स्नेही दिनेशराय द्विवेदी (फेस बुक पर ) जी के एक कमेंट के कारण, यह पोस्ट लिखने को विवश होना पड़ा !
" बड़े भाई घुूटनों के कार्टिलेज का ध्यान रखना। मैं उन्हें बरबाद कर चुका हूँ। बस चैक कराते रहना। शुभकामनाएँ!
इच्छा शक्ति की कोई कमी नहीं। अभी भी वह तो एवरेस्ट जाना चाहती है। पर हम प्रेक्टिस में अपने शरीर के किसी हि्स्से को इस कदर बरबाद न करें कि फिर से ठीक न हो सके। उम्र भी कोई चीज है। इस कारण लगातार निर्धारित अन्तराल से मेडीकल चैक अप जरूरी है। सभी स्पोर्टस्मेन के लिए "
यहाँ पर मैं आपसे सहमत नहीं हो पा रहा , दुनियां में अदम्य इच्छा शक्ति के लाखों उदाहरण हैं भाई जी जहाँ लोग उम्र की बिना परवाह किये लक्ष्य हासिल करते रहे हैं ! मैंने इससे पहले पिछले ४० वर्षों से कभी भी १०० मीटर नहीं भागा, ४५ मिनट का सामान्य वाक् अवश्य पिछले ४ वर्षों से शुरू किया है वह भी कभी नियमित नहीं रहा ! मगर काफी दिनों से सोंच रहा था कि मैं जल्दी ही रिटायर होने के बाद दौड़ना शुरू करूंगा और मुझे यह मौक़ा दिल्ली हाफ मैराथन (21Km दौड़ ) ने दे दिया !
आज दिनांक १५ sept २०१५ के मेरे प्रेक्टिस सत्र पर नज़र डालें :
लक्ष्य : दिनांक 29 नवंबर 2015, दिल्ली हाफ मैराथन दौड़ = 21.097 किलोमीटर
सतीश सक्सेना- उम्र मात्र ६१ वर्ष , रेस में हिस्सा पहली बार, 40 वर्ष बाद ! जीवन की प्रथम रेस दिल्ली हाफ मैराथन2015 , उद्देश्य - जो समझना चाहें उन्हें अपरिमित मानव शक्ति का अहसास दिलाना …
15 september: (ट्रेनिंग दिन चौथा)
बिना रुके लगातार तेज वॉक एवं हलकी स्पीड दौड़ = 1घंटा 29 मिनट, कुल steps =9354,तय की गयी दूरी= 8.94 km, कैलोरी बर्न =549 , Max Speed=12.6km/h for a distance of 600meter, Avg. Speed=5.96km/h
15 september: (ट्रेनिंग दिन चौथा)
बिना रुके लगातार तेज वॉक एवं हलकी स्पीड दौड़ = 1घंटा 29 मिनट, कुल steps =9354,तय की गयी दूरी= 8.94 km, कैलोरी बर्न =549 , Max Speed=12.6km/h for a distance of 600meter, Avg. Speed=5.96km/h
जब मैंने यह रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरा तो उसमें एक विकल्प सीनियर सिटिज़न के लिए ५ किलोमीटर दौड़ भी था जिसकी फीस भी नाम मात्र की थी , दूसरा विकल्प १० किलोमीटर दौड़ का था और अंतिम विकल्प २१ किलोमीटर दौड़ का था जो अभी लगभग ११ सप्ताह आगे का था और मैंने इसे चुना ही नहीं बल्कि फेसबुक पर शेयर भी किया !
२९ नवंबर को होने वाली इस रेस के लिए मैंने रजिस्ट्रेशन १२ सितंबर को कराया है , मैंने इस रेस में अपनी हिम्मत बढ़ाने के लिए, अपने फेसबुक मित्रों से अपील की है कि वे आज से नित्य सुबह ५ बजे अपने घर से बाहर निकल कर अपनी सामर्थ्य अनुसार वाक् शुरू करें इससे मुझे हौसला मिलेगा कि मेरे मित्र जो व्यक्तिगत तौर पर मुझे जानते तक नहीं, वे भी प्रोत्साहित कर रहे हैं ! मैं जानता हूँ कि कुछ कलमधनी मित्र इसका मज़ाक बनाएंगे मगर मेरा सोंचना है कि अगर एक मित्र भी मेरे साथ मुझ पर भरोसा करते हुए अपने घर के पार्क में आ गया तो मेरी मेहनत सफल कर देगा और आज ही कम से कम ३ मित्रों ने सुबह टहलना शुरू कर दिया और कुछ ने जीवन में पहली बार किया है इससे बड़ी मेरी जीत और हिम्मत अफ़ज़ाई क्या हो सकती है , मैं बेहद खुश हूँ और उन मित्रों का आभारी भी जो इसे सकारात्मक भाव से ले रहे हैं !
२९ नवंबर को होने वाली इस रेस के लिए मैंने रजिस्ट्रेशन १२ सितंबर को कराया है , मैंने इस रेस में अपनी हिम्मत बढ़ाने के लिए, अपने फेसबुक मित्रों से अपील की है कि वे आज से नित्य सुबह ५ बजे अपने घर से बाहर निकल कर अपनी सामर्थ्य अनुसार वाक् शुरू करें इससे मुझे हौसला मिलेगा कि मेरे मित्र जो व्यक्तिगत तौर पर मुझे जानते तक नहीं, वे भी प्रोत्साहित कर रहे हैं ! मैं जानता हूँ कि कुछ कलमधनी मित्र इसका मज़ाक बनाएंगे मगर मेरा सोंचना है कि अगर एक मित्र भी मेरे साथ मुझ पर भरोसा करते हुए अपने घर के पार्क में आ गया तो मेरी मेहनत सफल कर देगा और आज ही कम से कम ३ मित्रों ने सुबह टहलना शुरू कर दिया और कुछ ने जीवन में पहली बार किया है इससे बड़ी मेरी जीत और हिम्मत अफ़ज़ाई क्या हो सकती है , मैं बेहद खुश हूँ और उन मित्रों का आभारी भी जो इसे सकारात्मक भाव से ले रहे हैं !
https://www.facebook.com/hashtag/delhihalfmarathon2015?source=feed_text&story_id=10205861039018438&pnref=story
२१ जून को रोम घूमते समय वारिश में स्लिप हो जाने के कारण मैंने अपना एंकल बुरी तरह से घायल कर लिया था इस समय भी वहां सूजन है , और एक साइड छूने पर दर्द भी होता है सामान्य स्थिति में मुझे स्वत रोकने के लिए यह खतरनाक चोट काफी होती मगर मुझे विश्वास है कि मैं इसके बावजूद दौड़ ही नहीं पूरी करूंगा बल्कि अपनी इच्छाशक्ति एवं प्राणशक्ति से इस घायल लिगमेंट को ठीक भी कर लूंगा और वह भी बिना दवाओं के ! मानवीय शक्तियों की परख के लिए यह एक ऐसा प्रयोग है जिसे पूरा करने के लिए मुझे रिटायरमेंट तक का इंतज़ार करना पड़ा और अगर मैं स्व ट्रेनिंग में घायल नहीं हुआ तो मुझे विश्वास है कि इस प्रयोग में कामयाब रहूँगा और सबूत दूंगा कि बेकार रिटायर्ड व्यक्ति का तमगा लगाये एक सामान्य व्यक्ति ( नॉन एथलेटिक ) भी जवानों के लिए उदाहरण बन सकता है !
२१ जून को रोम घूमते समय वारिश में स्लिप हो जाने के कारण मैंने अपना एंकल बुरी तरह से घायल कर लिया था इस समय भी वहां सूजन है , और एक साइड छूने पर दर्द भी होता है सामान्य स्थिति में मुझे स्वत रोकने के लिए यह खतरनाक चोट काफी होती मगर मुझे विश्वास है कि मैं इसके बावजूद दौड़ ही नहीं पूरी करूंगा बल्कि अपनी इच्छाशक्ति एवं प्राणशक्ति से इस घायल लिगमेंट को ठीक भी कर लूंगा और वह भी बिना दवाओं के ! मानवीय शक्तियों की परख के लिए यह एक ऐसा प्रयोग है जिसे पूरा करने के लिए मुझे रिटायरमेंट तक का इंतज़ार करना पड़ा और अगर मैं स्व ट्रेनिंग में घायल नहीं हुआ तो मुझे विश्वास है कि इस प्रयोग में कामयाब रहूँगा और सबूत दूंगा कि बेकार रिटायर्ड व्यक्ति का तमगा लगाये एक सामान्य व्यक्ति ( नॉन एथलेटिक ) भी जवानों के लिए उदाहरण बन सकता है !
मेरा यह विश्वास है कि एलोपैथिक मान्यताओं को दृढ इच्छा शक्ति एवं मानवीय प्राणशक्ति आसानी से झूठा सिद्ध करने की क्षमता रखती है ! बीमारियों को ठीक करने का कार्य इंसान का है ही नहीं हमने शरीर की सेल्फ हीलिंग सिस्टम पर भरोसा खोकर अपना बहुत बड़ा अहित किया है ! मानवीय मुसीबत पर विजय पाने के लिए हमें अपने ऊपर विश्वास करना सीखना ही होगा !
मैंने बुढ़ापे को कभी स्वीकार ही नहीं किया अतः यह २१ किलोमीटर की दौड़ महज एक कौतूहल है साथ ही विश्वास है कि अगर इतने लोग कर रहे हैं तो मैं क्यों नहीं , उम्र मेरे लिए बाधा हो ही नहीं सकती क्योंकि मैंने कभी नहीं माना कि अधिक उम्र वाले जल्दी थक जाते हैं , उन्हें यह नहीं करना चाहिए उन्हें वो नहीं खाना चाहिए !
अतः ६१ साल की उम्र में, अपनी जीवन की पहली रेस ( २१ किलोमीटर ) को हँसते हुए पूरी करने की तमन्ना है कि अपने से छोटों और मित्रों को दिखा सकूँ कि अदम्य इच्छा शक्ति के बल पर शरीर कितना मज़बूत हो सकता है ! शायद इसी विश्वास पर आज मैंने लगातार केवल चार दिनों के प्रैक्टिस में, डेढ़ घंटा दौड़ कर बिना थके ९ किलोमीटर की दूरी बिना रुके तय की है जबकि दिल्ली मैराथन का आयोजन २९ नवंबर को है और अभी मेरे लिए ढाई माह बाकी है !
आप यकीन रखें यह काम वाहवाही अथवा प्रभामंडल विस्तार के लिए नहीं कर रहा इस स्टेटस को मेरे बच्चे,परिवार सब देख रहे हैं पिछले मात्र चार दिन की प्रैक्टिस से मुझे विश्वास है कि मैं यह दौड़ हँसते हँसते पूरी करूंगा बस अनुरोध है कि मेरे मित्रगण भी मेरा साथ दें और इस प्रयोग के गवाह रहें !
सादर आपका !
आश्चर्य है कि मैंने भी अभी दौड़ना शुरू किया है और कहीं कार्टिलेज की समस्या पर पढ़कर गंभीर रूप से आशंकित हुआ लेकिन आपको पढ़ने के बाद इंसानी शक्ति पर मेरा भरोसा दृढ़ हुआ है आपकी सफलता हम सबकी सफलता है आप बताते रहें, हमारा प्यार आपके साथ है।
ReplyDeleteशुक्रिया सौरभ ,
Deleteबड़ा प्यारा कमेंट है , अच्छा लगा ! आभार
आप निस्संदेह सफल होंगे । आपके हौसलों का अभिनंदन
ReplyDeleteशुक्रिया , आपका स्वागत है गिरिजा जी !
Deleteएक-एक शब्द आपके अक्षरशः सत्य है। कुछ भी असंभव नहीं है है गर ठान लीजिये। आपकी अदम्य साहस और इच्छाशक्ति एक मिसाल है हम सभी के लिये। सच है---मन के हारे हार है मन के जीते जीत।
ReplyDeleteइस विश्वास के लिए आभार आपका ! सादर
Deleteman ke hare haar hai, man ke jeete jeet hai ...!
ReplyDeleteहाँ , यह एक मंत्र है अगर कोई गौर करे तब ! आभार आपका
Deleteशुभकामनाऐं । आत्मविश्वास अपनी जगह पर है होना उत्तम है पर अति भी ठीक नहीं है । इस उम्र में करिये जरूर करिये पर साथ में रक्तचाप जाँच और टी एम टी जरूर करवाइयेगा ।
ReplyDeleteजी हाँ आप सही कहते हैं , मेरी रिपोर्ट के अनुसार मुझे हृदय संबंधी कोई बीमारी नहीं है ! सादर
Deleteधुन के पक्के इंसान कभी हारते नहीं .. अदम्य इच्छा शक्ति से नामुमकिन भी मुमकिन हो जाता है, ऐसे कईं उदाहरण हम पढ़ते-सुनते-देखते आये हैं ...
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाओं सहित
सादर
आपकी इच्छा शक्ति से परिचित हूँ सतीश जी ... आशा और विश्वास सदा आपके साथ रहते हैं ... और फिर आपका मन्त्र की असंभव तो कुछ भी नहीं है जीवन में ... आपको बहुत बहुत शुभकामनायें ...
ReplyDeleteहिम्मत अफ़ज़ाई के लिए आभार दिगंबर भाई
Deleteउम्र को तो मैं ने भी स्वीकार नहीं किया है। अपनी ही बेवकूफी के कारण मैं लगातार तकरीबन पांच साल तक चार पाँच किलोमीटर दौड़ लगाता रहा। मैं ने यह नहीं जाँचा कि उस से मेरे कार्टिलेज प्रतिदिन रिपेयर होने की गति से अधिक घिस रहे हैं। नतीजा यह हुआ कि एक दिन अचानक घुटने में हुई खाली जगह ने लिगामेंट को चोट पहुँचाई। मैं ने फिर भी परवाह नहीं की। किसी चिकित्सक को नहीं दिखाया। यहाँ तक कि चोटिल लिगामेंट में दौड़ भी लगानी पड़ी। जैसे तैसे वह चोट कुछ ठीक हुई तो दूसरे पैर ने भी वही कमाल दिखाया। अब दोनों घुटनों में जगह बन गयी है। चलने में सावधानी रखनी पड़ती है। फिर भी आदतन तेज ही चलता हूँ। धीरे चलने में तकलीफ होती है। रोज कम से कम 100-200 सीढ़ियाँ चढ़ना उतरना और दो चार किलोमीटर पैदल चलना पेशे की जरूरत है। वह करना ही होता है। लेकिन अब उन का ध्यान रखता हूँ। जब तक चलेगा उन्हें चलाउंगा। कभी खुद को विवश नहीं समझा न समझूंगा। अभी भी इच्छा होती है कि माउंटेनियरिंग के लिए चला जाऊँ। आप जो कर रहे हैं वह श्रेष्ठ है। बस मेरी इल्तजा इतनी है कि यह सब करने के साथ साथ शरीर का चैकअप जरूर करते रहें। कहीं भी कुछ दिक्कत हो तो उसे समय रहते संभाल लें, तब लापरवाही न बरतें। मैं आप से अच्छी से अच्छी कामयाबी की आशा रखता हूँ। अपनी इच्छा शक्ति को बनाए रखें। आप अपना लक्ष्य अवश्य हासिल करेंगे।
ReplyDeleteसावधानी से आपकी सलाह नोट की है , आभार भाई जी !
Deleteसेल्फहीलिंग में विश्वास रखते हुए भी अपेक्षित सावधानी आवश्यक है.
ReplyDeleteहमारी morning walk भी शुरू हो चुकी है.
आपको अपने लक्ष्य को हासिल करने में सफलता मिले . हम सब को आपसे प्रेरणा मिलती रहे!
बहुत शुभकामनाएं.
साथ देने का आभार , सदा स्वस्थ रहें , सस्नेह
Deleteआदरणीय नमस्कार
ReplyDeleteसबसे पहले तो आपको अपना लक्ष्य हासिल करने के लिये अग्रिम शुभकामनायें, आप जरुर कामयाब होंगे और मेरे जैसे दूसरों के लिये प्रेरक उदाहरण पेश करेंगे।
आपकी सेल्फ़ हीलिंग वाली बात से 200% सहमत हूं।
मेरे दादाजी 90 वर्ष की उम्र होने पर भी खूब चलते-फिरते थे, और हर मौसम में शौच के लिये बाहर ही जाते थे।
आज करीबन बीस साल हो गये मुझे नौकरी करते हुये और मेरे ऑफिस में रिकार्ड है मेरा कि मैंने कभी भी बीमारी के लिये कोई छुट्टी नहीं ली है। मुझे याद ही नहीं की मै किसी डॉक्टर के पास अपने लिये दवा लेने गया हूं। कई बार समारोह आदि में पूरी रात जागना पडा तो भी अगले पूरे दिन कार्य कर लेता हूं। प्रतिदिन पैदल चलना एक किलोमीटर भी नहीं होता है और यात्राओं में पूरा दिन चलते हुये गुजार दिया। अपनी दो पर्वतीय यात्राओं (श्रीखंड कैलाश और मणीमहेश) में महसूस किया कि रोजाना जिम जाने वाले और स्पोर्ट्सपर्सन मित्रों से बहुत बेहतर स्टैमिना है मेरा............
अपने बारे में इतना लिखने का कारण आपकी प्रेरक बातों से सहमत होना ही है।
प्रणाम स्वीकार कीजियेगा
आभार अमित आपका , मुझे ख़ुशी है कि आपने आकर समर्थन किया मेरा , आप शतायु हों
Deleteसस्नेह
आपको बहुत बहुत शुभकामनायें .....
ReplyDeleteआपकी अदम्य इच्छा-शक्ति और सतत ऊर्जा आपको सफल बनाएगी ,मुझे विश्वास है .
ReplyDeleteआपके विश्वास के लिए आभारी हूँ !
Deleteध्यान के क्षेत्र में जिन्होंने भी गति की है उनका अनुभव यही रहा कि तन,मन,आत्मा से जो भी हम संकल्प करते है पूरा होता है जिसमे बिमारी भी एक है, मै खुद इसका प्रमाण हूँ !
ReplyDeleteआपका जो संकल्प है पूरा हो यही मेरी शुभकामनाएं है !
आपकी दुआओं के लिए आभारी हूँ !
Deleteआपको हार्दिक शुभकामनाएं ! आशा करता हूं कि आपका संकल्प पूरा होवें !
ReplyDeleteप्रेरक पोस्ट
ReplyDeleteदृढ़ इच्छा शक्ति से क्या संभव नहीं. शुभकामनायें.
ReplyDelete‘‘हमने शरीर की सेल्फ हीलिंग सिस्टम पर भरोसा खोकर अपना बहुत बड़ा अहित किया है ! ’’
ReplyDeleteबिल्कुल सही !
अपनी सार्थकता सिद्ध करती रचना। मैं यह महसूस करता हूं कि हम सभी को आपकी तरह ही दृढ़ इच्छाशक्ति और साहस से परिपूर्णं होना चाहिए। हमें जीवन के हर पग पर इसकी आवश्यक्ता पड़ती है।
ReplyDelete" मन के हारे हार है मन के जीते जीत ।
ReplyDeleteपारब्रह्म को पाइए मन की ही परतीत ॥"
कबीर
क्यों पोल खोलने पर उतारू हो गए हो सक्सेनाजी ,अब दबी ढकी रहने दीजिये , वे भी अपने ही है , वैसे बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति दी है आपने ,वास्तव में योग्य तो उस तक पहुँच ही नहीं पाते जिसके वे हकदार हैं ,आज तिकड़म बड़ा हथियार बन गयी है ,
ReplyDeleteबहुत शुभकामनायें ...
ReplyDeleteजब भी पढ़ते हैं आपको मन नतमस्तक हो जाता है ... सादर 🙏
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