आजकल हिंदी में चोरों की बहुतायत है और अधिकतर चोर हैं जो दूसरों की शैली और रदीफ़ बेशर्मी के साथ कापी करते हैं ! मज़ेदार बात यह है कि उनका विरोध करने कोई आगे नहीं आ पाता क्योंकि ऐसा उन्होंने भी किया है अतः उनके पास इसे सही ठहराने के अलावा कोई चारा नहीं रह जाता ! सो हिंदी में ग़ज़ल लिखने वालों की धूम है ,और तालियां बजाने वालों की कोई कमी नहीं ! सो सोंचा आज हम भी हाथ फिरा लें दुष्यंत कुमार पर …।
माल बढ़िया लगे तो मुफ्त उड़ा लो यारो
कौन मेहनत करे,हराम की खा लो यारो !

इसे लिख के कोई दुष्यंत मर गया यारो !
उसकी शैली से ज़रा नाम कमा लो यारो !
बड़े बड़ों ने इस रदीफ़ का उपयोग किया
सबको अपनी ही तरह चोर बता लो यारो !
ग़ज़ल रदीफ़ तो , सब ने ही बनाये ऐसे ,
मीर ग़ालिब पे भी इलज़ाम लगा लो यारो !
बुज़दिलों जाहिलों में नाम कमाओ जमके
बेहया आँख से , इक बूँद गिरा लो यारो !
माल बढ़िया लगे तो मुफ्त उड़ा लो यारो
कौन मेहनत करे,हराम की खा लो यारो !

इसे लिख के कोई दुष्यंत मर गया यारो !
उसकी शैली से ज़रा नाम कमा लो यारो !
बड़े बड़ों ने इस रदीफ़ का उपयोग किया
सबको अपनी ही तरह चोर बता लो यारो !
ग़ज़ल रदीफ़ तो , सब ने ही बनाये ऐसे ,
मीर ग़ालिब पे भी इलज़ाम लगा लो यारो !
बुज़दिलों जाहिलों में नाम कमाओ जमके
बेहया आँख से , इक बूँद गिरा लो यारो !