भारत सरकार में 37 वर्ष सेवा करने के उपरान्त, आखिरकार 31 दिसंबर 2014 को रिटायर हुआ जिसमें मुझे साथी अधिकारियों द्वारा पूरे सम्मान के साथ, आखिरी विदाई समारोह आयोजित कर, सरकारी कार में घर तक पंहुचाया गया था !
पूरे जीवन एक कमी हमेशा रही कि विद्यार्थी जीवन से लेकर अब तक शारीरिक एक्सरसाइज पर कभी ध्यान नहीं दिया, सो भारतीय समाज में अभिशप्त रिटायरमेंट के बाद फैसला किया कि ढीले ढाले शरीर का कायाकल्प करूँगा ! बच्चों और परिवार जनों के सामने अपनी बीमारी में कराहते , लुंजपुंज, असहाय व्यक्तित्व मुझे सिर्फ दया के पात्र लगते थे ऐसे लोग अपने परिवार अथवा समाज को अपने विशद अनुभव से कोई भी दिशा देने में पूरी तौर पर असमर्थ थे , जिनके साथ शामिल होने को, मेरा मानस कभी तैयार न था !
अतः सबसे पहले अपना ही कायाकल्प करने का फैसला किया, और यह फैसला उस समय किया जब मैं मॉल में अथवा बाज़ार में घूमने को, सुबह का टहलना मान लिया करता था ! उन दिनों १ किलोमीटर अथवा आधा घंटा टहलने में कमर में दर्द हो जाता था ! दो दिन के मनन के बाद फैसला किया कि
पूरे जीवन एक कमी हमेशा रही कि विद्यार्थी जीवन से लेकर अब तक शारीरिक एक्सरसाइज पर कभी ध्यान नहीं दिया, सो भारतीय समाज में अभिशप्त रिटायरमेंट के बाद फैसला किया कि ढीले ढाले शरीर का कायाकल्प करूँगा ! बच्चों और परिवार जनों के सामने अपनी बीमारी में कराहते , लुंजपुंज, असहाय व्यक्तित्व मुझे सिर्फ दया के पात्र लगते थे ऐसे लोग अपने परिवार अथवा समाज को अपने विशद अनुभव से कोई भी दिशा देने में पूरी तौर पर असमर्थ थे , जिनके साथ शामिल होने को, मेरा मानस कभी तैयार न था !
अतः सबसे पहले अपना ही कायाकल्प करने का फैसला किया, और यह फैसला उस समय किया जब मैं मॉल में अथवा बाज़ार में घूमने को, सुबह का टहलना मान लिया करता था ! उन दिनों १ किलोमीटर अथवा आधा घंटा टहलने में कमर में दर्द हो जाता था ! दो दिन के मनन के बाद फैसला किया कि
- मीठा, आइसक्रीम और शुगर मोटापा बढ़ाने में सबसे अधिक रोल निभाती है अतः इसे बंद करना होगा !
- पकौड़े, पापड , कश्मीरी दम आलू , पंजाबी दाल फ्राई , जीरा और प्याज परांठा , के साथ साथ हर प्रकार की शोरबे की मसालेदार मुगलई सब्जी छोड़नी होगी !
- शराब और बियर का शौक़ीन नहीं था मगर परहेज भी नहीं करता था अगर अच्छी कंपनी हो तो दो पैग ड्रिंक्स या गर्मी के दिनों में एक बियर पीना हमेशा आनंददायक लगता था , इसके साथ काजू अथवा पनीर कहकर आसानी से भारी भरकम कैलोरी मिलती थी , उसे बेहद कम करना होगा !
- दूध की चाय और साथ में नमकीन कुरकुरे नमकपारे , तली नमकीन मूंगफली तुरंत बंद करनी होगी !
- रात का डिनर बेहद हल्का एवं सात बजे से पहले खाना होगा !
- बचपन से छोड़ी हुई हरी सब्जियां एवं अंकुरित सलाद के साथ कम से कम एक फल रोज अवश्य खाना होगा
- जमीन पर उकड़ू बैठकर चलना, एवं रोज पांच मंजिल सीढिया चढ़ना सीखना होगा !
- पार्क में सुबह ५ बजे उठकर , हलकी एकसार गति से , हांफना शुरू होने तक धीमे धीमे दौड़ना होगा
यह सब करना मेरे जैसे आलसी और बढ़िया खाने के शौक़ीन व्यक्ति के लिए एक सज़ा से कम न था मगर सवाल 61 वर्ष की उम्र में कायाकल्प का संकल्प लेने का था और हार जाना स्वीकार कभी नहीं था सो यह संकल्प लिया कि इसे अपने ऊपर लागू कर अपने परिवार के बच्चों के लिए एक नयी दिशा छोड़ने में कामयाब रहूंगा !
बुढापे में आकर नए सिरे से 35 वर्षीय जवान बनने की क्रिया आसान नहीं थी , शुरुआत से ही आलसी मन ने अड़चने डालनी शुरू कर दी , पैरों में दर्द रोज होता था , मन हमेशा सलाह देता रहता था कि घुटने बर्बाद कर लोगे बुड्ढे , दौड़ना बिलकुल बेकार है आदि आदि ...
कुछ दिनों में ही समझ में आ गया कि यह मन जीतने नहीं देगा और मज़ाक बन जायेगी इस संकल्प की , सो दो माह बाद होने वाले हाफ मैराथन ( 21 km ) रनिंग का फार्म भर दिया और परिवार व् नज़दीक मित्रों में घोषणा कर दी !
और इज़्ज़त बचाने के लिए हांफते हांफते भी हाफ मैराथन दौड़ना ही पड़ा और जब मैंने यह असंभव जैसा कार्य कर लिया तब आत्मविश्वास से सराबोर अगले ४ माह में ही , 3 हाफ मैराथन सहित दसियो मैडल आसानी से हासिल किये !
और मैं जीत गया अपने संकल्प में, सिर्फ ८ माह की मेहनत में.....
जीवन भर पसीने से चिढ़ने वाले व्यक्ति ने , लगातार 3 घंटे दौड़ने के साथ, शरीर से ३ लीटर पसीने के साथ साथ जमा चर्बी बहने का सुख भी महसूस कर लिया था !
काया कल्प इतना आसान था, ये पता होता तो बहुत पहले कर लिया होता !
बहुत बढ़िया । आपने जो कर दिखाया है वो दृढ़ इच्छा शक्ति के बिना नहीं हो सकता है । एक आन्दोलन की शुरुआत समझिये । जारी रहे । आप की ये उर्जा बनी रहे और आप दूसरों के लिये प्रेरणा बने। शुभकामनाएं।
ReplyDeleteजय मां हाटेशवरी...
ReplyDeleteअनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 06/09/2016 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (06-09-2016) को "आदिदेव कर दीजिए बेड़ा भव से पार"; चर्चा मंच 2457 पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन को नमन।
शिक्षक दिवस और गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
गुरुदेव की जय.
ReplyDeleteअपने अनुभव का और लोगों ज्ञान मिले और स्वस्थ रहे इस नेक प्रस्तुति हेतु आभार!
ReplyDeleteबहुत उपयोगी बातें साझा की है ... अगर सभी इतनी आत्मशक्ति से कर सकें तो बात बने ...
ReplyDeleteशुभकामनाएं......
ReplyDeleteक्या बात है सतीश जी। बहुत अच्छा लगा आपका यह संस्मरण पढ़कर। मुझे लगता है जीवन में कुछ भ्ाी करने के लिए शारीरिक रूप से शक्तिशाली होना बहुत जरूरी है। पुरुष का पौरुष बहाए गए पसीने और सुगठित शरीर में ही झलकता है। शुभकामनाएं आपकेे इस संकल्प और शारीरिक परिश्रम के लिए। निवेदन है कि यह कर्म छोड़िएगा मत।
ReplyDeleteवाह! आपको बधाई व शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteकुछ प्रेरणा हमने भी आपसे ले ली है.