डॉ अमर कुमार का कहना है कि ...
"अब लीजिये, शरदपवार भये अमर कुमार : यहाँ कुछ यही बानगी है, आज मैंने स्वयं से अनुमति लेकर, अपने वेवकैम से अपना ही फोटो अपने हाथों खींचा है । जिसमें कुछ कलाकारी करने का असफल प्रयास भी शामिल है । अस्थायी रूप से मेरा थोबड़ा बिगड़ गया तो क्या, मैं गर्व से यह तो पूछ ही सकता हूं । सर जी, फोटो ठीक आयी है ?"
"अब लीजिये, शरदपवार भये अमर कुमार : यहाँ कुछ यही बानगी है, आज मैंने स्वयं से अनुमति लेकर, अपने वेवकैम से अपना ही फोटो अपने हाथों खींचा है । जिसमें कुछ कलाकारी करने का असफल प्रयास भी शामिल है । अस्थायी रूप से मेरा थोबड़ा बिगड़ गया तो क्या, मैं गर्व से यह तो पूछ ही सकता हूं । सर जी, फोटो ठीक आयी है ?"
अगर ब्लोगिंग में बहादुरी की मिसाल देखनी है , तो राय बरेली चलें डॉ अमर कुमार से मिलने ! कानपूर मेडिकल कॉलेज से एम् बी बी एस डॉ अमर कुमार , देश में हिंदी विकास के लिए ,समर्पित गिने चुने योद्धाओं में से एक हैं ! और ब्लोगिंग में अपनी बेवाक भाषा के लिए मशहूर हैं !
अगर अचानक किसी मस्तमौला और हँसते हुए सर्वसम्पन्न इंसान को यह कहा जाए कि उसे कैंसर है तो शायद अच्छे भले पहलवानों को पसीने छूट जायेंगे ! ऐश्वर्यशाली जिन्दगी के एक खराब मोड़ पर, खुद डॉ अमर कुमार को यह पता नहीं चला कि लोगों का इलाज़ करते करते वे खुद कैंसर वार्ड में दाखिल हो चुके हैं !
शानदार सुदर्शन व्यक्तित्व के मालिक अमर कुमार, कैंसर ओपरेशन के बाद का, अपने बदले चेहरे का फोटो , अपने नए लेख के साथ प्रदर्शित करते हुए लिखते हैं ,कि अमर कुमार भी, अब शरद पवार जैसे लग रहे हैं ! :-(
कम से कम मेरे लिए यह पढना बेहद दर्दनाक रहा ! शायद मैं, हँसते हुए कह रहे, डॉ अमर कुमार की वेदना को महसूस कर पाया था ! इन शब्दों को पढ़ते हुए मेरा मस्तक इस कर्मयोगी के आगे अनायास ही झुक गया ! वन्दनीय है यह बहादुरी ! जीवन में दर्दनाक क्षणों को , हँसते हुए क्षणों की तरह ही जीना है ! यह समय भी कट जाएगा ! कल का किसी को कुछ नहीं पता ......
यह पोस्ट लिख दी ताकि मेरे बच्चों को एक शिक्षा मिल सके कि बहादुरी के साथ शानदार जीवन कैसे जिया जाता है !
आ बता दें कि तुझे कैसे जिया जाता है .....
(यू ट्यूब से साभार )
डॉ अमर कुमार का इस पोस्ट पर दिया गया कमेन्ट , मैं पोस्ट का हिस्सा बनाना चाहता हूँ , शायद यह प्रेरणास्पद शब्द ,हम सबको कुछ समझा सकें ..
यहाँ अब तक उपस्थित सभी शुभाकाँक्षियों को मेरा विनम्र अभिवादन !
सँदेश साफ़ है.. जो अपरिहार्य है, उसे हँस कर स्वीकार करिये । बिसूरने से.. रोने चिल्लाने से आपकी सज़ा की मियाद कम न होगी.. उल्टे दर्द और बढ़ ही जायेगा । जब तक जीवित हो, बुरे से अच्छों के पक्ष में लड़ते रहो.. कल कोई तुम्हें याद भले ही न करे... पर तुम उन अच्छाईयों में ज़िन्दा रहोगे ।
गीतकार के शब्दों में... नाम गुम जायेगा... चेहरा यह बदल जायेगा.. मेरी आवाज़ ही पहचान है.. ग़र याद रहे ।
(यू ट्यूब से साभार )
डॉ अमर कुमार का इस पोस्ट पर दिया गया कमेन्ट , मैं पोस्ट का हिस्सा बनाना चाहता हूँ , शायद यह प्रेरणास्पद शब्द ,हम सबको कुछ समझा सकें ..
यहाँ अब तक उपस्थित सभी शुभाकाँक्षियों को मेरा विनम्र अभिवादन !
सँदेश साफ़ है.. जो अपरिहार्य है, उसे हँस कर स्वीकार करिये । बिसूरने से.. रोने चिल्लाने से आपकी सज़ा की मियाद कम न होगी.. उल्टे दर्द और बढ़ ही जायेगा । जब तक जीवित हो, बुरे से अच्छों के पक्ष में लड़ते रहो.. कल कोई तुम्हें याद भले ही न करे... पर तुम उन अच्छाईयों में ज़िन्दा रहोगे ।
गीतकार के शब्दों में... नाम गुम जायेगा... चेहरा यह बदल जायेगा.. मेरी आवाज़ ही पहचान है.. ग़र याद रहे ।
डॉक्टर अमर कुमार जी,दीर्घजीवी हों। वे हैं जिन से हम प्रेरणा प्राप्त करते हैं।
ReplyDeleteवन्दनीय है यह बहादुरी ! जीवन में दर्दनाक क्षणों को , हँसते हुए क्षणों की तरह ही जीना है ! यह समय भी कट जाएगा ! कल का क्या पता ......
ReplyDeleteसार्थक लेखन ...!!
वाकई वन्दनीय हैं ऐसे लोग |
डॉ.अमर कुमार ,की ऊर्जा कभी कम न हो ,वे इसी प्रकार जीवन्त रह कर चिरकाल तक हम सब के लिए प्रेरणा के स्रोत बने रहें !
ReplyDeleteडा. अमर कुमार जी सचमुच एक मिसाल हैं !
ReplyDeleteजीने की प्रेरणा तो ऐसे ही बहादुर लोगों से प्राप्त होती है !
कैसे नादां है वो, गम से अनजान है जो,
ReplyDeleteरंज ना होता अगर, क्या खुशी की थी कदर,
दर्द खुद ही मसीहा दोस्तों,
दर्द से भी दवा का दोस्तों काम लिया जाता है,
आ बता दें के तुझे कैसे जिया जाता है...
डॉ अमर कुमार- इस कुमार का अमरत्व कालजयी है...
long live Doctor Sahib...
जय हिंद...
शरद पंवार को नाम तो ना जोड़ों। उसका चेहरा तो भ्रष्टाचार से विकृत हुआ है। अमर कुमार जी को शुभकामनाएं।
ReplyDeleteunke himmat aur apke jajbat dono ko
ReplyDeletesalam...........is post se pahle unka post padha.........lekin ye baat samajh nahi paye........
pranam.
अमर कुमार जी के जिन्दादिली को सलाम करते हुए,
ReplyDeleteगीत की अंतिम वही पंक्तियाँ हम सब के लिए प्रेरणा दिलायेंगे!
हम ने भी जीना सिख लिया है !
मन को व्येथित कर गई पोस्ट !
प्रेरक
ReplyDeleteजिसे खुद पे हँसना हजूर आ गया
उसे जिन्दगी का शऊर आ गया
प्रणाम
जिन्दगी जिन्दादिली का नाम है.....
ReplyDeleteडॉ.अमर कुमार चिरकाल तक हम सब के लिए प्रेरणा के स्रोत बने रहें !
डा.अमर कुमार जी ने अपने नाम को सार्थक किया है और आगे भी करते रहें हम यही मंगलकामना करते हैं.
ReplyDeleteसार्थक लेखन ...!!
ReplyDeleteवाकई वन्दनीय हैं ऐसे लोग
प्रेरक पोस्ट ! डॉक्टर अमर कुमार swasth tatha दीर्घजीवी हों....
ReplyDeleteडा. अमर कुमार जी सचमुच एक मिसाल हैं !वाकई वन्दनीय हैं ऐसे लोग
ReplyDeleteशुभकामनाएं डॉ सा'ब को
ReplyDeleteडा. अमर कुमार जी एक मिसाल हैं ऊर्जा की...
ReplyDeleteबहुत ही प्रेरणा दायक लेख ...
वंदनीय है डॉ. अमरकुमार...और उनके कार्य भी अनुकरणीय है, मेरे लिए गर्व की बात है कि वे "कदम" का हिस्सा बनें...मैं आभारी हूँ ..
ReplyDeleteअमर कुमार जी के ज्ज्बे को सलाम। उनकी बहादुरी और जिजीविषा को देखकर किशोर दा का यह गीत याद आ रहा है, 'कभी पलकों पे ऑंसू हैं, कभी लब पे शिकायत हे, मगर ऐ जिन्दगी फिर भी, मुझे तेरी जरूरत है।'
ReplyDeleteऐसे व्यक्तित्व ही दूसरो के प्रेरणास्त्रोत बन जाते हैं। नमन है ऐसे बहादुर और कर्मठ व्यक्तित्व को और यही ईश्वर से प्रार्थना कि उन्हे इस भयावह बीमारी से जल्द से जल्द ठीक करे।
ReplyDeleteईश्वर से यही कामना है की डॉ. साहेब हमेशा स्वस्थ रहें और उनसे प्रेरणा पाकर हम जैसे अनेक कमजोर इंसान जीवन को उर्जामय रूप में व्यतीत करें ....... आपके प्रयास अनुकर्णीय है, ब्लोगिंग में एक नई विधा को आपने पल्लवित किया है अपने इन प्रयासों से आभार आपका !
ReplyDeleteआपके लेख ने उनके व्यक्तित्व और जीवन में एक चाँद और जोड़ दिया...
ReplyDeleteआप और डॉ. साहब, दीर्घायु हों और हमारा मार्गदर्शन यूँही करते रहें|
डॉ. साब को शुभकामनाएँ
ReplyDeleteडा० अमर एक प्रेरणा हैं ..आज उनका ब्लॉग पढ़ा ...परिचय के लिए आभार ...शुभकामनायें
ReplyDeleteदुआ है की डॉ.अमर कुमार दीर्घायु हों ..और इसी जीवत से जीवन जीते रहे !
ReplyDelete
ReplyDeleteमेरे दद्दू, मेरे भ्राता... तुमने मुझे ही लपक लिया । धन्य हो आप... और मेरा धन्यवाद भी आपको । इतनी टिप्पणियाँ तो मूल पोस्ट पर भी नहीं है, यहाँ अब तक उपस्थित सभी शुभाकाँक्षियों को मेरा विनम्र अभिवादन !
सँदेश साफ़ है.. जो अपरिहार्य है, उसे हँस कर स्वीकार करिये । बिसूरने से.. रोने चिल्लाने से आपकी सज़ा की मियाद कम न होगी.. उल्टे दर्द और बढ़ ही जायेगा । जब तक जीवित हो, बुरे से अच्छों के पक्ष में लड़ते रहो.. कल कोई तुम्हें याद भले ही न करे... पर तुम उन अच्छाईयों में ज़िन्दा रहोगे ।
गीतकार के शब्दों में... नाम गुम जायेगा... चेहरा यह बदल जायेगा.. मेरी आवाज़ ही पहचान है.. ग़र याद रहे ।
गुरु भाई ,
ReplyDeleteअभी-अभी आप की पोस्ट पड़ी ,डाक्टर अमर जी से रूबरू हुआ आप की इस पोस्ट द्वारा !
दुःख और खुशी का एहसास एक साथ हुआ!
दुःख - जिन कष्टों से वो गुजरे !
खुशी- उन पर जीत हासिल करने के लिए !
मेरी ओर से बहुत-बहुत शुभकामनाएँ !
आप सब खुश रहें ,स्वस्थ जीवन जीये !
अशोक सलूजा !
प्रेरणा दायक इस पोस्ट के लिये आपको व डॉक्टर अमर कुमार दोनों को बहुत बहुत बधाई व शुभकामनायें!
ReplyDeleteये तो पता था कि कुछ दिन डॉ. अमर कुमार अस्वस्थ थे, पर मामला ये था, ये आज मालूम हुआ. सच में वे प्रेरणास्रोत हैं, हमलोगों के लिए.
ReplyDeleteDR अमर कि जिंदादिली के तो सभी कायल हैं.वाकई वन्दनीय हैं ऐसे लोग.
ReplyDeleteएक ज़िंदादिल ब्लागर के लम्बी उम्र की कामना :)
ReplyDeleteसार्थक लेखन ...!!
ReplyDeleteवाकई वन्दनीय हैं ऐसे लोग |
श्रीमान सतीश सक्सेना जी नमस्कार !
कृपया किसी सज्जन व्यक्ति की समानता किसी भ्रस्टाचारी से न करें तो अच्छा होगा.
यह बात किसी के दिल को ठेस भी पहुंचा सकता है
सार्थक लेखन ...!!
ReplyDeleteवाकई वन्दनीय हैं ऐसे लोग |
श्रीमान सतीश सक्सेना जी नमस्कार !
कृपया किसी सज्जन व्यक्ति की समानता किसी भ्रस्टाचारी से न करें तो अच्छा होगा.
यह बात किसी के दिल को ठेस भी पहुंचा सकता है
जीवनदाता डॉक्टर.
ReplyDeleteडॉ.अमर कुमार के हौसले को सलाम.
ReplyDeleteडाक्टर साहब को हार्दिक शुभकामना, जीवन जीना तो कोई इन से सीखे!
ReplyDeleteईश्वर डाक साहेब को सद्बुद्धि और सु-स्वास्थ्य नवाजें !! मेरी ओर से अनेकानेक शुभकामनाएँ !!
ReplyDeleteयह अमर-उत्साह काबिले-सलाम है !!
मरना तो सभी को है एक न एक दिन,पर जो मरने से पहले कुछ ऐसा कर जाएँ की इंसानियत जीवत हो जाये ,तो वे अमर हो जाते हैं.आपको और डॉ.अमर कुमार को जिंदादिली के लिये आभार.
ReplyDeleteजो अपरिहार्य है, उसे हँस कर स्वीकार करिये । बिसूरने से.. रोने चिल्लाने से आपकी सज़ा की मियाद कम न होगी.. उल्टे दर्द और बढ़ ही जायेगा ।
ReplyDeleteज़िन्दगी का सार यही है...जिसने समझ लिया...विजय प्राप्त कर ली.....
डा. अमर जी की जीवटता अनुकरणीय है...शुभकामनाएं
विपरीत परिस्थितियों में भी मनोबल बनाये रखना एक साहसिक कार्य है । डॉ अमर कुमार बेशक एक जीवट व्यक्ति हैं। उन्हें दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य के लिए शुभकामनायें ।
ReplyDeleteबहादुरी की मिसाल।
ReplyDeleteआ बता दें कि तुझे कैसे जिया जाता है .....यही सिखाता है डॉक्टर अमर कुमार का ज़ज्बा!!
ReplyDeleteउन्हें शुभकामनाएँ..
डा. अमर कुमार जी सचमुच एक मिसाल हैं
ReplyDeleteहमने तो एक बार डाक्टर साहब को एक कमेंट किया था(स्वाभाविक तारीफ़ वाला), उसी में ऐसा झटक दिया था डाक्टर साहब ने कि तारीफ़ का स्टाईल ही बदल गया हमारा:)
ReplyDeleteहम तो जब सिर्फ़ याहू पर थे, तब से उनके प्रशंसक हैं। उनके लेखन के, सेंस ऑफ़ ह्यूमर के तो पहले से ही कायल थे,अब तो उनके जीवट के और ज्यादा कायल हो चुके हैं।
हार्दिक शुभकामनायें डाक्टर साहब को और बहुत सा आभार आपको कि नि:शंक उनकी तारीफ़ करने का मौका दिया।
अमर शब्द में राम छिपा
ReplyDeleteजो कटु सत्य ही कहता है.
उनका कमेन्ट पाने वाला
असमंजस में ही रहता है.
.... स्तुति की है अथवा प्रशंसा?
तब हम भी सोच लेते हैं कि
ये उनका स्टाइल होइंगा
होठों पर ना, दिल में हाँ होइंगा.
सच कहा है कल किसको पता। इसलिए जब तक जिदंगी है उसे बहादुरी से जीना चाहिए। ऐसे ही लोगो पर दुनिया कायम है। हमारी तरफ से भी इस बहादुरी को चरण वदंन।
ReplyDeleteपीड़ा में आनंद जिसे हो,
ReplyDeleteआए मेरी मधुशाला....यह मधुशाला ऐसी है कि जिसने अमृतघट छलकाए हैं!!
DR. amar kumar aapke jajbe ko salam. hum parthna karte hai k aap yun hi sada haste or muskarate rahe :)
ReplyDeleteआप जानते ही हैं मैं डॉ. अमर कुमार को एक जीवंत स्फिंक्स मानता हूँ !
ReplyDeleteस्फिंक्स न तो वीतराग होते हैं और न व्यतीत !
उनके सुमधुर शतवर्षीय दिनों की मंगलकामनाएं !
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ReplyDelete.
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डॉ० अमर कुमार ब्लॉगवुड के आधारस्तंभ व उसकी शान हैं... उन्हें शुभकामनायें... उनके जीवट को सलाम !
...
डॉ० अमर कुमार ब्लॉगवुड के आधारस्तंभ व उसकी शान हैं... उन्हें शुभकामनायें... उनके जीवट को सलाम !
ReplyDeleteहौसला ,प्रेरणा जैसे चमत्कृत करने वाले शब्दों के मिसाल बन जाते हैं ऐसे व्यक्तित्व .उनकी जीवटता को हार्दिक नमन ..जीवनदायनी पोस्ट
ReplyDeleteडॉ० अमर कुमार के बारे में पढ़कर मन दुखी हो गया लेकिन हम उनके स्वस्थ होने की मंगल कामना कर सकते हैं |ईश्वर उन्हें दीर्घायु करे |
ReplyDeleteडॉ० अमर कुमार के बारे में पढ़कर मन दुखी हो गया लेकिन हम उनके स्वस्थ होने की मंगल कामना कर सकते हैं |ईश्वर उन्हें दीर्घायु करे |
ReplyDeleteसक्सेना जी ..आपके ब्लॉग पर नही आता तो अधूरा ही रहता ...और इसे ज्यादा क्या लिखूं ....डा. अमर कुमार के बारे में जानकर अच्छा लगा मैं भी रायबरेली का हूँ पर इस तथ्य से अनजान था . अबकी बार जाऊंगा तो मिलने कि कोशिश करूंगा !
ReplyDeleteराकेश जी के बारे में आपका संस्मरण पढ़कर एक झटका सा लगा ..आगे कविता पढने का मन ही नही हुआ !
अभिवादन और वंदन स्वीकार करें जब भी समय मिलेगा आता रहूँगा !
दर्दनाक क्षणों को हंसते हुए जी पाना बेहद मुश्किल है!
ReplyDeleteडा.अमर कुमार जी चिर पुरातन शिक्षा चिर नवीन अन्दाज़ में दे रहे हैं । वन्दनीय हैं .....
ओह...ओह....ओह......
ReplyDeleteडॉ अमर कुमार जी के ब्लॉग पे मैं कभी नहीं गई पर डॉ अनुराग जी के ब्लॉग पे उनकी टिप्पणियाँ देखती थी तो उनकी साहित्य पर अद्भुत पकड़ साफ़ दिखती थी ....
पर आज आपने ये पोस्ट लिख लगा मुझ पर करारा व्यंग किया है ....
रब्ब से दुआ है डॉ अमर कुमार जी जल्द स्वस्थ लाभ करें .....
उनकी जिन्दादिली यूँ ही कायम रहे ....!!
डॉ.अमर कुमार के हौसले को हमारा भी सलाम। हम वाकई उनकी ज़िन्दादिली के कायल हैं।
ReplyDeleteसार्थक लेखन ...
ReplyDeleteडॉक्टर अमर कुमार जी को शुभकामनाएं।
ओह बहुत ही प्रेरक। उनके जज्बे को सलाम।
ReplyDeleteडॉ. अमर कुमार का व्यक्तित्व वंदनीय है।
ReplyDeleteप्रेरक और अनुकरणीय प्रसंग।
उनका सान्निध्य हमें निरंतर मिलता रहे।
सतीशजी...वैसे आपकी और डॉ अमर की पोस्ट आने से पहले ही हम अपना संतुलन पा चुके थे :) माँ अपने बच्चे के साथ ही पल में रो देती है तो अगले ही पल रोते रोते हँस देती है...
ReplyDeleteडॉ अमर स्वास्थ्यलाभ करते हुए दीर्घजीवी हों, यही कामना है..
dr. amar ke hausle aur aapke jazbe ko salaam...
ReplyDeleteप्रेरणा दायक इस पोस्ट के लिये आपको व डॉक्टर अमर कुमार दोनों को बहुत बहुत बधाई व शुभकामनायें!
ReplyDeleteडॉ.अमर की खुशमिजाज़ी और ज़िंदादिली एक मिसाल है दुनिया के लिए.उन्हें सलाम उनके स्वस्थ रहने की कामना के साथ.
ReplyDeleteसही कहा सर आपने।
ReplyDeleteजब तक जीवित हो, बुरे से अच्छों के पक्ष में लड़ते रहो..
कहीं पढ़ा था, हंसोगे तो जमाना तुम्हारे साथ हंसेगा। दुख तो तुम्हें अकेले ही ढोना पड़ेगा।
प्रेरणाभरी पोस्ट के लिए बेहद धन्यवाद।
उनके स्वास्थ्य और सुदीर्घ जीवन के लिए शुभकामनायें !
ReplyDeleteवाक़ई प्रेरणादायक हैं...और बहुत कुछ कहना कठिन हो रहा है...सभी अपनी-अपनी मौत जानते हैं लेकिन उसकी एक दिनांक जो तय है उसे नहीं जानते..जो लोग उस दिनांक को जानते हुए भी हँसते हुए जीते हैं..जाने कैसे इतने उल्लासपूर्ण जीते हैं...उनकी ख़ुशमिज़ाज़ी को सलाम...
ReplyDeleteजीवन से लड़ना, जीवन के लिये लड़ना सचमुच बहुत जीवट का काम है. डॉ. साहब दीर्घायु हों.
ReplyDeleteहम तो काकोरी कांड के ज़माने से ही डॉ. साहब के फैन हैं। आपकी पोस्ट और उनकी टिप्पणी दोनों ही प्रेरणादायक हैं। मेरी शुभकामनायें!
ReplyDeleteडा0 अमर कुमार को मैं उनकी टिप्पणियों से ही जानता हूँ..ईश्वर करें वे जब तक जीयें यह जज्बा सलामत रहे।
ReplyDeleteमार्मिक पोस्ट .....
ReplyDeleteअमर कुमार जी स्वस्थ और दीर्घजीवी हों |
प्रेरणादायक व्यक्तित्व है डॉक्टर साहब का |
ReplyDeleteडॉक्टर साहब की साफगोई और बेबाकी हमेशा प्रेरणा देती है... ऐसे इंसान अब विलुप्ति के कगार पर हैं... भगवान उनको बहुत लंबी आयु दे.. वे स्वस्थ और खुश रहें...
ReplyDelete