हम मुफ्त में सूरज को भी अच्छा नहीं कहते !
इस देश में अच्छे को ही,अच्छा नहीं कहते !इस पाशविक प्रवृत्ति को,कच्चा नहीं कहते !
उस रात एक स्वप्न का , दम घोट चुका है ,
बच्चा है ये शैतान का , टुच्चा नहीं कहते !
बस्ती में जाहिलों की,चोर डाकुओं को भी
भगवा लिवास में, कभी लुच्चा नहीं कहते !
सारे डकैत मिल के , चोर चोर कह रहे !
अरविन्द को इस देश में सच्चा नहीं कहते !
क्या धारदार काटे हैं बहुत खूब।
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