Tuesday, September 15, 2015

मन के हारे, हार है - सतीश सक्सेना

 स्नेही दिनेशराय द्विवेदी  (फेस बुक पर ) जी के एक कमेंट के कारण, यह पोस्ट लिखने को विवश होना पड़ा !

" बड़े भाई घुूटनों के कार्टिलेज का ध्यान रखना। मैं उन्हें बरबाद कर चुका हूँ। बस चैक कराते रहना। शुभकामनाएँ!
इच्छा शक्ति की कोई कमी नहीं। अभी भी वह तो एवरेस्ट जाना चाहती है। पर हम प्रेक्टिस में अपने शरीर के किसी हि्स्से को इस कदर बरबाद न करें कि फिर से ठीक न हो सके। उम्र भी कोई चीज है। इस कारण लगातार निर्धारित अन्तराल से मेडीकल चैक अप जरूरी है। सभी स्पोर्टस्मेन के लिए "

यहाँ पर मैं आपसे सहमत नहीं हो पा रहा , दुनियां में अदम्य इच्छा शक्ति के लाखों उदाहरण हैं भाई जी जहाँ लोग उम्र की बिना परवाह किये लक्ष्य हासिल करते रहे हैं ! मैंने इससे पहले पिछले ४० वर्षों से कभी भी १०० मीटर नहीं भागा, ४५ मिनट का सामान्य वाक् अवश्य पिछले ४ वर्षों से शुरू किया है वह भी कभी नियमित नहीं रहा ! मगर काफी दिनों से सोंच रहा था कि मैं जल्दी ही रिटायर होने के बाद दौड़ना शुरू करूंगा और मुझे यह मौक़ा दिल्ली हाफ मैराथन (21Km दौड़ ) ने दे दिया !

आज दिनांक १५ sept २०१५ के मेरे प्रेक्टिस सत्र  पर नज़र डालें :
लक्ष्य : दिनांक 29 नवंबर 2015, दिल्ली हाफ मैराथन दौड़ = 21.097 किलोमीटर
सतीश सक्सेना- उम्र मात्र ६१ वर्ष , रेस में हिस्सा पहली बार, 40 वर्ष बाद ! जीवन की प्रथम रेस दिल्ली हाफ मैराथन2015 , उद्देश्य - जो समझना चाहें उन्हें अपरिमित मानव शक्ति का अहसास दिलाना …
15 september: (ट्रेनिंग दिन चौथा)
बिना रुके लगातार तेज वॉक एवं हलकी स्पीड दौड़ = 1घंटा 29 मिनट, कुल steps =9354,तय की गयी दूरी= 8.94 km, कैलोरी बर्न =549 , Max Speed=12.6km/h for a distance of 600meter, Avg. Speed=5.96km/h
जब मैंने यह रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरा तो उसमें एक विकल्प सीनियर सिटिज़न के लिए ५ किलोमीटर दौड़ भी था जिसकी फीस भी नाम मात्र की थी , दूसरा विकल्प १० किलोमीटर दौड़ का था और अंतिम विकल्प २१ किलोमीटर दौड़ का था जो अभी लगभग ११ सप्ताह आगे का था और मैंने इसे चुना ही नहीं बल्कि फेसबुक पर शेयर भी किया !
२९ नवंबर को होने वाली इस रेस के लिए मैंने रजिस्ट्रेशन १२ सितंबर को कराया है , मैंने इस रेस में अपनी हिम्मत बढ़ाने के लिए, अपने फेसबुक मित्रों से अपील की है कि वे आज से नित्य सुबह ५ बजे अपने घर से बाहर निकल कर अपनी सामर्थ्य अनुसार वाक् शुरू करें इससे मुझे हौसला मिलेगा कि मेरे मित्र जो व्यक्तिगत तौर पर मुझे जानते तक नहीं, वे भी प्रोत्साहित कर रहे हैं ! मैं जानता हूँ कि कुछ कलमधनी मित्र इसका मज़ाक बनाएंगे मगर मेरा सोंचना है कि अगर एक मित्र भी मेरे साथ मुझ पर भरोसा करते हुए अपने घर के पार्क में आ गया तो मेरी मेहनत सफल कर देगा और आज ही कम से कम ३ मित्रों ने सुबह टहलना शुरू कर दिया और कुछ ने जीवन में पहली बार किया है इससे बड़ी मेरी जीत और हिम्मत अफ़ज़ाई क्या हो सकती है , मैं बेहद खुश हूँ और उन मित्रों का आभारी भी जो इसे सकारात्मक भाव से ले रहे हैं !
https://www.facebook.com/hashtag/delhihalfmarathon2015?source=feed_text&story_id=10205861039018438&pnref=story

२१ जून को रोम घूमते समय वारिश में स्लिप हो जाने के कारण मैंने अपना एंकल बुरी तरह से घायल कर लिया था इस समय भी वहां सूजन है , और एक साइड छूने पर दर्द भी होता है सामान्य स्थिति में मुझे स्वत रोकने के लिए यह खतरनाक चोट काफी होती मगर मुझे विश्वास है कि मैं इसके बावजूद दौड़ ही नहीं पूरी करूंगा बल्कि अपनी इच्छाशक्ति एवं प्राणशक्ति से इस घायल लिगमेंट को ठीक भी कर लूंगा  और वह भी बिना दवाओं के ! मानवीय शक्तियों की परख के लिए यह एक ऐसा प्रयोग है जिसे पूरा करने के लिए मुझे रिटायरमेंट तक का इंतज़ार करना पड़ा और अगर मैं स्व ट्रेनिंग में घायल नहीं हुआ तो मुझे विश्वास है कि इस प्रयोग में कामयाब रहूँगा और सबूत दूंगा कि बेकार रिटायर्ड व्यक्ति का तमगा लगाये एक सामान्य व्यक्ति ( नॉन एथलेटिक ) भी जवानों के लिए उदाहरण बन सकता है ! 

मेरा यह विश्वास है कि एलोपैथिक मान्यताओं को दृढ इच्छा शक्ति एवं मानवीय प्राणशक्ति आसानी से झूठा सिद्ध करने की क्षमता रखती है ! बीमारियों को ठीक करने का कार्य इंसान का है ही नहीं हमने शरीर की सेल्फ हीलिंग सिस्टम पर भरोसा खोकर अपना बहुत बड़ा अहित किया है ! मानवीय मुसीबत पर विजय पाने के लिए हमें अपने ऊपर विश्वास करना सीखना ही होगा !
मैंने बुढ़ापे को कभी स्वीकार ही नहीं किया अतः यह २१ किलोमीटर की दौड़ महज एक कौतूहल है साथ ही विश्वास है कि अगर इतने लोग कर रहे हैं तो मैं क्यों नहीं , उम्र मेरे लिए बाधा हो ही नहीं सकती क्योंकि मैंने कभी नहीं माना कि अधिक उम्र वाले जल्दी थक जाते हैं , उन्हें यह नहीं करना चाहिए उन्हें वो नहीं खाना चाहिए !

अतः ६१ साल की उम्र में, अपनी जीवन की पहली रेस ( २१ किलोमीटर ) को हँसते हुए पूरी करने की तमन्ना है कि अपने से छोटों और मित्रों को दिखा सकूँ कि अदम्य इच्छा शक्ति के बल पर शरीर कितना मज़बूत हो सकता है ! शायद इसी विश्वास पर आज मैंने लगातार केवल चार दिनों के प्रैक्टिस में, डेढ़ घंटा दौड़ कर बिना थके ९ किलोमीटर की दूरी बिना रुके तय की है जबकि दिल्ली मैराथन का आयोजन २९ नवंबर को है और अभी मेरे लिए ढाई माह बाकी है !

आप यकीन रखें यह काम वाहवाही अथवा प्रभामंडल विस्तार के लिए नहीं कर रहा इस स्टेटस को मेरे बच्चे,परिवार सब देख रहे हैं पिछले मात्र चार दिन की प्रैक्टिस से मुझे विश्वास है कि मैं यह दौड़ हँसते हँसते पूरी करूंगा बस अनुरोध है कि मेरे मित्रगण भी मेरा साथ दें और इस प्रयोग के गवाह रहें ! 

सादर आपका !

33 comments:

  1. आश्चर्य है कि मैंने भी अभी दौड़ना शुरू किया है और कहीं कार्टिलेज की समस्या पर पढ़कर गंभीर रूप से आशंकित हुआ लेकिन आपको पढ़ने के बाद इंसानी शक्ति पर मेरा भरोसा दृढ़ हुआ है आपकी सफलता हम सबकी सफलता है आप बताते रहें, हमारा प्यार आपके साथ है।

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    1. शुक्रिया सौरभ ,
      बड़ा प्यारा कमेंट है , अच्छा लगा ! आभार

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  2. आप निस्संदेह सफल होंगे । आपके हौसलों का अभिनंदन

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    1. शुक्रिया , आपका स्वागत है गिरिजा जी !

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  3. एक-एक शब्द आपके अक्षरशः सत्य है। कुछ भी असंभव नहीं है है गर ठान लीजिये। आपकी अदम्य साहस और इच्छाशक्ति एक मिसाल है हम सभी के लिये। सच है---मन के हारे हार है मन के जीते जीत।

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    1. इस विश्वास के लिए आभार आपका ! सादर

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  4. man ke hare haar hai, man ke jeete jeet hai ...!

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    1. हाँ , यह एक मंत्र है अगर कोई गौर करे तब ! आभार आपका

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  5. शुभकामनाऐं । आत्मविश्वास अपनी जगह पर है होना उत्तम है पर अति भी ठीक नहीं है । इस उम्र में करिये जरूर करिये पर साथ में रक्तचाप जाँच और टी एम टी जरूर करवाइयेगा ।

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    1. जी हाँ आप सही कहते हैं , मेरी रिपोर्ट के अनुसार मुझे हृदय संबंधी कोई बीमारी नहीं है ! सादर

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  6. धुन के पक्के इंसान कभी हारते नहीं .. अदम्य इच्छा शक्ति से नामुमकिन भी मुमकिन हो जाता है, ऐसे कईं उदाहरण हम पढ़ते-सुनते-देखते आये हैं ...
    हार्दिक शुभकामनाओं सहित
    सादर

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  7. आपकी इच्छा शक्ति से परिचित हूँ सतीश जी ... आशा और विश्वास सदा आपके साथ रहते हैं ... और फिर आपका मन्त्र की असंभव तो कुछ भी नहीं है जीवन में ... आपको बहुत बहुत शुभकामनायें ...

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    1. हिम्मत अफ़ज़ाई के लिए आभार दिगंबर भाई

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  8. उम्र को तो मैं ने भी स्वीकार नहीं किया है। अपनी ही बेवकूफी के कारण मैं लगातार तकरीबन पांच साल तक चार पाँच किलोमीटर दौड़ लगाता रहा। मैं ने यह नहीं जाँचा कि उस से मेरे कार्टिलेज प्रतिदिन रिपेयर होने की गति से अधिक घिस रहे हैं। नतीजा यह हुआ कि एक दिन अचानक घुटने में हुई खाली जगह ने लिगामेंट को चोट पहुँचाई। मैं ने फिर भी परवाह नहीं की। किसी चिकित्सक को नहीं दिखाया। यहाँ तक कि चोटिल लिगामेंट में दौड़ भी लगानी पड़ी। जैसे तैसे वह चोट कुछ ठीक हुई तो दूसरे पैर ने भी वही कमाल दिखाया। अब दोनों घुटनों में जगह बन गयी है। चलने में सावधानी रखनी पड़ती है। फिर भी आदतन तेज ही चलता हूँ। धीरे चलने में तकलीफ होती है। रोज कम से कम 100-200 सीढ़ियाँ चढ़ना उतरना और दो चार किलोमीटर पैदल चलना पेशे की जरूरत है। वह करना ही होता है। लेकिन अब उन का ध्यान रखता हूँ। जब तक चलेगा उन्हें चलाउंगा। कभी खुद को विवश नहीं समझा न समझूंगा। अभी भी इच्छा होती है कि माउंटेनियरिंग के लिए चला जाऊँ। आप जो कर रहे हैं वह श्रेष्ठ है। बस मेरी इल्तजा इतनी है कि यह सब करने के साथ साथ शरीर का चैकअप जरूर करते रहें। कहीं भी कुछ दिक्कत हो तो उसे समय रहते संभाल लें, तब लापरवाही न बरतें। मैं आप से अच्छी से अच्छी कामयाबी की आशा रखता हूँ। अपनी इच्छा शक्ति को बनाए रखें। आप अपना लक्ष्य अवश्य हासिल करेंगे।

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    1. सावधानी से आपकी सलाह नोट की है , आभार भाई जी !

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  9. सेल्फहीलिंग में विश्वास रखते हुए भी अपेक्षित सावधानी आवश्यक है.
    हमारी morning walk भी शुरू हो चुकी है.
    आपको अपने लक्ष्य को हासिल करने में सफलता मिले . हम सब को आपसे प्रेरणा मिलती रहे!
    बहुत शुभकामनाएं.

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    1. साथ देने का आभार , सदा स्वस्थ रहें , सस्नेह

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  10. आदरणीय नमस्कार
    सबसे पहले तो आपको अपना लक्ष्य हासिल करने के लिये अग्रिम शुभकामनायें, आप जरुर कामयाब होंगे और मेरे जैसे दूसरों के लिये प्रेरक उदाहरण पेश करेंगे।
    आपकी सेल्फ़ हीलिंग वाली बात से 200% सहमत हूं।
    मेरे दादाजी 90 वर्ष की उम्र होने पर भी खूब चलते-फिरते थे, और हर मौसम में शौच के लिये बाहर ही जाते थे।
    आज करीबन बीस साल हो गये मुझे नौकरी करते हुये और मेरे ऑफिस में रिकार्ड है मेरा कि मैंने कभी भी बीमारी के लिये कोई छुट्टी नहीं ली है। मुझे याद ही नहीं की मै किसी डॉक्टर के पास अपने लिये दवा लेने गया हूं। कई बार समारोह आदि में पूरी रात जागना पडा तो भी अगले पूरे दिन कार्य कर लेता हूं। प्रतिदिन पैदल चलना एक किलोमीटर भी नहीं होता है और यात्राओं में पूरा दिन चलते हुये गुजार दिया। अपनी दो पर्वतीय यात्राओं (श्रीखंड कैलाश और मणीमहेश) में महसूस किया कि रोजाना जिम जाने वाले और स्पोर्ट्सपर्सन मित्रों से बहुत बेहतर स्टैमिना है मेरा............
    अपने बारे में इतना लिखने का कारण आपकी प्रेरक बातों से सहमत होना ही है।
    प्रणाम स्वीकार कीजियेगा

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    1. आभार अमित आपका , मुझे ख़ुशी है कि आपने आकर समर्थन किया मेरा , आप शतायु हों
      सस्नेह

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  11. आपको बहुत बहुत शुभकामनायें .....

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  12. आपकी अदम्य इच्छा-शक्ति और सतत ऊर्जा आपको सफल बनाएगी ,मुझे विश्वास है .

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    1. आपके विश्वास के लिए आभारी हूँ !

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  13. ध्यान के क्षेत्र में जिन्होंने भी गति की है उनका अनुभव यही रहा कि तन,मन,आत्मा से जो भी हम संकल्प करते है पूरा होता है जिसमे बिमारी भी एक है, मै खुद इसका प्रमाण हूँ !
    आपका जो संकल्प है पूरा हो यही मेरी शुभकामनाएं है !

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    1. आपकी दुआओं के लिए आभारी हूँ !

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  14. आपको हार्दिक शुभकामनाएं ! आशा करता हूं कि आपका संकल्प पूरा होवें !

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  15. प्रेरक पोस्ट

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  16. दृढ़ इच्छा शक्ति से क्या संभव नहीं. शुभकामनायें.

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  17. ‘‘हमने शरीर की सेल्फ हीलिंग सिस्टम पर भरोसा खोकर अपना बहुत बड़ा अहित किया है ! ’’
    बिल्कुल सही !

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  18. अपनी सार्थकता सिद्ध करती रचना। मैं यह महसूस करता हूं कि हम सभी को आपकी तरह ही दृढ़ इच्‍छाशक्ति और साहस से परिपूर्णं होना चाहिए। हमें जीवन के हर पग पर इसकी आवश्‍यक्‍ता पड़ती है।

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  19. " मन के हारे हार है मन के जीते जीत ।
    पारब्रह्म को पाइए मन की ही परतीत ॥"
    कबीर

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  20. क्यों पोल खोलने पर उतारू हो गए हो सक्सेनाजी ,अब दबी ढकी रहने दीजिये , वे भी अपने ही है , वैसे बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति दी है आपने ,वास्तव में योग्य तो उस तक पहुँच ही नहीं पाते जिसके वे हकदार हैं ,आज तिकड़म बड़ा हथियार बन गयी है ,

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  21. बहुत शुभकामनायें ...

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  22. जब भी पढ़ते हैं आपको मन नतमस्तक हो जाता है ... सादर 🙏

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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