Thursday, November 6, 2008

अपनी माँ को धुँधली यादों में ढूँढता बच्चा !

आदरणीय जे सी फिलिप शास्त्री का अनुरोध माँ पर लिखने का पाकर, बहुत देर तक सोचता रह गया !
क्या लिखूं मैं, माँ के बारे में ! यह एक ऐसा शब्द है जो मैंने कभी किसी के लिए नही बोला, मुझे अपने बचपन में ऐसा कोई चेहरा याद ही नही जिसके लिए मैं यह प्यारा सा शब्द बोलता !

अपने बचपन की यादों में, उस चेहरे को ढूँढने का बहुत प्रयत्न करता रहा हूँ मगर हमेशा असफल रहा मैं अभागा !

मुझे कुछ धुंधली यादें हैं उनकी... वही आज पहली बार लिख रहा हूँ ....जो कभी नही लिखना चाहता था !
-लोहे की करछुली (कड़छी) पर छोटी सी एक रोटी, केवल अपने इकलौते बेटे के लिए, आग पर सेकती माँ....
-बुखार में , अपने बच्चे के चेचक भरे हाथ, को सहलाती हुई माँ ....
-जमीन पर लिटाकर, माँ को लाल कपड़े में लपेटते पिता की पीठ पर घूंसे मारता, बिलखता एक नन्हा मैं ...मेरी माँ को मत बांधो.....मेरी माँको मत बांधो....एक कमज़ोर का असफल विरोध ...और वे ले गए मेरी माँ को ....

बस यही यादें हैं माँ की ......

23 comments:

  1. क्या कहें दोस्त जीवन में कुछ पल ठहर से जाते हैं बस पीड़ा की एक स्मृति-ग्रंथि बन कर।

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  2. बहुत पीडादायक हैं आपकी ये धुंधली यादें ।

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  3. Not in a postion to comment... Lost all words to express my feelings on this emotional touchy article.

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  4. अंतिम चार पंक्तियाँ ने झकझोर दिया. संभवतः हम भी पहली बार आपके ब्लॉग पर आए हैं. आपका टिप्‍पणीकारों से निवेदन बहुत ही अच्छा लगा.

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  5. प्रिय सतीश,

    देवयोग से आज पहली नजर इस रचना पर पडी. लेख का प्रारंभ सामान्य रुप से पढता गया. लेकिन ...

    आखिरी तीन वाक्य पढा तो ठगा सा रह गया. आपके कारण नहीं, बल्कि इस सोच के कारण कि "हे प्रभु कितने ऐसे हैं जिनको यह वात्सल्य इतना भी न मिला कि वे उसे याद रख सकें, लेकिन कितने ऐसे हैं जो प्रचुर मात्रा में मिलने के बावजूद इसकी कीमत नहीं जानते हैं. अलसी अभागे तो वे हैं!!"

    सस्नेह, शास्त्री

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  6. I was reading again and again about wat you have written about your mother.... Only three lines but very heavy heart touchy lines which made me bring tears .I was cursing god for the injustice done to you. I think he did not realise your purity of your heart. He is regretting for this. You were deprieved of your mothers love, but everyone loves you for your openness, honesty & your kind nature

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  7. Shabd nahin mil rahe likhne ko. Bhavnaon ko shabdon ka roop dena kabhi kabhi kitna mushkil hota hai....

    guptasandhya.blogspot.com

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  8. shabd nahin mil rahe likhne ko..

    guptasandhya.blogspot.com

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  9. मेरी पोस्ट पर आपकी हौसला अफ़ज़ायी के बाद शुक्रिया कहने के लिए 'मेरे गीत' पर पहुंचा। लेकिन मां पर लिखी आपकी पोस्ट ने मुझे भावुक कर दिया। फुर्सत मिले तो मेरी एक पोस्ट "बेटे काश! मैं चिड़िया होती" ज़रूर पढ़ें। शुभकामनाएं।

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  10. Not in a postion to comment... Lost all words to express my feelings on this emotional touchy article.

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  11. मां हमारी सबसे बडी ताकत होती है । मां कभी मरती नहीं । वह तो आजीवन हमारे साथ ही बनी रहती है, हमारी धमनियों में बहते रक्‍त के साथ ।
    आपकी भावनाएं अन्‍तर्मन को भीगो गईं ।

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  12. Uncle !
    You are a Banyan Tree. we are yet to bud on it uncle.So my conscience does not allow to comment on your creativity which is your god gifted..........
    So mai apne aap ko layak hi nahi samajti to give comment either on your articles or on geet.We all know you write great !
    Now apne Maa par likhe gaye par kya bolun, It is very sad to read those lines :(
    Life ko Lite Lena Uncle :)
    Love you
    Bini

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  13. aaj hi aapke blog ko pahli baar dekha. itna marmik chitran hai ki dil jaar jaar ho kar ro utha . kash sabhi ko ma ka pyar aur uski phatkar bhi jaroor mile, yahi dua hai.
    swati

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  14. satish sir
    kam se kam das baaar padh chuka hu par me is waqt mumbai me hu aur meri mummy u p me rehti hai par me abhi apni mummy se milna chahta hu apki ye post padh kar mujhe meri mummy ki yaad aa gayi,

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  15. DIl jaar-jaar rota hai,
    jab koi chhutpan me apni maa khota hai.

    Maa to bass maa hoti hai...
    bachche ko sukhe me rakh
    khud geele me soti hai......
    jab sab ke gale tak bhar jata
    tab chhat kadhahi soti hai..
    thapki de kar hame sulati,
    chupke-chpke roti hai...
    maa to bass maa hoti hai...
    laakh abhawo me jeeti hai,
    apmaano ko piti hai
    pallu ke kone me ek athanni,
    bachchon me ummidon ko jiti hai...
    ........Ummide jab parwaan charhen.
    ummeedon to pankh pasaare...
    bahuon ko lekar aati hain
    bahuen un pankhon par ummedo ko..
    door gagan me le jaati hai..
    aur dhara par atki saanse..
    apno ki baaten johti hain..
    maa to bass maa hi hoti hai..
    jhurrtati murjhjati aasen
    ukhad-ukhad o atak-atka
    kar chalti saanse.....
    ruk jaati hainn.............
    baat johti aankhe saalon se..
    jhuk jaati hain...
    kal jo thi ummido ka lie pitaara
    sar par apne....
    door gagan me dhuaan-dhuaan ho jaati hai...

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  16. छोटी सी उम्र बडी सी पीडा बहुत मुश्किल होता है
    उन यादों को भूलाना मेरे ब्लाँग पर आने के बहुत -बहुत धन्यवाद।

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  17. शब्द-शब्द संवेदनाओं से भरी मार्मिक रचना ....!!

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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