Sunday, April 27, 2025

बीमारी से डरें नहीं -सतीश सक्सेना

जीवन के आख़िरी पड़ाव 70 + में मेरा यह विश्वास व अनुभव है कि भयानक बीमारियों से निजात पानी है तब उससे डरो मत , उसे चैलेंज दो कि वह तुम्हारे शरीर का कुछ नहीं बिगाड पाएगी, आप देखेंगे कि आपकी यह निडरता से आपकी आंतरिक जीवन शक्ति अचानक भरपूर शक्तिशाली हो गई और बीमारी को शरीर से भगाने में आसानी से कामयाब हो गई !

मैंने इसी तरह अपने शरीर से कैंसर नुमा कितने ही सिम्पटम को आसानी से हराने में कामयाबी पायी , घुटने , कमर जांघों के भयानक दर्द , गले से बरसों खाँसते हुए ख़ून निकलना , ४५ वर्ष पुरानी खांसी, दो जगह दुर्दांत गांठें , मुँह गालों के अंदर पड़ी हुई ३० वर्ष पुरानी काले रंग की गाँठ जो आज भी है , मेरा कभी कोई नुक़सान नहीं कर पायीं क्योंकि मैंने कभी उनकी परवाह ही नहीं की और न कैंसर की भयानक कहानियाँ मुझे डरा पायीं !

हमें चाहिए कि अपनी ख़तरनाक बीमारी से बिना डरें आज का दिन का आनंद उठायें , कल सुबह उठकर नए दिन का हँसते हुए स्वागत करें तो पायेंगे कि आपका शरीर कुछ दिनों में हौसला पाकर बहुत ताक़तवर हो गया है और उस बीमारी के भयानक से दिखने वाले सिम्प्टम ख़ुद ब ख़ुद ग़ायब होते जा रहे हैं !

विश्वास बनाए रखें कि आपको बरसों जीना है और हंसते हुए जीना है , लंबा रास्ता जीवंत दिखने लगेगा जहाँ जाओगे फूल मिलेंगे हँसते हुए !

सस्नेह सुनील और Avenindra Mann , 

प्रणाम आप सबको

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