Wednesday, June 20, 2018

हेल्थ ब्लंडर -9

आप कई वर्ष से वाक कर रहे हैं, आप कई वर्ष से जानवरों का दूध पी रहे हैं , आप बरसों से रोटी,दाल,सब्जी खा
रहे हैं , यह सब आपकी आदत का हिस्सा बन गयी हैं और उसी तरह से आपका शरीर भी बरसों से एक शक्ल अख्तियार कर चुका है और वजन टस से मस नहीं हो रहा तो मान लीजिये शरीर ने इन आदतों को स्वीकार कर लिया है और आप यह सब करते रहिये शरीर इसी वजन के साथ थुलथुल शरीर के साथ जीने की आदत डाल लेगा और आप इस भुलावे में मस्त रहिये कि आप व्यायाम कर रहे हैं जबकि अब यह व्यायाम न होकर शरीर का एक रुटीन भर रह गया है जिससे शरीर में रत्ती भर बदलाव आना संभव नहीं !

अगर बदलाव लाना है तो अपने व्यायाम की एकरसता को तोडिये और अपनी एक्टिविटी में विविधिता लाइए शरीर में हलचल मचना शुरू हो जायेगी ! सप्ताह में चार पांच अलग गति और एक्शन के साथ वाक /रन करें अन्यथा लटके हुए मांस में बदलाव आना संभव नही ! अधिकतर एथलीट एक दिन साधारण वाक्, एक दिन तेज वाक, अगले दिन साईकिल, अगले दिन रेस्ट और फिर जोगिंग और एक दिन तेज रन करता हूँ !

जानवरों का दूध पीना लगभग एक माह बंद करके देखें इसके साथ ही वह सब कुछ महीने के लिए त्याग करें जो आपको बहुत खाने में बहुत अच्छा लगता हो, इनमें से कुछ खाद्य पदार्थ हो सकता है आपका नुकसान कर रहे हों , इनको छोड़ने के साथ वह प्राकृतिक खाद्य शुरू करें जो आपने बहुत कम खाया हो !

आप डरपोक हैं इसीलिए एक सप्ताह में कैंसर ठीक, जैसे न्यूज़ नुमा विज्ञापन ध्यान से पढ़ते ही नहीं बल्कि अपने तमाम दोस्तों को शेयर भी तुरंत करते हैं ! आकर्षक हैडिंग वाली ख़बरें आपको खींचती हैं उस माल को खरीदने के लिए जो मुफ्त में फायदा देने का झांसा दे रहा है तब आप मृत्यु के प्रति घबराए हुए तो हैं ही साथ ही मूर्ख और लालची भी हैं जो किसी व्यापारी के लुभावने ऑफर को धन्यवाद् सहित स्वीकार ही नहीं कर रहे बल्कि अनजाने में उसके एजेंट भी बन रहे हैं ! मृत्यु के प्रति यह भय आपकी जान ले लेगा और आपके जाते जाते मेडिकल व्यवसाइयों को धन दिलाने में कामयाब रहेगा !

अकर्मण्यता की आदत से, है कितना लाचार आदमी !
जकड़े घुटने पकड़ के बैठा , ढूंढ रहा उपचार आदमी !

दुरुपयोग मानस का करके,ढेरो धन संचय कर.भयवश
निष्क्रिय औ भयभीत ह्रदय से करता योगाचार आदमी !

3 comments:

  1. जरूरी पाठ। सुन्दर।

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  2. खानपान में परिवर्तन और अलग अलग तरीके से वाक और रन का सुझाव अच्छा लगा .

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एक निवेदन !
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- सतीश सक्सेना

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