लगभग एक माह के बाद अनूप शुक्ल जी ने बापस आकर आखिर एक लेख लिख ही डाला , उसे तथा टिप्पणिया पढ़ते हुए, बहुत दिन बाद खूब हंसा ! सो दिल किया ब्लॉगजगत के दो महा गुरुओं के बीच की, टिप्पणिया प्रति टिप्पणियां आपसे साझा की जाएँ !
अनूप भाई ने अपना कष्ट बड़े मार्मिक भाव से सुनाया है, आप भी इसका आनंद लें ! अरे रे रे आनंद नहीं उनकी तकलीफ सुनकर, आपका ब्लागिंग से मन ही हट जाएगा ...
"इस बीच कलकत्ते गये थे। वहां सोचा शिवकुमार मिसिरजी से चर्चा करेंगे अपने ब्लॉग का स्तर उठाने के लिये लेकिन उनको लगता है कि हमारे आने की भनक लग गयी थी सो वे बचने के लिये इलाहाबाद सरक गये। जित्ते दिन हम कलकत्ता में रहे उत्ते दिन वे बाहर रहे कलकत्ता को प्रियंकर जी के हवाले करके। हम प्रियंकर जी से मिलने गये तो वे मंच पर चढ़कर भाषण देने लगे और हमसे कट लिये। हम अनमने से बने रहे और ब्लॉग लिखने से जी उचाट हो गया।"
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शिव जी |
नतीजा डॉ अरविन्द मिश्र ताव खा गए और उनकी टिप्पणी थी कि ....( कृपया ध्यान से पढ़ें )
अरविन्द मिश्र ने भी एक धोबीपाट मारने कि कोशिश कि
अबकी बार गुरुदेव समझ गए कि अरविन्द मिश्र चाहते क्या है नतीजा गंभीर होकर चश्मा पहन कर जवाब दिया
ब्लागिंग में निर्मल हास्य लिखने वाले ताऊ रामपुरिया और अनूप शुक्ल ही हैं जिनके ब्लॉग पर जाकर हंसने का दिल करता है ! लगता है कुछ लोग यहाँ हैं जो अपने खुद पर व्यंग्य कर सकें ख़ास तौर पर ऐसी जगह ( हिंदी ब्लॉग जगत पर ) जहाँ भाई लोग उसे आसानी से सच ही मान लेंगे !
;-)
बस इत्ता बता दीजिये कि कौए ने किस चीज से पांखे खुजलाये ? तब हम जान जायं कि सचमुच वजन है आपकी समझ में .न जाने काहें ये डाउट ससुरा बना ही रहता है आपको लेकर !
दुसरे कई और प्राणी गायब हैं ….जो हम सरीखे बिचारों के विचारों को तरह तरह कुरेदता है …….