Saturday, December 18, 2010

ब्लोगवाणी संचालकों को एक पत्र , एक अनुरोध के साथ - सतीश सक्सेना

हिंदी ब्लॉग जगत के लिए बेहद सम्मानित मैथिली जी एवं  सिरिल !

मैं एक सामान्य व्यक्ति हूँ , हिंदी ब्लॉगजगत के लिए जो कार्य आप पिता पुत्र ने किया है उसका सम्मान करता हूँ ! ब्लोगवाणी के चले जाने से जो रिक्तस्थान पैदा हुआ वह भर नहीं पा रहा है और इसके बिना ब्लॉग जगत का बहुत नुकसान ( खास तौर पर नए ब्लोगर का )हो रहा है ! मेरी इच्छा, आपके लगाये पौधे को पुनर्जीवित कर ,उसमें आपको सहयोग भर देने की है  !
-क्या आप इसमें अपना समय दे पायेंगे ? यदि हाँ तो आप जैसा सहयोग चाहेंगे  वह मैं देने को तैयार हूँ मेरी तरफ से यह कार्य पूर्णतः समाज के भले के लिए होगा हाँ इसमें आवश्यक धनराशि, चाहे वह कितनी हो क्यों न हो , अपने प्रयत्नों से एकत्र कर लगाने को तैयार हूँ ! और योगदान बिना किसी शर्त होगा !

-अगर आप समय नहीं देना चाहें तो मैं आपका ब्लोगवाणी तंत्र खरीदने के लिए तैयार हूँ और इस तंत्र को पुनर्जीवित कर , ५ लोगों की कमेटी के नेतृत्व में चलाने की व्यवस्था करना चाहूँगा इसमें  आपका नाम जुड़े रहने की प्रार्थना के साथ, आपको उसमें बने रहने की प्रार्थना भी शामिल है !

- प्रयुक्त सर्वर एवं एक ओपरेटर का खर्चा वहन करने की व्यवस्था की जा सकती है !
  
-उपरोक्त कार्य में योगदान के लिए मेरा उद्देश्य, किसी प्रकार का आर्थिक लाभ लेने का नहीं है ! हाँ अगर आपको उससे आर्थिक लाभ हो तो मुझे सहर्ष स्वीकार होगा !

- आशा है जिस भावना से, इस पौधे को रोपित किया था , दुबारा पुनर्जीवन में आप सहर्ष साथ देंगे ! 
आपकी हर शर्त मंजूर होगी !
उत्तर की प्रतीक्षा में 

सादर  
सतीश सक्सेना
(यह अनुरोध मेरी व्यक्तिगत इच्छाशक्ति के आधार पर है इसमें किसी ब्लोगर से कोई राय नहीं ली गयी है , हाँ समान सोच वाले मित्रों  से अनुरोध है कि  वे साथ दें, इससे मैं अपने आपको और मज़बूत महसूस करूंगा ) 
satish-saxena.blogspot.com


अभी अभी इमेल बॉक्स खोलने पर , सिरिल गुप्ता का यह मेल मिला है जो आप लोगों के लिए, पोस्ट का एक भाग बना कर प्रकाशित कर रहा हूँ  ! मेरा विचार है कि अभी भी उनसे बात करने का मौका है ..फिलहाल आप लोगों के विचार आमंत्रित हैं ....  



Cyril gupta

 to me
show details 5:25 PM (2 hours ago)
आदरणीय सतीश जी,
आपको हम और ब्लागवाणी अब तक याद है यही बहुत बड़ा सम्मान है, और यह तो गौरव कि बात है आप अपनी गाढ़ी कमाई का धन ब्लागवाणी पर लगाने को तैयार हैं.
लेकिन ब्लागवाणी तो धनाभाव में बंद नहीं हुई. ब्लागवाणी चालू है, उसके सर्वर पर जितना खर्च पहले हो रहा था निरंतर उतना ही अब भी हो रहा है़.  अब ब्लागवाणी को अपडेट करना रोक दिया है जिसके कारण निजी हैं.
ब्लागवाणी क्योंकि अब ब्लॉग इतिहास का हिस्सा है इसलिये कृपया दूसरे विकल्पों और नये आने वाले रचनाशील लोगों को मौका दें. मुझे नहीं लगता वे आपको निराश करेंगे.
इतने प्रेमपूर्ण पत्र के लिये धन्यवाद, यह हमेशा याद रहेगा.
आपका दोस्त
सिरिल

103 comments:

  1. सतीश जी, नि:संदेह आपकी इस बात में दम है कि ब्‍लॉगवाणी की कमी आज कोई पूरा नहीं कर पाया है। उसे पुनर्जीवित करने सम्‍बंधी आपकी सदइच्‍छा को प्रणाम करता हूँ। यदि मैथिली जी, इसके लिए तैयार हो जाते हैं, तो निश्चित ही यह एक बड़ा कार्य होगा। लेकिन इसके साथ ही मैं एक निवेदन करना चाहूँगा कि उसमें ब्‍लॉग की लोकप्रियता आकलन सम्‍बंधी जो आधार हैं, उन्‍हें भी तार्किक और व्‍यवहारिक बनाने की आवश्‍यकता है। आशा है आप उस दिशा में भी सोचेंगे।

    ReplyDelete
  2. SAKARATMAK SURUAT.....

    IS POST KO SAMMAN KE SATH MAN DETE HUE SAHYOG ME SAKRIYE RAHNE KO PRASTOOT EK PATHAK....

    PRANAM.

    ReplyDelete
  3. present sir.....:)
    hum bhi saath hain....

    ReplyDelete
  4. मेरी तो राइ है होगी की उसमे से लोकप्रियता, टिप्पणियाँ, पसंद वाली कड़ियाँ हटाई जायें...
    ताकि ये टिप्पणियों के लिए मारा-मारी बंद हो सके...
    योग्यता का आधार केवल पठन हो...

    ReplyDelete
  5. सार्थक प्रयास है.
    यह तो सच है ही कि ब्लॉगवाणी की कमी खलती है. कुछ सवाल उनसे भी पूछे जाने चाहिए जिन्होंने बड़े सुनियोजित ढंग से ब्लॉगवाणी को बंद करवाने का काम किया.

    ReplyDelete
  6. Ek accha kadam hai. Mera bhi nam jod lijiye. main bhi aapke is kam main sath dunga.

    ReplyDelete
  7. शिव भाई ,

    ब्लाग जगत को मैं ऐसी खुली चौपाल मानता हूँ जो दिन रात लगी रहती है ..

    जिसमे ज्ञान भाई जैसे विशिष्ट व्यक्ति के साथ साथ मोहल्ले का शोहदा और उसके चेले , बसूली करने वाले ब्लैक मेलर , और जेल जाने योग्य मुजरिम भी बैठते हैं !
    क्या करें ...सभी लेख़क बन गए शिव भाई !
    ;-)

    ReplyDelete
  8. हम आपके साथ हैं|

    ReplyDelete
  9. समर्थन और साधुवाद.

    ReplyDelete
  10. आपकी राय से इतेफाक रखता हूँ.

    ReplyDelete
  11. हमारा भी निवेदन है ब्लॉगवाणी संचालको से कृपया आएँ और आपको हुई असुविधा एवं समस्याओं पर चर्चा करें, और एक उचित उपयोगी मार्ग-निर्देश कर हिंदी ब्लॉगिंग के विकास में सहायता करे।
    इस बात पर सभी सहमत है कि बिना उपयुक्त एग्रीगेटर के हिंदी ब्लॉगिंग के विकास को गति प्रदान करना आसान नहिं है।

    सतीश ज़ी के इस आग्रह और प्रयास को हमारा समर्थन है।

    ReplyDelete
  12. समर्थन
    समर्थन
    समर्थन
    समर्थन
    समर्थन

    ReplyDelete
  13. अच्‍छी चीजों को समाज में बदस्‍तूर कायम रहना चाहिए। सतीश भाई का यह जज्‍बा काबिले तारीफ है। सिर्फ तारीफ ही नहीं, साथ भी चलना है। तो नया मुहावरा क्‍या बनायें
    काबिले साथ
    या काबिले सतीश
    सक्‍सेस है हां।
    हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग के एक सेमिनार में शामिल ब्‍लॉगरों के हथियारों की झलक

    ReplyDelete
  14. जी जरूर ... मेरा समर्थन आप के साथ है इस विश्वास के साथ कि ब्लोगवाणी जरूर लौटेगा !

    ReplyDelete
  15. भाई , जरूरी तो है और आपकी यह सदिच्छा भी सराहनीय ! अब वही है कि 'सिस्टम' लोगों से बनता है और इस ब्लॉग-बुड के लोग ............................... , यह खाली जगह आप ही भर लें ! लेकिन इसका क्या प्रमाण कि आप आरम्भ करें और वह पुनः ब्लोगवाणी और चिट्ठाजगत की नियति कि न प्राप्त हो जाय ! फिर ऐसा होने पर आपको अपने परिश्रम की व्यर्थता को बोध होगा , कुछ वैसे ही जैसे आप बढियां टीप लिखें और कोई दुराग्रही मूर्ख ब्लॉगर 'डेल' मार दे . फिर जब यह तर्क रखे जाते हों कि ब्लॉगजगत बहुत 'सीरियस' के लिए नहीं है , तो एग्रीग्रेटर को लेकर इतना भावुकतापूर्ण होकर 'सीरियस' होने की क्या आवश्यता ? या फिर कीजिये एक प्रयास , क्या पता ब्लॉग-बुड संक्रमण-काल में चल रहा हो , अच्छी चीजें खाद-पानी पा ही जाएँ ! काश ऐसा हो , पर वही कहा न कि इस टांग-खींचू / मथाधीसी वाली हिन्दी ब्लागरी में ऐसा होने की संभावनाएं कम हैं ! फिर भी आप प्रयास करेंगे तो मेरी शुभकामनाएं अवश्य हैं !

    ReplyDelete
  16. ब्‍लॉगवाणी को निश्चित रूप से पुनः प्रारंभ किया जाना चाहिए।
    मैं याद दिलाना चाहता हूँ कि इससे भी पहले नारद नाम का एक एग्रीगटर हुआ करता था। जो अक्षरग्राम नेटवर्क द्वारा संचालित था। इसे भी पुनः शुरु करवाने के लिए प्रयास किया जाना चाहिए।

    ReplyDelete
  17. सतीश जी, बहुत अच्‍छा प्रयास। एक बात बताएं कि हिन्‍दीब्‍लॉग जगत नामक ब्‍लाग पर अपने ब्‍लाग को सम्मिलित करने के लिए क्‍या करें?

    ReplyDelete
  18. आप की राय में मेरा भी समर्थन है.
    ................
    साथ ही शेखर सुमन की बात से सहमत -उसमे से सर्वाधिक हिट,लोकप्रियता, सर्वाधिक टिप्पणियाँ, सर्वाधिक नापसंद /पसंद वाली कड़ियाँ हटाई जायें.
    -----
    मेरा सुझाव -ब्लॉग को संकलकों पर रजिस्टर करते समय संकलकों द्वारा उनके फोन नंबर लिए जाएँ और वेरीफाई किया जाये तभी संकलकों में शामिल किये जाएँ.
    ताकि फेक प्रोफाइल वाले ब्लॉग संकलकों में शामिल न हों सकें .
    ---------------
    सिर्फ प्रकाशन समय के अनुसार पोस्ट का क्रम हो.
    ......
    चिट्ठाजगत से भी लौटने का ऐसा ही अनुरोध किया जाये.उनका 'हवाले वाला बटन बेहद उपयोगी होता है.
    --------
    आभार.

    ReplyDelete
  19. @अजित जी ,
    ये ब्लागस्पाट पर बने तथाकथित संकलक आप खुद भी बना लिजीये.
    जिस कि बात आप कर रही हैं वह किसी व्यक्ति विशेष' की पसंद के ब्लोगों का संकलन है .
    यहाँ नए चिट्ठे नहीं दिखेंगे.
    ----
    आप तो पुरानी ब्लोगेर हैं ७०-८० ब्लोगों के लिंक तो आप के पास होंगे ही जबतक कोई अच्छा संकलक नहीं आता तब तक --इन्डली डॉट कॉम
    और अपनी खुद ki पसंद के लिंक देखें .
    ----
    मैंने खुद अपने ब्लॉग की अभी तक kee stat में जांचा है कि संकलकों से अपेक्षाकृत bahut कम ही पाठक आते हैं .
    ---नियमित पाठक /फोलोवेर ही पढते हैं.
    --गूगल से भी अच्छे पाठक मिलते हैं.

    ReplyDelete
  20. सतीश जी सबसे पहले तो मैं आपको इस बात के लिए धन्यवाद दूंगा की आपने स्वयं आगे बढकर ब्लोग्वानी को पुनर्जीवित करने की पेशकश की है. मुझे ऐसा लगता है की आप इस कार्य को फलीभूत करने के लिए पूर्ण रूपेण समर्थ हैं तथा मैं आशा करता हूँ की आप इस मुहीम में सफल रहेंगे और ये निश्चित जानिए की आपके इस प्रयास के प्रति आपको मेरा पूर्ण समर्थन हमेशा ही मिलता रहेगा.

    ReplyDelete
  21. बाक़ी सवाल तो बाद में पूछ लेंगे :-)
    लेकिन अन्य साथियों के साथ साथ मुझे इस ब्लॉग पोस्ट पर ब्लॉगवाणी या उनके समर्थकों की प्रतिक्रया का इंतजार आज भी है

    ReplyDelete
  22. बड़े सुनियोजित ढंग से ब्लॉगवाणी को बंद करवाने का काम

    :-) :-) :-) :-) :-) :-)

    ऐसा भी माना जाता है क्या ?

    ReplyDelete
  23. इस अभियान में मेरा भी पूरा समर्थन है आप को |

    ReplyDelete
  24. लेकिन समस्या ये है की यहाँ तो उसके शुरू होने से पहले ही फिर से उसकी कुछ चीजो के लिए आपत्ति होने लगी है ( मै यहाँ उन आपत्तियों को गलत या सही नहीं कहा रही हु ) इस समस्या को कैसे सुलझाया जाये | हर अग्रीगेटर से किसी ना किसी को कोई ना कोई समस्या तो होगी ही उसका क्या करेंगे | फिर वही शुरू होने के बाद कुछ समय बाद बंद भी हो जायेगा इसलिए कुछ ऐसे उपाय भी किया जाना चाहिए की दुबारा बंद ना हो |

    ReplyDelete
  25. @Satish ji....kaaahe mera naam badal dete hain..Main Alpana hun Vandana nahin..is tarah kee Yeh aap ki second time mistake hai..:D.

    kya koi resemblance hai aap ki parichit Vandana' aur mujh mein??:)

    ReplyDelete
  26. मै आपसे शत प्रतिशत सहमत हूँ और मैथिली जी व सिरिल जी से प्रार्थना है कि इस पुनीत कार्य को फिर से जैसे भी हो शुरू करें हम जैसे तकनीक से अन्भिग्य लोगों को बहुत मुश्किल हो रही है। आशा है वो जरूर हमारी बात सुनेंगे। शुभकामनायें।

    ReplyDelete
  27. मुझे लगता है अभी भी लोग अपने पूर्वाग्रहों को बनाए हुए हैं जबकि यहाँ एक नयी शुरुआत की बात हो रही है ..यह विचार मंथन नवनीत में बदल सके यही कामना है .
    मुझे लगता है की ब्लागवाणी स्वामियों को अब तो कुछ बोल ही देना नहीं तो यह उनकी अभिजात्य अहमन्यता ही लगेगी ....जो कि जैसा मैं जानता हूँ वे नहीं हैं !

    ReplyDelete
  28. हम भी इस अपील में आपके साथ हैं ।

    ReplyDelete
  29. ब्लोगवाणी के न रहने से बहुत हानि हुई है. चिट्टाजगत लंगड़ा लंगड़ा के चल रहा है. कभी कभी गिर पड़ता है. ऐसे में आपका सुझाव से हम भी ताल्लुक रखते हैं.

    ReplyDelete
  30. आपके सुझाव का स्वागत और समर्थन...

    ReplyDelete
  31. @ अल्पना मैम,
    मैं स्टूल पर खड़ा हूँ, कान पकड़ कर आगे गलती नहीं होगी ! भूल गया था ....
    यह वंदना कौन है ...??

    ReplyDelete
  32. नेकी और पूछ पूछ | हम तो आपसे सहमत है |

    ReplyDelete
  33. @ अजित गुप्ता ,
    अल्पना जी से सहमत हूँ , हिंदी ब्लॉग जगत एक ब्लॉग है जिसमें उनकी पसंद के ब्लॉग दे रखे हैं ! आप वहां जबरदस्ती क्यों जाना चाहती हैं ...उन्हें अच्छा लगेगा तभी वे मुझे और आपको वहां जगह देंगे !

    ReplyDelete
  34. बहुत बढ़िया कदम होगा यह ... समर्थन और साधुवाद !

    ReplyDelete
  35. @ विचार शून्य जी ,
    अभी आप जैसे कुछ ईमानदार चेहरे नज़र आने लगे हैं जिनके बल पर कुछ अच्छा हो सकता है ! तैयार रहें शायद आपसे सलाह की आवश्यकता शीघ्र पड़े ..ब्लोग्वानी का इंतज़ार कर रहा हूँ !
    धन्यवाद

    ReplyDelete
  36. @ अंशुमाला जी ,
    पहले ब्लोगवाणी का जवाब आ जाएँ , बाकी का हल मिलकर निकाल लेंगे ...धन्यवाद

    @ सोमेश सक्सेना,
    आप यह प्रयास करें ...अच्छा लगेगा यदि वह भी शुरू हो

    ReplyDelete
  37. nice.................................................

    ReplyDelete
  38. आपकी इस मुहीम में आपका जैसा निर्देश होगा, यह बालक वैसा ही करने के लिए प्रस्तुत है .

    ReplyDelete
  39. sir ........aapne jo kaha...usme purntah main sahmat hoon,...kash aisa ho paye...:)

    sir aajkal aap mere blog ko bhhul gaye...:)

    ReplyDelete
  40. मै दोबारा इस आशा मे आयी थी कि अब तक मैथिली जी और सिरिल जी ने हामी भर दी होगी । उन से एक बार फिर से अनुरोध है कि इस पर विचार करके अपनी सुहृदयता का परिचय दें। हर अच्छा काम करने वाले के विरोधी तो सतयुग मे भी थे लेकिन बुराई पर अच्छाई की विजय होती रही थी लेकिन आज अच्छाई पर बुराई की विजय हो तो अच्छा नही लगेगा। फिर ब्लागवाणी ये सोचे कि कितने लोगों को उनकी वजह से प्रेरणा खुशियाँ मिली हैं मेरे जैसे सेवानिवृत लोगों को जीने की नई राह मिली है इतने शुभचिन्तकों मे अगर दो चार बुरा भी कह गये तो क्या? आप अपनी परिपक्कवता और सुहृद्यता तथा हिन्दी सेवा को प्राथमिकता दे कर हम सब को फिर से आगे बढने का अवसर दें। ब्लागजगत के इतिहास मे ब्लागवाणी का नाम हमेशा सुनहरे शब्दों मे लिखा जायेगा। क्या ब्लागवाणी हमारी विनती सुन रही है? धन्यवाद ,शुभकामनायें। सतीश जी ये सारे कमेन्ट उन्हें मेल कर दें।

    ReplyDelete
  41. ब्लागवाणी जिन कारणों से बंद हुई वे कारण आगे भी मौजूद रहेंगे इसलिए एक विकल्प ये भी है कि नए संकलक के निर्माण पर भी ध्यान दिया जाए !

    ReplyDelete
  42. सतीश भाई,

    आपका नेक उद्देश्य है इसके लिए आपको साधुवाद...

    मैथिली जी और सिरिल जी दोनों ही बहुत सुलझे हुए इनसान हैं...मुझे नहीं लगता कि पैसे की दिक्कत की वजह से उन्हें ब्लॉगवाणी बंद करने का फैसला लेना पड़ा...वो निस्वार्थ भाव से ब्लॉगजगत को प्लेटफॉर्म उपलब्ध करा रहे थे...कोई ठोस वजह ही होगी जो उन्होंने ब्लॉगवाणी को बंद किया...और अब अगर ब्लॉगवाणी को शुरू करना है तो भी उनके पास ठोस वजह होनी चाहिए...ये उनका निजी प्रायोजन था...इसलिए मेरी समझ से उन पर दबाव नहीं डाला जाना चाहिए...वैसे अगर ब्लॉगवाणी दोबारा जीवित होता है तो सभी ब्लॉगरों को बेहद खुशी होगी...

    चिट्ठाजगत के साथ मुझे लग रहा है कि वो इतनी पोस्ट का प्रैशर झेल नहीं पा रहा है...तभी सर्वर की समस्या से उसे लगातार जूझना पड़ रहा है...ऐसी दशा में जब दो सबसे लोकप्रिय एग्रीगेटर बैठ गए हों, तो किया क्या जाए...क्या ये संभव नहीं कि कुछ और एग्रीगेटर को खड़ा किया जाए...रफ्तार और हमारीवाणी जैसे एग्रीगेटर जो अब लोड को संभाल रहे हैं, क्या ये अच्छा नहीं कि उनको ही पूरा प्रोत्साहन दिया जाए...हमारीवाणी कुछ समस्याएं होने के बावजूद क्राइसिस के इस दौर में अच्छा काम कर रहा है...

    एग्रीगेटर को सुचारू रूप से चलाने की ज़िम्मेदारी हर ब्लॉगर महसूस करे...ये भी हो सकता है कि एग्रीगेटर के लिए ब्लॉगजगत से ही परामर्शमंडल चुना जाए...इस मंडल के सदस्य निर्विवादित हों इसके लिए ब्लॉगजगत से ही वोटिंग करा ली जाए...वैसे मेरी इच्छा यही रहेगी कि परामर्शमंडल का प्रमुख समीर लाल समीर जी को ही बनाया जाए...

    जय हिंद...

    ReplyDelete
  43. आप चाहें तो जो भी आदेश हो दे सकते है
    पर ब्लागवाणी चालू
    क्लिक कीजिये कमाईये !!

    ReplyDelete
  44. > आवश्यक धनराशि, चाहे वह कितनी ही क्यों न हो ,अपने प्रयत्नों से एकत्र कर लगाने को तैयार!

    > योगदान बिना किसी शर्त!

    > 5 लोगों की कमेटी के नेतृत्व में चलाने की व्यवस्था!

    > प्रयुक्त सर्वर एवं एक ओपरेटर का खर्चा वहन करने की व्यवस्था!

    > उद्देश्य, किसी प्रकार का आर्थिक लाभ लेने का नहीं!

    >हर शर्त मंजूर!


    फिर क्यों एक मृतप्राय को जीवित करने की कोशिशे चल रहीं ?
    क्यों नहीं एक नया तंत्र, नया एग्रीगेटर खड़ा कर लिया जाता किसी तकनीकी व्यक्ति को पकड़ कर?

    ReplyDelete
  45. आपके सुझावों का मैं भी समर्थन करता हूं...सहयोग के लिए तत्पर भी हूं।...शुभकामनाएं।

    ReplyDelete
  46. अच्छी बात है जी मैं भी समर्थन करता हूं.

    ReplyDelete
  47. आपके जज्बे को सलाम ... पाबला जी के विचारों से काफी हद तक सहमत हूँ ....

    ReplyDelete
  48. बहुत सार्थक प्रयास .. आपके विचारों से सहमत ..

    ReplyDelete

  49. @ पाबला जी,

    @"फिर क्यों एक मृतप्राय को जीवित करने की कोशिशे चल रहीं ?
    क्यों नहीं एक नया तंत्र, नया एग्रीगेटर खड़ा कर लिया जाता किसी तकनीकी व्यक्ति को पकड़ कर "

    -क्योंकि ब्लॉगवाणी पर लोगों का विश्वास अधिक रहा है और सबकी इच्छा भी है कि वह बापस आये !
    - क्योंकि ब्लॉग वाणी मेरी नज़र में निष्पक्ष रही है
    - अंत में , यह मेरी व्यक्तिगत इच्छा है कि किसी स्थापित संकलक से ही बात करने को वरीयता दी जाए !
    - नए अग्रीगेट कितना सफल होगा और उसे चलाने वाले पर सबका विश्वास होगा कि नहीं ?? यह शक का विषय है !

    ReplyDelete
  50. सतीश जी
    आपसे सहमत हैं...
    ब्लागवाणी और चिट्ठाजगत का कोई जवाब नहीं...इनके ज़रिये एक ही जगह अनेक ब्लॉग मिल जाते थे... साथ ही नई पोस्ट भी पढ़ने को मिलती थीं...

    ReplyDelete
  51. पूर्व स्थापित संकलको के संजीवन के लाभ……

    > स्थापित होने से यह संकलक पुराने है, और ख्यात भी इनके माध्यम से अधिक पाठक आयेंगे।

    > स्थापित होने के कारण इन संकलको के पास अनुभव का खजाना है जिसका लाभ प्राप्त हो सकता है।

    > पूर्व में उनका अधिक पसन्द किया जाना उनकी निष्पक्ष छवि का द्योतक है। नये संकलक पर आने वाले पक्षपात के आरोपों से बचा जा सकता है।
    > नये नये छोटे निशुल्क संकलक पैदा होते रहेंगे। पाठक प्रवाह को बिखरने से रोकने में सहायक होंगे।

    यह मात्र मेरा व्यक्तिगत सोचना है, वस्तुस्थिति से पुराने ब्लॉगर ही परिचित है। बहुमत से जो भी निर्णय होगा हमें स्वीकृत है।

    ReplyDelete
  52. @@बात तो वहीं की वहीं है सतीश भाई ,अब चिट्ठाजगत वाले कुछ स्पष्ट कर दें तो और कुछ सोचा जाय !

    ReplyDelete
  53. हम भी आपके साथ हैं .....

    ReplyDelete
  54. ब्लॉगवाणी पर लोगों का विश्वास अधिक रहा है और सबकी इच्छा भी है कि वह बापस आये !

    sahmat

    ReplyDelete
  55. सतीश जी,

    सिरिल जी से पुछें कि वे निजि कारण क्या हम ब्लॉगरों के सहयोग से समाधान पा सकते है?
    यदि हाँ तो बताएँ हम क्या कर सकते है।

    यदि वे निजि कारणों की चर्चा न करना चाहे तो पुछें क्या उन कारणों को एक तरफ रखकर ब्लॉगवाणी के पुनः प्रारम्भ की क्या सम्भावनाएँ है?

    ReplyDelete
  56. लगता है कोई समाधान निकल ही जाएगा। इस प्रयास को हमारी भी शुभकामनाएं.

    ReplyDelete
  57. ब्लोग्वानी का उपडेट क्यों रुका है? उसको कौन चलता है? उसको शुरू किया कैसे जा सकता है? नयी दूकान खोलने से अच्चा है पुरानी दूकान को फिर से शुरू करें.

    ReplyDelete
  58. मैंने भी यही प्रार्थना की है कि दोनों एग्रीगेटर चालू कर दिये जायें..

    ReplyDelete
  59. @ अमित शर्मा ,
    धन्यवाद अमित मुझे भरोसा है ...

    @ मुकेश सिन्हा ,
    क्षमा चाहता हूँ अगर भविष्य में भी ऐसा हो जाया करे तो मेल भेज दिया करो यार !

    @ निर्मला जी ,
    सिरिल जी का पत्र मिल गया है निराशाजनक है , अभी और कोशिश करूंगा एक बार ..

    ReplyDelete
  60. @ अली भाई ,
    नए संकलक की देखभाल करना भारी जिम्मेवारी का कार्य है ...कौन संभालेगा ?? ...

    ReplyDelete
  61. @ खुशदीप सहगल,

    -किसी तरह का दवाब उन पर नहीं दिया जा रहा है महज एक प्रार्थना थी, शायद वे मान जाएँ !

    - चिटठा जगत से आप बात करने का प्रयत्न करें उन्हें कोई समस्या है तो हम लोग खड़े होंगे
    ...हमारी वाणी के बारे में कुछ लोगों की राय अलग है हालांकि मैं इत्तिफाक नहीं रखता उनसे आप बात कर लें कि वे ब्लागवाणी के लेवल पर कैसे आएंगे और उन्हें क्या समस्याएं हैं ! फिर दोनों भाई बैठते हैं !

    - यह कोई डेमोक्रेटिक बोडी नहीं खुशदीप भाई ...और अभी से चेयरमैन का भी चुनाव !

    लगता है समीर भाई ने अबकी मंत्रिमंडल में होम मिनिस्टर का पद आपको देने का वादा किया है ! हमारी मिनिस्ट्री की बात पहले पक्की करवाओ !

    समीर भाई से लिखित आश्वासन दिलवाओ फाइनेंस मिनिस्ट्री के बारे में ! फिर सोंचते हैं.......,

    मैं भी साला पालिटीशियन हो गया आपके साथ साथ !

    ReplyDelete
  62. मेरा पूरा समर्थन सतीश जी के साथ है .जिस सदाशयता से यह सुझाव आया है उसकी भावना को नमन करते हुए इस कार्य के सफलता पूर्वक संपन्न होने की कामना करती हूँ .

    ReplyDelete
  63. @ सुज्ञ भाई ,
    वे कारण नहीं बताना चाह रहे हैं मगर बातों से मुझे महसूस हुआ कि वे व्यथित लग रहे थे ! मुफ्त में काम करने के बावजूद जली कटी कोई भी सुनना नहीं चाहता ! यही ब्लॉग जगत की त्रासदी है !

    ReplyDelete
  64. सतीश भाई क्षमा करें यहां जो चर्चा चल रही है उसके फायदे नुकसान के बारे में मेरी जानकारी ज्‍यादा नहीं है। क्‍योंकि मैं उसका उपयोग नहीं करता । हां पिछले दो साल से ब्‍लागिंग कर रहा हूं। मैंने अपनी पसंद की ब्‍लाग सूची बना रखी है, बस उस पर जो पोस्‍ट आती है उसे देखता रहता हूं। कभी कभार दूसरे ब्‍लागों की ब्‍लाग लिस्‍ट से भी अन्‍य ब्‍लागों पर चला जाता हूं।
    बहरहाल ऐसा कोई भी काम जो ब्‍लागों को बेहतर बनाता हो,उसमें मैं आपके साथ ही हूं।

    ReplyDelete
  65. आपका प्रस्ताव आपके सरल मन की पूरी परिभाषा है. यदि ब्लागवाणी के संचालक इसे नहीं चलाए रखने पर ही आमादा हैं तो किया ही क्या जा सकता है. मेरा समर्थन तो हमेशा सतीश सक्सेना के लिए है और रहेगा भी. इस स्थिति में आप जो भी निर्णय लेंगे, मैं आपके कंधे से कंधा मिलाकर न सही, एक कदम पीछे ज़रूर रहूँगा.
    अब, क्या हुक्म है?

    ReplyDelete
  66. सिरिल जी का जवाब देख कर अब तो पाबला जी से ही कुछ उम्मीद लगी है.
    अगर वे कोई नया संकलक शुरू करें तो उन्हें हमारा पूरा सहयोग रहेगा.

    'सी.एम.ऑडियो क्विज़'
    रविवार प्रातः 10 बजे

    ReplyDelete
  67. सतीश जी,

    ब्लॉग जगत के लिए आपके इस जज्बे को सलाम करता हूँ... और सबसे बड़ी बात तो यह कि जिस दौर से हमारा यह ब्लॉग नाम का परिवार गुज़र रहा है, उसको देखते हुए यह आज की ज़रूरत भी है कि ब्लॉगवाणी वापस आए और चिटठाजगत फिर से अपने पैरों पर खड़ा हो कर पहले से भी तेज़ सरपट दौड़े... सही बात तो यह है कि हमें इनकी आदत है.... हालाँकि इन्डली, ब्लॉग प्रहरी, हमारीवाणी भी अपना काम अच्छे से कर रहे हैं... हमें इनको भी समर्थन देने की ज़रूरत है... जिस तरह से हिंदी ब्लॉग जगत दिन दुनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है, उसे देखते हुए ब्लॉग एग्रीगेटर की तादाद भी अधिक होनी चाहिए...

    सतीश जी अगर मेरी कहीं, भी कैसी भी ज़रूरत हो, तो याद कीजियेगा. अपने प्यारे ब्लॉग परिवार के लिए हर समय तैयार रहूँगा...


    मैथिली जी एवं सिरिल जी से कहना चाहूँगा की सुरेश चिपलूनकर जी ने एक बार खुशदीप भाई के ब्लॉग देशनामा पर कहा था (और उनकी बात से मैं भी शत प्रतिशत सहमत हूँ) की हम लोगों को मुफ्त की चीज़ों में भी नुक्ताचीनी करने की आदत होती है.... जिसके चलते हम आपके योगदान की कद्र नहीं कर सके... मैंने एक प्रोजेक्ट में पिछले छ: महीने रात-दिन मेहनत की है, इसलिए मुझे यह अहसास है की इस तरह के प्रोजेक्ट्स में कितनी मेहनत करनी पड़ती है... फिर आपने तो रात-दिन एक करके एक इतने अच्छे और हर दिल अज़ीज़ ब्लॉग संकलक को स्थापित किया और इतने लम्बे समय तक निस्स्वार्थ भावना से चलाया, जो कि आज भी ना केवल मेरे बल्कि हज़ारों चिट्ठाकारो के दिल पर राज करता है.

    अंत में वही पहुँचते हुए मैं स्वयं भी आप से अनुरोध करता हूँ और आपकी भावनाओं की कद्र करते हुए कहना चाहता हूँ कि निजी कारणों से अलग ब्लॉग जगत के उत्थान के लिए जनहित में हमारी प्यारी ब्लॉगवाणी को वापिस ले आएं. अगर किसी के कुछ बोलने से उनकी भावना को चोट पहुंची हैं तो हम उसके लिए शर्मिंदा हैं. अज्ञानतावश अथवा जानबूझ कर अगर किसी भी चिट्ठाकार से कोई भी गलती हो गई हो तो उसे क्षमा करें. आपसे अनुरोध है कि सभी चिट्ठाकारों के निवेदन को स्वीकार करते हुए हमारी गलतियों को क्षमा करें...



    प्रेमरस.कॉम पर "चर्चा-ए-ब्लॉगवाणी"

    ReplyDelete
  68. आपका प्रयास सराहनीय है। इन विषयों पर मुझे विशेष जानकारी नहीं है, इतना आईडिया है कि ब्लॉगवाणी और चिट्ठाजगत दोनों अपना काम अच्छे से कर रहे थे। सिस्टम को मैनिप्युलेट करने वाले जब लोकतंत्र जैसे सिस्टम, जहाँ सरकारी अमला और मशीनरी भी मदद के लिये कमर बांधे हों, को भी नहीं बख्शते तो इन एग्रीगेटर्स की क्या बिसात है।
    अपना काम ब्लॉग रॉल से चल जाता है, लेकिन आप जो करने की कह रहे हैं वह भी सार्वजनिक हितार्थ ही लगता है तो हमारी कामना है कि जो हितकर हो, आप वो हासिल कर सके।
    शुभकामनायें।

    ReplyDelete
  69. आपकी अपील में साथ हूं।

    ReplyDelete
  70. .
    .
    .
    आदरणीय सतीश सक्सेना जी,

    * सबसे पहले तो यह कि मुझे आप पर पूरा भरोसा है और आप का इस मामले में हर निर्णय मुझे स्वीकार होगा।

    ** सिरिल जी की इ-मेल से यह स्पष्ट है कि ब्लॉगवाणी अब वापस नहीं आने वाली, 'वह इतिहास बन चुकी है', ब्लॉगवाणी-संचालकों का हार्दिक आभार व्यक्त करते हुऐ मैं यह जरूर कहूँगा कि उनकी भावनाओं का सम्मान किया जाना चाहिये... यदि वे उसे अपने निजी कारणों से अपडेट न करते हुऐ मौजूद रखना चाहते हैं तो उनके इस फैसले को स्वीकार करना चाहिये...

    *** आदरणीय पाबला जी कह रहे हैं कि "क्यों नहीं एक नया तंत्र, नया एग्रीगेटर खड़ा कर लिया जाता किसी तकनीकी व्यक्ति को पकड़ कर?"...आदरणीय अरविन्द मिश्र जी की पोस्ट पर खर्चे का कुछ अनुमान ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ जी दे ही चुके हैं... ब्लॉगवाणी के कारण हम सब जानते ही हैं कि संकलक में क्या क्या होना चाहिये... तो काम शुरू करिये !

    **** कुछ को लगेगा कि मैं ज्यादा लंबी हाँक रहा हूँ परंतु मेरा दॄढ़ विश्वास है कि ३जी के चलते महज आने वाले छह साल के भीतर ही हिन्दी ब्लॉग संकलक व कुछ शीर्ष ब्लॉग भी अपने को Sustain करने लायक कमाई करने लगेंगे... तब तक के लिये हम सब मिल कर यह दायित्व उठाते हैं... साथ आइये मित्रों...


    ...

    ReplyDelete
  71. हुजूर का भेजा हुआ लिंक मिला । मेरा कहना तो यही है कि

    अंजाम उसके हाथ है तू आग़ाज़ करके देख
    भीगे हुए परों से ही परवाज़ करके देख

    नये एग्रीगेटर की पेशगी मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएं।

    ReplyDelete
  72. मैं आप के साथ हू

    ReplyDelete
  73. आपका प्रयास सराहनीय है। आई सेल्यूट टू यू।

    ReplyDelete
  74. इन्डली, ब्लॉग प्रहरी, हमारीवाणी भी अपना काम अच्छे से कर रहे हैं..

    क्या यह सही है? अगर हाँ तो नए पे पैसे क्यों बर्बाद किये जाएं?

    ReplyDelete
  75. सतीश जी, सर्वप्रथम प्रणाम स्वीकार करें. आपके इस सद्प्रयास में सहयोगी बन सकूं तो मुझे प्रसन्नता होगी. मेरे योग्य कोई सेवा हो तो आदेश देने में संकोच न करें. ब्लॉगवाणी को पुर्जीवित करने की बात है, यहां किसी भी प्रकार के सुझाव या शिकायतों के लिये कोई स्थान नहीं होना चाहिये. टिप्पणीकार यह समझ लें तो अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी के लिये अच्छा रहेगा.
    धन्यवाद सहित.
    डा.सन्तोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

    ReplyDelete
  76. ब्लॉगवाणी संचालकों की व्यथा उचित ही है... लेकिन अभी तक ब्लॉगवाणी पूर्णतः समाप्त नहीं हुई है इस लिए संभावनाएँ समाप्त नहीं हुई हैं... अब सिरिल जी को चाहिए कि जो हुआ सो हुआ ... आवश्यक सुधारों के साथ ब्लॉगवाणी को चालू करें ... नहीं ही करने का फैसला कर लिया है तो वो उनका व्यक्तिगत मामला हो सकता है... ऐसे में मै पाबला जी से पूर्णतः सहमत हूँ. अगर दो व्यक्ति इतना बड़ा एग्रीगेटर खड़ा कर सकते हैं तो कई लोग एक साथ मिल कर इससे बेहतर विकल्प की तलाश कर सकते हैं ऐसा विश्वास है...
    श्रेयस्कर यही है कि ब्लॉगवाणी दुबारा चालू हो

    ReplyDelete
  77. सतीश जी...
    आपके जज्बे को सलाम

    ReplyDelete
  78. सतीश जी आपका प्रयास सराहनीय है । और नये एग्रीगेटर का विचार भी अच्छा है । वैसे आप सभी दिग्गजों के आगे तो हम बह्त छोए ही है , मगर यदि आपके प्रयासो को आगे बढाने मे किसी भी तरह सहयोग के योग्य हमे समझे तो जरूर बताइयेगा । मुझे बहुत प्रसन्नता होगी ।

    सागर बूँद बूँद से ही बनता है
    चिंगारी ही शोला बनती है
    मजबूत इरादे और नेक जज्बों को
    खुदा की दुआये खुद ही मिलती है

    ReplyDelete
  79. मुफ्त में काम करने के बावजूद जली कटी कोई भी सुनना नहीं चाहता! यही ब्लॉग जगत की त्रासदी है!

    सतीश जी!!???

    ReplyDelete
  80. अरे वाह !
    मन प्रसन्‍न हुआ
    इतनी सारी टिप्‍पणियां
    और सब की सब सकारात्‍मक

    पाबला जी सही कह रहे हैं
    एक नया एग्रीगेटर आरंभ किया जाये
    नाम मैं बतला देता हूं
    जिसमें ईश का वास है
    सत जिसके साथ है
    सतीशवाणी
    आपको यह नाम अच्‍छा लगता है
    मुझे तो बहुत फबता है

    सच्‍चाई और ईश
    वैसे हमारीवाणी भी सतीशवाणी ही है
    खुशदीप जी बतला रहे हैं
    मैंने भी अब अनुभव से पाया है
    अच्‍छा कार्य कर रही है
    और जो सुधार यहां सुझाए गए हैं
    वे सब वहां पर पहले से ही सुधरे पाए गए हैं

    अब इतनी वकालत कर रहा हूं
    हमारीवाणी की तो
    मेरी मत समझ लेना
    हम सबकी है
    हम सबकी रहेगी
    चलो उनके मालिक को ढूंढ़ते हैं

    पर जरूरत क्‍या है
    अगर वे सही काम कर रहे हैं
    तो परदे के पीछे से ही करते रहें
    आप पोस्‍टें लगाते रहें
    और टिप्‍पणियां पाते रहें

    आओ सतीशवाणी बनायें
    हिन्‍दी ब्‍लॉग जगत को
    सत और ईश की आवाज का
    मधुर स्‍नेह संबल बनायें

    हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग में टेढ़ापन नहीं है : सीधे सीधे कह रहे हैं पाबला जी

    ReplyDelete
  81. @ अविनाश वाचस्पति ,
    आपके प्यार से प्रभावित हूँ यार मगर नाम भी उसका जो नाम और काम दोनों से निरर्थक है ! नाम ही रखना है तो इस बार अविनाशी रखो यार !
    सस्नेह

    ReplyDelete
  82. @ वंदना जी ,
    आभारी हूँ , देर से आयीं मगर सबसे अधिक भेंट आप ही लायीं हो ....अल्पना मैम से डांट खा चूका हूँ ! २७ वां और ३५ वां कमेन्ट देखिये ...

    ReplyDelete
  83. @पाबला जी ,
    गुस्सा तो आपको भी कम नहीं आता ...
    मेरा विचार है कि सेवादारो को गुस्से का कोई अधिकार नहीं सरदार और गुस्से के साथ काम करने वाला कैसा सेवादार ?? आशा है ध्यान देने कि कृपा करोगे यहाँ अच्छे दिल वालों कि बहुत जरूरत है !!

    ReplyDelete
  84. क्या ब्लोगिंग हमेशा रहेगी ?
    गूगल की जमीं पर हैं फ्री मे सब ब्लॉग कुछ को छोड़ कर जिनके अपने डोमेन हैं .
    क्या कोई ये भरोसा दिला सकता हैं कि गूगल कभी फेल नहीं होगा यानि ब्लॉग को अमरत्व प्राप्त है ??
    अगर कल ऐसा हुआ तो इस पैसा का क्या ?? ये तो नष्ट हुआ समझिये
    किसी जगह छात्रवृति देने के काम मे डाल दीजिये , देश को २ सशक्त हाथ और एक दिमाग मिल जायेगा

    ब्लॉग से कमायी होगी प्रवीण कि टीप कहती हैं , तो अगर मुझ वो कमाई नहीं चाहिये तो फिर मुझ पैसा नहीं देना होगा ??

    संचालक तभी कारगर होगा जब किसी मे पेशन होगा सबके लिखे को आगे बढाने का और लिखने वालो के अनुसार सुविधा देने का .

    संचालक के बिना भी नारी ब्लॉग पर पिछले माह ६००० से ऊपर पाठक आये हैं . हम तो इतने से ही खुश हैं !!! पैसा कमाने के लिये तो पढ़ा लिखा हैं और उस पढने लिखने से जीविका के लिये पैसा मिल ही रहा हैं .

    संचालक से पढ़ने कि सुविधा के अलावा कोई ख़ास लाभ नहीं लगा था और अभी भी नहीं लगता .

    सिरिल ने अपना पक्ष रख दिया .
    मुन्ना भाई स्टाइल गाँधी गिरी करिये एक दिन सब ब्लॉग पर केवल और केवल एक ही पोस्ट हो

    ब्लोगवाणी वापस आओ
    वापस तुमको आना होगा

    एक जुटता का प्रमाण तो दीजिये फिर आगे कि सोचिये

    ReplyDelete
  85. सिरिल जी
    असहमत हूं
    जिसमें हिम्मत हो वो आगे आये कोई रोक कहां रहा है आप वापस चालू कीजिये सशुल्क हम लोग तैयार हैं हिन्दी की का भला हो.
    आप उनको क्यों देख रहे हैं जो आपको कुछ कह रहे है नकारात्मक रूप से उससे ज़्यादा तो सकारात्मक लोग हैं आपके साथ

    ReplyDelete
  86. सतीश जी,
    आपका सार्थक प्रयास वन्दनीय है ! मैं इसके समर्थन के साथ साथ आपको हर प्रकार के सहयोग का आश्वासन भी देता हूँ !
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

    ReplyDelete
  87. सतीश जी,
    आपका सार्थक प्रयास वन्दनीय है ! मैं इसके समर्थन के साथ साथ आपको हर प्रकार के सहयोग का आश्वासन भी देता हूँ !
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

    ReplyDelete
  88. ब्‍लाग जगत की कथाओं, अन्‍तर्कथाअें की कोई जानकारी मुझे नहीं है। मैं तो ब्‍लॉग के बारे में भी कुछ नहीं जानता।

    ब्‍लॉग मुझे खुद को व्‍यक्‍त करने की अकल्‍पनीय सुविधा उपलब्‍ध करा रहा है। यह मुझे नई पहचान और नए सम्‍पर्क दे रहा है। मेरी दुनिया दिन प्रति दिन बडी होती जा रही है ब्‍लॉग के कारण।

    इस सबमें ब्‍लॉगवाणी मेरे लिए बहुत बडा कृपापूर्ण माध्‍यम रही है। मैथिलजी तो व्‍यक्तिगत रूप से मेरी चिन्‍ता करते रहे हैं।

    मैं ब्‍लॉगवाणाी को फिर से, पहले से अधिक सशक्‍त स्‍वरूप में देखना चाहूँगा और इस अभ्यिान का असंदिग्‍ध, सुस्‍पष्‍ट समर्थन करता हूँ।

    मुझे नहीं पता कि मैं कितना उपयोगी और सहायक हो सकता हूँ। किन्‍तु अपनी क्षमता और हैसियत से अधिक योगदान करने में मुझे आत्‍म सन्‍तोष और आत्‍मीय प्रसन्‍न्‍ता होगी।

    मेरे योग्‍य काम काज बताइए। मैं हाजिर हूँ। बिना शर्त। बिना किसी किन्‍तु-परन्‍तु के।

    ReplyDelete

  89. Wow Satish Bhaiya,
    I read your mail today only, after recovering a lot from a crisis.
    I was the first man to offer my proposal in the likewise manner to The Gupt Duo, I could understand their grief of parting with their dream project.
    I took interest and suggested some modifications in Blogprahari,he kindly honored them too... but He was taken for ride, rather lured for a ride by few stalwarts and he Gone Gudum, the fellow kanishk Kashyap !

    I own my personal website AMARHINDI and some technical resources too, So I planned an agregater in detail with Kush... BUT THE IRONY OF THE SCENARIO IS A BITTER TRUTH that we need a segregator not an agregater...
    who can categorically sort out the region, topic, and GUTwise ;)Posts.

    Sorry for such an inexpressive english.. but chalega, I am already being moderated in this Cancer Ward !

    ReplyDelete
  90. ब्लॉगवाणी को वापस लाना किसी पंगेबाज ब्लॉगर से ही संभव है ...कमाल है कि कोई उन्हें क्यों नहीं कह रहा है ?? नाम छुपा है जान लें ...वैसे मैं भी ब्लॉगवाणी के नाम एक प्रेम पत्र लिखने ही वाला हूं ..आखिर जब लैला ही रुठ बैठी हो तो ..मजनूं की मजनुयई का क्या फ़ायदा महाराज

    ReplyDelete
  91. हम भी इस अपील में आपके साथ हैं

    ReplyDelete
  92. @ विष्णु बैरागी,
    भाई जी हो सके तो आप अपने प्रभाव का उपयोग कर ब्लोगवाणी को मनाने का प्रयत्न करें, मेरी तरफ से जो सहयोग आप कहेंगे आपको मिलेगा !
    सादर

    @ डॉ अमर कुमार ,
    आपके स्वास्थय के लिए चिंतित हूँ ...हमें आपके स्नेह की जरूरत है !
    शुभकामनाओं सहित
    सादर


    @ अजय कुमार झा ,
    कृपया आप अपने प्रभाव का उपयोग करें इससे नए ब्लागर को बहुत फायदा होगा !

    ReplyDelete
  93. यही दर्द संभवतः सबका ही है। आहत होकर भी ऊर्जान्वित कार्य करना बहुत कठिन है।

    ReplyDelete
  94. आदरणीय सतीशजी
    सिरिल साहब के इंकार के बाद जो सुझाव पाबला साहब ने दिया है, वह निश्चय ही अमल करने योग्य है. कोई भी एग्रीगेटर
    जन्म के साथ ही विश्वसनीयता लेकर नहीं आता , उसे काम के द्वारा पैदा करना होता है. आप आत्मविश्वास जगाएं . आप एक ईमानदार और समर्पित व्यक्ति हैं. आपके कर्म से विश्वसनीयता पैदा नहीं होगी तो कहाँ से होगी ?

    ReplyDelete
  95. सिरिल जी आपके जवाब से बहुत निराशा हुयी है। लेकिन एक बार तो सोच कर देखें कि कितने शुभचिन्तक आपके साथ हैं किसी के किये की सजा आप हम जैसे लोगों को क्यों दे रहे हैं। प्लीज़ बेटा जी एक बार पुन: विचार करें। शायद सुहृदयता दिखाने के अवसर बार बार नही आते। अपनी वही निस्वार्थ सेवा की भावना को फिर से निस्वार्थ भाव से हिन्दी और ब्लागजगत के भले के लिये दोबारा जगायें। क्या आप सुन रहे हैं हमारी आवाज़? मैथिली जी सुइरिल अपनी जगह सही हैं लेकिन हर बात का कोई न कोई हल तो होता है। कृप्या आप सिरिल को मनायें। धन्यवाद। सतीश जी धन्यवाद आपना प्रयास तब तक चालू रखें जब तक सिरिल जी और मैथिली जी मान नही जाते। मेरी आशायें अभी तक भी बनी हुयी हैं। शुभकामनायें

    ReplyDelete
  96. सतीश जी,
    ब्लोगवाणी से इतने सारे लोग आपके साथ आग्रह कर रहे हैं और उनके व्यक्तिगत कारण क्या हैं ये किसी को नहीं मालूम. विवाद तो उसके समय में बहुत उठा था. आरंभ हो जाये तो बहुत ही अच्छा है अन्यथा विकल्प भी सोचा जा सकता है. वैसे हम आपसे सहमत हैं.

    ReplyDelete
  97. सतीश जी, ब्लॉगवाणी से हमने पहले भी अपील की थी। मेल भी भेजा था और ब्लॉग पर भी। उन्होने कोई ध्यान नहीं दिया।

    हम आपके साथ हैं।

    ReplyDelete
  98. मेरा पूरा समर्थन है.

    ReplyDelete

एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

Related Posts Plugin for Blogger,