हिंदी ब्लॉग जगत के लिए बेहद सम्मानित मैथिली जी एवं सिरिल !
मैं एक सामान्य व्यक्ति हूँ , हिंदी ब्लॉगजगत के लिए जो कार्य आप पिता पुत्र ने किया है उसका सम्मान करता हूँ ! ब्लोगवाणी के चले जाने से जो रिक्तस्थान पैदा हुआ वह भर नहीं पा रहा है और इसके बिना ब्लॉग जगत का बहुत नुकसान ( खास तौर पर नए ब्लोगर का )हो रहा है ! मेरी इच्छा, आपके लगाये पौधे को पुनर्जीवित कर ,उसमें आपको सहयोग भर देने की है !
-क्या आप इसमें अपना समय दे पायेंगे ? यदि हाँ तो आप जैसा सहयोग चाहेंगे वह मैं देने को तैयार हूँ मेरी तरफ से यह कार्य पूर्णतः समाज के भले के लिए होगा हाँ इसमें आवश्यक धनराशि, चाहे वह कितनी हो क्यों न हो , अपने प्रयत्नों से एकत्र कर लगाने को तैयार हूँ ! और योगदान बिना किसी शर्त होगा !
-अगर आप समय नहीं देना चाहें तो मैं आपका ब्लोगवाणी तंत्र खरीदने के लिए तैयार हूँ और इस तंत्र को पुनर्जीवित कर , ५ लोगों की कमेटी के नेतृत्व में चलाने की व्यवस्था करना चाहूँगा इसमें आपका नाम जुड़े रहने की प्रार्थना के साथ, आपको उसमें बने रहने की प्रार्थना भी शामिल है !
- प्रयुक्त सर्वर एवं एक ओपरेटर का खर्चा वहन करने की व्यवस्था की जा सकती है !
-उपरोक्त कार्य में योगदान के लिए मेरा उद्देश्य, किसी प्रकार का आर्थिक लाभ लेने का नहीं है ! हाँ अगर आपको उससे आर्थिक लाभ हो तो मुझे सहर्ष स्वीकार होगा !
- आशा है जिस भावना से, इस पौधे को रोपित किया था , दुबारा पुनर्जीवन में आप सहर्ष साथ देंगे !
आपकी हर शर्त मंजूर होगी !
उत्तर की प्रतीक्षा में
सादर
सतीश सक्सेना
(यह अनुरोध मेरी व्यक्तिगत इच्छाशक्ति के आधार पर है इसमें किसी ब्लोगर से कोई राय नहीं ली गयी है , हाँ समान सोच वाले मित्रों से अनुरोध है कि वे साथ दें, इससे मैं अपने आपको और मज़बूत महसूस करूंगा )
(यह अनुरोध मेरी व्यक्तिगत इच्छाशक्ति के आधार पर है इसमें किसी ब्लोगर से कोई राय नहीं ली गयी है , हाँ समान सोच वाले मित्रों से अनुरोध है कि वे साथ दें, इससे मैं अपने आपको और मज़बूत महसूस करूंगा )
satish-saxena.blogspot.com
अभी अभी इमेल बॉक्स खोलने पर , सिरिल गुप्ता का यह मेल मिला है जो आप लोगों के लिए, पोस्ट का एक भाग बना कर प्रकाशित कर रहा हूँ ! मेरा विचार है कि अभी भी उनसे बात करने का मौका है ..फिलहाल आप लोगों के विचार आमंत्रित हैं ....
अभी अभी इमेल बॉक्स खोलने पर , सिरिल गुप्ता का यह मेल मिला है जो आप लोगों के लिए, पोस्ट का एक भाग बना कर प्रकाशित कर रहा हूँ ! मेरा विचार है कि अभी भी उनसे बात करने का मौका है ..फिलहाल आप लोगों के विचार आमंत्रित हैं ....
show details 5:25 PM (2 hours ago) |
आदरणीय सतीश जी,
आपको हम और ब्लागवाणी अब तक याद है यही बहुत बड़ा सम्मान है, और यह तो गौरव कि बात है आप अपनी गाढ़ी कमाई का धन ब्लागवाणी पर लगाने को तैयार हैं.
लेकिन ब्लागवाणी तो धनाभाव में बंद नहीं हुई. ब्लागवाणी चालू है, उसके सर्वर पर जितना खर्च पहले हो रहा था निरंतर उतना ही अब भी हो रहा है़. अब ब्लागवाणी को अपडेट करना रोक दिया है जिसके कारण निजी हैं.
ब्लागवाणी क्योंकि अब ब्लॉग इतिहास का हिस्सा है इसलिये कृपया दूसरे विकल्पों और नये आने वाले रचनाशील लोगों को मौका दें. मुझे नहीं लगता वे आपको निराश करेंगे.
इतने प्रेमपूर्ण पत्र के लिये धन्यवाद, यह हमेशा याद रहेगा.
आपका दोस्त
सिरिल
सतीश जी, नि:संदेह आपकी इस बात में दम है कि ब्लॉगवाणी की कमी आज कोई पूरा नहीं कर पाया है। उसे पुनर्जीवित करने सम्बंधी आपकी सदइच्छा को प्रणाम करता हूँ। यदि मैथिली जी, इसके लिए तैयार हो जाते हैं, तो निश्चित ही यह एक बड़ा कार्य होगा। लेकिन इसके साथ ही मैं एक निवेदन करना चाहूँगा कि उसमें ब्लॉग की लोकप्रियता आकलन सम्बंधी जो आधार हैं, उन्हें भी तार्किक और व्यवहारिक बनाने की आवश्यकता है। आशा है आप उस दिशा में भी सोचेंगे।
ReplyDeleteSAKARATMAK SURUAT.....
ReplyDeleteIS POST KO SAMMAN KE SATH MAN DETE HUE SAHYOG ME SAKRIYE RAHNE KO PRASTOOT EK PATHAK....
PRANAM.
हम भी साथ हैं।
ReplyDeletepresent sir.....:)
ReplyDeletehum bhi saath hain....
मेरी तो राइ है होगी की उसमे से लोकप्रियता, टिप्पणियाँ, पसंद वाली कड़ियाँ हटाई जायें...
ReplyDeleteताकि ये टिप्पणियों के लिए मारा-मारी बंद हो सके...
योग्यता का आधार केवल पठन हो...
सार्थक प्रयास है.
ReplyDeleteयह तो सच है ही कि ब्लॉगवाणी की कमी खलती है. कुछ सवाल उनसे भी पूछे जाने चाहिए जिन्होंने बड़े सुनियोजित ढंग से ब्लॉगवाणी को बंद करवाने का काम किया.
Ek accha kadam hai. Mera bhi nam jod lijiye. main bhi aapke is kam main sath dunga.
ReplyDeleteशिव भाई ,
ReplyDeleteब्लाग जगत को मैं ऐसी खुली चौपाल मानता हूँ जो दिन रात लगी रहती है ..
जिसमे ज्ञान भाई जैसे विशिष्ट व्यक्ति के साथ साथ मोहल्ले का शोहदा और उसके चेले , बसूली करने वाले ब्लैक मेलर , और जेल जाने योग्य मुजरिम भी बैठते हैं !
क्या करें ...सभी लेख़क बन गए शिव भाई !
;-)
हम आपके साथ हैं|
ReplyDeleteसमर्थन और साधुवाद.
ReplyDeleteआपकी राय से इतेफाक रखता हूँ.
ReplyDeleteहमारा भी निवेदन है ब्लॉगवाणी संचालको से कृपया आएँ और आपको हुई असुविधा एवं समस्याओं पर चर्चा करें, और एक उचित उपयोगी मार्ग-निर्देश कर हिंदी ब्लॉगिंग के विकास में सहायता करे।
ReplyDeleteइस बात पर सभी सहमत है कि बिना उपयुक्त एग्रीगेटर के हिंदी ब्लॉगिंग के विकास को गति प्रदान करना आसान नहिं है।
सतीश ज़ी के इस आग्रह और प्रयास को हमारा समर्थन है।
समर्थन
ReplyDeleteसमर्थन
समर्थन
समर्थन
समर्थन
अच्छी चीजों को समाज में बदस्तूर कायम रहना चाहिए। सतीश भाई का यह जज्बा काबिले तारीफ है। सिर्फ तारीफ ही नहीं, साथ भी चलना है। तो नया मुहावरा क्या बनायें
ReplyDeleteकाबिले साथ
या काबिले सतीश
सक्सेस है हां।
हिन्दी ब्लॉगिंग के एक सेमिनार में शामिल ब्लॉगरों के हथियारों की झलक
i also support it
ReplyDeleteregards
जी जरूर ... मेरा समर्थन आप के साथ है इस विश्वास के साथ कि ब्लोगवाणी जरूर लौटेगा !
ReplyDeleteभाई , जरूरी तो है और आपकी यह सदिच्छा भी सराहनीय ! अब वही है कि 'सिस्टम' लोगों से बनता है और इस ब्लॉग-बुड के लोग ............................... , यह खाली जगह आप ही भर लें ! लेकिन इसका क्या प्रमाण कि आप आरम्भ करें और वह पुनः ब्लोगवाणी और चिट्ठाजगत की नियति कि न प्राप्त हो जाय ! फिर ऐसा होने पर आपको अपने परिश्रम की व्यर्थता को बोध होगा , कुछ वैसे ही जैसे आप बढियां टीप लिखें और कोई दुराग्रही मूर्ख ब्लॉगर 'डेल' मार दे . फिर जब यह तर्क रखे जाते हों कि ब्लॉगजगत बहुत 'सीरियस' के लिए नहीं है , तो एग्रीग्रेटर को लेकर इतना भावुकतापूर्ण होकर 'सीरियस' होने की क्या आवश्यता ? या फिर कीजिये एक प्रयास , क्या पता ब्लॉग-बुड संक्रमण-काल में चल रहा हो , अच्छी चीजें खाद-पानी पा ही जाएँ ! काश ऐसा हो , पर वही कहा न कि इस टांग-खींचू / मथाधीसी वाली हिन्दी ब्लागरी में ऐसा होने की संभावनाएं कम हैं ! फिर भी आप प्रयास करेंगे तो मेरी शुभकामनाएं अवश्य हैं !
ReplyDeleteब्लॉगवाणी को निश्चित रूप से पुनः प्रारंभ किया जाना चाहिए।
ReplyDeleteमैं याद दिलाना चाहता हूँ कि इससे भी पहले नारद नाम का एक एग्रीगटर हुआ करता था। जो अक्षरग्राम नेटवर्क द्वारा संचालित था। इसे भी पुनः शुरु करवाने के लिए प्रयास किया जाना चाहिए।
सतीश जी, बहुत अच्छा प्रयास। एक बात बताएं कि हिन्दीब्लॉग जगत नामक ब्लाग पर अपने ब्लाग को सम्मिलित करने के लिए क्या करें?
ReplyDeleteआप की राय में मेरा भी समर्थन है.
ReplyDelete................
साथ ही शेखर सुमन की बात से सहमत -उसमे से सर्वाधिक हिट,लोकप्रियता, सर्वाधिक टिप्पणियाँ, सर्वाधिक नापसंद /पसंद वाली कड़ियाँ हटाई जायें.
-----
मेरा सुझाव -ब्लॉग को संकलकों पर रजिस्टर करते समय संकलकों द्वारा उनके फोन नंबर लिए जाएँ और वेरीफाई किया जाये तभी संकलकों में शामिल किये जाएँ.
ताकि फेक प्रोफाइल वाले ब्लॉग संकलकों में शामिल न हों सकें .
---------------
सिर्फ प्रकाशन समय के अनुसार पोस्ट का क्रम हो.
......
चिट्ठाजगत से भी लौटने का ऐसा ही अनुरोध किया जाये.उनका 'हवाले वाला बटन बेहद उपयोगी होता है.
--------
आभार.
@अजित जी ,
ReplyDeleteये ब्लागस्पाट पर बने तथाकथित संकलक आप खुद भी बना लिजीये.
जिस कि बात आप कर रही हैं वह किसी व्यक्ति विशेष' की पसंद के ब्लोगों का संकलन है .
यहाँ नए चिट्ठे नहीं दिखेंगे.
----
आप तो पुरानी ब्लोगेर हैं ७०-८० ब्लोगों के लिंक तो आप के पास होंगे ही जबतक कोई अच्छा संकलक नहीं आता तब तक --इन्डली डॉट कॉम
और अपनी खुद ki पसंद के लिंक देखें .
----
मैंने खुद अपने ब्लॉग की अभी तक kee stat में जांचा है कि संकलकों से अपेक्षाकृत bahut कम ही पाठक आते हैं .
---नियमित पाठक /फोलोवेर ही पढते हैं.
--गूगल से भी अच्छे पाठक मिलते हैं.
सतीश जी सबसे पहले तो मैं आपको इस बात के लिए धन्यवाद दूंगा की आपने स्वयं आगे बढकर ब्लोग्वानी को पुनर्जीवित करने की पेशकश की है. मुझे ऐसा लगता है की आप इस कार्य को फलीभूत करने के लिए पूर्ण रूपेण समर्थ हैं तथा मैं आशा करता हूँ की आप इस मुहीम में सफल रहेंगे और ये निश्चित जानिए की आपके इस प्रयास के प्रति आपको मेरा पूर्ण समर्थन हमेशा ही मिलता रहेगा.
ReplyDeleteबाक़ी सवाल तो बाद में पूछ लेंगे :-)
ReplyDeleteलेकिन अन्य साथियों के साथ साथ मुझे इस ब्लॉग पोस्ट पर ब्लॉगवाणी या उनके समर्थकों की प्रतिक्रया का इंतजार आज भी है
बड़े सुनियोजित ढंग से ब्लॉगवाणी को बंद करवाने का काम
ReplyDelete:-) :-) :-) :-) :-) :-)
ऐसा भी माना जाता है क्या ?
इस अभियान में मेरा भी पूरा समर्थन है आप को |
ReplyDeleteलेकिन समस्या ये है की यहाँ तो उसके शुरू होने से पहले ही फिर से उसकी कुछ चीजो के लिए आपत्ति होने लगी है ( मै यहाँ उन आपत्तियों को गलत या सही नहीं कहा रही हु ) इस समस्या को कैसे सुलझाया जाये | हर अग्रीगेटर से किसी ना किसी को कोई ना कोई समस्या तो होगी ही उसका क्या करेंगे | फिर वही शुरू होने के बाद कुछ समय बाद बंद भी हो जायेगा इसलिए कुछ ऐसे उपाय भी किया जाना चाहिए की दुबारा बंद ना हो |
ReplyDelete@Satish ji....kaaahe mera naam badal dete hain..Main Alpana hun Vandana nahin..is tarah kee Yeh aap ki second time mistake hai..:D.
ReplyDeletekya koi resemblance hai aap ki parichit Vandana' aur mujh mein??:)
मै आपसे शत प्रतिशत सहमत हूँ और मैथिली जी व सिरिल जी से प्रार्थना है कि इस पुनीत कार्य को फिर से जैसे भी हो शुरू करें हम जैसे तकनीक से अन्भिग्य लोगों को बहुत मुश्किल हो रही है। आशा है वो जरूर हमारी बात सुनेंगे। शुभकामनायें।
ReplyDeleteमुझे लगता है अभी भी लोग अपने पूर्वाग्रहों को बनाए हुए हैं जबकि यहाँ एक नयी शुरुआत की बात हो रही है ..यह विचार मंथन नवनीत में बदल सके यही कामना है .
ReplyDeleteमुझे लगता है की ब्लागवाणी स्वामियों को अब तो कुछ बोल ही देना नहीं तो यह उनकी अभिजात्य अहमन्यता ही लगेगी ....जो कि जैसा मैं जानता हूँ वे नहीं हैं !
हम भी इस अपील में आपके साथ हैं ।
ReplyDeleteब्लोगवाणी के न रहने से बहुत हानि हुई है. चिट्टाजगत लंगड़ा लंगड़ा के चल रहा है. कभी कभी गिर पड़ता है. ऐसे में आपका सुझाव से हम भी ताल्लुक रखते हैं.
ReplyDeletepuri tarah se saath hun...
ReplyDeleteसमर्थन |
ReplyDeleteआपके सुझाव का स्वागत और समर्थन...
ReplyDelete@ अल्पना मैम,
ReplyDeleteमैं स्टूल पर खड़ा हूँ, कान पकड़ कर आगे गलती नहीं होगी ! भूल गया था ....
यह वंदना कौन है ...??
नेकी और पूछ पूछ | हम तो आपसे सहमत है |
ReplyDelete@ अजित गुप्ता ,
ReplyDeleteअल्पना जी से सहमत हूँ , हिंदी ब्लॉग जगत एक ब्लॉग है जिसमें उनकी पसंद के ब्लॉग दे रखे हैं ! आप वहां जबरदस्ती क्यों जाना चाहती हैं ...उन्हें अच्छा लगेगा तभी वे मुझे और आपको वहां जगह देंगे !
बहुत बढ़िया कदम होगा यह ... समर्थन और साधुवाद !
ReplyDelete@ विचार शून्य जी ,
ReplyDeleteअभी आप जैसे कुछ ईमानदार चेहरे नज़र आने लगे हैं जिनके बल पर कुछ अच्छा हो सकता है ! तैयार रहें शायद आपसे सलाह की आवश्यकता शीघ्र पड़े ..ब्लोग्वानी का इंतज़ार कर रहा हूँ !
धन्यवाद
@ अंशुमाला जी ,
ReplyDeleteपहले ब्लोगवाणी का जवाब आ जाएँ , बाकी का हल मिलकर निकाल लेंगे ...धन्यवाद
@ सोमेश सक्सेना,
आप यह प्रयास करें ...अच्छा लगेगा यदि वह भी शुरू हो
nice.................................................
ReplyDeleteआपकी इस मुहीम में आपका जैसा निर्देश होगा, यह बालक वैसा ही करने के लिए प्रस्तुत है .
ReplyDeletesir ........aapne jo kaha...usme purntah main sahmat hoon,...kash aisa ho paye...:)
ReplyDeletesir aajkal aap mere blog ko bhhul gaye...:)
मै दोबारा इस आशा मे आयी थी कि अब तक मैथिली जी और सिरिल जी ने हामी भर दी होगी । उन से एक बार फिर से अनुरोध है कि इस पर विचार करके अपनी सुहृदयता का परिचय दें। हर अच्छा काम करने वाले के विरोधी तो सतयुग मे भी थे लेकिन बुराई पर अच्छाई की विजय होती रही थी लेकिन आज अच्छाई पर बुराई की विजय हो तो अच्छा नही लगेगा। फिर ब्लागवाणी ये सोचे कि कितने लोगों को उनकी वजह से प्रेरणा खुशियाँ मिली हैं मेरे जैसे सेवानिवृत लोगों को जीने की नई राह मिली है इतने शुभचिन्तकों मे अगर दो चार बुरा भी कह गये तो क्या? आप अपनी परिपक्कवता और सुहृद्यता तथा हिन्दी सेवा को प्राथमिकता दे कर हम सब को फिर से आगे बढने का अवसर दें। ब्लागजगत के इतिहास मे ब्लागवाणी का नाम हमेशा सुनहरे शब्दों मे लिखा जायेगा। क्या ब्लागवाणी हमारी विनती सुन रही है? धन्यवाद ,शुभकामनायें। सतीश जी ये सारे कमेन्ट उन्हें मेल कर दें।
ReplyDeleteब्लागवाणी जिन कारणों से बंद हुई वे कारण आगे भी मौजूद रहेंगे इसलिए एक विकल्प ये भी है कि नए संकलक के निर्माण पर भी ध्यान दिया जाए !
ReplyDeleteसतीश भाई,
ReplyDeleteआपका नेक उद्देश्य है इसके लिए आपको साधुवाद...
मैथिली जी और सिरिल जी दोनों ही बहुत सुलझे हुए इनसान हैं...मुझे नहीं लगता कि पैसे की दिक्कत की वजह से उन्हें ब्लॉगवाणी बंद करने का फैसला लेना पड़ा...वो निस्वार्थ भाव से ब्लॉगजगत को प्लेटफॉर्म उपलब्ध करा रहे थे...कोई ठोस वजह ही होगी जो उन्होंने ब्लॉगवाणी को बंद किया...और अब अगर ब्लॉगवाणी को शुरू करना है तो भी उनके पास ठोस वजह होनी चाहिए...ये उनका निजी प्रायोजन था...इसलिए मेरी समझ से उन पर दबाव नहीं डाला जाना चाहिए...वैसे अगर ब्लॉगवाणी दोबारा जीवित होता है तो सभी ब्लॉगरों को बेहद खुशी होगी...
चिट्ठाजगत के साथ मुझे लग रहा है कि वो इतनी पोस्ट का प्रैशर झेल नहीं पा रहा है...तभी सर्वर की समस्या से उसे लगातार जूझना पड़ रहा है...ऐसी दशा में जब दो सबसे लोकप्रिय एग्रीगेटर बैठ गए हों, तो किया क्या जाए...क्या ये संभव नहीं कि कुछ और एग्रीगेटर को खड़ा किया जाए...रफ्तार और हमारीवाणी जैसे एग्रीगेटर जो अब लोड को संभाल रहे हैं, क्या ये अच्छा नहीं कि उनको ही पूरा प्रोत्साहन दिया जाए...हमारीवाणी कुछ समस्याएं होने के बावजूद क्राइसिस के इस दौर में अच्छा काम कर रहा है...
एग्रीगेटर को सुचारू रूप से चलाने की ज़िम्मेदारी हर ब्लॉगर महसूस करे...ये भी हो सकता है कि एग्रीगेटर के लिए ब्लॉगजगत से ही परामर्शमंडल चुना जाए...इस मंडल के सदस्य निर्विवादित हों इसके लिए ब्लॉगजगत से ही वोटिंग करा ली जाए...वैसे मेरी इच्छा यही रहेगी कि परामर्शमंडल का प्रमुख समीर लाल समीर जी को ही बनाया जाए...
जय हिंद...
आप चाहें तो जो भी आदेश हो दे सकते है
ReplyDeleteपर ब्लागवाणी चालू
क्लिक कीजिये कमाईये !!
> आवश्यक धनराशि, चाहे वह कितनी ही क्यों न हो ,अपने प्रयत्नों से एकत्र कर लगाने को तैयार!
ReplyDelete> योगदान बिना किसी शर्त!
> 5 लोगों की कमेटी के नेतृत्व में चलाने की व्यवस्था!
> प्रयुक्त सर्वर एवं एक ओपरेटर का खर्चा वहन करने की व्यवस्था!
> उद्देश्य, किसी प्रकार का आर्थिक लाभ लेने का नहीं!
>हर शर्त मंजूर!
फिर क्यों एक मृतप्राय को जीवित करने की कोशिशे चल रहीं ?
क्यों नहीं एक नया तंत्र, नया एग्रीगेटर खड़ा कर लिया जाता किसी तकनीकी व्यक्ति को पकड़ कर?
आपके सुझावों का मैं भी समर्थन करता हूं...सहयोग के लिए तत्पर भी हूं।...शुभकामनाएं।
ReplyDeleteअच्छी बात है जी मैं भी समर्थन करता हूं.
ReplyDeleteआपके जज्बे को सलाम ... पाबला जी के विचारों से काफी हद तक सहमत हूँ ....
ReplyDeleteबहुत सार्थक प्रयास .. आपके विचारों से सहमत ..
ReplyDelete
ReplyDelete@ पाबला जी,
@"फिर क्यों एक मृतप्राय को जीवित करने की कोशिशे चल रहीं ?
क्यों नहीं एक नया तंत्र, नया एग्रीगेटर खड़ा कर लिया जाता किसी तकनीकी व्यक्ति को पकड़ कर "
-क्योंकि ब्लॉगवाणी पर लोगों का विश्वास अधिक रहा है और सबकी इच्छा भी है कि वह बापस आये !
- क्योंकि ब्लॉग वाणी मेरी नज़र में निष्पक्ष रही है
- अंत में , यह मेरी व्यक्तिगत इच्छा है कि किसी स्थापित संकलक से ही बात करने को वरीयता दी जाए !
- नए अग्रीगेट कितना सफल होगा और उसे चलाने वाले पर सबका विश्वास होगा कि नहीं ?? यह शक का विषय है !
सतीश जी
ReplyDeleteआपसे सहमत हैं...
ब्लागवाणी और चिट्ठाजगत का कोई जवाब नहीं...इनके ज़रिये एक ही जगह अनेक ब्लॉग मिल जाते थे... साथ ही नई पोस्ट भी पढ़ने को मिलती थीं...
पूर्व स्थापित संकलको के संजीवन के लाभ……
ReplyDelete> स्थापित होने से यह संकलक पुराने है, और ख्यात भी इनके माध्यम से अधिक पाठक आयेंगे।
> स्थापित होने के कारण इन संकलको के पास अनुभव का खजाना है जिसका लाभ प्राप्त हो सकता है।
> पूर्व में उनका अधिक पसन्द किया जाना उनकी निष्पक्ष छवि का द्योतक है। नये संकलक पर आने वाले पक्षपात के आरोपों से बचा जा सकता है।
> नये नये छोटे निशुल्क संकलक पैदा होते रहेंगे। पाठक प्रवाह को बिखरने से रोकने में सहायक होंगे।
यह मात्र मेरा व्यक्तिगत सोचना है, वस्तुस्थिति से पुराने ब्लॉगर ही परिचित है। बहुमत से जो भी निर्णय होगा हमें स्वीकृत है।
@@बात तो वहीं की वहीं है सतीश भाई ,अब चिट्ठाजगत वाले कुछ स्पष्ट कर दें तो और कुछ सोचा जाय !
ReplyDeleteहम भी आपके साथ हैं .....
ReplyDeleteसहमत.
ReplyDeleteब्लॉगवाणी पर लोगों का विश्वास अधिक रहा है और सबकी इच्छा भी है कि वह बापस आये !
ReplyDeletesahmat
सतीश जी,
ReplyDeleteसिरिल जी से पुछें कि वे निजि कारण क्या हम ब्लॉगरों के सहयोग से समाधान पा सकते है?
यदि हाँ तो बताएँ हम क्या कर सकते है।
यदि वे निजि कारणों की चर्चा न करना चाहे तो पुछें क्या उन कारणों को एक तरफ रखकर ब्लॉगवाणी के पुनः प्रारम्भ की क्या सम्भावनाएँ है?
लगता है कोई समाधान निकल ही जाएगा। इस प्रयास को हमारी भी शुभकामनाएं.
ReplyDeleteब्लोग्वानी का उपडेट क्यों रुका है? उसको कौन चलता है? उसको शुरू किया कैसे जा सकता है? नयी दूकान खोलने से अच्चा है पुरानी दूकान को फिर से शुरू करें.
ReplyDeleteमैंने भी यही प्रार्थना की है कि दोनों एग्रीगेटर चालू कर दिये जायें..
ReplyDelete@ अमित शर्मा ,
ReplyDeleteधन्यवाद अमित मुझे भरोसा है ...
@ मुकेश सिन्हा ,
क्षमा चाहता हूँ अगर भविष्य में भी ऐसा हो जाया करे तो मेल भेज दिया करो यार !
@ निर्मला जी ,
सिरिल जी का पत्र मिल गया है निराशाजनक है , अभी और कोशिश करूंगा एक बार ..
@ अली भाई ,
ReplyDeleteनए संकलक की देखभाल करना भारी जिम्मेवारी का कार्य है ...कौन संभालेगा ?? ...
@ खुशदीप सहगल,
ReplyDelete-किसी तरह का दवाब उन पर नहीं दिया जा रहा है महज एक प्रार्थना थी, शायद वे मान जाएँ !
- चिटठा जगत से आप बात करने का प्रयत्न करें उन्हें कोई समस्या है तो हम लोग खड़े होंगे
...हमारी वाणी के बारे में कुछ लोगों की राय अलग है हालांकि मैं इत्तिफाक नहीं रखता उनसे आप बात कर लें कि वे ब्लागवाणी के लेवल पर कैसे आएंगे और उन्हें क्या समस्याएं हैं ! फिर दोनों भाई बैठते हैं !
- यह कोई डेमोक्रेटिक बोडी नहीं खुशदीप भाई ...और अभी से चेयरमैन का भी चुनाव !
लगता है समीर भाई ने अबकी मंत्रिमंडल में होम मिनिस्टर का पद आपको देने का वादा किया है ! हमारी मिनिस्ट्री की बात पहले पक्की करवाओ !
समीर भाई से लिखित आश्वासन दिलवाओ फाइनेंस मिनिस्ट्री के बारे में ! फिर सोंचते हैं.......,
मैं भी साला पालिटीशियन हो गया आपके साथ साथ !
मेरा पूरा समर्थन सतीश जी के साथ है .जिस सदाशयता से यह सुझाव आया है उसकी भावना को नमन करते हुए इस कार्य के सफलता पूर्वक संपन्न होने की कामना करती हूँ .
ReplyDelete@ सुज्ञ भाई ,
ReplyDeleteवे कारण नहीं बताना चाह रहे हैं मगर बातों से मुझे महसूस हुआ कि वे व्यथित लग रहे थे ! मुफ्त में काम करने के बावजूद जली कटी कोई भी सुनना नहीं चाहता ! यही ब्लॉग जगत की त्रासदी है !
सतीश भाई क्षमा करें यहां जो चर्चा चल रही है उसके फायदे नुकसान के बारे में मेरी जानकारी ज्यादा नहीं है। क्योंकि मैं उसका उपयोग नहीं करता । हां पिछले दो साल से ब्लागिंग कर रहा हूं। मैंने अपनी पसंद की ब्लाग सूची बना रखी है, बस उस पर जो पोस्ट आती है उसे देखता रहता हूं। कभी कभार दूसरे ब्लागों की ब्लाग लिस्ट से भी अन्य ब्लागों पर चला जाता हूं।
ReplyDeleteबहरहाल ऐसा कोई भी काम जो ब्लागों को बेहतर बनाता हो,उसमें मैं आपके साथ ही हूं।
आपका प्रस्ताव आपके सरल मन की पूरी परिभाषा है. यदि ब्लागवाणी के संचालक इसे नहीं चलाए रखने पर ही आमादा हैं तो किया ही क्या जा सकता है. मेरा समर्थन तो हमेशा सतीश सक्सेना के लिए है और रहेगा भी. इस स्थिति में आप जो भी निर्णय लेंगे, मैं आपके कंधे से कंधा मिलाकर न सही, एक कदम पीछे ज़रूर रहूँगा.
ReplyDeleteअब, क्या हुक्म है?
सिरिल जी का जवाब देख कर अब तो पाबला जी से ही कुछ उम्मीद लगी है.
ReplyDeleteअगर वे कोई नया संकलक शुरू करें तो उन्हें हमारा पूरा सहयोग रहेगा.
'सी.एम.ऑडियो क्विज़'
रविवार प्रातः 10 बजे
सतीश जी,
ReplyDeleteब्लॉग जगत के लिए आपके इस जज्बे को सलाम करता हूँ... और सबसे बड़ी बात तो यह कि जिस दौर से हमारा यह ब्लॉग नाम का परिवार गुज़र रहा है, उसको देखते हुए यह आज की ज़रूरत भी है कि ब्लॉगवाणी वापस आए और चिटठाजगत फिर से अपने पैरों पर खड़ा हो कर पहले से भी तेज़ सरपट दौड़े... सही बात तो यह है कि हमें इनकी आदत है.... हालाँकि इन्डली, ब्लॉग प्रहरी, हमारीवाणी भी अपना काम अच्छे से कर रहे हैं... हमें इनको भी समर्थन देने की ज़रूरत है... जिस तरह से हिंदी ब्लॉग जगत दिन दुनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है, उसे देखते हुए ब्लॉग एग्रीगेटर की तादाद भी अधिक होनी चाहिए...
सतीश जी अगर मेरी कहीं, भी कैसी भी ज़रूरत हो, तो याद कीजियेगा. अपने प्यारे ब्लॉग परिवार के लिए हर समय तैयार रहूँगा...
मैथिली जी एवं सिरिल जी से कहना चाहूँगा की सुरेश चिपलूनकर जी ने एक बार खुशदीप भाई के ब्लॉग देशनामा पर कहा था (और उनकी बात से मैं भी शत प्रतिशत सहमत हूँ) की हम लोगों को मुफ्त की चीज़ों में भी नुक्ताचीनी करने की आदत होती है.... जिसके चलते हम आपके योगदान की कद्र नहीं कर सके... मैंने एक प्रोजेक्ट में पिछले छ: महीने रात-दिन मेहनत की है, इसलिए मुझे यह अहसास है की इस तरह के प्रोजेक्ट्स में कितनी मेहनत करनी पड़ती है... फिर आपने तो रात-दिन एक करके एक इतने अच्छे और हर दिल अज़ीज़ ब्लॉग संकलक को स्थापित किया और इतने लम्बे समय तक निस्स्वार्थ भावना से चलाया, जो कि आज भी ना केवल मेरे बल्कि हज़ारों चिट्ठाकारो के दिल पर राज करता है.
अंत में वही पहुँचते हुए मैं स्वयं भी आप से अनुरोध करता हूँ और आपकी भावनाओं की कद्र करते हुए कहना चाहता हूँ कि निजी कारणों से अलग ब्लॉग जगत के उत्थान के लिए जनहित में हमारी प्यारी ब्लॉगवाणी को वापिस ले आएं. अगर किसी के कुछ बोलने से उनकी भावना को चोट पहुंची हैं तो हम उसके लिए शर्मिंदा हैं. अज्ञानतावश अथवा जानबूझ कर अगर किसी भी चिट्ठाकार से कोई भी गलती हो गई हो तो उसे क्षमा करें. आपसे अनुरोध है कि सभी चिट्ठाकारों के निवेदन को स्वीकार करते हुए हमारी गलतियों को क्षमा करें...
प्रेमरस.कॉम पर "चर्चा-ए-ब्लॉगवाणी"
आपका प्रयास सराहनीय है। इन विषयों पर मुझे विशेष जानकारी नहीं है, इतना आईडिया है कि ब्लॉगवाणी और चिट्ठाजगत दोनों अपना काम अच्छे से कर रहे थे। सिस्टम को मैनिप्युलेट करने वाले जब लोकतंत्र जैसे सिस्टम, जहाँ सरकारी अमला और मशीनरी भी मदद के लिये कमर बांधे हों, को भी नहीं बख्शते तो इन एग्रीगेटर्स की क्या बिसात है।
ReplyDeleteअपना काम ब्लॉग रॉल से चल जाता है, लेकिन आप जो करने की कह रहे हैं वह भी सार्वजनिक हितार्थ ही लगता है तो हमारी कामना है कि जो हितकर हो, आप वो हासिल कर सके।
शुभकामनायें।
आपकी अपील में साथ हूं।
ReplyDelete.
ReplyDelete.
.
आदरणीय सतीश सक्सेना जी,
* सबसे पहले तो यह कि मुझे आप पर पूरा भरोसा है और आप का इस मामले में हर निर्णय मुझे स्वीकार होगा।
** सिरिल जी की इ-मेल से यह स्पष्ट है कि ब्लॉगवाणी अब वापस नहीं आने वाली, 'वह इतिहास बन चुकी है', ब्लॉगवाणी-संचालकों का हार्दिक आभार व्यक्त करते हुऐ मैं यह जरूर कहूँगा कि उनकी भावनाओं का सम्मान किया जाना चाहिये... यदि वे उसे अपने निजी कारणों से अपडेट न करते हुऐ मौजूद रखना चाहते हैं तो उनके इस फैसले को स्वीकार करना चाहिये...
*** आदरणीय पाबला जी कह रहे हैं कि "क्यों नहीं एक नया तंत्र, नया एग्रीगेटर खड़ा कर लिया जाता किसी तकनीकी व्यक्ति को पकड़ कर?"...आदरणीय अरविन्द मिश्र जी की पोस्ट पर खर्चे का कुछ अनुमान ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ जी दे ही चुके हैं... ब्लॉगवाणी के कारण हम सब जानते ही हैं कि संकलक में क्या क्या होना चाहिये... तो काम शुरू करिये !
**** कुछ को लगेगा कि मैं ज्यादा लंबी हाँक रहा हूँ परंतु मेरा दॄढ़ विश्वास है कि ३जी के चलते महज आने वाले छह साल के भीतर ही हिन्दी ब्लॉग संकलक व कुछ शीर्ष ब्लॉग भी अपने को Sustain करने लायक कमाई करने लगेंगे... तब तक के लिये हम सब मिल कर यह दायित्व उठाते हैं... साथ आइये मित्रों...
...
हुजूर का भेजा हुआ लिंक मिला । मेरा कहना तो यही है कि
ReplyDeleteअंजाम उसके हाथ है तू आग़ाज़ करके देख
भीगे हुए परों से ही परवाज़ करके देख
नये एग्रीगेटर की पेशगी मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएं।
मैं आप के साथ हू
ReplyDeleteआपका प्रयास सराहनीय है। आई सेल्यूट टू यू।
ReplyDeleteइन्डली, ब्लॉग प्रहरी, हमारीवाणी भी अपना काम अच्छे से कर रहे हैं..
ReplyDeleteक्या यह सही है? अगर हाँ तो नए पे पैसे क्यों बर्बाद किये जाएं?
सतीश जी, सर्वप्रथम प्रणाम स्वीकार करें. आपके इस सद्प्रयास में सहयोगी बन सकूं तो मुझे प्रसन्नता होगी. मेरे योग्य कोई सेवा हो तो आदेश देने में संकोच न करें. ब्लॉगवाणी को पुर्जीवित करने की बात है, यहां किसी भी प्रकार के सुझाव या शिकायतों के लिये कोई स्थान नहीं होना चाहिये. टिप्पणीकार यह समझ लें तो अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी के लिये अच्छा रहेगा.
ReplyDeleteधन्यवाद सहित.
डा.सन्तोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी
ब्लॉगवाणी संचालकों की व्यथा उचित ही है... लेकिन अभी तक ब्लॉगवाणी पूर्णतः समाप्त नहीं हुई है इस लिए संभावनाएँ समाप्त नहीं हुई हैं... अब सिरिल जी को चाहिए कि जो हुआ सो हुआ ... आवश्यक सुधारों के साथ ब्लॉगवाणी को चालू करें ... नहीं ही करने का फैसला कर लिया है तो वो उनका व्यक्तिगत मामला हो सकता है... ऐसे में मै पाबला जी से पूर्णतः सहमत हूँ. अगर दो व्यक्ति इतना बड़ा एग्रीगेटर खड़ा कर सकते हैं तो कई लोग एक साथ मिल कर इससे बेहतर विकल्प की तलाश कर सकते हैं ऐसा विश्वास है...
ReplyDeleteश्रेयस्कर यही है कि ब्लॉगवाणी दुबारा चालू हो
सतीश जी...
ReplyDeleteआपके जज्बे को सलाम
सतीश जी आपका प्रयास सराहनीय है । और नये एग्रीगेटर का विचार भी अच्छा है । वैसे आप सभी दिग्गजों के आगे तो हम बह्त छोए ही है , मगर यदि आपके प्रयासो को आगे बढाने मे किसी भी तरह सहयोग के योग्य हमे समझे तो जरूर बताइयेगा । मुझे बहुत प्रसन्नता होगी ।
ReplyDeleteसागर बूँद बूँद से ही बनता है
चिंगारी ही शोला बनती है
मजबूत इरादे और नेक जज्बों को
खुदा की दुआये खुद ही मिलती है
मुफ्त में काम करने के बावजूद जली कटी कोई भी सुनना नहीं चाहता! यही ब्लॉग जगत की त्रासदी है!
ReplyDeleteसतीश जी!!???
अरे वाह !
ReplyDeleteमन प्रसन्न हुआ
इतनी सारी टिप्पणियां
और सब की सब सकारात्मक
पाबला जी सही कह रहे हैं
एक नया एग्रीगेटर आरंभ किया जाये
नाम मैं बतला देता हूं
जिसमें ईश का वास है
सत जिसके साथ है
सतीशवाणी
आपको यह नाम अच्छा लगता है
मुझे तो बहुत फबता है
सच्चाई और ईश
वैसे हमारीवाणी भी सतीशवाणी ही है
खुशदीप जी बतला रहे हैं
मैंने भी अब अनुभव से पाया है
अच्छा कार्य कर रही है
और जो सुधार यहां सुझाए गए हैं
वे सब वहां पर पहले से ही सुधरे पाए गए हैं
अब इतनी वकालत कर रहा हूं
हमारीवाणी की तो
मेरी मत समझ लेना
हम सबकी है
हम सबकी रहेगी
चलो उनके मालिक को ढूंढ़ते हैं
पर जरूरत क्या है
अगर वे सही काम कर रहे हैं
तो परदे के पीछे से ही करते रहें
आप पोस्टें लगाते रहें
और टिप्पणियां पाते रहें
आओ सतीशवाणी बनायें
हिन्दी ब्लॉग जगत को
सत और ईश की आवाज का
मधुर स्नेह संबल बनायें
हिन्दी ब्लॉगिंग में टेढ़ापन नहीं है : सीधे सीधे कह रहे हैं पाबला जी
@ अविनाश वाचस्पति ,
ReplyDeleteआपके प्यार से प्रभावित हूँ यार मगर नाम भी उसका जो नाम और काम दोनों से निरर्थक है ! नाम ही रखना है तो इस बार अविनाशी रखो यार !
सस्नेह
@ वंदना जी ,
ReplyDeleteआभारी हूँ , देर से आयीं मगर सबसे अधिक भेंट आप ही लायीं हो ....अल्पना मैम से डांट खा चूका हूँ ! २७ वां और ३५ वां कमेन्ट देखिये ...
@पाबला जी ,
ReplyDeleteगुस्सा तो आपको भी कम नहीं आता ...
मेरा विचार है कि सेवादारो को गुस्से का कोई अधिकार नहीं सरदार और गुस्से के साथ काम करने वाला कैसा सेवादार ?? आशा है ध्यान देने कि कृपा करोगे यहाँ अच्छे दिल वालों कि बहुत जरूरत है !!
क्या ब्लोगिंग हमेशा रहेगी ?
ReplyDeleteगूगल की जमीं पर हैं फ्री मे सब ब्लॉग कुछ को छोड़ कर जिनके अपने डोमेन हैं .
क्या कोई ये भरोसा दिला सकता हैं कि गूगल कभी फेल नहीं होगा यानि ब्लॉग को अमरत्व प्राप्त है ??
अगर कल ऐसा हुआ तो इस पैसा का क्या ?? ये तो नष्ट हुआ समझिये
किसी जगह छात्रवृति देने के काम मे डाल दीजिये , देश को २ सशक्त हाथ और एक दिमाग मिल जायेगा
ब्लॉग से कमायी होगी प्रवीण कि टीप कहती हैं , तो अगर मुझ वो कमाई नहीं चाहिये तो फिर मुझ पैसा नहीं देना होगा ??
संचालक तभी कारगर होगा जब किसी मे पेशन होगा सबके लिखे को आगे बढाने का और लिखने वालो के अनुसार सुविधा देने का .
संचालक के बिना भी नारी ब्लॉग पर पिछले माह ६००० से ऊपर पाठक आये हैं . हम तो इतने से ही खुश हैं !!! पैसा कमाने के लिये तो पढ़ा लिखा हैं और उस पढने लिखने से जीविका के लिये पैसा मिल ही रहा हैं .
संचालक से पढ़ने कि सुविधा के अलावा कोई ख़ास लाभ नहीं लगा था और अभी भी नहीं लगता .
सिरिल ने अपना पक्ष रख दिया .
मुन्ना भाई स्टाइल गाँधी गिरी करिये एक दिन सब ब्लॉग पर केवल और केवल एक ही पोस्ट हो
ब्लोगवाणी वापस आओ
वापस तुमको आना होगा
एक जुटता का प्रमाण तो दीजिये फिर आगे कि सोचिये
सिरिल जी
ReplyDeleteअसहमत हूं
जिसमें हिम्मत हो वो आगे आये कोई रोक कहां रहा है आप वापस चालू कीजिये सशुल्क हम लोग तैयार हैं हिन्दी की का भला हो.
आप उनको क्यों देख रहे हैं जो आपको कुछ कह रहे है नकारात्मक रूप से उससे ज़्यादा तो सकारात्मक लोग हैं आपके साथ
सतीश जी,
ReplyDeleteआपका सार्थक प्रयास वन्दनीय है ! मैं इसके समर्थन के साथ साथ आपको हर प्रकार के सहयोग का आश्वासन भी देता हूँ !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
सतीश जी,
ReplyDeleteआपका सार्थक प्रयास वन्दनीय है ! मैं इसके समर्थन के साथ साथ आपको हर प्रकार के सहयोग का आश्वासन भी देता हूँ !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
ब्लाग जगत की कथाओं, अन्तर्कथाअें की कोई जानकारी मुझे नहीं है। मैं तो ब्लॉग के बारे में भी कुछ नहीं जानता।
ReplyDeleteब्लॉग मुझे खुद को व्यक्त करने की अकल्पनीय सुविधा उपलब्ध करा रहा है। यह मुझे नई पहचान और नए सम्पर्क दे रहा है। मेरी दुनिया दिन प्रति दिन बडी होती जा रही है ब्लॉग के कारण।
इस सबमें ब्लॉगवाणी मेरे लिए बहुत बडा कृपापूर्ण माध्यम रही है। मैथिलजी तो व्यक्तिगत रूप से मेरी चिन्ता करते रहे हैं।
मैं ब्लॉगवाणाी को फिर से, पहले से अधिक सशक्त स्वरूप में देखना चाहूँगा और इस अभ्यिान का असंदिग्ध, सुस्पष्ट समर्थन करता हूँ।
मुझे नहीं पता कि मैं कितना उपयोगी और सहायक हो सकता हूँ। किन्तु अपनी क्षमता और हैसियत से अधिक योगदान करने में मुझे आत्म सन्तोष और आत्मीय प्रसन्न्ता होगी।
मेरे योग्य काम काज बताइए। मैं हाजिर हूँ। बिना शर्त। बिना किसी किन्तु-परन्तु के।
ReplyDeleteWow Satish Bhaiya,
I read your mail today only, after recovering a lot from a crisis.
I was the first man to offer my proposal in the likewise manner to The Gupt Duo, I could understand their grief of parting with their dream project.
I took interest and suggested some modifications in Blogprahari,he kindly honored them too... but He was taken for ride, rather lured for a ride by few stalwarts and he Gone Gudum, the fellow kanishk Kashyap !
I own my personal website AMARHINDI and some technical resources too, So I planned an agregater in detail with Kush... BUT THE IRONY OF THE SCENARIO IS A BITTER TRUTH that we need a segregator not an agregater...
who can categorically sort out the region, topic, and GUTwise ;)Posts.
Sorry for such an inexpressive english.. but chalega, I am already being moderated in this Cancer Ward !
ब्लॉगवाणी को वापस लाना किसी पंगेबाज ब्लॉगर से ही संभव है ...कमाल है कि कोई उन्हें क्यों नहीं कह रहा है ?? नाम छुपा है जान लें ...वैसे मैं भी ब्लॉगवाणी के नाम एक प्रेम पत्र लिखने ही वाला हूं ..आखिर जब लैला ही रुठ बैठी हो तो ..मजनूं की मजनुयई का क्या फ़ायदा महाराज
ReplyDeleteहम भी इस अपील में आपके साथ हैं
ReplyDelete@ विष्णु बैरागी,
ReplyDeleteभाई जी हो सके तो आप अपने प्रभाव का उपयोग कर ब्लोगवाणी को मनाने का प्रयत्न करें, मेरी तरफ से जो सहयोग आप कहेंगे आपको मिलेगा !
सादर
@ डॉ अमर कुमार ,
आपके स्वास्थय के लिए चिंतित हूँ ...हमें आपके स्नेह की जरूरत है !
शुभकामनाओं सहित
सादर
@ अजय कुमार झा ,
कृपया आप अपने प्रभाव का उपयोग करें इससे नए ब्लागर को बहुत फायदा होगा !
यही दर्द संभवतः सबका ही है। आहत होकर भी ऊर्जान्वित कार्य करना बहुत कठिन है।
ReplyDeleteआदरणीय सतीशजी
ReplyDeleteसिरिल साहब के इंकार के बाद जो सुझाव पाबला साहब ने दिया है, वह निश्चय ही अमल करने योग्य है. कोई भी एग्रीगेटर
जन्म के साथ ही विश्वसनीयता लेकर नहीं आता , उसे काम के द्वारा पैदा करना होता है. आप आत्मविश्वास जगाएं . आप एक ईमानदार और समर्पित व्यक्ति हैं. आपके कर्म से विश्वसनीयता पैदा नहीं होगी तो कहाँ से होगी ?
सिरिल जी आपके जवाब से बहुत निराशा हुयी है। लेकिन एक बार तो सोच कर देखें कि कितने शुभचिन्तक आपके साथ हैं किसी के किये की सजा आप हम जैसे लोगों को क्यों दे रहे हैं। प्लीज़ बेटा जी एक बार पुन: विचार करें। शायद सुहृदयता दिखाने के अवसर बार बार नही आते। अपनी वही निस्वार्थ सेवा की भावना को फिर से निस्वार्थ भाव से हिन्दी और ब्लागजगत के भले के लिये दोबारा जगायें। क्या आप सुन रहे हैं हमारी आवाज़? मैथिली जी सुइरिल अपनी जगह सही हैं लेकिन हर बात का कोई न कोई हल तो होता है। कृप्या आप सिरिल को मनायें। धन्यवाद। सतीश जी धन्यवाद आपना प्रयास तब तक चालू रखें जब तक सिरिल जी और मैथिली जी मान नही जाते। मेरी आशायें अभी तक भी बनी हुयी हैं। शुभकामनायें
ReplyDeleteसतीश जी,
ReplyDeleteब्लोगवाणी से इतने सारे लोग आपके साथ आग्रह कर रहे हैं और उनके व्यक्तिगत कारण क्या हैं ये किसी को नहीं मालूम. विवाद तो उसके समय में बहुत उठा था. आरंभ हो जाये तो बहुत ही अच्छा है अन्यथा विकल्प भी सोचा जा सकता है. वैसे हम आपसे सहमत हैं.
सतीश जी, ब्लॉगवाणी से हमने पहले भी अपील की थी। मेल भी भेजा था और ब्लॉग पर भी। उन्होने कोई ध्यान नहीं दिया।
ReplyDeleteहम आपके साथ हैं।
मेरा पूरा समर्थन है.
ReplyDelete