सतीश सक्सेनासतीश सक्सेना ने आपकी पोस्ट " द्वंद्व और काव्य का विकास . " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:बाप रे बाप !इसे समझने के लिए गिरिजेश राव से विनती करनी पड़ेगी और वे हमें( प्रौढ़ शिक्षा क्लासें) पढ़ाने आयेंगे नहीं सो क्या करें भैया ??अगली बार शराफत से कुछ ऐसा लिखो जो हमें भी इंटरेस्ट आये नहीं तो तुम्हे हूट करके एक पोस्ट पेल दूंगा.... देते रहना वहां आई टिप्पणियों के जवाब !सुबह सुबह ब्लॉग पठन का सारा मूड खराब कर दिया ...जा रहा हूँ अपनी पुरानी खोपड़ी सहलाते
@ सतीश जी ,
सर जी , आप स्वयमेव काव्य-प्रेमी हैं , आपके लिए इतना भी टफ नहीं है . यह सब बातें तो जीवन-जगत की हैं . उसी जीवन - जगत की जहां हम आप सब रहते हैं . द्वंद्व है और हम उनका शमन , सामजस्य करते ही रहते हैं , जीवन चलता रहता है और कविता उसकी अभिव्यक्ति भी करती है . एतनेही बात है .
और सर जी , मुझको धमकी :-) हा हा हा ! ग़ालिब ने कहा है - ' मुश्किलें इतनी पडीं की आसां हो गयीं ' ! और आप मुझपर कुछ लिखकर मुझे फेमस ही करेंगे , इतना विश्वास है , काश ऐसा हो !! :-)
आप तो मेरे शुभकामी है .. और देखिये न , मैं तो अपने प्यारे दुश्मनों ( जानबूझकर बहुवचन में शब्द को प्रयोग कर रहा हूँ , वैसे तो जानता हूँ कि मेरे खिलाफ एक या आधे-तीहे ही .... बेचारे ... ) का भी शुक्रगुजार हूँ , बशीर बद्र जी की समझाईस भी तो है ---
'' मुख़ालिफ़त से मेरी शख़्सियत सँवरती है
मैं दुश्मनों का बड़ा एहतराम करता हूँ ! ''
अमरेन्द्र त्रिपाठी
आखिरी शेर बहुत अच्छा है अमरेन्द्र ! किसी भी हालत में मानव को डगमगाना नहीं चाहिए ! जहाँ तक मानव मन और स्वभाव की बात है मैंने आज तक कोई "अच्छा आदमी "नहीं देखा मैं खुद ऐसी लापरवाहियां, जल्दवाजियाँ कितनी बार कर चुका हूँ !जो यह दावा करे कि उसका चरित्र पूरी तरह स्वच्छ और निर्दोष है तो मैं केवल मुस्करा सकता हूँ !
अमरेन्द्र जैसे बेहतरीन लेख़क की बेचैनी, इनकी पंक्तियों से जान, अच्छा नहीं लगा ...उससे भी अधिक खराब लगा हिंदी ब्लॉग जगत से, एक शक्तिशाली कलम को, लेखन से लगभग अलग कर लेना !
हिंदी ब्लॉग जगत में अच्छे लेखकों के मध्य मित्रता (खास तौर पर डॉ अरविन्द मिश्र से क्षमा याचना सहित ) के बाद, विवाद तकलीफदेह और अनुचित है ! मनमुटाव के बाद, अगर स्वस्थ सम्बन्ध संभव नहीं हैं तो अलग हो जाइए ! व्यक्त कडवाहट तो आपको कमजोर ही करेगी ! अगर आप लोग बेहतरीन कलम के मालिक हैं, तो यकीन मानिये लोग आपका सम्मान, अपने आप करेंगे इसके लिए चिंतित क्यों ??
ईमानदारी बोलती है ! ठीक उसी प्रकार जैसे चोरी, कभी कभी न कभी खुलती जरूर है !
काश भाई लोग इन बेहतरीन लोगों के, पैरों में लगे कांटे निकाल, इनमे मरहम लगाने का प्रयत्न करने में, बिना उपहास उडाये, मदद करें ( अनूप शुक्ल का आभार ) ! इस समय खराब लगते इन पैरों को ठीक होने दीजिये, आप कहेंगे कि ,
" वाकई ये पाँव बहुत खूबसूरत हैं "
ये हिंदी ब्लॉगजगत को बड़ी ऊंचाइयों पर ले जाने में समर्थ हैं !
किसी का अपमान करने से खिन्न मन को क्षणिक राहत भर मिलती है , जबकि तारीफ करने से, लगेगा कि कुछ नया सृजन किया !
( टिप्पणी कर्ताओं से अनुरोध है कि किसी व्यक्ति विशेष को लेकर विवाद युक्त टिप्पणी न करें यह लेख हर पक्ष का सम्मान करता है ) )
.
ReplyDeleteकिसी का अपमान करने से खिन्न मन को क्षणिक राहत भर मिलती है, जबकि तारीफ करने से, लगेगा कि कुछ नया सृजन किया!
....... is baat ko merii bhii maanen.
इस पोस्ट के बहाने अमरेन्द्र जी के ब्लाग पर भी चक्कर लग गया। बहुत अच्छी पोस्ट थी, मन तृप्त हो गया। सतीश जी आप भी विभूतियों को छांट-छांटकर लाते हो। आभार।
ReplyDeletesir aapko follow karne se yahi fayda hai........kuchh ekdum naya jano
ReplyDeleteसतीश जी आपका यह प्रयास बहुत सार्थक है ...अमरेन्द्र की लिखी पोस्ट पढने का भी सुअवसर मिला ...आभार
ReplyDeleteवाकई ये पाँव बहुत खूबसूरत हैं "
ReplyDeleteये हिंदी ब्लॉगजगत को बड़ी ऊंचाइयों पर ले जाने में समर्थ हैं !
सहमत..
अमरेन्द्र बहुत अच्छा लिखते हैं.
आप दोनों के मध्य सम्पन्न यह साहित्यिक वार्तालाप बहुत अच्छा लगा।
ReplyDeleteआपकी हर पोस्ट हमेशा किसी भी चीज को सकारात्मक नजरिये से देखना सिखाती है.
ReplyDeleteआपको प्रणाम!
आपकी और अमरेन्द्र जी के बीच की लज्ज़तदार तकरार देख कर बहुत पुराना एक गाना याद आया:-
ReplyDeleteतेरे प्यार में दिलदार, तू है मेरा हालेज़ार,
कोई देखे या न देखे अल्लाह देख रहा है.
किस पिक्चर का है ? नाम नहीं याद आ रहा है सतीश जी.
हा हा हा ...........................
आप तो लोगों से मुलाकात भी करवाते हैं...
ReplyDelete______________
'पाखी की दुनिया' में छोटी बहना के साथ मस्ती और मेरी नई ड्रेस
यहाँ क्या हो रहा है , अपने तो कुछ समझ नहीं आया ।
ReplyDeleteसतीश जी,
ReplyDeleteअमरेन्द्र जी से मिलवाने के लिए धन्यवाद और इस अभिनव प्रयोग के लिए भी शुक्रिया !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
वार्तालाप बहुत अच्छा लगा।
ReplyDeleteजरा पूरा संदर्भ समझ लूं तो पूरा अनंद आये. अभी तो सब गड्डमड्ड हो रहा है. जरा लिंक चेक करके आता हूं.
ReplyDeleteरामराम.
satishjee aap bhee naa khichaee acchee kar lete hai.........
ReplyDelete:)
kabhee kabhee...........
इन्द्रधनुषी है ब्लॉग जगत।
ReplyDeleteपहले तो हा हा हा ..दूसरे कितना बड़ा है दिल आपका ...कहीं एक्स रे कराने की जरूरत तो नहीं !
ReplyDeleteअमरेन्द्र बहुत अच्छा लिखते हैं...
ReplyDeleteआपका सार्थक प्रयास सराहनीय है...आभार
सतीश जी आज आपकी पोस्ट का अंदाज एकदम नया है. मैंने अरविन्द जी को पढ़ा और जब समझ नहीं आए तो सोच लिया कि ये भी महान लोगों कि श्रेणी के हैं पर फिर उनका मानवीय रूप भी सामने आया और वो अपने से जीते जागते आम इन्सान से लगे. मैं विश्वास रखता हूँ कि धीरे धीरे वो भी मुख्या ब्लोग्धारा में बहने लगेंगे.
ReplyDeleteअंत में सतीश जी इस बार आपका प्रयास वास्तव में सराहनीय है.
अरे हाँ ये तो बताएं पिछली पोस्ट का दूसरा भाग कब आ रहा है............. :)
अमरेन्द्र जी का प्रशंसक तो मैं भी हूं। और उनकी रचनाएं हमेशा प्रेरित करती हैं।
ReplyDeleteवो गए नहीं हैं, और रहेंगे, इस ब्लॉग जगत में।
Nice blog. i am following U.pl follow me
ReplyDeleteसतीश जी अगर किसी की टांग खींच लें तो भी उसका क़द ऊंचा हो जाता है.. कुछ बात तो है भाई सतीश जी मैं...
ReplyDeleteपहले टिपण्णी पढी जो आप ने दी फ़िर पुरी पोस्ट पढी... जबाब भी पढा अमेंदर जी का, कुछ समझने की कोशिश कर रहा हूं. धन्यवाद
ReplyDeleteअमरेन्द्र के बारे में चर्चा देख-पढ़कर बहुत अच्छा लगा। उनका लिखना वैसे भी बहुत नहीं शुरू हुआ था लेकिन उनकी टिप्पणियां पोस्टों की उपलब्धि होती थी। आजकल टिप्पणीकर्म भी ठिठका हुआ है। मुझे पूरी आशा है कि अमरेन्द्र कुछ दिन में और सहज होकर फ़िर से सक्रिय होंगे।
ReplyDeleteसतीश जी आपके ब्लॉग पोस्ट का संपूर्ण टैक्स्ट फीड़ प्राप्त नहीं हो पा रहा है जिसके कारण हमें आपके पोस्टों को पढ़ने के लिए गूगल रीडर से आपके ब्लॉग में आना पड़ता है यदि संभव हो तो ब्लॉग सेटिंग में फुल फीड सेटिंग कर देंगें तो हम मोबाईल से भी आपके पोस्टों को पढ़ पायेंगें.
ReplyDeleteसतीश जी आपके ब्लॉग पोस्ट का संपूर्ण टैक्स्ट फीड़ प्राप्त नहीं हो पा रहा है जिसके कारण हमें आपके पोस्टों को पढ़ने के लिए गूगल रीडर से आपके ब्लॉग में आना पड़ता है यदि संभव हो तो ब्लॉग सेटिंग में फुल फीड सेटिंग कर देंगें तो हम मोबाईल से भी आपके पोस्टों को पढ़ पायेंगें.
ReplyDeleteसतीश जी कभी हमारी या हमारे व्यंग्यों की भी टांग खींचेंगे तो सच मानिए हुजूर कुछ कद तो हमारा भी बढ़ ही जाएगा आपके कलमाने से।
ReplyDeleteअमरेन्द्र जी के त्रिपाठी स्वरूप से रूबरू कराकर आप धन्य हो गए हैं।
@ भाई विचार शून्य ,
ReplyDeleteअहोभाग्य ! आप आसानी से न पिघलने वाली चीज हैं ...आज आपको क्या हो गया ?
मैं आपसे शिकायत करूँ कि शायद आज आपने मुझे ध्यान से पढ़ा है ! अन्यथा मैं लेखन में कभी प्रयास नहीं करता !
एक सरल प्रवाह में जो दिल में आता है कह देता हूँ , प्रयत्न कर लिखने से बनावटी बन जाता है फिर आप जैसे कंजूसों से तारीफ़ मिलनी आसान नहीं :-))
आप उन लोगों में से हैं जो मुझे अच्छे लगते हैं अब आप मुझे महान मान लें ...या सरल मेरी किस्मत :-)
व्यंग्य से तकलीफ होती है यार ...इसमें थोड़ी कंजूसी किया करो न
सादर
@ डॉ अनवर जमाल ,
ReplyDeleteमुझे लगता है आप गलत जगह टिप्पणी कर गए हैं हुजूर ...
@ संजीव तिवारी ,
ReplyDeleteठीक कर दिया है अब शायद असुविधा नहीं होगी संजीव भाई ! भविष्य में भी मार्गदर्शन कि उम्मीद है आभार आपका
ReplyDelete@ अनूप शुक्ल ,
मैं आपसे सहमत हूँ अनूप भाई ! वाकई अमरेन्द्र की टिप्पणिया किसी भी पोस्ट को सम्पूर्णता प्रदान करने में सक्षम हैं ऐसी प्रतिभा ब्लॉग जगत में दुर्लभ है ! . .
अमरेन्द्र बहुत ही प्रतिभाशाली ब्लॉगर हैं ....कुछ कटु अनुभव अपने आप शब्दों में तल्खी ला देते हैं ...चोट खाकर मुस्कुराना , खुद पर हँसना सीखने के लिए लिए उम्र का लम्बा सफ़र तय करना होता है ...
ReplyDeleteजनाबे आली ! जब आदमी ही ग़लत न हो तो फिर उसकी जगह कैसे ग़लत हो जाएगी ?
ReplyDeleteन तो जगह ग़लत है और न ही टिप्पणी ।
औरत सरापा मुहब्बत है लेकिन सरापा दर्द भी है
जिसका जिम्मेदार हर फ़र्द है
औरत भी है और मर्द भी है
यहां मर्द देखे तो 'अविनाश जी के स्टाइल में' वह काम भी सामने रख दिया जो मर्दों ने अपना काम घोषित कर रखा है यानि कि औरत की हिफ़ाज़त ।
स्टाइल को भी आप ग़लत नहीं कह सकते क्योंकि वह ऐसे अविनाश का है जो वाचस्पति भी हैं ।
अब कहने का नंबर मेरा है ।
आपको मैंने लिंक उपलब्ध करा दिया आपके ब्लाग पर ही बैठे बिठाए
फिर भी आप नहीं आए ?
@ अविनाश जी ! आप भी नहीं आए ?
जबकि आपने अपना ही नहीं बल्कि अपने साथियों का हाथ भी मेरे हाथ में होने का दावा किया था ।
आईये और जितनी आप चाहें उतनी पोस्टस का प्रचार कीजिए मेरे यहां .
2.आपकी पोस्ट के लिए Nice लिख ही चुका हूँ ।
3. अमरेंद्र जी के बारे में तब कुछ कहूंगा जबकि उन्हें पढ़ूंगा लेकिन महफ़ूज़ भाई उनकी तारीफ़ में कह चुके हैं कि वे इतने सीधे हैं कि सीधा शब्द भी उनके सामने टेढ़ा लगता है ।
4. बहन दिव्या जी भी उनकी तारीफ़ करती हैं और उन्हें भाई मानती हैं ।
अब आप तारीफ़ कर रहे हैं तो वे वाक़ई फ़नकार होंगे ।
उनके फ़न की दाद देने के लिए उनके ब्लाग पर जाऊंगा मैं .
एक बार और जाते हैं पढ़ने और समझने :-)
ReplyDeleteअगर टिप्पणियों के पैमाने से देखेंगे तो मुझे शायद आजतक अमरेन्द्र से एक टिप्पणी मिली है और मैंने भी बहुत कम टीपा है उनके ब्लॉग पर, लेकिन अमरेन्द्र की प्रतिभा, मेधा, सरलता, विनम्रता और तर्कशक्ति से बहुत प्रभावित हूँ मैं। इनकी टिप्पणियों का मैं फ़ैन हूँ। और मुझे अमरेन्द्र के साथ संपर्क रखने पर गर्व है।
ReplyDeleteसक्सेना साहब, अच्छा लगा आपका यह अंदाज।
अमरेन्द्र को और आपको शुभकामनायें।
p.s. - ऐसे ही ब्लॉगर हैं ’हिमांशु’ आतंकित कर देने वाली प्रतिभा के धनी। इन दोनों के ब्लॉग पर जब भी जाना होता है, वो कौन सा काम्प्लैक्स होता है जी... हां इन्फ़ीरियरिटी वाला, वो लेकर लौटता हूं मैं तो:)
@ मो सम कौन ,
ReplyDeleteऔर मेरे साथ यही मज़ाक तब होता है जब मैं संजय और दीपक बाबा के ब्लॉग पर से बापस लौटता हूँ !!
:-((
अरे बाप रे ???
ReplyDeleteबाबा को काहे लपेट रहे हो सर...
@अमरेन्द्र सर के लिए भी वोही,
कुछ हम जैसों के लिए भी लिखा करो ....
आचर्य के प्रौढ़ शिक्षा क्लासें में जाना ही पड़ेगा अगर ब्लोगर की दुनिये में रहना है तो.
एक अज़ीम सक्शियत को रूबरू करवाने के लिए आभार.
ReplyDeleteram ram saxena ji bahut kuch kahana chahate ho lakin kuch likh kar baki gol kar jate ho log kayas lagate hai-------
ReplyDeletejai ram Ji ki.
.
ReplyDelete.
.
अमरेन्द्र जी का अपने विषय पर अधिकार है... अधिकार से लिखे उनके आलेख व टिप्पणियाँ कभी-कभी दुरूह से लगते भी हैं, पर गंभीर पाठक के लिये यही उनका USP भी है इस मायने में वह अन्य Run of the Mill ब्लॉगरों से एकदम अलग हैं... मुझे पूरा विश्वास है कि वह लम्बे समय तक ब्लॉगवुड को और समॄद्ध करते रहेंगे...
...
@ पुरविया
ReplyDeleteअमरेन्द्र त्रिपाठी उन लोगों में से एक हैं जिनके कारण हिंदी पढना सुखद लगने लगा था, दुर्भाग्य से, कुछ व्यक्तिगत समस्याओं के कारण इनका मन कुछ समय से उचाट है अगर ऐसा ही रहा तो ब्लॉग जगत का अकल्पनीय नुकसान होगा !
मेरा अमरेन्द्र से अनुरोध है कि वे निराशा कि गर्त से बाहर आयें और एक बार फिर सक्रिय होकर हिंदी भाषा को समर्द्ध करने में अपनी भूमिका प्रदान करें !
adarniye guruji (pratulji)
ReplyDeletese sahmat......
pranam.
किसी का अपमान करने से खिन्न मन को क्षणिक राहत भर मिलती है , जबकि तारीफ करने से, लगेगा कि कुछ नया सृजन किया !
ReplyDelete...कितनी अच्छी बात! वाह!!
...भाई अमरेंद्र की टिप्पणियाँ किसी भी लेखक को सोचने के लिए मजबूर कर देती हैं। पोस्ट पर सही-सही कमेंट करने की हिम्मत, सार्थक आलोचना उनकी विशेषता रही है। व्यक्ति के गुणों की कद्र करके हम अपना ही सम्मान बढ़ाते हैं। हमे जहाँ आलोचना से गुरेज नहीं करना चाहिए, वहीं गुणों की भी खुलकर प्रशंसा करनी चाहिए।
...सार्थक ब्ल़गिंग।
पाबला जी को स्वस्थ और सानंद देख बहुत अच्छा लगा ? आपका स्वागत है गुरु !
ReplyDeletesateesh bhai ji
ReplyDeleteaapke post ki anti m panktiyan bahut hi prabhavit kar gai.
kash! yahi baat sabke samajh me aati to sambhavtah sammaj ka kuchh alag hi roop dikhta.
bahut bahut achhi prastuti
poonam
@सतीश भाई,
ReplyDeleteखुली नज़र क्या खेल दिखेगा दुनिया का,
बंद आंख से देख तमाशा दुनिया का...
अमरेंद्र के शीघ्र पूर्ण सक्रिय होने की कामना...
जय हिंद...
@ सतीश सक्सेना जी ,
ReplyDeleteसर जी , मैंने तो आपकी टीप पर सोचा की प्रति-टीप का दहला मारूं , अब आपकी यह पोस्ट देख कर लगा की मेरी टीप 'नहला' थी जिसपर आपकी यह पोस्ट दहला हो गयी :) .......... आभारी हूँ !
आपने हिन्दी भाषा को समृद्ध करने के हेतु-रूप में मेरी इकाई स्तर की भूमिका को संकेतित किया है , इसके लिए अपनी सीमाओं -शक्तियों के साथ ( जैसा की प्रत्येक व्यक्ति में होता है ) मैं प्रस्तुत रहूंगा ! आर्य , निराशा के गर्त में नहीं हूँ , व्यस्तता के गर्त में अवश्य हूँ ! :)
@ उपस्थित आदरणीय टीपकारों ,
ReplyDeleteआप सबके प्रति आभार ज्ञापित करता हूँ क्योंकि आपके शब्द-सुमन आपकी सदाशयता के किसी न किसी रूप के परिचायक ही हैं ! अनेकशः धन्यवाद !
हाँ , एक विद्यार्थी के तौर पर अन्य प्राथमिकताओं के चलते कम रह पा रहा हूँ , पर यह 'फेज' ख़त्म होते ही पूर्ववत आ जाउंगा , पूर्व-त्वरा के साथ ही . ब्लॉग लेखन की तमाम सीमाओं के बाद भी इसे हलके में नहीं लेता हूँ , क्योंकि हमारे जीवन को इतने निकट से और इतने 'हजार हजार मुख' वाले अंदाज में रखने वाला माध्यम दुर्लभ है . इन हज़ार - हज़ार मुखों वाले वातावरण में जब एक ही व्यक्ति 'दशमुख' बनने लगता है तब स्थिति थोड़ी 'काम्प्लीकेतेद' जरूर हो जाती है ! आप सब ब्लॉग लेखन को समृद्ध कर रहे हैं , यह खुशी की बात है . आभार !
आपका यह प्रयास बहुत सार्थक है
ReplyDeleteसतीश जी, आपकी लेखनी ही नहीं प्रत्युत्पन्नमति भी गजब की है।
ReplyDelete---------
त्रिया चरित्र : मीनू खरे
संगीत ने तोड़ दी भाषा की ज़ंजीरें।
अमरेन्द्र जी से तो मिल चुकी थी...
ReplyDeleteपर आज ये सब पढ़कर मैं भी अपनी खोपड़ी सहलाने लगी...
गुड नाईट...
भाई जान सतीश जी कहां हैं, दर्शनाभिलाशी इंतज़ार मैं हैं..
ReplyDeleteसतीश जी ,आपकी आभारी हूँ .इस पोस्ट को पढ़ कर बहुत दिनों बाद कुछ मिला जिससे यहां वंचितप्राय थी .
ReplyDeleteपोस्ट पढ़ कर ,वहाँ भी आपका स्मरण किया है .
बहुत ही शानदार पोस्ट... अमरेन्द्र के बारे में .... उसकी तारीफ़ में शब्द ही कम पड़ जाते हैं... जमाल भाई ने चौथे (4th) नंबर पर जोक बहुत ही शानदार मारा है... मज़े लेना भी कोई उनसे सीखे.....
ReplyDeleteअमरेन्द्र जी की बौद्धिकता प्रभावित करती है ! वे अपनी पूरी ऊर्जा के साथ पोस्ट को आलोकित करते हैं कोई बनावट और अनावश्यक दंभ के बगैर !
ReplyDeleteपुनः आप लोगों का आभार , अपनी सदाशय टीपों के लिए ! मेरी पोस्ट पर प्रतिभा जी के कमेन्ट ने बड़ा तोष दिया ! ईश्वर करे की अली जी के विश्वास पर सदैव खरा उतरूं !
ReplyDelete@ महफूज भाई , सर्वप्रथम शुक्रिया ! ... और मैंने भी जमाल भाई के चार नंबरी 'जोक' को शानदार समझा , फिर आगे उस मानव पर दया भी आ गयी . दुनिया हंसी-खुशी जिए , और क्या चाहिए !
सतीश सक्सेना जी,
ReplyDeleteजन्म दिन की बधाईयां
हमारी शुभकामनाएं स्वीकार करें बंधु।
ईश्वर आपको दीर्घ उत्साही आयुष्य प्रदान करे।
बहन को बहन न कहा जाये तो क्या कहा जाये ?
ReplyDeletehttp://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/12/patriot.html
@ जनाबे आली सतीश सक्सेना जी ! मालिक आपको नेकी के शिखर पर पहुंचाए .
आमीन .
बहन को बहन न कहा जाये तो क्या कहा जाये क्या आप और आपके टिप्पणीकार बता सकेंगे ?
मैंने देशबाला बहन दिव्या जी को भी बुलाया है इसी सब्जेक्ट पर गुफ्तुगू करने के लिए .
उनसे मैंने कहा है कि -
@ बहन दिव्या जी !
अपने ब्लाग पर आपकी आपत्तियों और सवालों के जवाब में आप मेरी पोस्ट ‘देश भक्ति का दावा और उसकी हक़ीक़त‘ देखने की तकलीफ़ ज़रूर गवारा करें और तब आप बताएं कि कमी क्या है ?
इंशा अल्लाह मैं ज़रूर दूर करूंगा।
अमरेंद्र आपको बहन नहीं मानता, उस पर भी आपको ऐतराज़ है और मैं आपको बहन मानता हूं और कहता भी हूं, इस पर भी आपको ऐतराज़ है। दिमाग़ तो ठीक है आपका ?
आख़िर आप चाहती क्या हैं ?
दो नए ब्लाग भी, जो नए साल पर मैंने बनाए हैं , उन्हें भी आप ज़रूर देखिएगा।
1- प्यारी मां
2- कमेंट्स गार्डन
बहन को बहन न कहा जाये तो क्या कहा जाये ?
ReplyDeletehttp://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/12/patriot.html
@ जनाबे आली सतीश सक्सेना जी ! मालिक आपको नेकी के शिखर पर पहुंचाए .
आमीन .
बहन को बहन न कहा जाये तो क्या कहा जाये क्या आप और आपके टिप्पणीकार बता सकेंगे ?
मैंने देशबाला बहन दिव्या जी को भी बुलाया है इसी सब्जेक्ट पर गुफ्तुगू करने के लिए .
उनसे मैंने कहा है कि -
@ बहन दिव्या जी !
अपने ब्लाग पर आपकी आपत्तियों और सवालों के जवाब में आप मेरी पोस्ट ‘देश भक्ति का दावा और उसकी हक़ीक़त‘ देखने की तकलीफ़ ज़रूर गवारा करें और तब आप बताएं कि कमी क्या है ?
इंशा अल्लाह मैं ज़रूर दूर करूंगा।
अमरेंद्र आपको बहन नहीं मानता, उस पर भी आपको ऐतराज़ है और मैं आपको बहन मानता हूं और कहता भी हूं, इस पर भी आपको ऐतराज़ है। दिमाग़ तो ठीक है आपका ?
आख़िर आप चाहती क्या हैं ?
दो नए ब्लाग भी, जो नए साल पर मैंने बनाए हैं , उन्हें भी आप ज़रूर देखिएगा।
1- प्यारी मां
2- कमेंट्स गार्डन