हिंदी दिवस पर गुरुघंटालों, चमचों और बेचारे पाठकों को बधाई कि आज हिंदी, साहित्य चमचों के हाथ, जबरदस्त तरीके से फल फूल रही है, बड़े बड़े पुरस्कार पाने के शॉर्टकट तरीके निकाल कर लोग पन्त , निराला से भी बड़े पुरस्कार हासिल कर पाने में समर्थ हो पा रहे हैं !
ज्ञात हो कि हिंदी के तथाकथित मशहूर विद्वान, जो भारत सरकार , राज्य सरकारों द्वारा पुरस्कृत हैं, सब के सब किसी न किसी आशीर्वाद के जरिये ही वहां तक पहुँच पाए हैं और इसमें उनके घटिया चोरी किये लेखों, रचनाओं का कोई हाथ नहीं !
अधिकतर हिंदी मंचों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष राजनीतिज्ञों की विरुदावली खुश होकर गाते हैं एवं उनके सामने कमर झुका कर खड़े रहने को मजबूर हैं अगर उन्हें आगामी पद्म पुरस्कारों एवं विदेश यात्राओं में अपना नाम चाहिए !
इस सबके लिए कोई नेताओं के बच्चों के विवाह में काव्य पत्र अर्पित कर अपनी जगह बनाता है तो कोई नेता जी का अभिभाषण लेखन पर अपना हस्त कौशल दिखाता है ! नेताजी के खुश होने का नतीजा हिंदी के अगले वर्ष बंटने वाले पुरस्कार समारोह में पुरस्कृत होकर मिलता है ! एक बार मंच पर चढ़ने का आशीर्वाद पाकर यह हिंदी मार्तण्ड पूरे जीवन हर दूसरे वर्ष कोई न कोई कृपापूर्वक बड़ा पुरस्कार प्राप्त करते रहते हैं एवं मूर्ख मीडिया जिसको भाषा की कोई समझ नहीं इन्हें ही हिंदी का सिरमौर समझ, बार बार टीवी गोष्ठियों में बुलाकर, हिंदी कविराज, विद्वान की उपाधि से नवाज, इनके प्रभा मंडल में इज़ाफ़ा करती रहती है !
हाल में दिए एक विख्यात सरकारी हिंदी मंच की पुरस्कार लिस्ट देख कर हँसी आ गयी, इस एक ही लिस्ट में परमगुरु, महागुरु , गुरु , शिष्य और परम शिष्यों को सम्मान दिया जाना है इन पुराने भांड गवैय्यों को छोड़ एक भी स्वाभिमानी हिंदी लेखक/कवि इनकी नजर में पुरस्कृत होने योग्य नहीं है ...
जब तक इन चप्पल उठाने वाले धुरंधरों से छुटकारा नहीं मिलता तबतक हिंदी उपहास का पात्र ही रहेगी !
हिंदी पाठकों को मंगलकामनाएं हिंदी दिवस की !
लाख टेक की बात दो टूक शब्दों में .
सौ सुनार के एक लुहार की
अब तो सुना हर कोई आवेदन कर सकता है सर्वोच्च पुरुस्कारों के लिये भी। लाटरी निकालने में क्या बुराई है । कभी कुछ बटेरें अँधों के हाथ में भी आयेंगी ।
ReplyDeleteदुखद ...! हिन्दी को उसका उपयुक्त स्थान एवं सम्मान मिलना ही चाहिए और वो ऐसे सिफ़ारिशों के रास्ते पर चलकर कैसे मिलेगा भला ...
ReplyDelete~सादर
अनिता ललित
सही बात कि अच्छा लिखना व पुरस्कृत होना अब दो अलग बातें हो रही हैं हालांकि सभी जगह नहीं .
ReplyDeleteपुरस्कार पाने की चाह छोड़कर कुछ सृजनात्मक लिखेंगे तो निश्चित ही इस खूबसूरत अस्तित्व में योगदान होगा भले ही यह योगदान एक छोटी सी गिलहरी के प्रयास जितना ही क्यों न हो !
ReplyDeleteस्थिति दुखद है। फिर भी, इस अंधेरे में टिमटिमाते दियों को नमन!
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