Monday, June 18, 2012

ब्लोगर साथियों के समक्ष, मेरे गीत का लोक समर्पण - सतीश सक्सेना

16 जून लगभग ५:३० सायं हिन्दी के प्रख्यात हस्ताक्षर डॉ राजेंद्र अग्रवाल जी, डॉ योगेन्द्र दत्त शर्मा , डॉ भारतेंदु मिश्र जी, श्री अशोक गुप्ता ,एवं प्रोफ़ेसर डॉ अम्बरीश सक्सेना, जिन्हें देश में मीडिया  गुरु का दर्ज़ा प्राप्त है , की उपस्थिति में, डॉ देवेन्द्र देवेन्द्र शर्मा "इन्द्र " ने ज्योतिपर्व प्रकाशन के द्वारा प्रकाशित पुस्तक "मेरे गीत " का विमोचन किया !


वयोवृद्ध आचार्य  श्री देवेन्द्र शर्मा "इन्द्र" हिंदी के वरिष्ठ गीतकार हैं। उनकी 50 से अधिक पुस्तकें जिनमे गीत, कविता, ग़ज़ल और आलोचना की पुस्तके शामिल हैं, प्रकाशित हुई हैं ! दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी के सेवानिवृत्त प्राध्यापक और विभागाध्यक्ष श्री इन्द्र पर कम से कम 20 विद्यार्थियों ने शोध किया है।यहाँ उपस्थिति ,टेलीविजन जर्नलिज्म के कद्दावर चेहरों में से एक डॉ अम्बरीश सक्सेना मेरे स्कूल दिनों के सहपाठी रहे हैं ! भयानक गर्मी में, सायं 5 बजे कड़ी धुप में,  घर से चलकर , एक किताब के विमोचन में पंहुचना आसान काम नहीं था , अतः साथियों का आवाहन करते समय मैंने यह पंक्तियाँ लिखी थीं !


आज तुम्हारे पदचापों  की ,
सांस रोककर आशा करता,
तेज धूप में घर से  निकलें
मैं दिल से,आवाहन करता,
देखें कितना प्यार मिला है,कितने घर तक पंहुचे गीत !
कड़ी  धूप में , घर से बाहर,  तुम्हें  बुलाते  मेरे गीत  !


इस दुनियां में मुझसे बेहतर
गीत, सैकड़ो लिखने वाले  !
मुझसे अच्छा कहने वाले,
मुझसे  अच्छा गाने वाले  !
भरी दुपहरी घर से निकलेसुनने आये मेरे गीत  !
मात्र उपस्थित होने से ही, गौरव शाली मेरे गीत !


इस गीत यज्ञ में उपस्थित गुरु जनों का स्वागत करने हेतु , कुछ पंक्तियाँ लिखी हैं   ...


देवेन्द्र शर्मा "इन्द्र" मेरी नज़र में साक्षात् गीतेश भी हैं, उनके समक्ष गीत सुनाना, दुस्साहस सा लग रहा था ! मगर देव वंदना और गुरु वंदना किसी भी आयोजन में आवश्यक मानी गयीं हैं ...


बिल्व पत्र और फूल धतूरा
पंचामृत अर्पित शिव पर !
देवराज सम्मान हेतु, खुद
गज आनन्, दरवाजे पर  !
इन्द्रदेव को घर में पाकर ,शंख   बजाएं मेरे गीत !
आचार्यों की नज़र पड़ी है उत्साहित हैं मेरे गीत !


अपने श्रोताओं में , सहसा,
तुम्हे देखकर मन सकुचाया !
कैसे आये, राह भूलकरमैं
लोभी,कुछ समझ ना पाया !
साधक जैसी श्रद्धा लेकर, तुम भी सुनने आये गीत !
कहाँ से वह आकर्षण लाऊँतुम्हें लुभाएं मेरे गीत !


हमारी मूल पुस्तकों में लिखा है कि गुरुकुल में, उच्च कोटि के प्राध्यापकों में, आचार्य, गुरु और उपाध्याय होते थे जिनमें आचार्य सर्व गुण संपन्न थे वहीँ उपाध्याय अपनी जीविकार्जन के लिए कुछ धन लेकर विद्यार्थी को वेद का कोई एक भाग पढाने पर सहमति व्यक्त करते थे ! इस सभा भवन में मेरे समक्ष न केवल गुरुजन मौजूद थे  बल्कि आचार्यवर की  भी उपस्थिति थी और मैं एक ऐसा विद्यार्थी जिसे कभी उपाध्याय के पाँव छूने का अवसर भी न मिला हों, संकोच में था कि वह  आचार्य समुदाय के समक्ष कैसे सुनाये और क्या सुनाये ....






गीतों का आकलन हेतु ,
आचार्य ,गुरु दरवाजे पर
उपाध्याय के पांव न देखे
क्या जाऊं , दरवाजे पर
सत्यवाक,ध्रतिमान सामने,हतप्रभ होते मेरे गीत !
पद्मनाभ की स्तुति करते, संकोचित हैं, मेरे गीत !


आज हवन को पूरा करने
कमल अष्टदल, आये हैं !
अक्षत पुष्प हाथ में लेकर
गुरु जन, घर में आये हैं !
यज्ञ अग्नि में समिधा देने, मंत्रोच्चारण करते  गीत !
स्वस्ति ध्वनि के साथ,गरजते बादल,देखें मेरे गीत !


मेरे गीतों की रचना कभी भी पुस्तक का आकार अथवा आकर्षण केंद्र बनने के लिए नहीं की गयी ! इस पुस्तक में संकलित मेरे गीत , पिछले २३ वर्षों में लिखे गए थे , शुरू के दिनों के लिखे कुछ गीत अपने मूल स्वरुप और अनगढ़  अवस्था में हैं एवं उन्हें कभी व्यवस्थित करने का भी प्रयास नहीं किया गया ! अधिकतर गीत सामाजिक जीवन की सच्चाइयों से सबक लेकर लिखे गए !


जब भी व्यक्तिगत अथवा किसी मित्र की वेदना का अनुभव हुआ , उसी समय अक्सर बिना प्रयास, एक गीत रचना हुई !


समस्त गीत बेहद ईमानदार हैं , वे तालियों की चाह के लिए अथवा किसी प्रकार के धनोपार्जन के लिए नहीं रचे गए ! सभा में ५-६ मेरे ऐसे सहकर्मी मित्र भी उपस्थिति थे जो मुझे २५ वर्षों से जानते थे और वे  यह देख अचंभित थे कि मैंने यह गीत बरसों पहले लिखे थे और इन्हें पहले कभी नहीं सुनाया गया ! मैंने अपने लेखन कर्म की चर्चा , अपने सहकर्मियों में  कभी नहीं की थी !


जहाँ माता,पिता, बहिन, भाई और वृद्धजनों पर मैं अक्सर गीत अथवा लेख लिखता रहा हूँ वहीँ एक और विषय मुझे अक्सर मुझे उद्वेलित करता रहा है ,हर पिता की लाडली पुत्री की, शेष बचे जीवन के लिए, अपने घर से विदाई ....


यह मेरे लिए बेहद तकलीफ देह है ! मज़बूत पिता के कठोर बदन का यह सबसे कमज़ोर हिस्सा , हमेशा के लिए, नए लोगों के मध्य अपना नया घोंसला बनाने के लिए, विदाई लेता है ! घर की  सबसे नाज़ुक डाली ही अपने वृक्ष से , नव जीवन रचना के लिए,  काट दी जाती है !

अपने बचे हुए पूरे जीवन यह लडकियां अपने पिता और भाई को आशा भरी नज़र से देखती हैं कि वे उसे याद रखे रहेंगे !हमारा यह दायित्व है कि उनकी यह आशा हम हमेशा बनाए रखें और अपने घर के इस पौधे को, सदा हरा भरा रखने के लिए, उसके आसपास बने रहे ! अक्सर बेटी पर लिखे गीत पढ़ नहीं पाता , ऑंखें अक्सर साथ छोड़ जाती हैं ! आशा है पाठक इन भावनाओं के साथ इन गीतों को बेहतर आनंद ले पायेंगे ! 

इस सम्मलेन की विशेषता, दूर दूर से ब्लोगर साथी मेरा साथ देने को वहाँ उपस्थित हुए थे  यह मेरे लिए एक सुखद आश्चर्य था ! हालाँकि अरुण चंद्र रॉय आशंकित थे कि कड़ी गर्मी में इस प्रकार के आयोजन में १० - १५ लोग से अधिक लोग नहीं आ पाते हैं वहाँ इस छोटे से सभागार में लगभग १०० लोग एकत्रित थे ! इसी समारोह  में सुश्री रश्मि प्रभा द्वारा संकलित गीतों के  एक संग्रह खामोश खामोशी और हम का भी विमोचन किया गया !   

उपस्थित सम्मानित ब्लागर साथियों में, समाज को अपनी सेहत के लिए जागरूक बनाते  सर्वश्री कुमार राधारमण  , दिल्ली सरकार से गोल्ड मैडिल सम्मानित न्यूक्लियर मेडिसिन फिजिशियन  डॉ तारीफ़ दराल , संजय भास्कर, अमरेन्द्र त्रिपाठी, अस्वस्थ होने के बावजूद अविनाश वाचस्पति, मितभाषी निशांत मिश्र , ब्लागरों में इकलौता बाबा , दीपक बाबा , जय बाबा बनारस का उद्घोष  करते पुरविया कौशल किशोर मिश्र , स्नेही जज्बाती  एम् वर्मा , पहली बार संजू जी के बिना उपस्थित,हंसाते रहो के मस्त मौला  राजीव तनेजा , जिन्दगी की राहों में अपना साफसुथरा रास्ता तैयार करते  मुकेश कुमार सिन्हा , नवजवान कवि विनोद पाण्डेय, प्रेमी ह्रदय के साथ प्रेमरस वाले शाहनवाज़ सिद्दीकी, तेजतर्रार मगर गुरु के आरुणि  संतोष त्रिवेदी, के अतिरिक्त महिला ब्लोगरों की उपस्थिति मेरे लिए एक सुखद आश्चर्य रहा !

बेहतरीन स्नेही मेज़बान सुश्री सुनीता "शानू "पिलानी से खास तौर पर अपने सुदर्शन,सुसंस्कृत पुत्र के साथ वहाँ आयीं थी , वहीँ क्षितिजा फेम  संवेदन शील एवं स्नेही अंजू चौधरी  "अनु " करनाल से अकेली पंहुचीं थीं ! हंसमुख  वंदना गुप्ता को अनायास वहाँ पाकर मैं आश्चर्य चकित था ,उनके वहां पंहुचने की  कोई पूर्व सूचना नहीं थी   ! स्टार न्यूज़ एजेंसी की ग्रुप एडिटर फिरदौस खान ऐसे आयोजनों में बहुत कम जाती हैं , वे भी वहाँ पूरे सब्र के साथ अंत तक उपस्थित थीं ! निस्संदेह इन महिलाओं की उपस्थिति से कार्यक्रम की गरिमा बढ़ी है और मैं व्यक्तिगत तौर पर इसके लिए आभारी हूँ !

अनुज खुशदीप सहगल की अनुपस्थिति, उनके अस्वस्थ होने के कारण बहुत अधिक खलती रही .......

"मेरे गीत " के बारे में विद्वानों की राय ...


अंतर्मंथन : http://tsdaral.blogspot.in/2012/05/blog-post_19.html
गीत मेरी अनुभूतियाँ : http://geet7553.blogspot.in/2012/06/blog-post.html
क्वचिदन्यतोपि : http://mishraarvind.blogspot.in/2012/06/blog-post.html
बैसवारी : http://www.santoshtrivedi.com/2012/06/blog-post.html
हरिभूमि : http://epaper.haribhoomi.com/Details.aspx?id=5377&boxid=142647772
जख्म जो ...http://redrose-vandana.blogspot.in/2012/06/blog-post_17.html
पुस्तकायन : http://padhatehue.blogspot.in/2012/06/blog-post.html
न दैन्यं न पलायनम : http://praveenpandeypp.blogspot.in/2012/06/blog-post_20.html
पंजाब केसरी :http://www.punjabkesari.com/E-Paper/Magzine/adv_3.pdf
न्यूज़ ट्रैक इंडिया : http://www.newstrackindia.com/photogallery/images/view/1708-MERE-GEET---Book-Release.html

129 comments:

  1. जब आप लोकार्पण कर रहे थे, मैं आपके गीतों का आचमन कर रहा था, पढ़कर मन गदगद हो गया, मन की जो सामर्थ्य थी, प्रवाह बन कर बह आयी।

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    1. मैंने तो मन की लिख डाली , अब शब्दों की जिम्मेदारी ...
      आभार आपका !

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  2. आपको बहुत-2 बधाई.

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    1. आपका स्वागत है रवि भाई ...

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  3. इससे बढ़िया रपट और क्या हो सकती है..?

    ऐसे कार्यक्रम में पहली बार शिरकत की.पुस्तक-विमोचन के अलावा वहाँ गीत,कविता,फेसबुक और ब्लॉगिंग पर भी ज़ोरदार और सार्थक विमर्श हुआ.खासकर डॉक्टर भारतेंदु मिश्र,अशोक शांडिल्य जी ,अम्बरीश सक्सेना जी व देवेन्द्र शर्माजी के वक्तव्य अच्छे लगे.

    ...आपका स्नेह पूरे समारोह में बरस रहा था इसलिए बाहरी गर्मी भी परेशान न कर सकी.आपने जो काव्यपाठ किया ,उसने भी आनंदित किया.

    ...आज आपने रपट के साथ-साथ 'मेरे गीत' की कुछ समीक्षा भी कर दी है.जो लोग इस भाव से पढेंगे उन्हें असली तत्व दिखेगा.

    एक बार पुनः इस प्रकाशन और शानदार विमोचन की बधाई !

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  4. sahaj/saral geeton ko rachne wale nirmal vyaktitwa se akarshan anayas hi hote hain........

    baddi wali badhaiyan bhaijee...


    pranam.

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  5. पुन: हार्दिक बधाई…………आप इस सबके हकदार थे । एक संवेदनशील ह्रदय से जो निकलता है वो सीधा सबके दिल तक पहुंचता है और वो कूवत आप मे है। आप की पुस्तकें इसी प्रकार आकार पाती रहें।

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  6. सतीश जी आपको दिल से बधाई .. हो सके तो एक प्रति भिजवा सकेंगे ?

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  7. गीतों के मध्य सम्मानित आह्वान , गुरु ब्रह्म के शंखनादित स्वर .... इस समारोह में न आने का दुःख है, पर क्या करूँ - फ्लैट बदलना है ...
    शुभकामनायें

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  8. आपकी इस रिपोर्ट का बेसब्री से इंतज़ार था ...बहुत सुंदर ... बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें

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  9. बहुत ही यादगार पल रहे सतीश भाई... खासतौर पर अध्यक्ष महोदय, वरिष्ठ गीतकार श्री देवेन्द्र शर्मा 'इंद्र' जी को सुनना... बहुत-बहुत बधाई, बहुत-बहुत शुभकामनाएं!

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  10. गरीमामय जलसा, और स्नेहीजनों का साथ सोने में सुहागा!!
    बहुत बहुत बधाई!!

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  11. DALBIR SINGH SOLANKI18 June, 2012 12:00

    मेरे गीत पढने से पहले ऐसा लगता था कि इसमें लेखक के व्यकिगत अनुभव है परन्तु पढने के ऐसा लगा कि मेरे गीत नहीं बल्कि मेरे तेरे और सबके गीत है मानवीय संवेदनायों और अनुभूतियो को इसमे बहुत ही अच्छी तरह से व्यक्त किया गया है
    एक अच्छी और मार्मिक रचना के लिए लेखक निसंदेह बधाई का पात्र है

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  12. DALBIR SINGH SOLANKI18 June, 2012 12:01

    मेरे गीत पढने से पहले ऐसा लगता था कि इसमें लेखक के व्यकिगत अनुभव है परन्तु पढने के ऐसा लगा कि मेरे गीत नहीं बल्कि मेरे तेरे और सबके गीत है मानवीय संवेदनायों और अनुभूतियो को इसमे बहुत ही अच्छी तरह से व्यक्त किया गया है
    एक अच्छी और मार्मिक रचना के लिए लेखक निसंदेह बधाई का पात्र है

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  13. साइड में मैं भी था।

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    1. माफ करना कुमार राधारमण , भूल सुधार कर ली है ...

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    2. ओह, आपसे मिलना हो नहीं पाया.

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  14. सतीश जी
    आपने मुकम्मल रिपोर्ट पेश की है...जो क़ाबिले-तारीफ़ है...
    आपको एक बार फिर से हार्दिक शुभकामनाएं...
    आपकी दूसरी किताब जल्द आए...कामना करते हैं...
    आपने सही कहा है कि हम ऐसे आयोजनों में न के बराबर ही जाते हैं, लेकिन आपकी किताब के विमोचन समारोह में शिरकत करके हमें दिली मुसर्रत हासिल हुई...
    आप तो जानते ही हैं कि हमारा काम ही ऐसा है कि वक़्त नहीं मिल पाता कहीं जाने के लिए...

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    1. शुक्रिया फिरदौस खान ..
      आपके आने से समारोह की गरिमा बढ़ी है !

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  15. ब्लागरों के बीच, किसी ब्लागीय किताब के लोकार्पण का यह पूरा कार्यक्रम संतोष-प्रद रहा. ब्लॉग से बेहतर को छांट कर यह संचयन का प्रयास होना ही चाहिए. अपन भी शिरकत लिए, खुशी भई!

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    1. अच्छा लगा आपके आने से ...

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  16. सतीश जी को बधाई,

    बहुत ही गरिमामय वातावरण में 'मेरे गीत' का विमोचन अच्छा लगा. बलोग्गिंग के मित्रों को मिल कर आनदं आया.

    साधुवाद.

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  17. बहुत-बहुत बधाई सहित शुभकामनाएं

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  18. मेरे गीत, प्रकाशन और शानदार विमोचन की बहुत२ बधाई,,,काश मै भी वहा होता,,,,,,,,

    RECENT POST ,,,,,पर याद छोड़ जायेगें,,,,,

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  19. hardik badhayee.....sorry aa nahin payee.

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  20. इस भव्य समारोह में शामिल होकर बहुत अच्छा लगा सतीश जी . इतने ब्लॉगर्स के बीच पुस्तक विमोचन का शायद यह पहला अवसर रहा . आपकी प्रस्तुति बहुत बढ़िया लगी . सभी से मिलकर आनंद आ गया .
    पुन: बधाई और शुभकामनायें .

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    1. शुक्रिया भाई जी ,
      आप की उपस्थिति प्रेरणादायी है..

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  21. गीतों की तरह ही गीतमयी सुन्दर रिपोर्ट.शुभकामनाएं आपको

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  22. बेहद खुशी हुई विमोचन समारोह की सफलता जान कर......
    (ज़रा सी जलन भी )
    अगली पुस्तक के विमोचन में हम भी पक्का शरीक होंगे .............
    :-)
    ढेर सी शुभकामनाएं.....
    सादर
    अनु

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    1. जलन महसूस कर अच्छा लगा :))

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  23. Replies
    1. आभार आपका भाई जी ...

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  24. भाई जी .
    मेरी तरफ़ से ढेरों खुशियाँ मुबारक हों !

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    1. आपका आशीष फलीभूत रहा ...

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  25. "मेरे गीत" पुस्तक विमोचन की बढ़िया रिपोर्ट पेश की है आपने !
    जहाँ मन प्रसन्न हुआ पढ़कर वही थोडा खेद भी हुआ हमारे उपस्थित ना होने का,
    अगले पुस्तक समरोह में जरुर शामिल होंगे ! बहुत बहुत बधाई !

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    1. शुक्रिया सुमन जी ...

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  26. सतीश जी आपको बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं

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  27. bahut bahut baduai satish jee ....

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  28. यादगार पल ...बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं

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  29. सतीश जी वास्तव में मैं शुरू से ही बहुत आशंकित था. आपको बताया नहीं लेकिन एक दिन पूर्व देवेन्द्र जी की तबियत बिगड़ गई थी और उन्होंने आशंका जताई थी कि नहीं उपस्थित हो पाएंगे... किन्तु अंत में सब ठीक हुआ. उनके गरिमामय अध्यक्षीय संबोधन ने उस संध्या को नई ऊँची प्रदान की. इस से पता लगता है हमारी पिछली पीढा का ज्ञान कई सामानांतर भाषाओं में होता था और कितना व्यापक होता था.. आज हम एक भाषा नहीं संभल पाते हैं... और हमारी पिछली पीढी कम से कम तीन भाषाओँ पर बराबर अधिकार रखती थी... हिंदी उर्दू और अंग्रेजी भी... देवेन्द्र शर्मा इन्द्र जी के भाषण से हम ब्लोगर को यह सन्देश लेना चाहिए कि अभ्यास बहुत आवश्यक है सशक्त लेखन के लिए... ऐसी मर्यादित और गंभीर साहित्यिक गोष्ठी कम ही देखने को मिलती है..... आपकी साहित्यिक यात्रा का आरम्भ स्थापित साहित्यकारों के सानिध्य में हुआ है, जिसे मैं व्यक्तिगत रूप से एक उपलब्धि मानता हूं... गीत विधा के तीन पीढी के जानकर का एक मंच पर होना वाकई हर्षित कर देने वाली घटना है... आपको पुनः हार्दिक शुभकामना व बधाई...

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    1. आपका परिश्रम सफल रहा अरुण भाई ...
      बधाई और शुभकामनायें कि आप शीघ्र शिखर पर पंहुचेंगे !
      आपके प्रयास फलीभूत हों ...

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  30. Satish Sir!! aapke blog pe aana-jana to shayad jab maine blog banaya tha, tab se hai....mujhe yaad bhi hai maine ek baar kaha bhi tha, aap to har vidha me likhte ho, fir blog ka naam "mere geet" kyon? par jab aapkee pustak aur aapki lay me padhte hue kavya path ko dekha to sabse pahle khud me kah raha tha .. wah sir!! aap simply superb ho!! pahle kabhi nahi mile fir bhi jitne pyar se aapne mujhe apne bahon me liya.. wo ek pyara sa kavi hi kar sakta hai...dil se khushi hui aapke iss vimochan par khud ko pakar... aap bahut aage jayenge sir... badhai aur subhkamnayen:)

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    1. मैं जानता हूँ कि आप शुरू से ही स्नेही हैं...
      आपके आने से बहुत अच्छा लगा !

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  31. भव्य लोकार्पण, शानदार रिपोर्टिंग, इस आयोजन के दृष्टिगत रचे गये भाव पूर्ण गीत, गुरूजनो का आशीर्वाद और ब्लॉग मित्रों का साथ...और क्या चाहिए! सबकुछ तो दिख रहा है इस आयोजन में।...बहुत बधाई।

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    1. वाह देवेन्द्र जी ...

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  32. शुभकामनाएं पुनः पुनः, बारम्‍बार. हम तो खुशदीप जी के साथ उपस्थित हो गए चित्र में, सुखद.

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    1. खुशदीप जी पथरी के दर्द के कारण हॉस्पिटल में हैं , उनका न आ पाना मेरे लिए कष्टकारक था ..
      आभार आपका !

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  33. एक बार फ़िर से बधाई!

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    1. बार बार आभार अनूप भाई ...

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  34. मेरे गीत लोकार्पण पर बहुत बहुत बधाई और ढेरों शुभकामनाएं ....

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  35. बहुत बहुत शुभकामनायें आपको :)

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  36. आपने सितारों का जमघट लगा दिया वहां तो ! बहुत बहुत बधाई !

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    1. इस कमेन्ट में बिलकुल मज़ा नहीं आया गुरु ...

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  37. आपके ब्लॉग पर लम्बे समय से आपके गीत पढ़ रही हूँ..... शब्दों से आपका यह स्नेहिल सम्बन्ध सदा बना रहे ..... यही प्रार्थना है प्रभु से .... शुभकामनायें स्वीकारें

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    1. आपकी आशीषे फलीभूत हों यही कामना है ...
      आभार

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  38. चित्रों भरी झांकी और आपके गीत के स्वर बड़े मनभावन हैं।
    बधाई।

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    1. शुक्रिया भाई जी , आपकी कमी खली है ...

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  39. Replies
    1. शुक्रिया शिवम भैया ...

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  40. मेरे गीत के सफल विमोचन कार्यक्रम के लिए बधाई।

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  41. सतीश भाई!
    माफी चाहता हूँ। आप के आग्रह और पूरा मन होने के बाद भी इस समारोह में नहीं आ सका। एक योजना आगे के लिए टल गई। उस के लिए कुछ ही दिनों में फिर दिल्ली आना पड़ेगा। अभी बाएँ पैर के घुटने के लिगामेंट की चोट पूरी तरह ठीक नहीं हो सकी है। उस के कारण चलने में तकलीफ तो है ही। मैं समझता था मैंने जिस नी-ब्रेस का आर्डर किया था वह शुक्रवार तक मुझे मिल जाएगा। लेकिन वह अभी तक नहीं मिला। वर्तमान नी-कैप चलने में उतनी मदद नहीं कर रही है। बस अपने इसी कष्ट से बचने के लिए नहीं आ सका।
    जल्दी ही आप से मिलूंगा। आप को और भाभी को कुछ घंट ही सही मेजबानी का कष्ट देने के लिेए।
    पुस्तक पूरी पढ़ ली है। आप की रचनाएँ जीवन और उस से उद्वेलित भावनाओँ की उपज हैं। उन में जहाँ मनुष्य और मनुष्य की बराबरी के लिए असीम प्रेम के दर्शन होते हैं, वहीं गैर बराबरी के लिए नफरत और अहंकार के लिए व्यंग्य भी हैं।

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  42. लोकार्पण के लिए बधाई...अगली पुस्तक के लिए शुभकामनाएँ !!
    sorry...aa nahi paayi.

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  43. एक तरफ कार्यक्रम की झलकियाँ और दूसरी तरफ आपके भावों का प्रवाह ....वहीँ " मेरे गीत" गीत संग्रह के प्रकाशन और विमोचन की दास्ताँ ....सब अनूठा बन पड़ा है ...आपको अशेष शुभकामनाएं ...!

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    1. शुक्रिया केवल राम जी

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  44. गीतमय लोकार्पण की झलकियाँ और पुस्तक के कुछ अंश कार्यक्रम में चार चाँद लगा गये ...
    बधाई और शुभकामनायें !

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  45. कार्यक्रम में शामिल न हो पाने की कसक इस सचित्र रपट से कुछ कम हो गई| इस ख़ूबसूरत मौके की फिर से आपको बधाई|

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  46. badhaai samaaroh safaltaa sae sampann hua aur kisi ko koi shikyaat nahin raheii

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    1. आपका शुक्रिया रचना...

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  47. सतीश भाई ,
    पुन: माफ़ी चाहता हूं कि मेरा लगभग तय होने के बाद भी मैं पहुंच नहीं सका , बल्कि साथ में और भी कुछ मित्रों को आना था और वे भी इसी कारणवश न पहुंच सके क्योंकि उन्हें मेरे साथ ही आना था । आपके गीतों की अनुगूंज से जगत गुंजायमान है देख सुन और पढ रहा हूं । अपनो की उपलब्धि बडा सुकून और गर्व का एहसास दिलाती है । मिलने पर शेष बातें होंगी । वैसे मेरी प्रति कहां है :) :)

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    1. अजय भाई , आपकी प्रति मेरे पास पहुँच गई है .:)
      जब चाहे ले सकते हैं .

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    2. जी शुक्रिया सर , मैं जल्दी ही लेता हूं

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  48. बहुत बहुत बधाई .....!

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    1. स्वागत है आपका ...

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  49. बहुत बहुत बधाई .....!

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  50. बहुत ख़ुशी हुई यह पोस्ट पढ़ कर - बधाई आपको :)

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    1. आभार आपके आने का ..

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    2. अगली पोस्ट rss feed पर दिखती है - लेकिन यहाँ नहीं मिलती :(

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  51. Mast Mast samaroh tha ....

    jai baba banaras....

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    1. आपके आने पर अच्छा लगा मिश्र जी ..

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  52. बहुत बधाई सतीश जी पुस्तक प्रकाशन पर और उसके सफल विमोचन आयोजन पर. बहुत सुंदर चित्रण किया इस सारे आयोजन का.

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  53. जैसे गीतों की माला वैसे ही समारोह में आपके चाहने वालों की उपस्थिति देखकर मन प्रफुल्लित हो गया ..
    बस यूँ ही आप लिखते रहें हम भी आपके नए गीतों का इंतजार करते रहेंगे . मजे लेंगे

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    1. स्वागत है आपका ...

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    2. geeton ki dunian hi jeevan ka aadhar hai,jeevan ka vichar hai, jeevan ka hathiar hai tatha shabdon ka mah hathiar 'maiajal' hai. isi kram me aapko samarpit-------------
      Apne swapna sanjona tum,
      hatiaron ke jhan-jhan swar par
      Apne kadam badhana tum ,
      angaron- solon ke path par
      Apne sej sajana tum ,
      phoolon aur kaanton ke beech.
      -------------------------
      ---------Suchinchal

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    3. स्वागत है आपका ...

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  54. बहुत ख़ुशी हुई आपकी पुस्तक विमोचन के बारे में पड़कर ........... ढेरों बधाई आपको !

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  55. बहुत बहुत बधाई शतीश जी गीत पढ़ कर मन गदगद हो गया बस यूँ ही लिखते रहिये
    और शब्दों की सैर करते रहिये

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    1. शुक्रिया ममता जी ...

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  56. भव्य समारोह में शामिल होकर बहुत अच्छा लगा सतीश जी सभी से मिलकर आनंद आ गया सफल विमोचन कार्यक्रम के लिए बधाई..!!!

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  57. मेरे गीत के विमोचन में आप सब से मिलकर बहुत प्रसन्नता हुई !

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  58. बहुत बहुत बधाई आपको आपकी पहली कृति के विमोचन हेतु ..........गीत संग्रह मेरे हाथों में है ............अप्रितम कृति !

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    1. उर्मिलेश जी के घर मेरे गीत पंहुचे, जानकार अच्छा लगा सोनारूपा ! अपनी माँ को मेरा प्रणाम कहना !

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  59. काश मै भी वहा होता,,,,,,आपके ( मेरे ) गीतों के प्रकाशन और शानदार विमोचन की ढेरों बधाइयाँ और शुभकामनाएं की यूँ ही गूंजते रहें आपके गीत..................

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    1. आपके आने से, मिलने की इच्छा पूरी हो जाती ...
      आभार !

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  60. आपको इस कार्यक्रम की एक बार फिर से बधाई .....इन यादगार पलों के हम भी साक्षी रहे ...

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    1. तुम बहुत बहादुर हो अनु ...
      आभार !

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  61. बहुत बहुत हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ,सतीश भाई.
    बहुत ही सुंदरता से चित्रण किया है आपने एक विलक्षण समारोह का.
    आपकी पुस्तक मुझे मिली,धीरे धीरे पढ़ रहा हूँ.
    आपको धन्यवाद कहने के लिए शब्द नहीं हैं मेरे पास.
    आभार,

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    1. शुक्रिया राकेश भाई ...

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  62. कार्यक्रम का बहुत रोचक वर्णन...हार्दिक शुभकामनायें...

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    1. शुक्रिया भाई जी ...

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  63. बहुत -बहुत बधाई आपको...
    शुभकामनाये ....
    :-)

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  64. सतीश जी, आज ही अपना ग्रीष्मकालीन अवकाश समाप्त कर घर वापस लौटी हूं. पुस्तक के शानदार विमोचन-समारोह के लिये बधाई स्वीकारें.

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    1. आभार आपका वंदना जी....

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  65. आपके गीत-विमोचन समारोह का रोचक वर्णन पढ़ कर अपार ख़ुशी हुई...हार्दिक शुभकामनायें...

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  66. आपके गीत-विमोचन समारोह का सुंदर वर्णन पढ़ कर अपार ख़ुशी हुई...हार्दिक शुभकामनायें...

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    Replies
    1. आभारी हूँ अमृता जी ...

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  67. आपकी रपट लाजवाब लगी ... मज़ा आया पढ़ के ... इस पुस्तक प्रकाशन पे हार्दिक बधाई ...

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    1. शुक्रिया दिगंबर भाई...

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  68. हार्दिक प्रसन्नता हो रही है, दिली मुबारकबाद स्वीकार करें.

    रामराम

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    1. ताऊ के आने से रौनक आ गयी भाई जी ...
      आभार

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  69. सतीश जी ,मुबारक हो आपको। मुझे आपका स्नेह याद रहेगा !

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    1. आपका भी भुला नहीं सकते भाई जी ...

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  70. हार्दिक शुभकामनायें!

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  71. सतीश जी, आपने गीत लिखते समय भले ही पुस्तक प्रकाशन के बारे में न सोचा हो, हमने आपके गीत पढकर ऐसी कल्पना की थी, शायद अन्य पाठकों ने भी की हो। सबकी इस इच्छा को फलीभूत होते देखना बहुत सुखद है। इस आयोजन पर सभी शुभाकांक्षियों का एकत्र होना स्वाभाविक ही है। जो दूर हैं उनकी शुभकामनायें भी आपके साथ हैं! आपकी लेखनी यूँ ही निरंतर रचती रहे।

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    1. आपके स्नेह का आभारी हूँ अनुराग भाई ! शायद आपके आशीषों के कारण ही यह समभव रहा ! आपसे प्रेरणा मिलती रही है !
      आभार ...

      Delete
  72. sateesh bhai ji

    sabse pahle to aapko is pustak ke prakashan ke liye bahut bahut hi hardik badhai.
    viase ek baat dil se kahna charahi hunki aapke har geet me khas kar betiyon ke sandarbh me likhe har geet ko padh kar mujhe bahut hi rona aata hai.karan meri bhi do betiyan hain aur aapke geeto ko padhkar bahut hi prabhavit hoti hun.
    isshubh avsar ke liye meri hardik badhai punahswikaren-----
    sadar naman
    poonam

    ReplyDelete
    Replies
    1. आप संवेदनशील हैं, बेटियों की माँ है सो भाग्यवान हैं !
      आप यह महसूस नहीं करेंगी तो और कौन करेगा !
      आभार तुम्हारे स्नेह के लिए पूनम !

      Delete
  73. निसंदेह बधाई के पात्र हैं आप भव्य आयोजन के लिए भी ओर मेरे गीत के लिए भी

    यदि चाहें तो दो प्रतियां समीक्षार्थ निम्न पते पर प्रेषित करें
    ‘समय समीक्षा’ , संपादन शील अमृत, द्वारा कीर्ति पटेल विवेकानंद नगर, एमसीएस स्कूल के पीछे,
    बालाघाट. 481001

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    Replies
    1. शुक्रिया,
      मैं प्रकाशक को आपका सुझाव भेज रहा हूँ ...

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  74. देर ही सही लेकिन मेरी बधाई स्‍वीकार कीजिए।

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    Replies
    1. स्वागत है आपका , आभारी हूँ !

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  75. ऐसा स्वागत और अभिनंदन गीत पहले नहीं सुना. बहुत सुंदर. आपको हार्दिक शुभकामनाएँ सतीश जी.

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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