"बेटा मैंने वह ऍफ़ डी तुड़वा कर सारे पैसे निकाल लिए तुम भी अपनी बीबी के साथ हिल स्टेशन जा सकते हो....."
उसी दिन दे देते तो दोनों भाइयों के साथ ही चला जाता न तब सबके सामने इतनी गाली गलौज की जरूरत नहीं पड़ती उस दिन तो दबाये बैठे रहे कि आखिरी ऍफ़ डी है ! लाइए पैसे, भाइयों को मत बोलना कि मैंने आपसे लिए हैं ! नहीं तो वह मुझसे अपना हिस्सा लड़ के ले लेंगे ! आज मन करे तो बड़े भाई के कमरे में ऐ सी चलाकर सो जाओ अच्छी नींद आएगी , मैं किसी को नहीं कहूँगा ! जीने के नीचे गर्मी ज्यादा है !
"नहीं पांच छह सालों में मेरी अब मेरी आदत पड़ गयी है , मैं यही ठीक हूँ !"
***********
जैसा आपसे बात हुई थी सारे अमाउंट का चेक आपकी बैंक में जमा करा दिया गया है यह रही रसीद ! अब आप यहाँ यहाँ दस्तखत कर दीजिये मगर अब आप अकेले कैसे रहेंगे ?
"मैंने इस घर के सामने वाले मकान में एक कमरा किराए पर ले लिया है , काम करने को मेरी पुरानी नौकरानी रहेगी ! इन लड़कों ने धीरे धीरे मकान के तीनो कमरे कब्ज़ा लिए , ड्राइंग रूम में मेरे सोने से घर में इन्फेक्शन फैलता था सो पिछले २ वर्ष से सीढियों के नीचे मेरी खाट डाल दी, अब यह तीनो मेरे मरने का इंतज़ार कर रहे हैं ! मुझे कम पैसों की चिंता नहीं जो तुमने इस मकान के बदले दिए हैं मेरे बुढ़ापे के लिए काफी हैं ! रही बात मकान की , सो मैंने अपने पैसों से बनाया था , उसी मकान में मेरे इन लालची लड़कों ने , धीरे धीरे मुझे सीढियों के नीचे तक पंहुचा दिया ! तुम तीनों कमरों का सारा सामान निकाल कर सड़क पर रख दो और बाहर एक चौकीदार रख दो, जब तक यह तीनों बापस आएं !"
वे तीनों आपसे लड़ेंगे बाबूजी !
"मुझे परवाह नहीं, पुलिस एस पी से मिल चूका हूँ उन्होंने मेरी रिपोर्ट दर्ज कर ली है किसी भी गलत हालत में तीनों अपनी बीबियों के साथ जेल जायेंगे,मैं अब डरता नहीं !"
उसी दिन दे देते तो दोनों भाइयों के साथ ही चला जाता न तब सबके सामने इतनी गाली गलौज की जरूरत नहीं पड़ती उस दिन तो दबाये बैठे रहे कि आखिरी ऍफ़ डी है ! लाइए पैसे, भाइयों को मत बोलना कि मैंने आपसे लिए हैं ! नहीं तो वह मुझसे अपना हिस्सा लड़ के ले लेंगे ! आज मन करे तो बड़े भाई के कमरे में ऐ सी चलाकर सो जाओ अच्छी नींद आएगी , मैं किसी को नहीं कहूँगा ! जीने के नीचे गर्मी ज्यादा है !
"नहीं पांच छह सालों में मेरी अब मेरी आदत पड़ गयी है , मैं यही ठीक हूँ !"
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जैसा आपसे बात हुई थी सारे अमाउंट का चेक आपकी बैंक में जमा करा दिया गया है यह रही रसीद ! अब आप यहाँ यहाँ दस्तखत कर दीजिये मगर अब आप अकेले कैसे रहेंगे ?
"मैंने इस घर के सामने वाले मकान में एक कमरा किराए पर ले लिया है , काम करने को मेरी पुरानी नौकरानी रहेगी ! इन लड़कों ने धीरे धीरे मकान के तीनो कमरे कब्ज़ा लिए , ड्राइंग रूम में मेरे सोने से घर में इन्फेक्शन फैलता था सो पिछले २ वर्ष से सीढियों के नीचे मेरी खाट डाल दी, अब यह तीनो मेरे मरने का इंतज़ार कर रहे हैं ! मुझे कम पैसों की चिंता नहीं जो तुमने इस मकान के बदले दिए हैं मेरे बुढ़ापे के लिए काफी हैं ! रही बात मकान की , सो मैंने अपने पैसों से बनाया था , उसी मकान में मेरे इन लालची लड़कों ने , धीरे धीरे मुझे सीढियों के नीचे तक पंहुचा दिया ! तुम तीनों कमरों का सारा सामान निकाल कर सड़क पर रख दो और बाहर एक चौकीदार रख दो, जब तक यह तीनों बापस आएं !"
वे तीनों आपसे लड़ेंगे बाबूजी !
"मुझे परवाह नहीं, पुलिस एस पी से मिल चूका हूँ उन्होंने मेरी रिपोर्ट दर्ज कर ली है किसी भी गलत हालत में तीनों अपनी बीबियों के साथ जेल जायेंगे,मैं अब डरता नहीं !"
उचित फैसला !
ReplyDeletefaisala to yesa hi hona chahiye...jb beten bap na samjhen.....
ReplyDeleteसही किया 1 जैसे को तैसा होना ही चाहिये1
ReplyDeleteजि़ंदगी की किताब के आखि़री पन्ने कितने डरावने होते हैं !
ReplyDeleteआजकल की सच्चाई !
बहुत कम लोग इतना सोच पाते हैं करना दूर की बात है होना यही चाहिये ।
ReplyDeleteसही फैसला.
ReplyDeletebahut acchha faisala .....sundar prastuti ....
ReplyDeleteजिंदगी की तल्ख़ सच्चाईओं से रूबरू कराती कड़वी दास्ताँ, आपने जो फैशला लिया वह आज के वक्त की आवाज के मुताबिक है , ज़िन्दगी जीने का नाम है , मुस्कुराते हुए जीने का ज़ज्बा बनाए रखिये| नेकदिल इन्सान की उपरवाला मदत करता है | सादर
ReplyDeleteसही निर्णय
ReplyDeleteबहुत सही ..._/\_
ReplyDeleteबढ़िया लेखन , सर धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
अब तो सबको पहले से ही सँभल जाना चाहिये -शुरू से ही उनकी अपेक्षाएँ न बढ़ें और अपनी इच्छाओं का मान बना रहे - यही न्यायोचित होगा . बात कंट्रोल में रहेगी ,और वे सिर पर चढ़ने की हिम्मत नहीं करेंगे .
ReplyDeleteऐसे हालात में यही उचित फैसला बनता है !
ReplyDeleteआख़िरी फ़ैसला.....अब यही बदलाव होना चाहिए ! बढ़िया !
ReplyDeleteइस सच्चाई को समय रहते ही समझ लेना अच्छा है ... उचित फैंसला ...
ReplyDeleteआखिर कब तक घुटता रहेगा अपनों के बीच रहकर कोई बेगाना बनकर ...
ReplyDeleteबिलकुल सही कठोर निर्णय लाजिमी है
सही चित्र खींचा है आपने
ReplyDeleteपढ - लिख के दाई - ददा के आघू झन इतरा
ReplyDeleteकाल तोरेच लइका हर तो तोला अडहा कइही ।
मर्मस्पर्शी रचना ।
ऐसे हालात में यही उचित फैसला बनता है !
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है
राज चौहान
http://rajkumarchuhan.blogspot.in