कैसी पट्टी , बाँध रखी है !
इन लोगों ने जाने कब से ,
मन में रंजिश पाल रखी है !
इस होली पर क्यों न सुलगते,
दिल के ये अंगार बुझा दें !
मुट्ठी भर कुछ रंग,फागुन में, अपने घर में भी, बिखरा दें !
मानव जीवन पाकर कैसे ,
खनक चूड़ियों की सुनते ही
शंख ध्वनि से, लगन हटायी !
अपनों की वाणी सुनने की,
क्यों न आज से चाह जगा लें !
इस होली पर माँ पापा की ,चरण धूल को शीश लगा लें !
बरसों मन में गुस्सा बोई
ईर्ष्या ने ,फैलाये बाजू ,
रोते गाते,हम लोगों ने
घर बबूल के वृक्ष उगाये
इस होली पर क्यों न साथियों,
आओ रंग गुलाल लगा लें ?
भूलें उन कडवी बातों को, आओ अब घर द्वार सजा लें !!
कितना दर्द दिया अपनों को
जिनसे हमने चलना सीखा !
कितनी चोट लगाई उनको
जिनसे हमने,हँसना सीखा !
स्नेहिल आँखों के आंसू ,
कभी नहीं जग को दिख पायें !
इस होली पर,घर में आकर,कुछ गुलाब के फूल चढ़ा लें !
जब से घर से दूर गए हो ,
ढोल नगाड़े , बेसुर लगते !
बिन प्यारों के,मीठी गुझिया,
उड़ते रंग, सब फीके लगते !
मुट्ठी भर गुलाल फागुन में,
फीके चेहरों को महका दें !
सबके संग ठहाका लेकर,अपने घर को स्वर्ग बना लें !
आपकी कामना बहुत भली है। ईश्वर करे ये सभी मनोकामनाएँ पूर्ण हों।
ReplyDeleteबरसों मन में गुस्सा बोई
ReplyDeleteईर्ष्या ने ,फैलाये बाजू ,
रोते गाते,हम लोगों ने
घर बबूल के वृक्ष उगाये
इस होली पर क्यों न साथियो,आओ रंग गुलाल लगा लें ?
भूलें उन कडवी बातों को, आओ अब घर द्वार सजा लें !!
बहुत खूबसूरत शब्द दिये हैं अपनी भावनाओं को ... होली की शुभकामनायें
.......रोते गाते,हम लोगों ने
ReplyDeleteघर बबूल के वृक्ष उगाये .............
सुन्दर रचना के लिए आभार.होली की हार्दिक शुभ कामनाये !
कितना दर्द दिया अपनों को
ReplyDeleteजिनसे हमने चलना सीखा !
कितनी चोट लगाई उनको
जिनसे हमने,हँसना सीखा
स्नेहिल आँखों के आंसू , कभी नहीं जग को दिख पायें !
इस होली पर घर में आकर,कुछ गुलाब के फूल चढ़ा दें !
Read more: http://satish-saxena.blogspot.com/2012/03/blog-post.html#ixzz0dj2i7CUw
सुन्दर भाव गीत .होली मुबारक .
ओह सचमुच !
ReplyDeleteअरविन्द जी ,
Deleteसतीश भाई इसी तर्ज़ पर लिखते रहें तो आप उनके लिए एक नग कमंडल और दो तीन जोड़ी गेरुए वस्त्रों की व्यवस्था कर दें !
कामना बढिया है लेकिन सबको गले लगाने में लफ़ड़े की भी गुंजाइश है। :)
ReplyDeleteहोली मुबारक हो।
@ अनूप भाई,
Deleteभावनाएं भी कैसी कैसी ...
अपनी ही रचना का यह अर्थ मुझे नहीं मालूम था गुरु :-)
आभार !
होली का अवसर है सो कामना से ग्रीवा मिलन का विचार अतिउत्तम ! सब लोग आपके जितने सदाशयी नहीं होते जो ग्रीवा मिलन तक ही ठण्ड रखें :)
Deleteबहरहाल आपकी कामना और अनूप जी की भावना और रचना(ओं) को होली की बहुत बहुत मुबारकबाद :)
बहुत सुन्दर! शुभ होली!
ReplyDeleteसच में बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना |होली पर हार्दिक शुभकामनाएं |
ReplyDeleteआशा
कितना दर्द दिया अपनों को
ReplyDeleteजिनसे हमने चलना सीखा !
कितनी चोट लगाई उनको
जिनसे हमने,हँसना सीखा !
स्नेहिल आँखों के आंसू, कभी नहीं जग को दिख पायें !
इस होली पर,घर में आकर, कुछ गुलाब के फूल चढ़ा दें !
आपके गीत लाजबाब कर देते हैं.
प्रस्तुति के लिए आभार,सतीश भाई.
होली की आपको और सभी जन को बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ,
आपको होली शुभ हो राकेश भाई ....
Deleteबहुत श्रेष्ठ विचार .... रंगों की अदभुत छटा है चहुँ ओर--- एक चुटकी अबीर मेरी तरफ से
ReplyDeleteआभार इस अबीर के लिए
Deleteआपको होली शुभ हो रश्मि प्रभा जी ....
दिल को छूती हुई रचना है... होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteमुट्ठी भर गुलाल फागुन में, फीके चेहरों को महका दें !
ReplyDeleteसबके संग ठहाका लेकर,अपने घर को स्वर्ग बना लें !
sabke ghar ko swarg bana de....
jai baba banaras.....
जिन लोगों ने जाने कब से ,* *मन में रंजिश पाल रखी है*
ReplyDelete*इस होली पर क्यों न सुलगते, दिल के ये अंगार बुझा दें....''
बहुत बढ़िया सर ...होली पर्व पर हार्दिक अग्रिम बधाई और शुभकामनाएं
होली पर भी भावुक कर दिया सबको !
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना है .
बस फोटो कुछ ज्यादा ही इंटिमेट लग रहा है :)
वे अपने ही हैं भाई जी ...
Deleteजब से घर से दूर गए हो ,
ReplyDeleteढोल नगाड़े , बेसुर लगते !
बिन प्यारों के,मीठी गुझिया,
उड़ते रंग, सब फीके लगते !
मुट्ठी भर गुलाल फागुन में, फीके चेहरों को महका दें !
सबके संग ठहाका लेकर,अपने घर को स्वर्ग बना लें !
बहुत सुंदर लगी यह पंक्तियाँ पढ़कर,
सोच रही हूँ इन सबके बगैर घर को स्वर्ग कैसे बनाये ?
हार्दिक बधाई होली की ........
ठहाका लगाना तो सीखना ही होगा ....
Deleteशुभकामनायें होली की !
आभार !
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति। होली की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteमर्म स्पर्शी....
ReplyDeleteकितना दर्द दिया अपनो को
ReplyDeleteजिनसे हमने चलना सीखा...बेहद मर्मस्पर्शी.....
शहजादी का स्वागत है ...
Deleteजब से घर से दूर गए हो ,
ReplyDeleteढोल नगाड़े , बेसुर लगते !
बिन प्यारों के,मीठी गुझिया,
उड़ते रंग, सब फीके लगते !
मुट्ठी भर गुलाल फागुन में, फीके चेहरों को महका दें !
सबके संग ठहाका लेकर,अपने घर को स्वर्ग बना लें !
सुंदर पंक्तियाँ अच्छी लगी रचना !
होली की हार्दिक शुभकामनायें !
सुन्दर अनुपम गीत की अभिव्यक्ति सतीश जी ...
ReplyDeleteहिली की बहुत बहुत शुभ कामनाएं ...
कितने सुन्दर भाव हैं !! होली की भावना से ओत प्रोत है आपकी रचना | आभार |
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
आपका सुलझा हुआ व्यक्तित्व हर कविता में झलकता है..
ReplyDeleteशुक्रिया प्रवीण भाई ..
Deleteबहुत सुंदर भावना...यही तो होली है...
ReplyDeleteभाई जी ,आप की स्नेहभरी भावनाओं को सलाम !
ReplyDeleteआप सब परिवार-जन को होली की बहुत-बहुत मुबारक !
आभार याद करने का ...
अग्रज भाई सतीश जी आपको होली की बहुत -बहुत शुभकामनाएँ |ब्लॉग पर आकर उत्साहवर्धन करते रहने के लिए विशेष आभार |
ReplyDeleteआप बेहतरीन में से एक हैं भाई जी ....
Deleteआपको पढना हमेशा अच्छा लगता है ...
आभार !
पूरे घर परिवार को ....रंगों के पर्व...होली की बहुत बहुत शुभकामनएं
ReplyDeleteकितना दर्द दिया अपनों को
ReplyDeleteजिनसे हमने चलना सीखा !
कितनी चोट लगाई उनको
जिनसे हमने,हँसना सीखा !
स्नेहिल आँखों के आंसू, कभी नहीं जग को दिख पायें !
इस होली पर,घर में आकर, कुछ गुलाब के फूल चढ़ा दें !
भाई सतीश जी, इन पंक्तियों में छुपे दर्द को शब्दों में उकेरना बहुत ही मुश्किल है ! गीत का हर बंद जीवन के रंगों का वह सच है जिसे हम जी रहें हैं ! होली पर इस बेहतरीन रचना के लिए मेरी बधाई स्वीकार करें !
आपको सपरिवार होली की अनंत शुभकामनाएँ !
आप स्नेही हैं भाई जी ...
Deleteआभार !
सतीश प्रिय!
ReplyDeleteआप और आपके परिवार के एक बहुत खुश और रंगीन होली की बधाई. गौरव और विधि की पहली होली है. हार्दिक शुभकामनाएँ
कितना दर्द दिया अपनों को
जिनसे हमने चलना सीखा!
कितनी चोट लगाई उनको
जिनसे हमने, हँसना सीखा!
स्नेहिल आँखों के आंसू, कभी नहीं जग को दिख पायें!
इस होली पर, घर में आकर, कुछ गुलाब के फूल चढ़ा दें!
वास्तव में आप एक महान कवि रहे हैं
मैं अपने आपको कवि नहीं मानता ....मात्र अभिव्यक्ति का प्रयास करता हूँ !
Deleteबरसों मन में गुस्सा बोई
ReplyDeleteईर्ष्या ने ,फैलाये बाजू ,
रोते गाते,हम लोगों ने
घर बबूल के वृक्ष उगाये
इस होली पर क्यों न साथियो,आओ रंग गुलाल लगा लें ?
भूलें उन कडवी बातों को, आओ अब घर द्वार सजा लें !!
होली पर शब्दों और भावों के संयोजन से बहुत गहरी बात कही है वैसे भी होली सभी मन मुटाव , रंजिश और शिकवा शिकायतों को भुला कर गले लग जाने का त्यौहार होता है.
होली पर हार्दिक शुभकामनाएं !
वाह!!!!बहुत बढ़िया भाव अभिव्यक्ति,मन को छूती बेहतरीन रचना,.
ReplyDeleteसतीश जी,बहुत२ बधाई, होली की शुभकामनाए......
NEW POST...फिर से आई होली...
NEW POST फुहार...डिस्को रंग...
हमने भी ऐसी ही ठानी है, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteआपको शुभकामनायें ...
Deleteसिर्फ होली पर ही नहीं...इस कविता का भाव प्रतिदिन पालन करने योग्य है...
ReplyDeleteजीवन हमारी ही मूर्च्छा के कारण बेरंग मालूम पड़ता है। गर थोड़ा प्रयास करना भी हो जीवन में फिर से रस-रंग घोलने का,तो बसंत से अनुकूल भला क्या होगा!
ReplyDeleteसच कहा आपने ...प्रयास तो करना ही होगा !
Deleteशुभकामनायें आपको !
मुट्ठी भर गुलाल फागुन में, फीके चेहरों को महका दें !
ReplyDeleteसबके संग ठहाका लेकर,अपने घर को स्वर्ग बना लें !
bahut sunder rachna ...
बहुत ही उम्दा ख़्यालात को आपने होली संकल्प के रूप में प्रस्तुत किया है। रंगों का यह उत्सव यही कुछ तो संदेश देता है।
ReplyDeleteहोली के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं सतीश जी |कविता बहुत रंगभरी |
ReplyDeleteआशा
अनुकरणीय विचार .......
ReplyDeleteइस खूबसूरत पर्व पर इससे सुंदर संदेश और कोई हो भी नहीं सकता था सतीश भाई । अर्सा बीत गए आपसे मुलाकात हुए । लगता है अब हमें ही बैठकी बुलानी पडेगी
ReplyDeleteआयोजन करें ...
Deleteकाफी दिन से कुछ चटकदार नहीं हुआ :-)
होली की अग्रिम शुभकामनाएं
ReplyDeleteकितना अच्छा हो यदी हम सब यह समझ सके ..होली की हार्दिक बधाई ...आप सब को =
ReplyDeleteकितना अच्छा हो यदी हम सब यह समझ सके ..होली की हार्दिक बधाई ...आप सब को =
ReplyDelete.
ReplyDeleteबहुत सुंदर दिल को छूती हुई भावपूर्ण रचना है…
आभार !
आपको सपरिवार होली की हार्दिक बधाई शुभकामनाएं !
सुंदर संदेश ....
ReplyDeleteब्लॉग पर आकर उत्साह बढाने का हार्दिक धन्यवाद सतीश जी,
आप को भी होली की खूब सारी शुभकामनाएं
नई पोस्ट
स्वास्थ्य के राज़ रसोई में: आंवले की चटनी
razrsoi.blogspot.com
बहुत सुन्दर रचना सर....
ReplyDeleteकोमल कामनाओं से सजी आपकी रचना ने दिल को छू लिया...
आपकी होली शुभ हो...
सादर.
आपका स्वागत है ...
Deleteबहूत -बहूत सुंदर रचना
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुती:-)
होली कि शुभकामनाये
होली की यही भावना इसका सच है -
ReplyDeleteसबमें व्यापे और सफल हो !
leo....hum bhi aa gaye line me samne lagao hame bhi gale.......
ReplyDeletekavitaiyi kya karte ho bhaijee....bas rulate ho....
pranam.
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
ReplyDeleteकल 07/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
'' होली की शुभकामनायें ''
सुन्दर प्रस्तुति !
ReplyDeleteहोली की ढेर साडी शुभकामनायें !
बहुत बढ़िया सन्देश देती सुन्दर रचना...
ReplyDeleteहोली की आपको सपरिवार शुभकामनायें!
बहुत सुंदर रचना....
ReplyDeleteशुभकामनाए....
होली की स्नेहिल शुभकामनाएं...
ReplyDeleteभूले भटके उन अपनों के ,
ReplyDeleteकैसे दरवाजे , खुलवाएं ?
जिन लोगों ने जाने कब से ,
मन में रंजिश पाल रखी है
बहुत सुन्दर सन्देश
होली की शुभकामनाएं
होली की शुभकामनाएं।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना....
ReplyDeleteहोली की शुभकामनाएं
खनक चूड़ियों की सुनते ही
ReplyDeleteशंख ध्वनि से लगन हटाई- Beautifully put together
इस होली पर क्यों न सुलगते, दिल के ये अंगार बुझा दें !
ReplyDeleteशुभकामनाएं......!!
आपको होली की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteसादर
सुंदर संदेश. आपको होली की हार्दिक शुभकामानाएँ.
ReplyDelete"जिन लोगों ने जाने कब से ,
ReplyDeleteमन में रंजिश पाल रखी है
इस होली पर क्यों न सुलगते, दिल के ये अंगार बुझा दें !
मुट्ठी भर कुछ रंग,फागुन में,अपने घर में भी बिखरा दें !"
बहुत ही सुंदर और श्रेष्ठ भावाभिव्यक्ति !
होली मुबारक
होली की बहुत-बहुत बधाई सतीश जी। रचना के बारे में सिर्फ यही कि आध्यात्मिकता के रंगो से सराबोर रचना। शुक्रिया।
ReplyDeleteआभार शिवम् भाई,
ReplyDeleteहोली पर आपको शुभकामनायें ...
आभार अतुल भाई ....
ReplyDeleteहोली की शुभकामनायें आपको !
भावपूर्ण प्रस्तुति...
ReplyDeleteआपको सपरिवार होली की शुभकामनाएँ!
Sparkling colours of HOLI may paint your life in a very colourful way to make you prestigious,honourable and lovable all around.Happy Holi.
ReplyDeleteप्रिय प्रसन्न वदन जी ,
ReplyDeleteहोली की अशेष शुभकामनायें !
कई ब्लाग्स पर आपकी समयानुकूल टीप पढ़ी फिर आपका ब्लॉग देख ही रहा था कि एक विचार यह कौंधा कि कहीं ये सारे ब्लागर्स एक साथ आपकी यही टीप आपकी रचना को समर्पित कर दें तो कैसा लगेगा :)
होली है :)
वाह सतीश जी बहत शानदार कविता लिखी है बहुत उत्तम सीख देती हुई होली की शुभकामनायें
ReplyDeleteनमस्कार आप को होली की हार्दिक शुभकामनायें. होली रंगों का त्यौहार आप को सापेक्ष रंगीन बनावें और आपकी हर कामनाएं पूर्ण हो.
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर और श्रेष्ठ भावाभिव्यक्ति .
sandesh detee badiya rachana .
ReplyDeleteHappy holi .
हाय! गीत पढ़कर मन साधू हो गया।
ReplyDeleteदो गले मिलकर भी अब क्या करें, हाथ जोड़ें सलामती की दुआ करें:)
bahut hi sundar satis ji ,,,,,hardik badhai ke sath holi pr bhi hardik shubhkamnayen.
ReplyDeleteसद्भावना कविता पढने वालों में आ जाये तो क्या बात ...
ReplyDeleteहोली मुबारक !
इस होली पर क्यों न सुलगते, दिल के ये अंगार बुझा दें !
ReplyDeleteमुट्ठी भर कुछ रंग,फागुन में,अपने घर में भी बिखरा दें !"
बहुत ही सुंदर और बढ़िया भावाभिव्यक्ति !
MY RESENT POST ...काव्यान्जलि ...:बसंती रंग छा गया,...
अपनों के संग रंग खेल कर मन के सारे गिले शिकवे दूर करने के लिये ही तो ये त्यौहार आते हैं ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता, प्रेरक भी ।