शालीमार गार्डन एक्सटेंशन -II में बन रही एक चार मंजिल इमारत अचानक गिर गयी , काम में लगे, लगभग २० मजदूर बुरी तरह घायल और ३ की घटनास्थल पर ही मौत हो गयी ! इस चार मंजिला भवन में, धन कमाने के लिए, १२ एच आई जी और ३६ एम आई जी फ्लैट बनाये जा रहे थे !
आजकल एन सी आर में, प्रापर्टी में पैसा लगाने का मतलब, सोने का पेंड लगाना है ! २५० गज का एक प्लाट खरीदकर उसमें ४ मंजिल भवन बना , लगभग ढाई करोड़ में बेंच सकते हैं ! अक्सर ऐसी जगह पर, प्लाट एक करोड़ का मिल जाता है और बनाने की कीमत में काफी फर्क है ! ख़राब और घटिया मैटरियल लगाकर किया गया निर्माण, अच्छी क्वालिटी के निर्माण से लगभग आधा होता है !इस प्रकार क्वालिटी से समझौता कर करोड़ों रुपये कमाए जा सकते हैं !
भवन निर्माण की गुणवत्ता पर कंट्रोल और देखरेख के लिए कोई नियम एवं रेगुलेशन नहीं हैं !आम आदमी, पूरी तौर पर, पैसों के इन व्यापारिओं पर निर्भर होता है !
इन भवनों के निर्माण में, ख़राब क्वालिटी के लोकल बने सीमेंट के साथ साथ, बहुत कम मात्रा में स्टील का उपयोग किया जाता है ! अंडरग्राउंड बिजली की घटिया वाइरिंग तथा ख़राब पानी के पाइप , चार साल भी ठीक से नहीं चल पाते ! खराब वायरिंग के कारण, ऐसी किसी भी आपदा के समय, इनमें आग लगने का खतरा बहुत अधिक है , और आग से बचाने का कोई भी सुरक्षा उपाय यहाँ नहीं किया जाता !
देहली हरिद्वार रिज़ पर बसा यह एरिया, सिज्मिक ज़ोन ४ में पड़ता है यहाँ ५ से ८ तीव्रता वाले अर्थ क्वेक आने की सम्भावना रहती है अतः दिल्ली और आसपास का एरिया, हाई रिस्क एरिया में माना जाता है !किसी संभावित प्राकृतिक डिजास्टर के समय, इस प्रकार के भवनों के होते, आपातकाल स्थिति आते देर नहीं लगेगी और जनहानि की संभावना बहुत अधिक होगी ! इस समस्या से निपटने के लिए तुरंत एक भवन रेगुलेशन एक्ट बनाया जाना चाहिए जिसमें चोरों और बेईमानों से निपटने के लिए बेहद कड़े प्रावधान हों !
एन सी आर के ऐसे रिहाईशी इलाकों पर जाकर देखें तो हर तरफ जीर्ण शीर्ण मकानों का जंगल खड़ा दिखेगा जिनमें हँसते खेलते हुए निर्दोष ,असहाय परिवार दिखाई पड़ेंगे ! इस प्रकार बनाई गयी कालोनियां एवं भवन , ७ रेक्टर स्केल पर आये भूकम्प को कैसे सह पाएंगी , यह सोंचकर दहल जाता हूं मैं !