Sunday, July 29, 2018

आसान यूरोप यात्रा -सतीश सक्सेना

इस बार यूरोप यात्रा का संयोग गौरव की जर्मनी पोस्टिंग के कारण हुआ उसकी इच्छा थी कि पापा और माँ मेरे पास लम्बे समय आकर रहें सो पहली बार घर को लगभग ढाई महीने के लिए छोड़ने का फैसला किया पिछली पोस्ट पर मित्रों का अनुरोध था कि इस यात्रा का विवरण लिखूं सो यह पोस्ट आवश्यक हो गयी है !
यूरोपियन ढाबा पर जौ का रस, मशहूर ब्रेड, ब्रीज़ल के साथ !

-विदेश यात्रा को अधिकतर लोग हौआ मानते हैं और उस पर अक्सर बात करने से या जाने की योजना बनाने से झिझकते ही नहीं बल्कि सोंचने में भी कतराते हैं और इसके पीछे धन का अभाव न होकर अक्सर आत्मविश्वास की कमी ही होती है कुछ अन्य कारण निम्न हैं  ....

- पहला कारण विदेशियों से कम्युनिकेशन में आत्मविश्वास का न होना, अधिकतर का मानना है कि उनकी बेहतरीन फर्राटेदार इंग्लिश समझना और बेहतरीन इंग्लिश में बात करना बहुत मुश्किल है जबकि वास्तविकता इसके उलट है लगभग पूरे विश्व में सामान्य विदेशियों की इंग्लिश काफी कमजोर है अधिकतर जगह पर वे टूटी फूटी इंग्लिश में और हावभाव के साथ ही संवाद करते हैं और तो और हमारी मैडम एयरपोर्ट से लेकर शानदार मॉल तक में धड़ल्ले से अपनी हिंगलिश और हिंदी मिलाकर चमत्कृत करने वाली देसी अंग्रेजी में जर्मन लोगों को समझाने में कामयाब रहीं हैं !

-झिझक का दूसरा कारण विदेश यात्रा में अधिक खर्चे का अनुमान होना होता है जबकि यह कई बार देशी यात्रा से भी कम बैठता है ! दिल्ली से पेरिस या म्यूनिख का एक व्यक्ति के आने जाने का खर्चा लगभग 36000/- है और लगभग 5000 रूपये प्रति दिन में अच्छा होटल मिल जाता  है जिसमें एक समय का खाना शामिल होता है ! इस प्रकार एक मध्यम आय वाले पति पत्नी, सवा लाख रूपये में, ५ दिन के लिए रोम जाकर बापस आ सकते हैं !

-विश्व के किसी भी भाग की यात्रा, बिना जानकारी करना पहले असंभव थी जबकि अब इन यात्राओं को गूगल ने बेहद आसान बना दिया है, अगर स्मार्ट फोन आपके पास है तब आप कहीं किसी शहर में खो नहीं सकते, जीपीएस टेक्नोलॉजी के जरिये आपकी लोकेशन हर वक्त आपके पार्टनर के पास होती है इसके लिए आपने अपने परिवार के सदस्यों या मित्रों को अपनी लाइव लोकेशन शेयर करनी भर होती है, आजकल हर व्यक्ति को जीपीएस सिस्टम की जानकारी रखना आवश्यक है !


-आपके शहर से हजारों किलोमीटर दूर अनजान शहर में आपको उस शहर में कदम रखने से पहले, गूगल मैप के जरिये ,अपने बस स्टॉप और बस नंबर तक का पता चल जाता है और कितने स्टॉप बाद उतर कर किस दिशा में, कितने कदम चलना है गूगल मैप की मदद से आप अपने गंतव्य पर आसानी से पंहुच जाते हैं !

-अपना टिकिट अपने मोबाइल पर घर बैठे ऑनलाइन खरीद लीजिये और जहाँ चाहे यात्रा करिये कोई चेक करने नहीं आता न कहीं कोई रेलवे टिकिट कलेक्टर जैसा कोई इंसान दिखता, हर जगह एक भरोसा सा महसूस होता है कि आप भले इंसान हैं और चोरी नहीं कर सकते ! अगर किसी वीरान बसस्टॉप या ट्राम पर खड़े हैं तो टिकिट आपको अपने मोबाइल पर खरीदने की सुविधा है ! 

-हर सड़क पर पदयात्रियों के फुटपाथ , साइकिल के लिए अलग ट्रेक बना है ! पैदल चलते व्यक्ति को सड़क पार करते देख गाड़ियां जबतक इंतज़ार करती हैं जबतक वह इंसान सड़क पार न कर ले ! मोहल्ले में कोई शोर शराबा नहीं लेट इवनिंग में आप घर में तेज आवाज में टीवी अथवा ड्रिल से दीवार में या लकड़ी में छेद नहीं कर सकते शोर मचाना या जोर जोर से बोलना  असभ्यता की निशानी माना जाता है ! नियम पालन यहाँ का समाज अपनी जिम्मेदारी समझ कर पालन करता है !
यूरोप के विभिन्न देशों के बीच सीमा नहीं है हर व्यक्ति बिना किसी परमिट के किसी भी देश में जाने को स्वतंत्र है !

-पूरा वातावरण बेहद स्वच्छ है धूल उड़ते कहीं नहीं दिखती , इस बार मैं एक सफ़ेद शर्ट कई दिन से पहने हूँ कॉलर गंदा ही नहीं होता ! ठन्डे और साफ़ वातावरण में सुबह सुबह इसार नदी के किनारे दौड़ने का आनंद ही कुछ और है काश विश्व के देशों की सीमाएं समाप्त हो जाएँ और हम सब एक साथ मिलकर हंसना रहना सीख सकें !

कितना सुंदर सपना होता 
पूरा विश्व  हमारा  होता । 
मंदिर मस्जिद प्यारे होते 
सारे  धर्म , हमारे  होते ।  
कैसे बंटे,मनोहर झरने,
नदियाँ,पर्वत,अम्बर गीत । 
हम तो सारी धरती चाहें , स्तुति करते मेरे गीत ।  

काश हमारे ही जीवन में 
पूरा विश्व , एक हो जाए । 
इक दूजे के साथ  बैठकर,
बिना लड़े,भोजन कर पायें ।
विश्वबन्धु,भावना जगाने, 
घर से निकले मेरे गीत । 
एक दिवस जग अपना होगा,सपना देखें मेरे गीत । 

Monday, July 9, 2018

तुम्हें जानेमन अब बदलना तो होगा - सतीश सक्सेना

बढ़ी उम्र में , कुछ समझना तो होगा !
तुम्हें जानेमन अब बदलना तो होगा !

उठो त्याग आलस , झुकाओ न नजरें 
भले मन ही मन,पर सुधरना तो होगा !

अगर सुस्त मन दौड़ न भी सके तब 
शुरुआत में कुछ ,टहलना तो होगा !

यही है समय ,छोड़ आसन सुखों का 
स्वयं स्वस्त्ययन काल रचना तो होगा !

असंभव नहीं , मानवी कौम में  कुछ  ?
सनम दौड़ में,गिर संभलना तो होगा !
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