्द मिश्र ,
ReplyDelete@ इन्हें नींद बहुत आती है ...
पाबला जी ध्यान दें , डॉ अरविन्द मिश्र के बारे में कम से कम न सोयें :-))
@ डॉ अमर कुमार ,
आनंद आ गया भाई जी आपको यहाँ देख और पाबला जी के प्रति आपका स्नेह देख ! सादर
@ ललित शर्मा ,
ReplyDeleteआनंद आ गया , आप होली पर सरदार की खिंचाई प्रोग्राम रखें, मैं और अजय कुमार झा शामिल होंगे :-))
@ राहुल सिंह ,
मेहरबानी हुजूर, मेरी भी चाहत अजय से मिलती जुलती है !
@ स्मार्ट इंडियन ,
वाकई नहीं हिला यह बंदा , पाबला की नाराजी भी धाकड़ है, मस्त है !
@ उदयवीर सिंह,
ReplyDeleteशुक्रिया आपके आने का ! पाबला जी के बहाने आपसे परिचय इस पोस्ट की उपलब्द्धि मानूंगा !
@ सुमन जी ,
आशा है अब तक समझ पायी होंगी , आपकी मासूम टिप्पणी वाकई असरदार रही ! सादर
@ संजय ...( मो सम कौन )
ReplyDeleteआपके अनुराग का आभारी हूँ संजय !
जो बुरा कर जाते हैं अथवा बुरा कहते हैं उन्हें बदले में उनसे अधिक मज़बूत गालिया देना कोई मुश्किल काम नहीं और ऐसा करके लोगों को आसानी से आकर्षित भी किया जा सकता है मगर यह काम और बहुत से ब्लोगर कर रहे हैं :-)
मेरा सोंचना है कि जिसका लिखा पसंद न आये वहां जाना बंद कर दें न कि उसका विरोध करें ! लाखों लोग अच्छे हैं समय के साथ वे अवश्य पहचान लेंगे !
पचासों कमेंट्स में से एक भी कमेन्ट अगर स्नेह का मिल जाए तो लेखन धन्य हो जाता है !
ReplyDelete@ अली साहब ,
आपकी बात से सहमत हूँ ! जो व्यक्ति हर एक की मदद को तत्पर रहे वह मेरी निगाह अच्छा इंसान है ! कोई भी व्यक्ति हर किसी को खुश नहीं रख सकता सबके अपने अपने कारण होंगे ! मेरे अपने अनुसार यह मिलनसार ब्लॉग सरदार अनुकरणीय है ! ऐसे लोग देर सवेर समाज से आदर पाते ही हैं !
ab bahut kuch samajh me aa raha hai...
ReplyDeleteआप सभी की अनूठी स्नेहाभिव्यक्तिओं से अभिभूत हूँ.
ReplyDeleteएक अच्छा इन्सान बनने की जद्दोजहद में सेवाभाव के गुण ने मेरी कार्य ऊर्जा बनाए रखी है
मुझे नहीं मालूम था, अभी भी साथियों की सदिच्छाएं मेरे साथ हैं
आप सभी का आभार, स्नेह बनाए रखिएगा
और सतीश जी!
आपको तो देख लूंगा एक दिन :-)
@ बी एस पाबला (और सतीश जी! आपको तो देख लूंगा एक दिन :-)
ReplyDeleteआपके इस शब्दों में छिपे स्नेह को मैं इतनी दूर से महसूस कर रहा हूँ ,जबकि हम आज तक कभी आमने सामने मिल भी नहीं पाए हैं !
अफ़सोस यह है कि लोग यहाँ एक दूसरे की अच्छाइयां देखने की कोशिश ही नहीं करते हैं ! एक से एक बेहतरीन लोगों से मिलने का, इस आभासी जगत में रोज शुभावसर मिलता है मगर मेरा कालर ही सबसे अच्छा है, मानकर अपने कालर पर ही हाथ फेरते रह जाते हैं !
कितना अच्छा हो कि हम लोग सद्गुण ढूँढने का थोडा सा भी प्रयत्न करें तो यकीनन , आभासी जीवन में ही नहीं वास्तविक जीवन में भी रोज पाबला जी मिलेंगे , और तब शायद हँसना भी सीख जायेंगे !
सादर
धन्य हैं आप पाबला साहब ।
ReplyDeleteहुण मर जावाँ खँड पा के..
यानि कि आप बिना कुछ सोचे ही लगे रहे पाबला प्राजी ?
मुझे नहीं मालूम था, अभी भी साथियों की सदिच्छाएं मेरे साथ हैं
यानि कि आप बिना कुछ सोचे ही लगे रहे पाबला प्राजी ?
ऎसा गुण तो अब तलक ्श्री हनुमान जी में ही पाया था कि,
किस की बीबी किस ने भगाई.. और लँका को फूँक डाला,
बल्कि यह समझो कि पूरी रामायण में हलाकान होते रहे सिर्फ़ आप !
बोल हनु्मँतवतार पाबला महाराज की जै !
आपकी मेहरबानी से ।
@ सतीश जी, ऎन होली के सीज़न में मॉडरेशन हटा दिया ?
ReplyDeleteज़रा ठीक से लपेट सपेट कर रक्खो भाई, इस तँगहाली में भी न जाने आपको कौन छेड़ दे ?
कोई चुपके से यहाँ सरर रर वगैरह कर देगा तो मॉडरेशन को जॅस्टिफ़ाई करोगे ?
बडी महीन चीज हो गुरु आप !
होली आने से पहले ही गले मिल लिए सतीश जी आप..
ReplyDeleteमित्र हो तो आप जैसा .....
पाबला जी की जय हो।
ReplyDeleteभाई सतीश जी अद्भुत लगता है आपकी पोस्ट को पढ़ना |बधाई |
ReplyDeleteभाई सतीश जी अद्भुत लगता है आपकी पोस्ट को पढ़ना |बधाई |
ReplyDeletekamaal hai bhai ji....dekhiye....ek ye sardaar or ek vo jo dilli me madam ke isharon par naachta hai.....
ReplyDeletekitna fark hai....
sach hai parmatma ek jaise do piece nahi banata..
aap sabhi ko naman karta hoon..
हा हा हा
ReplyDeleteडॉ अमर कुमार की पहली टिप्पणी पर मेरे एक गैर-ब्लॉगर मित्र का कहना है कि सरदार के साथ 'पागल' लगाने की ज़रूरत क्या है!?
उन्होंने मेरी सरदारों के बारह क्यों बजते हैं पोस्ट पढ़ रखी है।
@पाबला जी,
ReplyDeleteलगता है मेरी तरह आप भी डॉ अमर कुमार को समझ नहीं पाए हैं ! अक्सर इनकी टिप्पणी, मेरे जैसे सामान्य समझ वाले, आदमी की समझ में नहीं आती ( हमारे हिसाब से बेसिर पैर की )
मगर कोई कारण नहीं कि डॉ अमर कुमार जैसा व्यक्तित्व, जो कि देश के विभिन्न समुदाय और संस्कृतियों की बारीक समझ और विभिन्न भाषाओं का गुरु ज्ञान रखता हो सिक्खों के इतिहास से अनजान हों !
हाँ यह हो सकता है कि वे आपसे उखड़े हों :-)
.....जारी
हो सकता है कि वे आपसे उखड़े हों :-)
ReplyDeleteना जी ना, ये तो गलतबयानी है
ये फेविकोल का जोड़ है, टूटेगा नहीं
डॉ सा'ब का स्नेह पाना हर किसी के बस की बात नहीं। इस मामले में मैं सौभाग्यशाली हूँ
.....मुझे लगता है सरदार के मस्तमौला व्यक्तित्व पर उनका एक मज़ाक भर है ...आशा है गंभीरता से नहीं लेंगे
ReplyDeleteमगर बहुत दिन बाद उनकी ( डॉ अमर कुमार ) टिप्पणी देख बहुत अच्छा लगा , कैन्सर जैसी भयानक बीमारी से लड़ते इस बढ़िया इंसान, को भगवान् हमारी उम्र दे दे !
बहुत ही रोचक पोस्ट है...ज्यादा समय तो नहीं हुआ फिर भी उनसे परिचित हूं...ब्लॉग के ही माध्यम से...लेखन में तो उनका कोई जवाब नहीं, उतने ही अच्छे इंसान भी हैं...
ReplyDeleteबहुत ही रोचक पोस्ट है...ज्यादा समय तो नहीं हुआ फिर भी उनसे परिचित हूं...ब्लॉग के ही माध्यम से...लेखन में तो उनका कोई जवाब नहीं, उतने ही अच्छे इंसान भी हैं...
ReplyDeleteDono blogers ko hamaara salaam ...
ReplyDeleteAapki post bahut rochak hai Sateesh ji ... mazaa aa gaya padh kar ...
आहा! मैं पहचान गया था सच! इत्ते वडे पंजाबी पुत्तर, जो आज प्रा जी और पापा जी के नाम से मशहूर हैं, उन्हें न पहचानने का गुनाह कैसे कर सकता हूँ.
ReplyDeleteबन्धु, लेकिन समस्या एक और है, आप सबके बारे में लिखते रहते हैं, कभी सतीश सक्सेना की बाबत कुछ लिखें.
अजय कुमार झा जी, पाबला जी और आपको हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteदोनों ही ब्लॉग जगत के धुरंधर हैं.... उनको शुभकामनाएं...
ReplyDeleteये बात तो है.. पाबला जी कुछ ऐसे ही व्यक्तित्व वाले व्यक्ति है...वैसे ब्लॉग-जगत के लोकप्रिय लोगों में सम्मिलित हो जाना आसान बात भी नही...
ReplyDeleteबढ़िया पोस्ट ..बधाई
आदरणीय सतीश जी ,
ReplyDeleteझा जी के कमेन्ट्स तो पढे हैं । सच में अच्छे तो
लगते हैं । अभी मेरा ब्लाग प्ले-ग्रुप के दौर से गुज़र
इसलिये उनकी टिप्पणियों से अछूता ही है । शायद
कभी वो मज़ेदार टिप्पणियां अपने ब्लाग पर भी देख
पाऊं । दूसरे महानुभाव को नहीं जानती ।पोस्ट तो
आपकी रोचक थी । धन्यवाद !
दोनों ही धुरंधर हैं ... हालाँकि अभी तक किसी से मिलने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ है... लेकिन पहचान तो हो ही जाती है.... :)
ReplyDeleteआभार इस जानकारी के लिये।
ReplyDeleteआपके ब्लॉग पर आकर बहुत अच्छा लगा .आपके दर्शन फरवरी २०११ की ब्लॉग मीटिंग में हुए थे .बहुत सुखद और प्रेरणाप्रद अनुभव रहा था .उसके बाद से ही मैंने 'मनसा वाचा कर्मणा '
ReplyDeleteके ब्लॉग पर लिखना शुरू कर दिया .आपका हार्दिक स्वागत है मेरे ब्लॉग पर.आपके मार्गदर्शन से मै सदा अनुग्रहित रहूँगा .
आपके ब्लॉग पर आकर बहुत अच्छा लगा .आपके दर्शन फरवरी २०११ की ब्लॉग मीटिंग में हुए थे .बहुत सुखद और प्रेरणाप्रद अनुभव रहा था .उसके बाद से ही मैंने 'मनसा वाचा कर्मणा '
ReplyDeleteके ब्लॉग पर लिखना शुरू कर दिया .आपका हार्दिक स्वागत है मेरे ब्लॉग पर.आपके मार्गदर्शन से मै सदा अनुग्रहित रहूँगा .
आपके ब्लॉग पर आकर बहुत अच्छा लगा .आपके दर्शन फरवरी २०११ की ब्लॉग मीटिंग में हुए थे .बहुत सुखद और प्रेरणाप्रद अनुभव रहा था .उसके बाद से ही मैंने 'मनसा वाचा कर्मणा '
ReplyDeleteके ब्लॉग पर लिखना शुरू कर दिया .आपका हार्दिक स्वागत है मेरे ब्लॉग पर.आपके मार्गदर्शन से मै सदा अनुग्रहित रहूँगा .
Jha ji and pabla ji,and you satish sir all of you r grt blog saradars,
ReplyDelete