Tuesday, July 16, 2019

भले मन ही मन,पर सुधरना तो होगा - सतीश सक्सेना

जो लोग बरसों से बिना पसीना बहाये, ऐयरकंडीशनर ऑफिस में काम करने के आदी हो गए हैं उन्हें यह जान लेना चाहिए कि उनके शरीर की मसल्स, फेफड़ों के नियमित कार्य , धमनियों में रक्त संचार , हाथ, पैरों, रीढ़, कमर, घुटनों व शरीर के अन्य महत्वपूर्ण जॉइंट्स, बेहद धीमी गति से चलने के आदी हो चुके हैं और बरसों से पड़ी उनकी इस आदत के फलस्वरूप शरीर ने अपने अंदर समयानुसार कुछ स्वाभाविक बदलाव भी किये हैं जिनके कारण विभिन्न प्रकार के दर्द एवं बीमारियां उत्पन्न हुई हैं ! और यह स्थिति अपने शरीर के महत्वपूर्ण अवयवों का उपयोग न करने के कारण पैदा हुई है ! आज पहली बार मैं आपका ध्यान आकर्षण उन अवयवों के बारे में करना चाहता हूँ जिनकी स्थिति पर अपने कभी गौर ही नहीं किया और उनकी दुर्दशा कर दी 
जरा गौर करें कि  ... 
  • आपके फेफड़ों का कार्य बेहद जटिल हैं, वे बाहर की हवा को अंदर खींचकर उसमें से ऑक्सीजन अलग कर रक्त में मिलाने के लिए आगे पम्प करते हैं और बची हुई कार्बन डाई ऑक्साइड को शरीर के बाहर निकालते हैं , उनका एक अन्य महत्वपूर्ण काम आपको आवाज देने के लिए हवा की सप्लाई करना भी है ! आप गहरी साँस खींचकर अंदर भरी हुई हवा का अनुमान लगाइये , इस हवा को समाने की क्षमता लिए हैं हमारे फेफड़े मगर अब आप सामान्य सांसे
    लीजिये जिसके आप आदी हैं आप महसूस करेंगे कि आपके फेफड़े सिर्फ 10 प्रतिशत क्षमता पर ही कार्य कर रहे हैं ! इसका मतलब यह भी हुआ कि  जितनी ऑक्सीजन आपके शरीर के लिए मिलनी चाहिए आप उसकी 90 प्रतिशत कम सप्लाई दे रहे हैं , मानवीय शरीर हर परिस्थिति के हिसाब से आसानी से अपने आपको ढाल लेता है और इस कमी के बावजूद भी आपका शरीर चलता रहता है ! जब आप रनिंग जैसी एक्सरसाइज करते हैं तब यही फेफड़े शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन देने के लिए बहुत तेजी से हवा खींचते व् हृदय में पम्प करते हैं बदकिस्मती से उनकी यह क्रिया आपके आरामतलबी के कारण बहुत कम हो गयी है और फलस्वरूप आपका खून गाढ़ा और बिना ऑक्सीजन के काम करने को मजबूर है ! हृदय की तमाम आधुनिक बीमारियां इसी कारण हैं !
  • प्रौढ़ावस्था में जॉइंट दर्द की शिकायत अधिकतर लोगों में मिलती है , शरीर में सैकड़ों जॉइंट्स हैं और यह चलते रहने से यह हमेशा सुचारु रूप से काम करते रहते हैं उम्र चाहे कोई हो ! अगर आप लगातार मूवमेंट करते हैं तो ऑटो लुब्रिकेशन के जरिये हड्डियों के जोड़ों में चिकनापन बना रहता है मगर जॉइंट मूवमेंट बंद करते ही उनमें ब्लड के जरिये रुकावटें जमा होना शुरू हो जाती हैं फलस्वरूप जकड़न के कारण दर्द होता है ! यहाँ डॉक्टरों की सलाह होती है कि आराम करें , जिससे वे और जकड जाते हैं !
  • विश्व में कार्डिओवेस्कुलर डिजीज, मृत्यु का सबसे बड़ा कारण माना जाता है , लगभग 30 प्रतिशत मृत्यु सिर्फ इसी से  होती हैं ! अधिक वजन होना , मेहनत न करना , हाई ब्लड प्रेशर , बढ़ी हुई डायबिटीज , स्मोकिंग , हाई कोलेस्ट्रॉल , बेहतरीन हृदय को रोक देने के लिए काफी हैं !
  • विश्व के मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट इस बात को स्वीकार करते हैं कि हृदय रोग और डायबिटीज का सबसे बड़ा कारण मेहनत कम करना है, पूरे दिन बैठे रहकर काम करने वालों को यह बीमारियों अधिक होती हैं , डायबिटीज ग्रस्त लोगों को हृदय रोग का ख़तरा दूसरों के मुकाबले और अधिक होता है ,अगर इंसान अपनी आदतें बदलकर पसीना बहने तक की मेहनत करना सीख ले तो इन बीमारियों पर विजय आसानी से पा सकता है !
एक बार अगर ऑपरेशन थियेटर में पंहुच गए तो फिर पूरे जीवन के लिए डॉक्टरों के चक्कर लगाते रहने और रोज दवाएं खाने के अलावा और कोई चारा नहीं , इंसान मेडिकल व्यवसाइयों के गिरफ्त से निकल ही नहीं सकता !अपने जीवन की पूरी कमाई
साथ तुम्हारे दौड़ रहा है बुड्ढा ६५ साल का 
इनको जाते असहाय सा देखता रहता है ! इन खतरनाक बीमारियों में परिवार को मृत्युभय दिखाया जाता है अतः वे तुरंत ऑपरेशन टेबल पर पंहुच जाते हैं ! 
शायद ही किसी डॉ ने यह सलाह दी हो कि आप धीमे धीमे रोज व्यायाम करना शुरू करें लगभग एक वर्ष में एक से दो घंटे लगातार मेहनत करना आते ही यह बीमारियां आपके पास से भाग जाएंगी !

इन सब बीमारियों की भगाने की एक दवाई आप खुद को रनिंग करना सिखाइये मगर ध्यान रहे कि रनिंग का अर्थ तेज दौड़ना नहीं होता बल्कि धीमे धीमे बिना हांफे दौड़ते हुए अपने शरीर के विभिन्न महत्वपूर्ण अवयवों में झंकार पैदा करना होता है जो रनिंग द्वारा आसानी से संभव है ! जब आप भागते हैं तो हर गिरते कदम द्वारा जमीन पर आपके शरीर के वजन का तीन गुना इम्पैक्ट होता है उससे पूरे बॉडी कोर एवं दिमाग तक जो कम्पन की लहरें उठती हैं वह किसी भी बीमारी को दूर भगाने को काफी हैं ! फेफड़ों से शुरू होकर हृदय, किडनी, लिवर, पेन्क्रियास, एब्डोमेन , बॉडी मसल्स , बोन जॉइंट्स , नर्व एवं टिश्यू सबको एक लय में वायब्रेशन मिलता है और हमारा शरीर अधिक फ्रेश महसूस करता है , अधिक ऑक्सीजन पाकर खून स्वच्छ एवं पतला होता है , यह क्रियाएं हम सिर्फ बचपन और जवानी में महसूस करते हैं , बुढ़ापा आराम करते हुए काटने की कोशिश करते हैं कि अब यह काम हमारे लिए संभव नहीं अतः अंत समय अधिक बुरा भुगतते हैं !

अतः मित्रों को चाहिए .. 
-अब हमारी उम्र हो गयी है यह कहना बंद करें और वृद्धावस्था को जड़ से नकारें , हर काम में हाथ डालें जो मजबूत शरीर के साथ करते थे !
-रनिंग सीखना शुरू करें ध्यान रहे रनिंग का अर्थ गति नहीं होता एवं बिना हांफे मुस्कराते हुए दौड़ना सिखाएं अपने शरीर को और याद रहे यह ट्रेनिंग तब पूरी माने जब सुबह ठण्ड के दिनों में ठीक पांच बजे उठकर खुद से कह रहे हों कि उठ बच्चे दौड़ने चलना है  और अगर मन बहाना बनाये तो खुद को कठोर सजा भी दें जैसे क्लास में मिलती थी !
मंगलकामनाएं कि हम सब असमय न जाएँ !!

बढ़ी उम्र में , कुछ समझना तो होगा !
तुम्हें जानेमन अब बदलना तो होगा !

उठो त्याग आलस , झुकाओ न नजरें 

भले मन ही मन,पर सुधरना तो होगा !

सस्नेह  

6 comments:

  1. आप की संगत रही तो पक्का सुधर जायेंगे।

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  2. बहुत उपयोगी लेख आपका हार्दिक आभार

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  3. बहुत काम की बातें..

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  4. दम है आपकी बातों में ... पर सुस्ती ...

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  5. आपकी पोस्ट बहुत जानकारीपूर्ण है।

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- सतीश सक्सेना

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