पिछले 45 दिन से लगातार आ रहे भूकंप के झटके , आपको और सावधान रहने की भविष्यवाणी कर रहे हैं !!
कल भूकंप से निपटने की आपातकालीन किट ( पानी की बोतलें, बैटरी सेल, इमरजेंसी पावरफुल टोर्च, वेदर रेडियो, वाकी टाकी, सिग्नलिंग सिस्टम,हथौड़ा या कुल्हाड़ी, पावर बैंक ,ड्राई मिल्क, ड्राई फ्रूट्स , बिस्किट, ओडोमॉस ,हेड प्रोटेक्शन,मास्क और दवाईयाँ ) बनानी शुरू कर दी , एनसीआर बेहद खतरनाक सिस्मिक जोन 4 में आता है !
2020 बेहद खराब साबित होगा हम सबके लिए अगर हम लापरवाही करेंगे !
अफसोस कि मीडिया से सूचना के नाम पर कुछ भी नही मिल रहा है ...
अफसोस कि मीडिया से सूचना के नाम पर कुछ भी नही मिल रहा है ...
मृत्यु से न डरें बल्कि अगर सामने भी हो तो मुकाबला करें , यक़ीनन आप लंबा जी पाएंगे , इन दिनों व्हाट्सप्प ज्ञानियों और जाहिलों से बचकर रहें, सावधानी ही बचाव है ...
सस्नेह मंगलकामनाएं !!!
https://seismo.gov.in/content/dos-donts
https://seismo.gov.in/content/dos-donts
एक दृष्टिकोण ये भी है कि लगातार छोटे छोटे भूकंप आने से जमा हुयी उर्जा धीरे धीरे निस्तारित होती रहती है अचानक बड़ा भूकंप आने से अच्छा है। आप के लिये ये अनुभव नया हो सकता है पर हिमालय के नजदीक या हिमालय में रहने वाले लोग जानते हैं भूकंप लगातार आते रहते हैं हर दस साल में बड़ा और हर सौ साल में बहूत बड़े भूकंप इतिहास में दर्ज हैं। भूकंपों का आना बंद हो जाना हम लोगों के लिये खतरे की घंटी है। वैसे तो प्रकृति है कौन जाने कब क्या हो जाये। खोज करने से परहेज करना भी अच्छा है।
ReplyDeleteजानकारी देने के लिए आभार भाई जी ...
Deleteमुँह की बात छीन ली।
ReplyDeleteमीडिया और व्हाट्सऐपी ज्ञानी ले बैठे देश को।
स्वागत रोहितास जी
Deleteअफ़सोस हम लोग तुरंत इस ज्ञान को लेकर, आगे बांटते भी हैं !
सही कहा
ReplyDeleteस्वागत आपका ओंकार भाई
Deleteयथार्थ को इंगित करता सार्थक लेखन आदरणीय सर.
ReplyDeleteसादर
स्वागत अनीता जी ...
Deleteसावधानी ही सुरक्षा हे
ReplyDeleteबिलकुल सही
स्वागत आपका
Deleteबहुत खूब कहा सतीश जी, जोन-4 में दिल्ली, जम्मू कश्मीर और महाराष्ट्र के इलाके शामिल हैं. वहीं जोन-4 भी वह क्षेत्र होता है, ज्यादा भूकंप और नुकसान की संभावना ज्यादा होती है, दिल्ली के पास सोहना, मथुरा और दिल्ली-मुरादाबाद तीन फॉल्ट लाइन मौजूद हैं, जिसके चलते भूकंप की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.फिर भी सावधान हने की आवश्यकता तो है ही । धन्यवाद
ReplyDeleteओह आभार आपका स्वागत के साथ
Deleteस्वागत एवं आभार रविंद्र जी
ReplyDeleteअच्छी जानकारी मिली लेख से भी और पाठकों के विमर्श से भी | आशा करें सब अच्छा ही हो |सादर
ReplyDeleteस्वागत रेनू जी
Deleteजब सर पर आती है तभी पता चलता है कि अपने पर जब आती है तब सारा ज्ञान धरा रह जाता है
ReplyDeleteबहुत अच्छी खरी खरी
सच कहा आपने ...स्वागत कविता जी
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