बीमारी में हाल , न पूछो माली से !जाकर पूछो बिन पत्तों की डाली से
कितने मूक संदेशा , आये जाली से
नयनों से ही बातें , नयनों वाली से !
प्यार न जाने कितने रूपों में आता
हमने उसे छलकते देखा,गाली से !
दर्द तुम्हें एहसास न होगा , शब्दों से ,
समझ न पाये यदि आँखों की लाली से
कितने घर की गंद छिपाये छाती में !
जाकर पूछो , बाहर गंदी नाली से !
Tuesday, August 27, 2024
5 comments:
एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !
- सतीश सक्सेना
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वाह
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteअत्यंत सुंदर छंदबद्ध पंक्तियाँ।
ReplyDeleteवाह वाह! सतीश जी! इतने सुंदर गीतों को लावारिस ना छोड़िये कविवर! आपसे निवेदन है 🙏😊
ReplyDeleteबहुत ख़ूब सतीश जी !
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